विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए वायदा रक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए वायदा रक्षा
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 50 नवंबर 16, 2002 सेवा में महोदया/महोदय, विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए वायदा रक्षा प्राधिकृत व्यापारीयों का ध्यान दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फ्टमा सं. 25/-आरबी 2000 के विनियम 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है । अधिसूचना की अनुसूची II के पैरा 1(ख) के अनुसार पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) को वायदा संविदा करने की अनुमति दी गई है, भारत में किसी प्राधिकृत व्यपारी के साथ रुपये मुद्रा के रूप में बशर्ते कि रक्षा के मूल्य की रकम 31 मार्च 1999 को कारोबार बंद होने के समय ईक्विटी के बाजार मूल्य के 1 प्रतिशत से अधिक न हों, 1 अमरीकी डॉलर = 42.43 और + उसकी बाजार मूल्य में/ अंतर्वाह के आधार पर परिवर्तित करके । 2. सुविधा को और अधिक उदार और सरल बनाने के दृष्टिकोण से विदेशी संस्थागत निवेशकों को किसी कट ऑफ तारीख को निर्धारित किए बिना संपूर्ण निवेश को बाज़ार मूल्य पर ईक्विटी में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है । यदि संविभाग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से संकुचित हो जाता है तो हेजिंग को मूल परिपक्वता तक, यदि वांछित हो, जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है । 3. अधिसूचना की अनुसूची II में समाहित अन्य सभी अनुदेश पूर्ववत रहेंगे । 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा वित्पन्न संविदाएं) विनियमावली 2000 में संशोधन के लिए अधिसूचना अलग से जारी की जा रहीं है । 5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फ्टमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीया (ग्रेस कोशी) |