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भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत मौद्रिक दंड अधिरोपित करने के लिए तथा अपराधों की कंपाउंडिंग करने के लिए फ्रेमवर्क

भारिबैं/2024-25/108
प्र.वि.कें.का.सं. 1/02.08.001/2024-25

30 जनवरी 2025

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी,
प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालक/ बैंक

महोदया / महोदय,

भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत मौद्रिक दंड अधिरोपित करने
के लिए तथा अपराधों की कंपाउंडिंग करने के लिए फ्रेमवर्क

कृपया ‘भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालकों / बैंकों पर मौद्रिक दंड अधिरोपित करने के लिए फ्रेमवर्क’ विषय पर 10 जनवरी 2020 का परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.1328/06.08.005/2019-20 का संदर्भ ग्रहण करें।

2. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के प्रावधानों में संशोधनों1 को ध्यान में रखते हुए, तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रवर्तन कार्रवाई को युक्ति-संगत और समेकित करने के उद्देश्य से, इस फ्रेमवर्क में निहित अनुदेशों में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है।

3. संशोधित फ्रेमवर्क (संलग्न) उपर्युक्त संदर्भित परिपत्र को अधिक्रमित करेगा और इस परिपत्र की तिथि से लागू होगा।

भवदीया,

(मिनल अ. जैन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: उपर्युक्त

___________________________________________

1 जन विश्वास (प्रावधानों के संशोधन) अधिनियम, 2023 (2023 का 18) के माध्यम से, जो 22 जनवरी 2024 से लागू हुआ है [वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग का राजपत्र अधिसूचना संख्या एस.ओ. 318(ई) दिनांक 22 जनवरी 2024]।


अनुबंध

भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत मौद्रिक दंड अधिरोपित करने के
लिए तथा अपराधों की कंपाउंडिंग करने के लिए फ्रेमवर्क

अपराध और दंड

1. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) की धारा 26 में अपराधों और दंडों से संबंधित प्रावधान सम्मिलित हैं।

1.1 उल्लंघनों की सूची निम्नानुसार है:

  1. प्राधिकार के बिना भुगतान प्रणाली का परिचालन अथवा उन नियमों और शर्तों के अनुपालन में असफल रहना जिनके अधीन प्राधिकार जारी किया गया था [धारा 26 (1)];

  2. जानबूझकर कोई ऐसा कथन करना जो किसी तात्विक विशिष्ट में मिथ्या है या प्राधिकार के लिए किसी आवेदन या विवरणी या अन्य दस्तावेज या जानकारी में कोई तात्विक कथन को करने में जानबूझकर चूक करना [धारा 26 (2)];

  3. किसी कथन, जानकारी, विवरणी या दस्तावेजों को पेश करने में असफल रहना [धारा 26 (3)];

  4. ऐसी जानकारी का प्रकटन जो कि प्रतिषिद्ध है [धारा 26 (4)];

  5. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करना या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिरोपित दंड का भुगतान निर्धारित अवधि के भीतर करने में असफल रहना [धारा 26(5)] और

  6. पीएसएस अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन या पीएसएस अधिनियम की किसी अन्य अपेक्षाओं या उसके तहत बनाए गए या दिए गए किसी विनियम, आदेश या निदेश या अधिरोपित शर्त के अनुपालन में कोई चूक करना [धारा 26(6)]

1.2 उल्लंघनों / विलोपनों की एक उदाहरणात्मक सूची लागू संगत धारा के साथ नीचे दी गई है जिनकी जांच प्रवर्तन कार्रवाइयों के लिए की जा सकती है:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्राधिकार के नियमों और शर्तों के पालन करने में असफल रहना [धारा 26 (1)];

  2. जानबूझकर कोई ऐसा कथन करना जो किसी भी तात्विक विशिष्ट में मिथ्या है या जानबूझकर भारतीय रिज़र्व बैंक को कोई तात्विक कथन करने में चूक करना [धारा 26 (2)];

  3. भारतीय रिज़र्व बैंक को कोई कथन, जानकारी, विवरणी या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने या भुगतान प्रणाली के परिचालन से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर देने में असफल रहना [धारा 26(3)];

  4. पीएसएस अधिनियम की धारा 22 के तहत प्रतिषिद्ध किसी भी जानकारी का प्रकटन करना [धारा 26 (4)];

  5. भारत में भुगतान प्रणाली डेटा के भंडारण में अपर्याप्तता [धारा 26(4) और 26(6)] और

  6. (क) पीएसएस अधिनियम के किन्हीं उपबंधों अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए किसी विनियम, निदेशों / अनुदेशों का उल्लंघन, (ख) निवल मालियत बनाए रखने संबंधी अपेक्षाओं आदि से संबंधित निदेशों का अनुपालन नहीं करना, (ग) अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) और धन-शोधन निवारण (एएमएल) मानदंडों का अनुपालन नहीं करना, (घ) नोडल/एस्क्रो खातों के रखरखाव से संबंधित निदेशों का अनुपालन नहीं करना, (ङ) पीपीआई के निधि अंतरण, लोडिंग आदि की सीमाओं का उल्लंघन [धारा 26 (6)]।

दंड अधिरोपित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की शक्तियां

2. पीएसएस अधिनियम की धारा 30 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक को पीएसएस अधिनियम1 की धारा 26 की उप-धारा (2), (3) और (6) में निर्दिष्ट प्रकृति के उल्लंघन/चूक के मामले में 10 लाख2 या ऐसे उल्लंघन या चूक में अंतर्वलित राशि का दुगुना दंड अधिरोपित करने का अधिकार है, जहां ऐसी राशि निर्धारण करने योग्य है, इनमें से जो भी अधिक हो। जहां ऐसा उल्लंघन या चूक जारी रहता है, पहले उल्लंघन या चूक के जारी रहने के बाद ऐसे प्रत्येक दिन के लिए 25,000/- तक का अतिरिक्त दंड भी अधिरोपित किया जा सकता है।

उल्लंघनों के कंपाउंडिंग करने के लिए रिज़र्व बैंक की शक्तियां

3. पीएसएस अधिनियम की धारा 31 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी को उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने का अधिकार देती है, जो केवल कारावास से या कारावास और जुर्माने से दंडनीय अपराध नहीं है। तदनुसार, पीएसएस अधिनियम3 की धारा 26 की उप-धारा (1), (3), (4), (5) और (6) में उल्लिखित उल्लंघन कंपाउंडिंग के प्रयोजन में शामिल हैं।

मौद्रिक दंड अधिरोपित करने और उल्लंघनों को कंपाउंड के लिए अभिहित प्राधिकारी

4. मौद्रिक दंड अधिरोपित करने और उल्लंघनों को कंपाउंड करने के लिए अभिहित प्राधिकारी (i) प्रवर्तन विभाग के केंद्रीय कार्यालय द्वारा निपटाए जाने वाले मामलों के संबंध में एक समिति होगी जिसमें तीन कार्यपालक निदेशक शामिल होंगे और (ii) प्रवर्तन विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय में एक समिति होगी जिसमें क्षेत्रीय निदेशक और दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

दंडित / कंपाउंड किए जाने वाले तात्विक उल्लंघन

5. मौद्रिक दंड अधिरोपित करने या अपराधों को कंपाउंड करने के रूप में प्रवर्तन कार्रवाई के लिए केवल तात्विक उल्लंघनों पर विचार किया जाएगा। उल्लंघन की तात्विकता विभिन्न कारकों के आधार पर निर्धारित की जाएगी, जिनमें शामिल हैं:

  1. मानदंडों / सीमाओं के उल्लंघन की स्थिति के संदर्भ में उल्लंघन की गंभीरता (पृथक, स्थानीयकृत, विस्तृत, व्यापक);

  2. विगत पांच वर्षों के दौरान इसी प्रकार के उल्लंघन की अवधि और आवृत्ति;

  3. उल्लंघन की गंभीरता, विचाराधीन अवधि के दौरान उल्लंघनकर्ता द्वारा संभाले गए लेनदेन के कुल मूल्य की तुलना में उल्लंघन में शामिल राशि का प्रतिशत;

  4. उल्लंघन में शामिल राशि और

  5. गलत / मिथ्या / अपूर्ण अनुपालन प्रस्तुत करना।

मौद्रिक दंड अधिरोपण की प्रक्रिया

6. मौद्रिक दंड अधिरोपण की प्रक्रिया के चरण निम्नानुसार होंगे:

(i) कारण बताओ नोटिस जारी करना (एससीएन): उपर्युक्त पैरा 5 में उल्लिखित मानदंडों के आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है जिसमें उल्लंघनकर्ता को यह कारण बताने हेतु कहा जाए कि नोटिस में दी गई राशि को दंड के रूप में क्यों नहीं अधिरोपित किया जाए। ऐसे मामलों में जहां उल्लंघनकर्ता को पिछले पांच वर्षों के दौरान उल्लंघनों के पूर्व अवसरों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी विशेष प्रकार के उल्लंघन के लिए एक से अधिक सावधानी / चेतावनी / नाराजगी पत्र पहले ही जारी किया जा चुका हो, तो बाद के मामलों पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।

(ii) वैयक्तिक सुनवाई: उल्लंघनकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किया जाएगा, यदि कारण बताओ नोटिस के उत्तर में उल्लंघनकर्ता द्वारा अनुरोध किया गया है।

(iii) सकारण आदेश पारित करना: अभिहित प्राधिकारी रिकार्ड में उपलब्ध सामग्री, उल्लंघनकर्ता द्वारा प्रस्तुत उत्तर और सहायक दस्तावेजों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इस संबंध में किए गए प्रस्तुतीकरण के आधार पर सकारण आदेश पारित करेगा।

दंड की मात्रा

7. दंड की राशि आनुपातिकता, इरादा और गंभीरता कम करने वाले कारक, यदि कोई हो, के सिद्धांतों पर आधारित हो सकती है। मौद्रिक दंड की राशि निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित कारकों पर विचार किया जा सकता है:

  1. उल्लंघन के परिणामस्वरूप उल्लंघनकर्ता को होने वाला अनुचित लाभ या प्राप्ति की राशि, जहां भी निर्धारणीय हो;

  2. किसी अन्य प्राधिकरण / एजेंसी / कोष और / या अन्य किसी बाजार भागीदार को हुए नुकसान की राशि;

  3. विलंबित / गैर-अनुपालन से उल्लंघनकर्ता को होने वाला मौद्रिक लाभ;

  4. मौद्रिक दंड की राशि विभिन्न कारकों के कारण हुए प्रभाव के आधार पर भिन्न हो सकती है;

  5. उल्लंघन के लिए मौद्रिक दंड की राशि 10 लाख या ऐसे उल्लंघन में शामिल राशि के दोगुने से अधिक नहीं होगी, जहां ऐसी राशि निर्धारित हो सके, जो भी अधिक हो। जहां ऐसा उल्लंघन या चूक जारी है, पहले उल्लंघन या चूक के जारी रहने के बाद प्रत्येक दिन के लिए 25,000/- तक का दंड भी अधिरोपित किया जा सकता है और

  6. यदि अधिरोपित दंड की राशि उल्लंघनकर्ता की अर्थक्षमता को प्रभावित करती है या अन्यथा अनुपातहीन या अनुचित है, या जहां न तो प्रभाव की सीमा और न ही उल्लंघन करने का इरादा स्पष्ट रूप से स्थापित हुआ है, तो अभिहित प्राधिकारी, सांविधिक सीमाओं के अधीन, विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है और दंड को कम करने या उचित मात्रा में दंड अधिरोपित करने का निष्पक्ष दृष्टिकोण अपना सकता है।

कंपाउंडिंग के लिए पात्रता

8. उल्लंघनों के शमन के लिए पात्रता की जांच निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर की जाएगी:

  1. पीएसएस अधिनियम4 की धारा 26 (1), (3), (4), (5) और (6) में उल्लिखित प्रकृति का उल्लंघन;

  2. पात्र उल्लंघनों के शमनके लिए आवेदन किसी आवेदक से या तो कार्यवाही आरम्भ करने से पहले या फिर बाद में प्राप्त की जा सकती है;

  3. पीएसएस अधिनियम के अंतर्गत शमन आवेदन पर निर्णय लेते हुए अभिहित प्राधिकारी विभिन्न कारकों पर विचार कर सकता/सकती है और

  4. शमन के लिए केवल आवेदन प्रस्तुत कर देने भर से आवेदन में उल्लिखित उल्लंघनों का स्वतः ही कंपाउंडिंग नहीं होगा और ऐसे आवेदन को दायर करने से आवेदक को उल्लंघन को कंपाउंड कराने का कोई अधिकार नहीं मिल जाएगा।

कंपाउंडिंग की प्रक्रिया

9. अपराधों के कंपाउंड की प्रक्रिया के चरण निम्नानुसार होंगे:

(i) कंपाउंडिंग आवेदन प्रस्तुत करना: पात्र उल्लंघनों की कंपाउंडिंग कराने के लिए इच्छुक कोई आवेदक, हुए उल्लंघन के तथ्यों और परिस्थितियों से संबंधित जानकारी, संस्था का अंतर्नियम और ज्ञापन की प्रति एवं नवीनतम लेखा परीक्षित तुलन पत्र सहित निर्धारित प्रारूप (परिशिष्ट) में एक आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, प्रवर्तन विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुम्बई-400001 को प्रस्तुत करेगा/करेगी। आवेदक को यह भी वचन देना होगा कि वे किसी भी विधि प्रवर्तन एजेंसी जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो आदि द्वारा किसी भी पूछताछ / जांच / अधिनिर्णय के अधीन नहीं हैं। कंपाउंडिंग आवेदन की एक प्रति cgmincefdco@rbi.org.in को भी प्रेषित की जाएगी ।

(ii) कंपाउंडिंग आवेदन की परीक्षण: कंपाउंडिंग के लिए आवेदन प्राप्त होने पर शमनके लिए उसका परीक्षण किया जाएगा।

(iii) जानकारी मांगना: भारतीय रिज़र्व बैंक उल्लंघन से संबंधित कोई जानकारी, अभिलेख या कोई अन्य दस्तावेज मांग सकता है।

(iv) व्यक्तिगत सुनवाई: उल्लंघनकर्ता को संबंधित अभिहित प्राधिकारी द्वारा सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किया जाएगा।

(v) कंपाउंडिंग आदेश जारी करना: अभिहित प्राधिकारी कंपाउंडिंग आवेदन पर यथासंभव शीघ्रता से, लेकिन पूर्ण कंपाउंडिंग आवेदन की प्राप्ति की तिथि से छह महीने की अवधि के उपरांत नहीं, आदेश पारित करेगा।

(vi) कंपाउंडिंग का प्रभाव: जहां भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी उल्लंघन की कंपाउंडिंग कर दी गई है वहां इस प्रकार कंपाउंड किए गए उल्लंघन को करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्यवाही या आगे की कार्यवाही जैसी भी स्थिति हो, आरम्भ नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी।

कंपाउंडिंग राशि

10. कंपाउंडिंग राशि निम्नलिखित सिद्धांतों के आधार पर निर्धारित की जाएगी:

(i) कंपाउंडिंग राशि की गणना का आधार दंड के जैसा ही होगा;

(ii) कंपाउंडिंग राशि, पीएसएस अधिनियम की धारा 26 की उपधारा (1), (3), (4), (5) और (6), जैसा भी मामला हो, के अधीन अन्यथा अधिरोपित किए गए जुर्माना / दंड की परिकलित राशि से 25 प्रतिशत कम हो सकती है; और

(iii) बार-बार उल्लंघन (पांच वर्ष की अवधि के भीतर) के मामले में, जिसके संबंध में पहले भी कंपाउंडिंग की गई है, सांविधिक प्रावधानों के तहत निर्धारित सीमाओं के अधीन, कंपाउंडिंग राशि को परिकलित कंपाउंडिंग राशि से 50 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है।

मौद्रिक दंड / कंपाउंडिंग राशि का भुगतान तथा भुगतान नहीं करने के परिणाम

11. वह अवधि जिसके भीतर दंड/ कंपाउंडिंग राशि का भुगतान किया जाना है और भुगतान नहीं करने के परिणाम निम्नानुसार हैं:

(i) मौद्रिक दंड अथवा कंपाउंडिंग राशि, जैसा भी मामला हो, दंड अथवा कंपाउंडिंग आदेश की प्राप्ति की तिथि से तीस दिनों की अवधि के भीतर देय होगी।

(ii) दंड की राशि का भुगतान नहीं कर पाने की स्थिति में, भारतीय रिज़र्व बैंक पीएसएस अधिनियम की धारा 8 या धारा 30(3) अथवा धारा 33 के अनुसार उल्लंघनकर्ता के विरुद्ध उचित कार्रवाई शुरू कर सकता है।

(iii) तीस दिनों की निर्धारित समय-सीमा के भीतर कंपाउंडिंग राशि का भुगतान नहीं कर पाने की स्थिति में, इसे इस प्रकार समझा जाएगा/माना जाएगा जैसे कि उल्लंघन को कंपाउंड नहीं किया गया है और आवेदक सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय के समक्ष आपराधिक कार्यवाही किए जाने और/या ऐसी अन्य कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हो सकता है जिसे विधि के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक उचित समझे। आवेदक उस उल्लंघन के कंपाउंडिंग के लिए दूसरा आवेदन दायर करने का हकदार नहीं होगा जिसके संबंध में कंपाउंडिंग आदेश पारित किया गया था।

मौद्रिक दंड अधिरोपित किए जाने / कंपाउंडिंग कार्रवाई का प्रकटन

12. मौद्रिक दंड अधिरोपित किए जाने तथा कंपाउंडिंग कार्रवाई पूरी होने के बाद, आवश्यक प्रकटन निम्नानुसार किया जाएगा:

(i) संस्थाएं अधिरोपित मौद्रिक दंड का विवरण खातों के लिए अपने नोट में प्रकटित करेंगे जो कि उस वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक वित्तीय विवरणी का भाग हैं जिसमें दंड लगाया गया है, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी लागू निदेशों के तहत अपेक्षित है। यह प्रकटन दूसरे कानूनों, विनियमों या लेखांकन और वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों के तहत प्रकटन संबंधी अपेक्षाओं के लिए केवल पूरक हेतु वांछित है न कि प्रतिस्थापन के लिए।

(ii) दंड की कार्रवाई का संक्षिप्त विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रेस विज्ञप्ति के रूप में प्रकटित किया जाएगा। कंपाउंडिंग कार्रवाई का संक्षिप्त विवरण कंपाउंडिंग राशि प्राप्त होने के बाद ही भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रेस विज्ञप्ति के रूप में प्रकटित किया जाएगा।


1 कृपया अपराध की प्रकृति के लिए पैराग्राफ 1 देखें।

2 जन विश्वास (प्रावधानों के संशोधन) अधिनियम, 2023 के अनुसार, पीएसएस अधिनियम की धारा 30 में शब्द ‘पाँच लाख’ को शब्द ‘दस लाख’ से स्थानापन्न किया जाएगा। उक्त संशोधन 22 जनवरी 2024 से प्रभाव में लाया जा चुका है।

3 कृपया अपराध की प्रकृति के लिए पैराग्राफ 1 देखें।

4 कृपया अपराध की प्रकृति के लिए पैराग्राफ 1 देखें।

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