भारिबैंक/2013-14/533 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 112 25 मार्च 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, विदेशी संविभाग निवेशक (FPI) - संविभाग निवेश योजना (PIS) के अंतर्गत सरकारी तथा कर्ज प्रतिभूतियों में निवेश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल विनियमावली) की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के लिए संविभाग निवेश योजनागत मौजूदा दिशानिर्देशों की अब समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि "विदेशी संविभाग निवेश योजना" नामक नई योजना के तहत निवेश हेतु एक फ्रेमवर्क लागू किया जाए। 3. नई योजना की महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नवत हैं:
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सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार पंजीकृत संविभाग निवेशक को "पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय)" कहा जाएगा। वर्तमान संविभाग निवेशक वर्ग अर्थात सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) और अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) में सम्मिलित होंगे;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) भारत में मान्यता प्राप्त स्टाक एक्स्चेंजों में पंजीकृत ब्रोकर के माध्यम से भारतीय कंपनी के शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर की खरीद और बिक्री करने के साथ-साथ सेबी के संबंधित दिशानिर्देशों/विनियमों के अनुसार जनता को शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों के किए गए प्रस्ताव के तहत उनकी भी खरीद सकेंगे।
• इस प्रकार अर्जित शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की बिक्री पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) निम्नवत कर सकेंगे
ए) खुले प्रस्ताव के मामले में सेबी (शेयरों का भारी संख्या में अर्जन एवं अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के अनुसार; अथवा
बी) खुले प्रस्ताव के मामले में सेबी (ईक्विटी शेयरों को सूचीबद्धता से हटाना) विनियमावली, 2009 के अनुसार; अथवा
सी) किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा सेबी {प्रतिभूतियों की वापस खरीद(buy back)} विनियमावली, 1998 के अनुसार शेयरों की वापस खरीद।
• पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद निम्नवत भी कर सकते हैं
ए) केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार द्वारा शेयरों के विनिवेश के लिए किए गए किसी प्रस्ताव के तहत किसी नीलामी (bid), अर्जन अथवा प्रतिभूतियों के लिए/के तहत; अथवा
बी) मार्केट मेकिंग की प्रक्रिया के तहत किसी मर्चेंट बैंकर के साथ किए गए करार के अनुसरण में प्रतिभूतियों के लेनदेन अथवा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (पूंजी निर्गम और प्रकटीकरण अपेक्षा) विनियमावली, 2009 के चैप्टर XB के अनुसार अभिदान न किए गए अंश के लिए अभिदान के रूप में।
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) के लिए एकल और समग्र निवेश सीमाएं भारतीय कंपनी की प्रदत्त ईक्विटी पूंजी के क्रमश: 10% (प्रतिशत) अथवा 24% (प्रतिशत) से कम अथवा भारतीय कंपनी द्वारा जारी परिवर्तनीय डिबेंचरों की प्रत्येक श्रृखला के क्रमश: 10% (प्रतिशत) अथवा 24% (प्रतिशत) से कम होगी। इसके अलावा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत जहां संयुक्त सेक्टोरल कैप निर्धारित है, वहां पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) के लिए ये सीमाएं भी ऐसी समग्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सेक्टोरल कैप के अंतर्गत होंगी;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास विशेष अनिवासी रुपया खाता और विदेशी मुद्रा खाता खोलने तथा प्रतिभूतियों में वास्तविक (genuine) निवेश करने के लिए प्रचलित बाजार दर पर विदेशी मुद्रा खाते से विशेष अनिवासी रुपया खाते में निधियों के अंतरण करने के लिए पात्र होंगे। प्राधिकृत व्यापारी बैंक विशेष अनिवासी रुपया खाते से प्रत्यावर्तनीय आगम राशि (करों को घटकार) का अंतरण विदेशी मुद्रा खाते में कर सकते हैं;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में भारतीय रिज़र्व बैंक और सेबी द्वारा, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट सीमाओं में निवेश करने के लिए पात्र होंगे;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (आरएफपीआय) द्वारा सेबी (एफपीआई) विनियमावली, 2014, समय-समय पर सेबी/भारत सरकार द्वारा संशोधित, के तहत निवेश किया जा सकेगा;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (आरएफपीआय) को भारत में स्टाक एक्स्चेंजों में सभी एक्स्चेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव में, समय-समय पर, सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट सीमाओं में ट्रेड करने की अनुमति दी जाएगी;
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पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (आरएफपीआय) को मार्केट में नकद एवं डेरिवेटिव लेनदेनों के लिए स्टाक एक्स्चेंजों के पास संपार्श्विक प्रतिभूतियों के रूप में नकदी अथवा AAA रेटिंग वाली विदेशी सरकारी (sovereign) प्रतिभूतियां अथवा कार्पोरेट बांड अथवा देशी सरकारी प्रतिभूतियां रखनी होंगी।
4. सेबी द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र के धारक विदेशी संस्थागत निवेशक को उन तीन सालों की अवधि के लिए पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) माना जाएगा जिसके लिए उसने सेबी (विदेशी संस्थागत निवेशक) विनियमावली, 2014 के अनुसार शुल्क अदा किया है। अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक सेबी (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियमावली, 2014 के प्रारंभ से एक साल की अवधि अथवा पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) का पंजीकरण प्रमाणपत्र हासिल करने की तारीख, में से जो भी पहले हो, के लिए प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री अथवा अन्य प्रकार के लेनदेन कर सकेंगे। हालांकि, पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (आरएफपीआय) के रूप में पंजीकृत होने से पूर्व विदेशी संस्थागत निवेशकों/अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के रूप में किए गए सभी निवेश वैध बने रहेंगे और समग्र सीमा की गणना के लिए हिसाब में लिए जाएंगे। 5. वर्तमान परिपाटी के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा एलईसी फार्म में रिपोर्ट करने की भांति, पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (आरएफपीआय) किए गए लेनदेनों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करेंगे। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों/घटकों को अवगत कराएं। 7. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मूल विनियमावली में 19 मार्च 2014 के जीएसआर सं.189 (ई) के मार्फत 13 मार्च 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 297/2014-आरबी के जरिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2014 द्वारा संशोधन कर दिए हैं। 8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |