RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79200570

खुदरा भुगतानों के लिए अखिल भारतीय छत्र संस्था के प्राधिकरण की रूपरेखा

ए. उद्देश्य

खुदरा भुगतान प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने वाली अखिल भारतीय छत्र संस्था / संस्थाएं स्थापित करने के लिए। इस तरह की संस्था कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत भारत में निगमित की गई कंपनी होगी और यह, जैसा भी इसके द्वारा निर्णय लिया गया हो, एक 'फॉर-प्रॉफिट' अथवा धारा 8 के अंतर्गत एक कंपनी हो सकती है ।

बी. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के अंतर्गत प्राधिकरण

छत्र संस्था पीएसएस अधिनियम, 2007 की धारा 4 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत कंपनी होगी। यह पीएसएस अधिनियम के प्रावधानों और अन्य प्रासंगिक विधियों और निर्देशों, विवेकपूर्ण नियमों और अन्य दिशानिर्देशों / अनुदेशों द्वारा शासित होगी।

सी. पात्र प्रवर्तक और शेयरधारिता

छत्र संस्था के प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह के रूप में आवेदन करने वाली सभी पात्र संस्थाएं निवासी भारतीय नागरिकों1 [जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा), समय-समय पर यथासंशोधित, के अंतर्गत बनाए गए नियमों/विनियमों में परिभाषित किया गया है] के स्वामित्व और नियंत्रण में रहेंगी जिनके पास भुगतान पारितंत्र में भुगतान प्रणाली परिचालक (पीएसओ) / भुगतान सेवा प्रदाता (पीएसपी) / तकनीकी सेवा प्रदाता (टीएसपी)2 के रूप में 3 वर्ष का अनुभव हो। शेयरधारिता का स्वरूप विशाखीकृत होगा। छत्र संस्था की प्रदत्त पूंजी में से 25% से अधिक हिस्सा रखने वाली किसी भी संस्था को प्रवर्तक माना जाएगा।

डी. संगम ज्ञापन (एमओए)

आवेदक संस्था के संगम ज्ञापन (एमओए) में खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिए अखिल भारतीय छत्र संस्था के परिचालन के लिए प्रस्तावित गतिविधियों को आवश्य शामिल किया जाएगा।

ई. विदेशी निवेश

आवेदक संस्था में किसी भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) / विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के होने के मामले में, इसे:

  1. फेमा, समय-समय पर यथासंशोधित, के अंतर्गत बनाए गए नियमों / विनियमों के अंतर्गत यथा लागू पूंजीगत अपेक्षाओं को, अतिरिक्त रूप से, पूरा करना होगा।

  2. फेमा, समय-समय पर यथासंशोधित, के अंतर्गत बनाए गए नियमों / विनियमों के अंतर्गत यथा अपेक्षित सक्षम प्राधिकारी का आवश्यक अनुमोदन, प्राधिकरण के आवेदन के साथ, प्रस्तुत करना होगा।

एफ. फिट और प्रॉपर मानदंड

प्रवर्तकों / प्रवर्तक समूहों को रिज़र्व बैंक के ‘फिट और प्रॉपर’ मानदंड के अनुरूप होना होगा। प्रवर्तक कंपनी / समूह कंपनी के निदेशक को 'फिट और प्रॉपर' व्यक्ति माना जाएगा, यदि:

1. वैसे व्यक्ति का निष्पक्षता और अखंडता का रिकार्ड हो, जिसमें निम्नलिखित शामिल है, परंतु यह इन्हीं तक सीमित नहीं है:

ए) वित्तीय अखंडता;

बी) अच्छी प्रतिष्ठा और चरित्र; और

सी) ईमानदारी;

2. ऐसे व्यक्ति द्वारा निम्नलिखित में से कोई भी अपात्रता हासिल नहीं की गई हो -

ए) नैतिक भ्रष्टता वाले किसी अपराध अथवा किसी आर्थिक अपराध अथवा आरबीआई द्वारा प्रशासित कानूनों के अंतर्गत किसी अपराध के लिए न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया हो;

बी) दिवालिया घोषित किया गया हो और सेवा मुक्त नहीं किया गया हो;

सी) किसी वित्तीय प्रणाली तक पहुँच स्थापित करने / उसमें लेनदेन करने से ऐसे व्यक्ति को निरोधित करने, रोकने अथवा बहिष्कृत करने संबंधी किसी भी विनियामक प्राधिकरण द्वारा कोई आदेश पारित किया गया हो, और आदेश में निर्दिष्ट अवधि समाप्त नहीं हुई हो;

डी) सक्षम अधिकार क्षेत्र के किसी न्यायालय द्वारा विकृतमानस का पाया गया हो और यह निष्कर्ष प्रभाव में हो; तथा

ई) आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हो।

3. यदि कोई प्रश्न उठता है कि क्या कोई व्यक्ति ‘फिट और प्रॉपर’ व्यक्ति है, तो ऐसे प्रश्न पर आरबीआई का निर्णय अंतिम होगा।

जी. पूंजी

छत्र संस्था के पास 500 करोड़ की न्यूनतम चुकता पूंजी होनी चाहिए। किसी भी एक प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह का छत्र संस्था की पूंजी में 40% से अधिक निवेश नहीं होगा। प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह छत्र संस्था की स्थापना के लिए आवेदन करने के समय न्यूनतम 10%, अर्थात 50 करोड़, के पूंजी योगदान को प्रारंभिक रूप से प्रदर्शित करेंगे। व्यापार / संचालनों की शुरुआत करने के समय शेष पूंजी रक्षित की जाएगी। प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह की शेयरधारिता को छत्र संस्था के कारोबार के शुरू होने के 5 साल बाद कम करके न्यूनतम 25% पर लाया जा सकता है। न्यूनतम 300 करोड़ की निवल मालियत को हर समय बनाए रखा जाएगा।

एच. गतिविधियों का दायरा

छत्र संस्था की गतिविधियों का दायरा निम्नानुसार होगा:

  1. खुदरा क्षेत्र में नए भुगतान प्रणाली (प्रणालियों) को स्थापित करना, उनका प्रबंधन और परिचालन करना, लेकिन यह एटीएम, व्हाइट लेबल पीओएस तक सीमित नहीं होगा; आधार आधारित भुगतान और विप्रेषण सेवाएं; भुगतान के नए तरीके, मानक और तकनीकें; राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंधित मामलों की निगरानी; भुगतान प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने जैसे विकासात्मक उद्देश्यों का ध्यान रखना।

  2. सहभागी बैंकों और गैर-बैंकों के लिए समाशोधन और निपटान प्रणालियों का परिचालन करना; निपटान, ऋण, चलनिधि और परिचालन जैसे प्रासंगिक जोखिमों की पहचान एवं इनका प्रबंधन तथा प्रणाली (प्रणालियों) की अखंडता को सुरक्षित रखना; प्रणाली (प्रणालियों) और / अथवा सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आघातों, धोखाधड़ियों एवं संक्रमणों से बचने के लिए देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास और संबंधित मुद्दों की निगरानी करना।

  3. अपने नीतिगत उद्देश्यों को पूरा करना और प्रणाली में भागीदारी हेतु यह सुनिश्चित करना कि न्यायसंगति, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धी तटस्थता के सिद्धांतों पर अमल किया जा रहा है; प्रणाली की सुरक्षा और मजबूती सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नियम बनाना और संबंधित प्रक्रियाओं का निर्धारण करना, और यह सुनिश्चित करना कि भुगतानों का आदान-प्रदान प्रभावी तरीके से किया जा रहा है।

  4. देश में खुदरा भुगतान पारितंत्र को और मजबूत करने के लिए उपयुक्त किसी अन्य व्यवसाय का संचालन करना। यह अपेक्षा की जाती है कि छत्र संस्था समाज का व्यापक प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे वर्ग को शामिल करने के लिए नवीन भुगतान प्रणाली की पेशकश करेगी जो अभी तक इसके दायरे से बाहर हैं और यह प्रणाली पहुंच, ग्राहक सुविधा एवं सुरक्षा को बढ़ाएगी तथा यह विशिष्ट होने के साथ-साथ इंटरऑपरेबल होगी।

  5. एनपीसीआई द्वारा परिचालित प्रणालियों के साथ, जहां तक संभव हो, इसके द्वारा संवाद किया जाना और इसका इंटरऑपरेबल होना अपेक्षित है।

  6. छत्र संस्था को रिज़र्व बैंक की भुगतान और निपटान प्रणालियों में भाग लेने की अनुमति दी जाए, जिसमें रिज़र्व बैंक के साथ चालू खाता रखना, यदि अपेक्षित हो, शामिल है।

आई. अभिशासन संरचना

छत्र संस्था कॉरपोरेट अभिशासन के मानदंडों के साथ-साथ इसके बोर्ड में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्तियों के लिए ‘फिट और प्रॉपर’ मानदंडों का अनुपालन करेगी। रिज़र्व बैंक निदेशकों की नियुक्ति को मंजूरी देने और साथ ही, छत्र संस्था के बोर्ड में एक सदस्य को नामित करने का अधिकार रखता है ।

जे. व्यवसाय योजना

छत्र संस्था स्थापित करने के लिए आवेदन में, स्थापना हेतु प्रस्तावित और / अथवा परिचालित भुगतान प्रणाली/प्रणालियों को सम्मिलित करने के लिए विस्तृत व्यवसाय योजना सहित भुगतान पारितंत्र में अपने अनुभव को विधिवत साबित करने के लिए अन्य दस्तावेज शामिल होंगे।

इस तरह की योजना, अन्य बातों के साथ-साथ, में प्रौद्योगिकी, सुरक्षा विशेषताएं, बाज़ार विश्लेषण / अनुसंधान, ऐसी भुगतान प्रणालियों से लाभ, यदि कोई हो, भुगतान प्रणालियों की परिचालन संरचना, भुगतान प्रणालियों की स्थापना के लिए समयावधि और परिचालनों के प्रस्तावित पैमाने आदि शामिल होंगे। एक छत्र संस्था के रूप में अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के संदर्भ में प्रस्तावित संगठनात्मक रणनीति भी व्यवसाय योजना में दी जाएगी। छत्र संस्था को 6 महीने के भीतर व्यवसाय / परिचालन शुरू करना होगा, जिसे, यदि अपेक्षित हो, ‘सैद्धांतिक अनुमोदन’ की तारीख से अधिकतम एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।

के. आवेदन के लिए प्रक्रिया

आवेदन एक लिफाफे में प्रस्तुत किया जाएगा जिसपर बड़े अक्षरों में ‘छत्र संस्था के लिए आवेदन’ लिखा होगा। इसे मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, 14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400001 को भेजा जाएगा, और इसे निर्धारित फॉर्म (फॉर्म ए) में 26 फरवरी 2021 को कारोबारी घंटों के समापन तक प्रस्तुत करना होगा।

एल. आवेदनों की प्रॉसेसिंग के लिए प्रक्रिया

आवेदनों की प्राप्ति के लिए निर्धारित की गई अंतिम तिथि के बाद ही आवेदनों की प्रॉसेसिंग, भारतीय रिज़र्व बैंक में उनकी प्राप्ति के क्रम में, की जाएगी। आवेदनों की जांच किसी बाहरी सलाहकार समिति (ईएसी) द्वारा की जाएगी। ईएसी अपनी सिफारिशें रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेगी। छत्र संस्था / संस्थाओं को स्थापित करने के लिए प्राधिकरण जारी करने का अंतिम प्राधिकार भुगतान और निपटान प्रणाली विनियमन और पर्यवेक्षण बोर्ड (बीपीएसएस) का होगा। रिज़र्व बैंक इस प्रक्रिया को छह महीने की अवधि के भीतर पूरा करने का प्रयास करेगा।


1 विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखतें) नियम, 2019, समय-समय पर यथासंशोधित, के अध्याय VIII में दी गई परिभाषा के अनुसार ।

2 पीएसओ – एक ऐसी संस्था को संदर्भित करता है जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 2 के अंतर्गत परिभाषित एक अधिकृत भुगतान प्रणाली का परिचालन करती है।

पीएसपी – भुगतान सेवाएं प्रदान करने वाले अथवा किसी भुगतान लेनदेन में भाग लेने वाले बैंकों अथवा गैर-बैंकों को शामिल करता है।

टीएसपी - वे संस्थाएं जो बैंक भुगतान गेटवे, गैर-बैंक भुगतान एग्रीगेटर, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आदि को केवल प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म या सहायता (सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर या तकनीकी सेवा) प्रदान करती हैं। विशुद्ध प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता होने के कारण, वे कभी भी ग्राहक और व्यापारी के बीच हुई लेनदेन से संबंधित धन को नहीं रखते हैं।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?