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भारत में विदेशी निवेश - उपहार के रूप में प्रतिभूति का अंतरण - प्रािया

आरबीआइ/2005-06/143

ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.08

अगस्त 25, 2005

सेवा में

विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक

महोदया/महोदय,

भारत में विदेशी निवेश - उपहार के रूप में प्रतिभूति का अंतरण - प्रक्रिया

प्राधिवफ्त व्यापारी बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के विनियम 10 अ(क) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर रहनेवाले व्यक्ति को उपहार के रूप में किसी प्रतिभूति के अंतरण प्रस्ताव के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करना जरूरी है।

2.समीक्षा करने के बाद, रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया को आशोधित किया गया है। अब तक भारत में रहनेवाले व्यक्ति द्वारा उपहार के रूप में प्रतिभूति के अंतरण प्रस्ताव, जिसमें शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचर भी शामिल हैं, को रिज़र्व बैंक को पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होती है। तथापि, अब आवेदन के साथ संलग्नक (संलग्नक 1) में दी गई सूची के अनुसार कतिपय सूचना/ दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे। इस संबंध में आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, केन्द्रीय कार्यालय, 11वीं मंजिल, फोर्ट, मुंबई 400 001 को प्रस्तुत किए जाएं।

3.अब से आगे, रिज़र्व बैंक ऐसे आवेदनों पर विचार करते समय निम्नलिखित तथ्यों को ध्यान में रखेगा :

क)अंतरिती (आदाता) पूर्वोक्त अधिसूचना की अनुसूची 1, 4 और 5 के तहत ऐसे प्रतिभूति को रखने के लिए पात्र है।

ख)उपहार भारतीय कंपनी/ डिबेंचर की प्रत्येक श्रफ्ंखला/ प्रत्येक म्यूचुअल फंड योजना के प्रदत्त पूंजी के 5 प्रतिशत से अधिक न हो।

ग)भारतीय कंपनी में लागू क्षेत्रीय सीमा/ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाता है।

घ)अंतरणकर्ता (दाता) और अंतरिती (आदाता) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित निकट संबंधी हैं।

ङ)अंतरणकर्ता द्वारा उपहार के रूप में भारत से बाहर रहनेवाले किसी व्यक्ति को अंतरित किए जानेवाले प्रतिभूति का मूल्य अंतरित किए गए किसी प्रतिभूति के साथ मिलाकर एक कैलण्डर वर्ष के दौरान 25,000 अमरीकी डॉलर के समकक्ष रुपये से अधिक न हो।

(च)ऐसी शर्तें, जो रिज़र्व बैंक द्वारा जनता के हित में आवश्यक समझी जाएं।

4.तदनुसार, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 को जुलाई 22, 2005 की अधिसूचना सं. फेमा 137/2005-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (चौथा संशोधन) विनियमावली 2005 द्वारा संशोधित किया गया है। संशोधनों को शामिल करते हुए जुलाई 25, 2005 की सरकारी अधिसूचना जी.एस.आर.सं.504()िं की प्रतिलिपि संलग्न है (संलग्नक 2)।

5.प्राधिवफ्त व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

6.इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(विनय बैजल)

मुख्य मब प्रबंधक

संलग्नक 1

डअगस्त 25, 2005 के ए.पी.(डीआइआर) परिपत्र सं.08

भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर रहनेवाले व्यक्ति को उपहार के रूप में शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचरों समेत किसी प्रतिभूति के प्रस्तावित अंतरण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत की जानेवाली सूचनाएं/ दस्तावेज

1.अंतरणकर्ता (दाता) और अंतरिती (आदाता) के नाम और पते

2.अंतरणकर्ता और अंतरिती का रिश्ता

3.उपहार देने का कारण

4.सरकारी दिनांकित प्रतिभूति और खजाना बिल के मामले में ऐसे प्रतिभूति के बाज़ार मूल्य पर सनदी लेखाकार द्वारा जारी एक प्रमाणपत्र

5.घरेलू म्यूचुअल फण्ड की यूनिटों और मुद्रा बाज़ार म्यूचुअल फण्ड की यूनिटों के मामलों में ऐसी प्रतिभूति के निवल परिसंपत्ति मूल्य पर निर्गमकर्ता से प्राप्त एक प्रमाणपत्र

6.शेयरों और डिबेंचरों के मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोड़ अथवा पूर्ववर्ती सीसीआइ द्वारा क्रमश: सूचीबद्ध कंपनियों और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए जारी मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार ऐसी प्रतिभूतियों के मूल्य पर सनदी लेखाकार से प्राप्त एक प्रमाणपत्र

7.संबंधित भारतीय कंपनियों से प्राप्त प्रमाणपत्र, यह प्रमाणित करते हुए कि निवासी द्वारा अनिवासी को उपहार के रूप में शेयरों/ परिवर्तनीय डिबेंचरों का प्रस्तावित अंतरण कंपनी में लागू क्षेत्रीय सीमा / विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का उल्लंघन नहीं करेगा और कि अनिवासी अंतरिती द्वारा धारित शेयरों/ परिवर्तनीय डिबेंचरों की प्रस्तावित संख्या कंपनी के प्रदत्त पूंजी के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

 

संलग्नक 2

डअगस्त 25, 2005 के ए.पी.(डीआइआर) परिपत्र सं.08

भारतीय रिज़र्व बैंक

विदेशी मुद्रा विभाग

केन्द्रीय कार्यालय

मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं.फेमा. 137/2005-आरबी जुलाई 22, 2005

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का

अंतरण अथवा निर्गम) (चौथा संशोधन) विनियमावली, 2005

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000
(3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1.संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(व) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(चौथा संशोधन) विनियमावली 2005 कब जाए।

(वव)ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होंगे।

2.विनियमावली में संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में, विनियम 10 में, उप-विनियम अ में, खण्ड (क) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा :

"(क) (व)उपहार के तौर पर, कोई प्रतिभूति, रिज़र्व बैंक के अनुमोदन हेतु आवेदन करेगा।

(वव)रिज़र्व बैंक निम्नलिखित शर्तों से संतुष्ट होने पर ऐसा अनुमोदन दे सकता है:

क)इस विनियमावली की सूची 1, 4 तथा 5 के अंतर्गत आदाता ऐसी प्रतिभूति धारित करने के लिए पात्र है।

ख)उपहार, भारतीय कंपनी की प्रदत्त पूंजी / डिबेंचर की प्रत्येक सिरीज़/ प्रत्येक म्युचुअल फंड योजना के 5 प्रतिशत से अधिक न हो।

ग)भारतीय कंपनी में लागू सेक्टोरल कैप/ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का उल्लंघन नहीं किया जाता है।

घ)दाता और आदाता कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 6 में दी गई परिभाषा के अनुसार रिश्तेदार हों।

ङ)दाता द्वारा अंतरित किए जानेवाले प्रतिभूति का मूल्य कैलेंडर वर्ष में भारत के बाहर रहनेवाले किसी भी व्यक्ति को उपहार के रूप में अंतरित किसी प्रतिभूति के मूल्य के साथ 25,000 अमरीकी डॉलर के समकक्ष रुपए से अधिक न हो।

च)ऐसी अन्य शर्तें, जिसे लोक हित में रिज़र्व बैंक आवश्यक समझे।

(ववव)उप खंड (व) में उल्लिखित अनुमोदन के आवेदन में निम्नलिखित जानकारी/ दस्तावेज शामिल होंगे :-

क)दाता और आदाता के नाम और पते

ख)दाता और आदाता के बीच का रिश्ता

ग)उपहार देने का कारण

घ)सरकारी दिनांकित प्रतिभूति और खजाना बिल और बांडों के मामले में, ऐसे प्रतिभूतियों के बाज़ार मूल्य पर सनदी लेखाकार द्वारा जारी किया गया प्रमाणपत्र

ङ)घरेलू म्यूचुअल फंड और मनी मार्केट म्युचुअल फंड के यूनिटों के मामले में ऐसे प्रतिभूति के निवल आस्ति मूल्य के संबंध में जारीकर्ता से प्राप्त प्रमाणपत्र

च)शेयरों और डिबेंचरों के मामले में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोड़ अथवा पूर्ववर्ती सीसीआइ द्वारा क्रमश: सूचीबद्ध कंपनियों और असूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसी प्रतिभूतियों के मूल्य के संबंध में सनदी लेखाकार से प्राप्त एक प्रमाणपत्र

छ)संबंधित भारतीय कंपनी से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र कि निवासी से अनिवासी को भेंट के रूप में शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचरों के प्रस्तावित अंतरण लागू सेक्टोरल कैप/ कंपनी में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा का उल्लंघन नहीं करते है और कि अनिवासी अंतरणकर्ता द्वारा धारित शेयर/ परिवर्तनीय डिबेंचरों की प्रस्तावित संख्या कंपनी के प्रदत्त पूंजी के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।"

ह./-

(विनय बैजल)

मुख्य महाप्रबंधक

पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 3, 2000 के जी.एस.आर. सं.406(E) में भाग घ्घ्, खंड 3, उप-खंड (व) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् निम्नानुसार संशोधित किए गए हैं :-

दिनांक 02.03.2001 का जीएसआर सं.158(E)

दिनांक 13.03.2001 का जीएसआर सं.175(E)

दिनांक 14.03.2001 का जीएसआर सं.182(E)

दिनांक 02.01.2002 का जीएसआर सं. 4(E)

दिनांक 19.08.2002 का जीएसआर सं.574(E)

दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.223(E)

दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.225(E)

दिनांक 22.07.2003 का जीएसआर सं.558(E)

दिनांक 23.10.2003 का जीएसआर सं.835(E)

दिनांक 22.11.2003 का जीएसआर सं.899(E)

दिनांक 07.01.2004 का जीएसआर सं.12(E)

दिनांक 23.04.2004 का जीएसआर सं.278(E)

दिनांक 16.07.2004 का जीएसआर सं.454(E)

दिनांक 21.09.2004 का जीएसआर सं.625(E)

दिनांक 08.12.2004 का जीएसआर सं.799(E)

दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.201(E)

दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.202(E)

दिनांक 25.07.2005 का जी.एस.आर.सं.504(E)

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