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धोखाधड़ी -गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण

भारिबैं/2005-06/ 190
गैबैंपवि. नीप्र. सीसी/ 59 /03.10.42 /2005-2006

26 अक्तूबर 2005

जमा स्वीकारनेवाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाें सहित)
प्रिय महोदय


धोखाधड़ी - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण

आपको ज्ञात ही होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक में 1 जून 2004 से ’धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष’ ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। यह कक्ष वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, प्राथमिक(शहरी) सहकारी बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आदि में होनेवाले धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करेगा। यह निर्णय लिया गया है कि धोखाधड़ी के मामलों के वर्गीकरण, धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण एवं रिपोर्ट करने की अपेक्षाओं के संबंध में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाें सहित) को मार्गदर्शी सिद्धांत जारी किये जाएं। तदनुसार, 25 लाख रुपये से कम के धोखाधड़ी के मामले हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को कंपनियों द्वारा रिपोर्ट किये जाएं जिनके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आाता है, जबकि उससे अधिक के माामले ’धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, विश्व व्यापार केंद्र, केंद्र 1, कफ परेड, कोलाबा, मुंबई - 400005 को रिपोर्ट किये जाएं।

2. ये अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 K तथा 45 L के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बैंक द्वारा जारी किये जा रहे हैं ।

3. वफ्पया मार्गदर्शी सिद्धांतों की पावती आप हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका पंजीवफ्त कार्यालय आता है।

भवदीय

(पी. वफ्ष्णमूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


1. परिचय

1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी व ी घटनाएं चिंता का विषय हैं। चूँकि धोखाधड़ी को रोकने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्वयं गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की है, अत:, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँं धोखाधड़ियों के संबंध में सूचना देने के लिए निम्नलिखित पैराग्राफों में निर्दिष्ट की गई सूचना प्रणाली अपनाएं ।

1.2 यह देखा गया है कि प्राय: धोखाधडॅी हो जाने के काफी समय बाद गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को उसकी जानकारी मिलती है । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सूचना - प्रणाली अमल में रहे ताकि धोखाधडिॅयों से संबंधित सूचना अविलंब दी जा सके। गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे रिजर्व बैंक को सूचना देने में होने वाले विलंब के संबंध में स्टाफ को जवाबदेह बनाएं ।

1.3 धोखाधड़ियों से संबंधित सूचना देर से देने से और बेईमान उधारकर्ताओं की कार्य-प्रणाली के संबंध में अन्य गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को सतर्क करने और उनके विरुद्ध चेतावनी सूचनाएं जारी करने में देर होने से इसी प्रकार की धोखाधड़ियां किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती हैं । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे भारतीय रिजर्व बैंक को धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने के लिए इस परिपत्र में निर्धारित समय सीमा का कड़ॉई से पालन करें अन्यथा उनके विरुद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अंतर्गत निर्दिष्ट दंडॉत्मक कारवाई की जाएगी ।

1.4 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे महाप्रबंधक या उसके बराबरी के स्तर के किसी पदाधिकारी को विशेष रूप से इस बात के लिए नामित करें जो इस परिपत्र में दी गई सभी विवरणियों को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।

1.5 यह नोट किया जाए कि गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को शून्य सूचना भेजने की आवश्यकता नहीं है । साथ ही जनता से जमाराशियाँ स्वीकारनेवाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ समुचित सावधानी बरतें ताकि उनके द्वारा रिपोर्ट किये जाने वाले ऐसे मामले विधिवत धोखाोधक निगरानी कक्ष / गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को यथा लागू रिपोर्ट करें ।

2. धोखाधड़ियों का वर्गीकरण

2.1 धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने में एकरूपता लाने के लिए धोखाधड़ियों को भारतीय दंड संहिता के उपबंधों के आधार पर निम्नानुसार वर्गीवफ्त किया गया है :

(क) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग ।

(ख) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिये कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन ।

(ग) पुरस्वफ्त करने अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गयी अनधिवफ्त ऋण सुविधाएं ।

(घ) लापरवाही और नकदी की कमी ।

(ङ) छल और ज़ालसाजी ।

(च) विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताएं ।

(छ) अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी, जो उक्त किसी विशिष्ट शीर्ष के अंतर्गत शामिल न बे ।

2.2 ऊपर मद (घ और च ) में उल्लिखित ॅ‘लापरवाही और नकदी की कमी’ तथा ‘विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं’ के मामलों को तभी धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए यदि छल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह बे/इरादा साबित बे गया बे। नकदी संबंधी कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा उसी दिन 1,000 रुपए तक हुई नकदी की कमी के ऐसे मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित न किया जाए जबं धोखाधड़ी का कोई संदेह न बे। तथापि 1,000 रुपए से अधिक की नकद राशि की कमी के मामलों तथा प्रबंध-तंत्र/निरीक्षण अधिकारी द्वारा पाए गए मामलों को, चाहे उनकी राशि कितनी भी बे, धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए ।

2.3 विदेश व्यापार शाखाओं/कार्यालयों वाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे ऐसी शाखाओं/कार्यालयाें में बेने वाली सभी धोखाधड़ियों की सूचना नीचे पैरा 3 में दिए गए फॉर्मेट और प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक को भी दें ।

3. धोखाधड़ियों की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को देना

3.1 एक लाख रुपए तथा उससे अधिक की राशि वाली धोखाधड़ियां

3.1.1 एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों की धोखाधड़ी रिपोर्टें प्रस्तुत की जाए जो गलत बयानी, विश्वास भंग, लेखा बहियों में हेर-फेर, सावधि जमा रसीदों के कपटपूर्ण नकदीकरण, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को प्रभारित प्रतिभूतियों पर अनधिवफ्त रूप से कार्य करने में, अधिकार के दुरुपयोग, गबन, निधियों के दुर्विनियोजन, संपत्ति के परिवर्तन, छल, कमी, अनियमितताओं आदि के माध्यम से हुए हों।

3.1.2 धोखाधड़ी की रिपोर्टें ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत की जाएं जबं केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने स्वयं ही आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी बे और/अथवा जबं रिज़र्व बैंक ने निदेश दिया बे कि उन्हें धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट किया जाए ।

3.1.3 जबँ कहीं जानकारी उपलब्ध बे, वबँ गैर बैंकिेग वित्तीय कंपनी अपनी अनुषंगियों, सबयक संस्थाओं/संयुक्त उद्यमों में हुई धोखाधड़ियों की भी सूचना दें । तथापि, ऐसी धोखाधड़ियों को बकाया धोखाधड़ियों तथा नीचे पैरा 4 में उल्लिखित तिमाही प्रगति रिपोर्टों में शामिल न किया जाए ।

3.1.4 धोखाधड़ी रिपोर्टें एफएमआर-1 में दिए गए फॉर्मेंट में धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को जहाँ धोखाधड़ी की राशि पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक हो तथा जहाँ यह राशि उससे कम हो गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आता है ।

3.2 बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा की गई धोखाधड़ियां

3.2.1 यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में धोखाधड़ियां बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा, जिनमें कंपनियां, भागीदारी फर्में/स्वाम्य प्रतिष्ठान और/अथवा उनके निदेशक/भागीदार शामिल हैं, निम्नलिखित सहित विभिन्न तरीकों से की जाती हैं :

  1. लिखतों की कपटपूर्ण भुनाई ।
  2. गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी की जानकारी के बिना गिरवी रखे गए स्टॉक को कपटपूर्ण ढंग से हटाना/दृष्टिबंधक रखे गए स्टॉक को बेचना/स्टॉक विवरण में स्टॉकों का मूल्य बढ़ाकर दर्शाना तथा अतिरिक्त वित्त का आहरण ।
  3. उधारकर्ता इकाइयों के बाहर निधियों का अपयोजन/विशाखन, उधारकर्ताओं, उनके भागीदारों आदि के स्तर पर रुचि का अभाव अथवा आपराधिक उपेक्षा तथा प्रबंधन में चूक के कारण इकाई का रुग्ण बेना और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के कर्मियों के स्तर पर उधार खातों में बेने वाले परिचालनों पर प्रभावी पर्यवेक्षण में कमी के कारण अग्रिमों की वसूली में कठिनाई बेना ।

3.2.2 पांच लाख रुपये और उससे अधिक की राशि के उधार खातों में धोखाधड़ियों के संबंध में एफएमआर-1 के भाग ’बी’ के तहत यथा निर्धारित अतिरिक्त जानकारी भी प्रस्तुत की जाए।

3.3 25 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियां

पच्चीस लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों के संबंध में उपर्युक्त पैराग्राफ-3.1 तथा 3.2 में दी गई अपेक्षाओं के अलावा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि धोखाधड़ियों की रिपोर्ट, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के ध्यान में ऐसी धोखाधड़ियां आने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर प्रभारी मुख्य मबप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को संबोधित अर्द्धशासकीय पत्र द्वारा करें तथा उसकी प्रतिलिपि प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को परांकित करें। पत्र में धोखाधड़ी के संक्षिप्त विवरण जैसे कि धोखाधड़ी की राशि, धोखाधड़ी का स्वरूप, संक्षेप में आपराधिक कार्य-प्रणाली, शाखा/कार्यालय का नाम, धोखाधड़ी में शामिल पार्टियों के नाम (यदि वे स्वामित्व/भागीदारी के प्रतिष्ठान या निजी लिमिटेड कंपनियां हैं, तो मालिकों,भागीदारों तथा निदेशकों के नाम) शामिल अधिकारियों के नाम, तथा पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ किए जाने के बारे में विवरण दिए जाएं । धोखाधड़ी की सूचना देने के लिए अर्द्धशासकीय पत्र की प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय कार्यरत है ।

3.4 धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी मामले

धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी ऐसे मामले, जहां धोखाधड़ी यदि होगई होती तो पच्चीस लाख रुपए और अधिक की हानि होना संभव थी तो ऐसी धोखाधड़ियां उनकी आपराधिक कार्य प्रणाली तथा उनका पता कैसे लगाया गया, इसके बारे में उल्लेख करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, बैकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को रिपोर्ट की जानी चाहिए तथा उसकी प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए । ऐसे मामले रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली अन्य विवरणियों में शामिल नहीं किए जाने चाहिए ।

4.तिमाही विवरणियां

4.1 धोखाधड़ियों के बकाया मामलों पर रिपोर्ट

4.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एफएमआर-2 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ियों के बकाया मामलों की तिमाही रिपोर्ट की एक-एक प्रति संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आाता हो भले ही ये मामले किसी भी राशि के क्यों न हों ।

4.1.2 रिपोर्ट के भाग-ए में तिमाही के अंतमें धोखाधड़ियों के बकाया मामले शामिल किए जाते हैं । रिपोर्ट के भाग बी तथा सी में तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के क्रमश: श्रेणी-वार तथा अपराधी-वार विवरण दिए जाते हैं । भाग बी तथा सी में दर्शाए अनुसार तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ियों के मामलों की कुल संख्या तथा राशि रिपोर्ट के भाग-ए के कालम सं.4 तथा 5 के कुल जोड़ से मेल खानी चाहिए ।

4.1.3 उपर्युक्त रिपोर्ट के भाग के रूप में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि तिमाही के दौरान एफएमआर-1 में रिज़ॅर्व बैंक को रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपए तथा उससे अधिक के सभी व्यलक्तगत धोखाधड़ी के मामले भी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के बोड़ के समक्ष रखे गए हैं तथा एफएमआर-2 के भाग ए (कालम 4 तथा 5) एवं भाग बी तथा सी में शामिल किए गए हैं ।

4.2 धोखाधड़ियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट

4.2.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एक लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों पर मामले-वार तिमाही प्रगति रिपोर्टे एफएमआर-3 में दिए गए फार्मेट में संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाोधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को यदि ऐसी राशि रु.25 लाख एवं अधिक हो तथा रु.25 लाख से कम के मामलों में गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय लस्थत है ।

4.2.2 जिन धोखाधड़ियों के मामले में तिमाही के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई हो , ऐसे मामलों की एक सूची शाखा का नाम तथा सूचना देने की तारीख के संक्षिप्त विवरण सहित एफएमआर-3 में प्रस्तुत करें ।

5 बोड़ को रिपोर्ट प्रस्तुत करना

5.1 धोखाधड़ियों की रिपोर्ट

5.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँं यह सुनिश्चित करें कि एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियों की सूचना पता लगने के तुरंत बाद उनके बोर्डों को प्रस्तुत की जाएं ।

5.1.2 ऐसी रिपोर्टों में अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित शाखा अधिकारियों तथा नियंत्रक प्राधिकारियों के स्तर पर हुई चूकों का उल्लेख किया जाए तथा धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई प्रारंभ किए जाने के लिए विचार किया जाए ।

5.2 धोखाधड़ियों की तिमाही समीक्षा

5.2.1 मार्च, जून तथा सितंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए धोखाधड़ियों से संबंधित जानकारी संबंधित तिमाही के अगले माह के दौरान निदेशक बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाए, ।

5.2.2 इनके साथ अनुपूरक सामग्री होनी चाहिए, जिसमें सांलख्यकीय सूचना और प्रत्येक धोखाधड़ियों के ब्यौरों का विश्लेषण किया गया हो ताकि बोड़ के पास धोखाधड़ियों के दंडात्मक और निवारक पहलुओं के संबंध में कारगर रूप से योगदान देने के लिए पर्याप्त सामग्री हो ।

5.2.3 सभी धोखाधड़ियों के मामले जो पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक के हों की निगरानी और समीक्षा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के बोड़ की लेखापरीक्षा समिति द्वारा की जानी चाहिए और यदि बोड़ की लेखापरीक्षा समिति न हो तो बोड़ की अन्य किसी समिति द्वारा की जाए। मामलों की संख्या को देखते हुए इस समिति की बैठकों की आवधिकता तय की जा सकती है। तथापि, जब कभी भी पच्चीस लाख रुपये और उससे अधिक राशि की धोखाधड़ी उजागर हो, यह समिति बैठक करके उसकी समीक्षा करे ।

5.3 धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा

5.3.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करें तथा निदेशक बोड़ के समक्ष जानकारी देने के लिए नोट प्रस्तुत करें । दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए समीक्षाएं अगले वर्ष के मार्च की समालप्त के पहले बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाएं । ऐसे समीक्षा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजने की आवश्यकता नहीं है । इन्हें रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों के सत्यापन के लिए सुरक्षित रखा जाए ।

53.2 ऐसी समीक्षा करते समय ध्यान में रखे जाने वाले प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित मुे िशामिल किये जाएं :

(क) क्या धोखाधड़ी होजाने पर कम से कम समय में उस का पता लगाने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है ?

(ख) क्या धोखाधड़ियों की स्टाफ की दृष्टि से जांच की जाती है ?

(ग) क्या जहां कहीं उपयुक्त पाया गया वहां जिम्मेदार पाये गये व्यलक्तयों के लिए निवारक सजा दी गई ?

(घ) क्या धोखाधड़ियां प्रणालियों और क्रियाविधियों का पालन करने में शिथिलता के कारण हुईं और यदि ऐसा हो तो क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कारगर कार्रवाई की गयी कि संबंधित स्टाफ् द्वारा प्रणालियों और क्रियाविधियों का पूरी सावधानी से पालन किया जाता है।

(ङ) क्या धोखाधड़ियों के बारे में, यथास्थिति, स्थानीय पुलिस को जांच-पड़ताल के लिए सूचना दी जाती है।

5.3.3 वार्षिक समीक्षाओं में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित ब्यौरे भी शामिल होने चाहिए:

(क) वर्ष के दौरान पता लगायी गई कुल धोखाधड़ियां तथा पिछले दो वर्ष की तुलना में उनमें फ्ंसी हुई राशि।

(ख) पैरा 2.1 में दी गई विभिन्न श्रेणियों के अनुसार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा बकाया धोखाधड़ियों पर तिमाही रिपोर्ट में उल्लिखित विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों का भी विश्लेषण (एफ्एमआर-2 के अनुसार)।

(ग) वर्ष के दौरान रिपोर्ट की गई मुख्य-मुख्य धोखाधड़ियों की वर्तमान स्थिति सहित उनकी आपराधिक कार्य-प्रणाली।

(घ) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों का ब्यौरे-वार विश्लेषण।

(ङ) वर्ष के दौरान धोखाधड़ियों के कारण गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी को हुई अनुमानित हानि, वसूल हुई राशि तथा किए गए प्रावधान।

(च) जहां स्टाफ् शामिल है,ऐसे मामलों की संख्या (राशि सहित) एवं उनके खिलाफ् की गई कार्रवाई।

(छ) धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने में लगा समय (धोखाधड़ी होने के तीन महीने, छह महीने, एक वर्ष के भीतर पता लगाये गये मामलों की संख्या)।

(ज) पुलिस को रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों की स्थिति।

(झ) धोखाधड़ी के ऐसे मामलों की संख्या जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा अंतिम कार्रवाई हो गयी है और मामले निपटा दिए गए हैं।

(ञ) धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी करने/उन्हें न्यूनतम रखने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा वर्ष के दौरान किये गये निवारक/दण्डात्मक उपाय।

6. पुलिस को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देश:

6.1 अवैध तुष्टीकरण के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा दी गयी अनधिवफ्त ऋण सुविधाएँ, लापरवाही और नकदी कम हो जाने, छल, जालसाजी आदि जैसी धोखाधड़ियों के संबंध में राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए:

(क) धोखाधड़ियों/गबन के मामलों पर कार्रवाई करते हुए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को, मात्र संबंधित राशि के शीघ्र वसूल करने के लिए ही प्रवफ्त्त नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें लोक-हित से और यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रेरित होना चाहिए कि दोषी व्यक्ति दण्डित हुए बिना नहीं छूटें।

(ख) अत: सामान्य नियमानुसार निम्नलिखित मामले अनिवार्यत: राज्य पुलिस के पास भेजे जाने चाहिए:

(व) बाहरी व्यक्तियों द्वारा स्वयं तथा/या गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के स्टाफ् / अधिकारियों की सांठगांठ से गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि के धोखाधड़ी के मामले।

(वव) गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किये गये धोखाधड़ी के मामले, जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी व ी 10,000 रुपये से अधिक की राशियां शामिल हों।


एफएमआर - 1

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों में वास्तविक अथवा संदिग्ध धोखाधडिॅयों के संबंध में रिपोर्ट

(देखें पैराग्राफ 3)

भाग क : धोखाधड़ी संबंधी रिपोर्ट

1

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का नाम

 
     

2

धोखाधड़ी संख्या 1

 
     

3

शाखा का ब्यौरा 2 -

 
       
 

(क)

शाखा का नाम

 
       
 

(ख)

शाखा का प्रकार

 
       
 

(ग)

स्थान

 
       
 

(घ)

ज़िला

 
       
 

(र्ड़)

राज्य

 
     

4

मुख्य पार्टी / खाते का नाम 3

 
       

5

(क)

वह परिचालन क्षेत्र जिसमें धोखाधड़ी हुई है 4

 
       
 

(ख)

क्या धोखाधड़ी उधार खाते में हुई

हां / नहीं

       

6

(क)

धोखाधड़ॅी का स्वरूप 5

 
       
 

(ख)

क्या धोखाधड़ी में कंप्यूटर का प्रयोग किया गया ?

 
       
 

(ग)

यदि हां -तो उसके ब्योरे दें

 
     

7

धोखाधड़ी की कुल राशि 6 (लाख रुपयों में)

 

8

(क)

धोखाधड़ी होने की तारीख 7

 
       
 

(ख)

पता लगने की तारीख 8

 
       
 

(ग)

धोखाधड़ी का पता लगने में हुए विलंब , यदि कोई हो, के कारण

 
       
 

(घ)

भारिबैं को सूचित करने की तारीख 9

 
       
 

(ङ)

भारिबैं को धोखाधड़ी की सूचना देने में हुई देर, यदि कोई हो, के कारण

 
       

9

(क)

संक्षिप्त इतिहास / संक्षेप में पूरा मामला

 
       

(ख)

कार्यप्रणाली/तरीका

       

10

यह धोखाधड़ी निम्नलिखित में से किसने की -

 
       
 

(क)

स्टाफ

हां / नहीं

       
 

(ख)

ग्राहक

हां / नहीं

       
 

(ग)

बाहर के लोग

हां / नहीं

       

11

(क)

क्या नियंत्रक कार्यालय (क्षेत्रीय / आंचलिक) नियंत्रक विवरणियों, यदि कोई हो, की संवीक्षा से धोखाधड़ी का पता लगा सका ?

हां / नहीं

       
 

(ख)

क्या सूचना प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ?

हां / नहीं

       

12

(क)

क्या शाखा (शाखाओं) में पहली बार यह धोखाधड़ी होने की तारीख और उसका पता चलने के बीच की अवधि के दौरान आंतरिक निरीक्षण / लेखा-परीक्षा (समवर्ती लेखा-परीक्षा सहित) की गई थी ?

हां / नहीं

       
 

(ख)

यदि हां, तो ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी का पता क्यों नहीं चला ?

 
       
 

(ग)

ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा में धोखाधड़ी का पता न लगा सकने पर क्या कार्रवाई की गई ?

 
       

13

की गई / प्रस्तावित कार्रवाई -

 
       
 

(क)

पुलिस में शिकायत -

 
   

(व) क्या पुलिस के पास कोई शिकायत दर्ज़ कराई गई है ?

 
       
   

(वव) यदि हां, तो पुलिस थाने का नाम -

 
       
   

(1) मामला सूचित करने की तारीख

 
       
   

(2) मामले की वर्तमान लस्थति

 
       
   

(3) पुलिस जांच पूरी होने की तारीख

 
       
   

(4) पुलिस द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख

 
       
   

(ववव) यदि पुलिस में रिपोर्ट नहीं की गई तो उसके कारण

 
       
 

(ख)

न्यायालय/अन्य संस्था में वसूली संबंधी वाद -

 
       
   

(व) वाद दायर करने की तारीख

 
       
   

(वव) वर्तमान लस्थति

 
       
 

(ग)

बीमा संबंधी दावा -

 
       
   

(व) क्या किसी बीमा कंपनी में कोई दावा दाखिल किया गया है

हां / नहीं

       
   

(वव) यदि नहीं, तो उसके कारण

 
       
 

(घ)

स्टाफ संबंधी कार्रवाई का ब्यौरा -

 
       
   

(व) क्या कोई आंतरिक जांच/अन्वेषण किया गया है / प्रस्तावित है ?

हां / नहीं

       
   

(वव) यदि हां, तो जांच पूरी होने की तारीख

 
       
   

(ववव) क्या कोई विभागीय जांच की गई है / प्रस्तावित है ?

 
       
   

(वख्) यदि हां, तो नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार ब्यौरा दें :

 
       
   

(ख्) यदि नहीं, तो उसके कारण दें

 
       

 

 

 

सं.

नाम

पदनाम

क्या निलंबित किया गया / निलंबन की तारीख

आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

आंतरिक जांच शुरू करने की तारीख

जांच पूरी होने की तारीख

अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

दिया गया दंड

अभियोजन / सज़ा / रिहाई, आदि का ब्यौरा

                   
 

(ङ)

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उठाये गए / प्रस्तावित कदम

 
       

14

(क)

वसूल की गई कुल राशि -

 
       
   

(व) संबंधित पार्टी / पार्टियों से वसूल की गई राशि

 
       
   

(वव) बीमा से "

 
       
   

(ववव) अन्य स्रोतों से "

 
       
 

(ख)

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को हुए नुकसान की मात्रा(रु.)

 
       
 

(ग)

रखा गया प्रावधान

 
       
 

(घ)

बट्टे खाते लिखी गई राशि

 
       

15

 

भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारार्थ सुझाव

 

 

भाग ख : उधार खातों में धोखाधड़ी संबंधी अतिरिक्त जानकारी

(इस भाग को 5 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि के सभी उधार खातों मे हुई धोखाधड़ियों के संबंध में भरा जाए )

क्र. सं.

पार्टी का प्रकार

पार्टी / खाते का नाम

पार्टी का पता

       

उधार खाते का ब्यौरा

पार्टी क्र.सं.

पार्टी / खाते का नाम

उधार खाते की क्र.संख्या

खाते का स्वरूप

मंजूरी की तारीख

स्वीवफ्त सीमा

बकाया शेष

             

उधारखाते के निदेशक / स्वामी का नाम और पता

पार्टी / खाते का नाम

क्र.सं.

निदेशक / स्वामी का नाम

पता

       

सहायक संस्था

पार्टी / खाते का नाम

सहायक संस्था क्र.

सहायक संस्था का नाम

पता

       

सहायक संस्था के निदेशक / स्वामी के ब्योरे

सहायक संस्था का नाम

क्रम संख्या

निदेशक का नाम

पता

       

धोखाधड़ी रिपोर्ट (एफएमआर-1) संकलित करने के अनुदेश :

1

धोखाधड़ी संख्या : इसे कंप्यूटरीकरण और प्रति संदर्भ संबंधी सुविधा प्रदान करने को मेनिज़र रखते हुए प्रारंभ किया गया है । संख्या अल्फान्यूमेरिक फील्ड होगी जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे : चार अक्षर (गैर बैंकिंग वित्त्ीय कंपनी का नाम दर्शाने के लिए), वर्ष के लिए दो अंक (02, 03 आदि), तिमाही के लिए दो अंक (जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 01, आदि) और अंतिम चार अंक, तिमाही में सूचित की गई धोखाधड़ी के लिए विशिष्ट कूटांक होंगे ।

   

2

शाखा का नाम : यदि धोखाधड़ी एक से अधिक शाखा से संबंधित हो तो केवल किसी एक ऐसी शाखा का नाम दर्शाएं जहां पर धोखाधड़ियों में शामिल राशि सबसे अधिक हो और / अथवा जो मुख्यत: धोखाधड़ी के संबंध में मुख्य रूप से अनुवर्ती कार्रवाई कर रही हो । अन्य शाखाओं के नाम मद सं.9 के सामने संक्षिप्त इतिहास / कार्यप्रणाली में दर्शाए जाएं ।

   

3

पार्टी का नाम : धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए सुस्पष्ट नाम दिया जाए । उधार खातों में होने वाली धोखाधड़ियों के मामले में, उधारकर्ता का नाम दिया जाए। कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ियों के मामले में, धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए कर्मचारी / कर्मचारियों का / के नाम / नामों को प्रयोग में लाया जा सकता है । जहां धोखाधड़ी हो गई है, जैसे कि अंतर-शाखा में, और धोखाधड़ी में शामिल किसी कर्मचारी विशेष को तत्समय पहचान पाना संभव न हो तो उसे केवल " अंतर-शाखा खाते में धोखाधड़ी " के रूप में ही मान लिया जाए ।

   

4

वह परिचालन क्षेत्र जहां धोखाधड़ी हुई है : विवरण एफएमआर-2 (भाग क) के कॉलम 1 में दिए गए संबद्ध क्षेत्र दर्शाएं यथा डनकदी; जमा (मीयादी ); विदेशी मुद्रा लेन-देन; अंतर-शाखा खाते; चेक /मांग ड्राफ्ट, आदि; खाते; तुलन-पत्र से इतर (साख पत्र / गारंटी / सह-स्वीवफ्ति, अन्य ऋण ; अन्य ।

   

5

धोखाधड़ी का स्वरूप : निम्नलिखित में से उस संबद्ध श्रेणी की संख्या चुनें जो धोखाधड़ी के स्वरूप का उत्तम वर्णन करती हो : (1) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग, (2) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिए कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन, (3) पुरस्कार स्वरूप अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गई अनधिवफ्त ऋण सुविधाएं । (4) लापरवाही और नकदी में कमी (5) छल और जालसाज्ॉॅी (6) विदेशी मुद्रा संबंधी लेन-देनों में अनियमितताएं (7) अन्य ।

   

6

धोखाधड़ी की कुल राशि : सभी स्थानों पर राशि को दशमलव मे दो अंकों तक लाख रुपए में दर्शाया जाए ।

   

7

धोखाधड़ी होने की तारीख : यदि धोखाधड़ी होने की सही तारीख़ को बता पाना कठिन हो (उदाहरण के रूप में, यदि चोरियां किसी अवधि के दौरान हुई हों, अथवा यदि उधारकर्ता का विशिष्ट व्यवहार, जो बाद में /कपटपूर्ण/गलत पाया गया हो, की वास्तविक तारीख सुनिश्चित करना संभव न हो) तो कोई ऐसी नोशनल तारीख दर्शाई जाए जो किसी व्यलक्त द्वारा की गई धोखाधड़ी की सबसे अधिक संभाव्य तारीखॅ हो सकती हो (उदाहरणार्थ वर्ष 2002 में हुई किसी धोखाधड़ी के लिए 1 जनवरी, 2002) । विशिष्ट ब्यौरा, जैसे कि वह अवधि, जिसमें धोखाधड़ी की गई, इतिहास / कार्यप्रणाली में दिया जाए ।

   

8

पता लगने की तारीख़ :यदि वास्तविक तारीख़ का पता न हो (जैसे कि निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान पाई गई धोखाधड़ी के मामले में अथवा धोखाधड़ी का ऐसा मामला जो रिज़र्व बैंक के निर्देशों पर सूचित किया गया हो), तो ऐसी नोशनल तारीख़ दर्शाई जाए जिस दिन धोखाधड़ॅी होने का पता चला हो ।

   

9

भारिबैं को सूचित करने की तारीख़ : सूचित करने की तारीख़ एक समान रूप से वह तारीख़ होनी चाहिए जो फॉर्म एफएमआर-1 में भारिबैं को भेजी गई धोखाधड़ी की विस्तफ्त रिपोर्ट में दी गई हो न कि किसी फैक्स अथवा अ.शा.पत्र की कोई ऐसी तारीख़ जो इस रिपोर्ट से पहले भेजा गया हो ।


एफएमआर - 2

बकाया धोखाधड़ियों से संबंधित तिमाही रिपोर्ट

(पैरा 4.1 के अनुसार)

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का नाम : __________________

__________________को समाप्त तिमाही के लिए रिपोर्ट

देशी / विदेशी

भाग - क : बकाया धोखाधड़ियाँ

(राशि लाख रुपयों में)

संवर्ग

पिछली तिमाही की समालप्त पर बकाया मामलों की लस्थति

विद्यमान तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए नए मामले

विद्यमान तिमाही के दौरान बंद किए गए मामले

तिमाही की समालप्त पर बकाया मामले

वसूली गई कुल राशि

इस तिमाही के अंत में बकाया मामलों के लिए किया गया प्रावधान

विद्यमान तिमाही

के दौरान वसूली

गई राशि

विद्यमान तिमाही के दौरान बट्टे खाते डाली गई राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

(2+4+6)

बशि

(3+5-7)

राशि

राशि

राशि

राशि

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

नकदी

                       

जमाराशियां -

  1. आवर्ती
  2. दैनिक
  3. मीयादी
  4. अन्य
                       

अनिवासी खाते

                       

अग्रिम -

  1. नकदी ऋण
  2. मीयादी ऋण
  3. बिल
  4. अन्य
                       

अंतर-शाखा खाते

                       

तुलन-पत्र से इतर -

  1. साख-पत्र
  2. गारंटी
  3. सह-स्वीवफ्ति
  4. अन्य
                       

अन्य

                       

कुल

                       

नोट : वे भारतीय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँं जिनके विदेश में कार्यालय / शाखाएं हैं, उनके उपर्युक्त आंव ड़े देशी लस्थति से संबंधित रहेंगे । उनकी विदेशी शाखाओं / कार्यालयों से संबंधित आंकड़े उपर्युक्त इसी फार्मेट में एक अलग शीट पर दर्शाए जाएं।


भाग-ख : - ------------तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का श्रेणी-वार वर्गीकरण

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम : --------------------------------------------

श्रेणी

दुर्विनियोजन तथा आपराधिक विश्वासघात

धोखे से नकदीकरण/ लेखा-बाहियों में हेराफेरी तथा संपत्ति का परिवर्तन

गैर-कानूनी परितुष्टि के लिए अनधिवफ्त ऋण सुविधा देना

लापरवाही तथा नकदी कम बे जाना

धोखेबाज़ी तथा जालसाज़ी

विदेशी मुद्रा लेनदेनों में अनियमित-ताएं

अन्य

कुल

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

एक लाख रुपए से कम

                               

एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 25 लाख रुपए से कम

                               

25 लाख रुपए और उससे अधिक

                               

कुल

                               

भाग -ग : --------- तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का अपराधी-वार वर्गीकरण

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम : ---------------------------------------------

श्रेणी

स्टाफ

ग्राहक

बाहरी व्यक्ति

स्टाफ तथा ग्राहक

स्टाफ तथा बाहरी व्यक्ति

ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

स्टाफ, ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

कुल

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

एक लाख रुपए से कम

                               

एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 25 लाख रुपए से कम

                               

25 लाख रुपए और उससे अधिक

                               

कुल

                               

नोट : 1. उपर्युक्त श्रेणी-वार वर्गीकरण मुख्यत: भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों पर आधारित है ।

2. सभी राशियां लाख रुपयों में दो दशमलव अंकों तक दर्शाई जाएं ।

प्रमाणपत्र

प्रमाणित किया जाता है कि पिछॅली तिमाही के दौरान रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की गई एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियां गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के बोड़ को भी रिपोर्ट की गई हैं तथा उपर्युक्त भाग क (कॉलम 4 तथा 5) एवं भाग ख तथा ग में शामिल की गई हैं ।

 

हस्ताक्षर:

नाम तथा पदनाम:

 

स्थान:

दिनांक:


एफएमआर-3

बड़ी राशि की धोखाधड़ियों संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट

(पैराग्राफ 4.2 के अनुसार)

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम :

. . को समाप्त तिमाही के लिए विवरण

भाग-क: संक्षिप्त सूचना

 

संख्या

धोखाधड़ी की राशि

(लाख रुपयों में)

1. बकाया मामले

   

1.मामले, जिनमें कोई प्रगति नहीं हुई है (नीचे भाग-ख में दिए

हुए फार्मेट के अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें )

   

2.मामले जिनमें प्रगति हुई है (नीचे भाग-ग में दिए हुए फार्मेट के

अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें)

   

 

भाग-ख: जिन मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है उनके ब्यौरे

सं.

शाखा का नाम

धोखाधड़ी सं.

पार्टी/खाते का नाम

राशि

(लाख रुपयों में)

         
         
         
         
         
         
         
         

भाग-ग: प्रगति के मामले-वार ब्यौरे

पार्टी/खाते का नाम : . .

शाखा/कार्यालय का नाम : . .

धोखाधड़ी की राशि : . .

(लाख रुपयों में)

धोखाधड़ी सं. : . .

1.

प्रथम बार सूचना देने की तारीख

 

2.

(क) ऋण वसूली प्राधिकरण/अन्य संस्था में वसूली वाद

दायर करने की तारीख

 
 

(ख) वर्तमान स्थिति

 

3.

गत तिमाही के अंत तक की गई वसूलियां

(लाख रुपयों में)

 

4.

तिमाही के दौरान की गयी वसूलियां

(लाख रुपयों में)

 
 

(क) संबंधित पार्टी/पार्टियों से

 
 

(ख) बीमा से

 
 

(ग) अन्य स्रोतों से

 

5.

कुल वसूलियां (3+4) (लाख रुपयों में)

 

6.

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को हुई बनि (लाख रुपयों में)

 

7.

किए गए प्रावधान (लाख रुपयों में)

 

8.

बट्टे-खाते डाली गई राशि (लाख रुपयों में)

 

9.

(क) पुलिस को मामला रिपोर्ट किए

जाने की तारीख

 
 

(ख) पुलिस जांच पूरी बेने की तारीख

 
 

(ग) पुलिस द्वारा जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत किए

जाने की तारीख

 

10. स्टाफ पर की गई कार्रवाई के ब्यौरे

सं.

नाम

पदनाम

क्या निलंबन किया गया/ निलंबन की तारीख

आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

आंतरिक जांच प्रारंभ होने की तारीख

जांच पूरी बेने की तारीख

अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

दिया गया दंड

अभियो-

जन/सज़ा/ दोषमुलक्त आदि के ब्यौरे

                   
                   
                   
                   
                   

 

11.

अन्य घटनाक्रम

 

 

12.

क्या तिमाही के दौरान मामला बंद किया गया

बं/नहीं

13.

मामला बंद करने की तारीख

 

भारिबैं/2005-06/ 190
गैबैंपवि. नीप्र. सीसी/ 59 /03.10.42 /2005-2006

26 अक्तूबर 2005

जमा स्वीकारनेवाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाें सहित)
प्रिय महोदय


धोखाधड़ी - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण

आपको ज्ञात ही होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक में 1 जून 2004 से ’धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष’ ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। यह कक्ष वाणिज्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, प्राथमिक(शहरी) सहकारी बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों एवं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आदि में होनेवाले धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करेगा। यह निर्णय लिया गया है कि धोखाधड़ी के मामलों के वर्गीकरण, धोखाधड़ी रोकने की निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण एवं रिपोर्ट करने की अपेक्षाओं के संबंध में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाें सहित) को मार्गदर्शी सिद्धांत जारी किये जाएं। तदनुसार, 25 लाख रुपये से कम के धोखाधड़ी के मामले हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को कंपनियों द्वारा रिपोर्ट किये जाएं जिनके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आाता है, जबकि उससे अधिक के माामले ’धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, विश्व व्यापार केंद्र, केंद्र 1, कफ परेड, कोलाबा, मुंबई - 400005 को रिपोर्ट किये जाएं।

2. ये अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 K तथा 45 L के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बैंक द्वारा जारी किये जा रहे हैं ।

3. वफ्पया मार्गदर्शी सिद्धांतों की पावती आप हमारे उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका पंजीवफ्त कार्यालय आता है।

भवदीय

(पी. वफ्ष्णमूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


1. परिचय

1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी व ी घटनाएं चिंता का विषय हैं। चूँकि धोखाधड़ी को रोकने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्वयं गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की है, अत:, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँं धोखाधड़ियों के संबंध में सूचना देने के लिए निम्नलिखित पैराग्राफों में निर्दिष्ट की गई सूचना प्रणाली अपनाएं ।

1.2 यह देखा गया है कि प्राय: धोखाधडॅी हो जाने के काफी समय बाद गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को उसकी जानकारी मिलती है । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सूचना - प्रणाली अमल में रहे ताकि धोखाधडिॅयों से संबंधित सूचना अविलंब दी जा सके। गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे रिजर्व बैंक को सूचना देने में होने वाले विलंब के संबंध में स्टाफ को जवाबदेह बनाएं ।

1.3 धोखाधड़ियों से संबंधित सूचना देर से देने से और बेईमान उधारकर्ताओं की कार्य-प्रणाली के संबंध में अन्य गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को सतर्क करने और उनके विरुद्ध चेतावनी सूचनाएं जारी करने में देर होने से इसी प्रकार की धोखाधड़ियां किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती हैं । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे भारतीय रिजर्व बैंक को धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने के लिए इस परिपत्र में निर्धारित समय सीमा का कड़ॉई से पालन करें अन्यथा उनके विरुद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अंतर्गत निर्दिष्ट दंडॉत्मक कारवाई की जाएगी ।

1.4 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे महाप्रबंधक या उसके बराबरी के स्तर के किसी पदाधिकारी को विशेष रूप से इस बात के लिए नामित करें जो इस परिपत्र में दी गई सभी विवरणियों को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।

1.5 यह नोट किया जाए कि गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को शून्य सूचना भेजने की आवश्यकता नहीं है । साथ ही जनता से जमाराशियाँ स्वीकारनेवाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ समुचित सावधानी बरतें ताकि उनके द्वारा रिपोर्ट किये जाने वाले ऐसे मामले विधिवत धोखाोधक निगरानी कक्ष / गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को यथा लागू रिपोर्ट करें ।

2. धोखाधड़ियों का वर्गीकरण

2.1 धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने में एकरूपता लाने के लिए धोखाधड़ियों को भारतीय दंड संहिता के उपबंधों के आधार पर निम्नानुसार वर्गीवफ्त किया गया है :

(क) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग ।

(ख) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिये कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन ।

(ग) पुरस्वफ्त करने अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गयी अनधिवफ्त ऋण सुविधाएं ।

(घ) लापरवाही और नकदी की कमी ।

(ङ) छल और ज़ालसाजी ।

(च) विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताएं ।

(छ) अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी, जो उक्त किसी विशिष्ट शीर्ष के अंतर्गत शामिल न बे ।

2.2 ऊपर मद (घ और च ) में उल्लिखित ॅ‘लापरवाही और नकदी की कमी’ तथा ‘विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं’ के मामलों को तभी धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए यदि छल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह बे/इरादा साबित बे गया बे। नकदी संबंधी कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा उसी दिन 1,000 रुपए तक हुई नकदी की कमी के ऐसे मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित न किया जाए जबं धोखाधड़ी का कोई संदेह न बे। तथापि 1,000 रुपए से अधिक की नकद राशि की कमी के मामलों तथा प्रबंध-तंत्र/निरीक्षण अधिकारी द्वारा पाए गए मामलों को, चाहे उनकी राशि कितनी भी बे, धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए ।

2.3 विदेश व्यापार शाखाओं/कार्यालयों वाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे ऐसी शाखाओं/कार्यालयाें में बेने वाली सभी धोखाधड़ियों की सूचना नीचे पैरा 3 में दिए गए फॉर्मेट और प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक को भी दें ।

3. धोखाधड़ियों की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को देना

3.1 एक लाख रुपए तथा उससे अधिक की राशि वाली धोखाधड़ियां

3.1.1 एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों की धोखाधड़ी रिपोर्टें प्रस्तुत की जाए जो गलत बयानी, विश्वास भंग, लेखा बहियों में हेर-फेर, सावधि जमा रसीदों के कपटपूर्ण नकदीकरण, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को प्रभारित प्रतिभूतियों पर अनधिवफ्त रूप से कार्य करने में, अधिकार के दुरुपयोग, गबन, निधियों के दुर्विनियोजन, संपत्ति के परिवर्तन, छल, कमी, अनियमितताओं आदि के माध्यम से हुए हों।

3.1.2 धोखाधड़ी की रिपोर्टें ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत की जाएं जबं केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने स्वयं ही आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी बे और/अथवा जबं रिज़र्व बैंक ने निदेश दिया बे कि उन्हें धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट किया जाए ।

3.1.3 जबँ कहीं जानकारी उपलब्ध बे, वबँ गैर बैंकिेग वित्तीय कंपनी अपनी अनुषंगियों, सबयक संस्थाओं/संयुक्त उद्यमों में हुई धोखाधड़ियों की भी सूचना दें । तथापि, ऐसी धोखाधड़ियों को बकाया धोखाधड़ियों तथा नीचे पैरा 4 में उल्लिखित तिमाही प्रगति रिपोर्टों में शामिल न किया जाए ।

3.1.4 धोखाधड़ी रिपोर्टें एफएमआर-1 में दिए गए फॉर्मेंट में धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को जहाँ धोखाधड़ी की राशि पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक हो तथा जहाँ यह राशि उससे कम हो गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आता है ।

3.2 बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा की गई धोखाधड़ियां

3.2.1 यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में धोखाधड़ियां बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा, जिनमें कंपनियां, भागीदारी फर्में/स्वाम्य प्रतिष्ठान और/अथवा उनके निदेशक/भागीदार शामिल हैं, निम्नलिखित सहित विभिन्न तरीकों से की जाती हैं :

  1. लिखतों की कपटपूर्ण भुनाई ।
  2. गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी की जानकारी के बिना गिरवी रखे गए स्टॉक को कपटपूर्ण ढंग से हटाना/दृष्टिबंधक रखे गए स्टॉक को बेचना/स्टॉक विवरण में स्टॉकों का मूल्य बढ़ाकर दर्शाना तथा अतिरिक्त वित्त का आहरण ।
  3. उधारकर्ता इकाइयों के बाहर निधियों का अपयोजन/विशाखन, उधारकर्ताओं, उनके भागीदारों आदि के स्तर पर रुचि का अभाव अथवा आपराधिक उपेक्षा तथा प्रबंधन में चूक के कारण इकाई का रुग्ण बेना और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के कर्मियों के स्तर पर उधार खातों में बेने वाले परिचालनों पर प्रभावी पर्यवेक्षण में कमी के कारण अग्रिमों की वसूली में कठिनाई बेना ।

3.2.2 पांच लाख रुपये और उससे अधिक की राशि के उधार खातों में धोखाधड़ियों के संबंध में एफएमआर-1 के भाग ’बी’ के तहत यथा निर्धारित अतिरिक्त जानकारी भी प्रस्तुत की जाए।

3.3 25 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियां

पच्चीस लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों के संबंध में उपर्युक्त पैराग्राफ-3.1 तथा 3.2 में दी गई अपेक्षाओं के अलावा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि धोखाधड़ियों की रिपोर्ट, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के ध्यान में ऐसी धोखाधड़ियां आने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर प्रभारी मुख्य मबप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को संबोधित अर्द्धशासकीय पत्र द्वारा करें तथा उसकी प्रतिलिपि प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को परांकित करें। पत्र में धोखाधड़ी के संक्षिप्त विवरण जैसे कि धोखाधड़ी की राशि, धोखाधड़ी का स्वरूप, संक्षेप में आपराधिक कार्य-प्रणाली, शाखा/कार्यालय का नाम, धोखाधड़ी में शामिल पार्टियों के नाम (यदि वे स्वामित्व/भागीदारी के प्रतिष्ठान या निजी लिमिटेड कंपनियां हैं, तो मालिकों,भागीदारों तथा निदेशकों के नाम) शामिल अधिकारियों के नाम, तथा पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ किए जाने के बारे में विवरण दिए जाएं । धोखाधड़ी की सूचना देने के लिए अर्द्धशासकीय पत्र की प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय कार्यरत है ।

3.4 धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी मामले

धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी ऐसे मामले, जहां धोखाधड़ी यदि होगई होती तो पच्चीस लाख रुपए और अधिक की हानि होना संभव थी तो ऐसी धोखाधड़ियां उनकी आपराधिक कार्य प्रणाली तथा उनका पता कैसे लगाया गया, इसके बारे में उल्लेख करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, बैकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को रिपोर्ट की जानी चाहिए तथा उसकी प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए । ऐसे मामले रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली अन्य विवरणियों में शामिल नहीं किए जाने चाहिए ।

4.तिमाही विवरणियां

4.1 धोखाधड़ियों के बकाया मामलों पर रिपोर्ट

4.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एफएमआर-2 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ियों के बकाया मामलों की तिमाही रिपोर्ट की एक-एक प्रति संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय आाता हो भले ही ये मामले किसी भी राशि के क्यों न हों ।

4.1.2 रिपोर्ट के भाग-ए में तिमाही के अंतमें धोखाधड़ियों के बकाया मामले शामिल किए जाते हैं । रिपोर्ट के भाग बी तथा सी में तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के क्रमश: श्रेणी-वार तथा अपराधी-वार विवरण दिए जाते हैं । भाग बी तथा सी में दर्शाए अनुसार तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ियों के मामलों की कुल संख्या तथा राशि रिपोर्ट के भाग-ए के कालम सं.4 तथा 5 के कुल जोड़ से मेल खानी चाहिए ।

4.1.3 उपर्युक्त रिपोर्ट के भाग के रूप में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि तिमाही के दौरान एफएमआर-1 में रिज़ॅर्व बैंक को रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपए तथा उससे अधिक के सभी व्यलक्तगत धोखाधड़ी के मामले भी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के बोड़ के समक्ष रखे गए हैं तथा एफएमआर-2 के भाग ए (कालम 4 तथा 5) एवं भाग बी तथा सी में शामिल किए गए हैं ।

4.2 धोखाधड़ियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट

4.2.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एक लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों पर मामले-वार तिमाही प्रगति रिपोर्टे एफएमआर-3 में दिए गए फार्मेट में संबंधित तिमाही की समालप्त के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाोधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को यदि ऐसी राशि रु.25 लाख एवं अधिक हो तथा रु.25 लाख से कम के मामलों में गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीवफ्त कार्यालय लस्थत है ।

4.2.2 जिन धोखाधड़ियों के मामले में तिमाही के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई हो , ऐसे मामलों की एक सूची शाखा का नाम तथा सूचना देने की तारीख के संक्षिप्त विवरण सहित एफएमआर-3 में प्रस्तुत करें ।

5 बोड़ को रिपोर्ट प्रस्तुत करना

5.1 धोखाधड़ियों की रिपोर्ट

5.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँं यह सुनिश्चित करें कि एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियों की सूचना पता लगने के तुरंत बाद उनके बोर्डों को प्रस्तुत की जाएं ।

5.1.2 ऐसी रिपोर्टों में अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित शाखा अधिकारियों तथा नियंत्रक प्राधिकारियों के स्तर पर हुई चूकों का उल्लेख किया जाए तथा धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई प्रारंभ किए जाने के लिए विचार किया जाए ।

5.2 धोखाधड़ियों की तिमाही समीक्षा

5.2.1 मार्च, जून तथा सितंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए धोखाधड़ियों से संबंधित जानकारी संबंधित तिमाही के अगले माह के दौरान निदेशक बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाए, ।

5.2.2 इनके साथ अनुपूरक सामग्री होनी चाहिए, जिसमें सांलख्यकीय सूचना और प्रत्येक धोखाधड़ियों के ब्यौरों का विश्लेषण किया गया हो ताकि बोड़ के पास धोखाधड़ियों के दंडात्मक और निवारक पहलुओं के संबंध में कारगर रूप से योगदान देने के लिए पर्याप्त सामग्री हो ।

5.2.3 सभी धोखाधड़ियों के मामले जो पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक के हों की निगरानी और समीक्षा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के बोड़ की लेखापरीक्षा समिति द्वारा की जानी चाहिए और यदि बोड़ की लेखापरीक्षा समिति न हो तो बोड़ की अन्य किसी समिति द्वारा की जाए। मामलों की संख्या को देखते हुए इस समिति की बैठकों की आवधिकता तय की जा सकती है। तथापि, जब कभी भी पच्चीस लाख रुपये और उससे अधिक राशि की धोखाधड़ी उजागर हो, यह समिति बैठक करके उसकी समीक्षा करे ।

5.3 धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा

5.3.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करें तथा निदेशक बोड़ के समक्ष जानकारी देने के लिए नोट प्रस्तुत करें । दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए समीक्षाएं अगले वर्ष के मार्च की समालप्त के पहले बोड़ के समक्ष प्रस्तुत की जाएं । ऐसे समीक्षा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजने की आवश्यकता नहीं है । इन्हें रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों के सत्यापन के लिए सुरक्षित रखा जाए ।

53.2 ऐसी समीक्षा करते समय ध्यान में रखे जाने वाले प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित मुे िशामिल किये जाएं :

(क) क्या धोखाधड़ी होजाने पर कम से कम समय में उस का पता लगाने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है ?

(ख) क्या धोखाधड़ियों की स्टाफ की दृष्टि से जांच की जाती है ?

(ग) क्या जहां कहीं उपयुक्त पाया गया वहां जिम्मेदार पाये गये व्यलक्तयों के लिए निवारक सजा दी गई ?

(घ) क्या धोखाधड़ियां प्रणालियों और क्रियाविधियों का पालन करने में शिथिलता के कारण हुईं और यदि ऐसा हो तो क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कारगर कार्रवाई की गयी कि संबंधित स्टाफ् द्वारा प्रणालियों और क्रियाविधियों का पूरी सावधानी से पालन किया जाता है।

(ङ) क्या धोखाधड़ियों के बारे में, यथास्थिति, स्थानीय पुलिस को जांच-पड़ताल के लिए सूचना दी जाती है।

5.3.3 वार्षिक समीक्षाओं में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित ब्यौरे भी शामिल होने चाहिए:

(क) वर्ष के दौरान पता लगायी गई कुल धोखाधड़ियां तथा पिछले दो वर्ष की तुलना में उनमें फ्ंसी हुई राशि।

(ख) पैरा 2.1 में दी गई विभिन्न श्रेणियों के अनुसार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा बकाया धोखाधड़ियों पर तिमाही रिपोर्ट में उल्लिखित विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों का भी विश्लेषण (एफ्एमआर-2 के अनुसार)।

(ग) वर्ष के दौरान रिपोर्ट की गई मुख्य-मुख्य धोखाधड़ियों की वर्तमान स्थिति सहित उनकी आपराधिक कार्य-प्रणाली।

(घ) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों का ब्यौरे-वार विश्लेषण।

(ङ) वर्ष के दौरान धोखाधड़ियों के कारण गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी को हुई अनुमानित हानि, वसूल हुई राशि तथा किए गए प्रावधान।

(च) जहां स्टाफ् शामिल है,ऐसे मामलों की संख्या (राशि सहित) एवं उनके खिलाफ् की गई कार्रवाई।

(छ) धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने में लगा समय (धोखाधड़ी होने के तीन महीने, छह महीने, एक वर्ष के भीतर पता लगाये गये मामलों की संख्या)।

(ज) पुलिस को रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों की स्थिति।

(झ) धोखाधड़ी के ऐसे मामलों की संख्या जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा अंतिम कार्रवाई हो गयी है और मामले निपटा दिए गए हैं।

(ञ) धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी करने/उन्हें न्यूनतम रखने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा वर्ष के दौरान किये गये निवारक/दण्डात्मक उपाय।

6. पुलिस को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देश:

6.1 अवैध तुष्टीकरण के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा दी गयी अनधिवफ्त ऋण सुविधाएँ, लापरवाही और नकदी कम हो जाने, छल, जालसाजी आदि जैसी धोखाधड़ियों के संबंध में राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए:

(क) धोखाधड़ियों/गबन के मामलों पर कार्रवाई करते हुए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को, मात्र संबंधित राशि के शीघ्र वसूल करने के लिए ही प्रवफ्त्त नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें लोक-हित से और यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रेरित होना चाहिए कि दोषी व्यक्ति दण्डित हुए बिना नहीं छूटें।

(ख) अत: सामान्य नियमानुसार निम्नलिखित मामले अनिवार्यत: राज्य पुलिस के पास भेजे जाने चाहिए:

(व) बाहरी व्यक्तियों द्वारा स्वयं तथा/या गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के स्टाफ् / अधिकारियों की सांठगांठ से गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि के धोखाधड़ी के मामले।

(वव) गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किये गये धोखाधड़ी के मामले, जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी व ी 10,000 रुपये से अधिक की राशियां शामिल हों।


एफएमआर - 1

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों में वास्तविक अथवा संदिग्ध धोखाधडिॅयों के संबंध में रिपोर्ट

(देखें पैराग्राफ 3)

भाग क : धोखाधड़ी संबंधी रिपोर्ट

1

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का नाम

 
     

2

धोखाधड़ी संख्या 1

 
     

3

शाखा का ब्यौरा 2 -

 
       
 

(क)

शाखा का नाम

 
       
 

(ख)

शाखा का प्रकार

 
       
 

(ग)

स्थान

 
       
 

(घ)

ज़िला

 
       
 

(र्ड़)

राज्य

 
     

4

मुख्य पार्टी / खाते का नाम 3

 
       

5

(क)

वह परिचालन क्षेत्र जिसमें धोखाधड़ी हुई है 4

 
       
 

(ख)

क्या धोखाधड़ी उधार खाते में हुई

हां / नहीं

       

6

(क)

धोखाधड़ॅी का स्वरूप 5

 
       
 

(ख)

क्या धोखाधड़ी में कंप्यूटर का प्रयोग किया गया ?

 
       
 

(ग)

यदि हां -तो उसके ब्योरे दें

 
     

7

धोखाधड़ी की कुल राशि 6 (लाख रुपयों में)

 

8

(क)

धोखाधड़ी होने की तारीख 7

 
       
 

(ख)

पता लगने की तारीख 8

 
       
 

(ग)

धोखाधड़ी का पता लगने में हुए विलंब , यदि कोई हो, के कारण

 
       
 

(घ)

भारिबैं को सूचित करने की तारीख 9

 
       
 

(ङ)

भारिबैं को धोखाधड़ी की सूचना देने में हुई देर, यदि कोई हो, के कारण

 
       

9

(क)

संक्षिप्त इतिहास / संक्षेप में पूरा मामला

 
       

(ख)

कार्यप्रणाली/तरीका

       

10

यह धोखाधड़ी निम्नलिखित में से किसने की -

 
       
 

(क)

स्टाफ

हां / नहीं

       
 

(ख)

ग्राहक

हां / नहीं

       
 

(ग)

बाहर के लोग

हां / नहीं

       

11

(क)

क्या नियंत्रक कार्यालय (क्षेत्रीय / आंचलिक) नियंत्रक विवरणियों, यदि कोई हो, की संवीक्षा से धोखाधड़ी का पता लगा सका ?

हां / नहीं

       
 

(ख)

क्या सूचना प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ?

हां / नहीं

       

12

(क)

क्या शाखा (शाखाओं) में पहली बार यह धोखाधड़ी होने की तारीख और उसका पता चलने के बीच की अवधि के दौरान आंतरिक निरीक्षण / लेखा-परीक्षा (समवर्ती लेखा-परीक्षा सहित) की गई थी ?

हां / नहीं

       
 

(ख)

यदि हां, तो ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान धोखाधड़ी का पता क्यों नहीं चला ?

 
       
 

(ग)

ऐसे निरीक्षण / लेखा-परीक्षा में धोखाधड़ी का पता न लगा सकने पर क्या कार्रवाई की गई ?

 
       

13

की गई / प्रस्तावित कार्रवाई -

 
       
 

(क)

पुलिस में शिकायत -

 
   

(व) क्या पुलिस के पास कोई शिकायत दर्ज़ कराई गई है ?

 
       
   

(वव) यदि हां, तो पुलिस थाने का नाम -

 
       
   

(1) मामला सूचित करने की तारीख

 
       
   

(2) मामले की वर्तमान लस्थति

 
       
   

(3) पुलिस जांच पूरी होने की तारीख

 
       
   

(4) पुलिस द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख

 
       
   

(ववव) यदि पुलिस में रिपोर्ट नहीं की गई तो उसके कारण

 
       
 

(ख)

न्यायालय/अन्य संस्था में वसूली संबंधी वाद -

 
       
   

(व) वाद दायर करने की तारीख

 
       
   

(वव) वर्तमान लस्थति

 
       
 

(ग)

बीमा संबंधी दावा -

 
       
   

(व) क्या किसी बीमा कंपनी में कोई दावा दाखिल किया गया है

हां / नहीं

       
   

(वव) यदि नहीं, तो उसके कारण

 
       
 

(घ)

स्टाफ संबंधी कार्रवाई का ब्यौरा -

 
       
   

(व) क्या कोई आंतरिक जांच/अन्वेषण किया गया है / प्रस्तावित है ?

हां / नहीं

       
   

(वव) यदि हां, तो जांच पूरी होने की तारीख

 
       
   

(ववव) क्या कोई विभागीय जांच की गई है / प्रस्तावित है ?

 
       
   

(वख्) यदि हां, तो नीचे दिए गए फॉर्मेट के अनुसार ब्यौरा दें :

 
       
   

(ख्) यदि नहीं, तो उसके कारण दें

 
       

 

 

 

सं.

नाम

पदनाम

क्या निलंबित किया गया / निलंबन की तारीख

आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

आंतरिक जांच शुरू करने की तारीख

जांच पूरी होने की तारीख

अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

दिया गया दंड

अभियोजन / सज़ा / रिहाई, आदि का ब्यौरा

                   
 

(ङ)

ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उठाये गए / प्रस्तावित कदम

 
       

14

(क)

वसूल की गई कुल राशि -

 
       
   

(व) संबंधित पार्टी / पार्टियों से वसूल की गई राशि

 
       
   

(वव) बीमा से "

 
       
   

(ववव) अन्य स्रोतों से "

 
       
 

(ख)

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को हुए नुकसान की मात्रा(रु.)

 
       
 

(ग)

रखा गया प्रावधान

 
       
 

(घ)

बट्टे खाते लिखी गई राशि

 
       

15

 

भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारार्थ सुझाव

 

 

भाग ख : उधार खातों में धोखाधड़ी संबंधी अतिरिक्त जानकारी

(इस भाग को 5 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि के सभी उधार खातों मे हुई धोखाधड़ियों के संबंध में भरा जाए )

क्र. सं.

पार्टी का प्रकार

पार्टी / खाते का नाम

पार्टी का पता

       

उधार खाते का ब्यौरा

पार्टी क्र.सं.

पार्टी / खाते का नाम

उधार खाते की क्र.संख्या

खाते का स्वरूप

मंजूरी की तारीख

स्वीवफ्त सीमा

बकाया शेष

             

उधारखाते के निदेशक / स्वामी का नाम और पता

पार्टी / खाते का नाम

क्र.सं.

निदेशक / स्वामी का नाम

पता

       

सहायक संस्था

पार्टी / खाते का नाम

सहायक संस्था क्र.

सहायक संस्था का नाम

पता

       

सहायक संस्था के निदेशक / स्वामी के ब्योरे

सहायक संस्था का नाम

क्रम संख्या

निदेशक का नाम

पता

       

धोखाधड़ी रिपोर्ट (एफएमआर-1) संकलित करने के अनुदेश :

1

धोखाधड़ी संख्या : इसे कंप्यूटरीकरण और प्रति संदर्भ संबंधी सुविधा प्रदान करने को मेनिज़र रखते हुए प्रारंभ किया गया है । संख्या अल्फान्यूमेरिक फील्ड होगी जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे : चार अक्षर (गैर बैंकिंग वित्त्ीय कंपनी का नाम दर्शाने के लिए), वर्ष के लिए दो अंक (02, 03 आदि), तिमाही के लिए दो अंक (जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 01, आदि) और अंतिम चार अंक, तिमाही में सूचित की गई धोखाधड़ी के लिए विशिष्ट कूटांक होंगे ।

   

2

शाखा का नाम : यदि धोखाधड़ी एक से अधिक शाखा से संबंधित हो तो केवल किसी एक ऐसी शाखा का नाम दर्शाएं जहां पर धोखाधड़ियों में शामिल राशि सबसे अधिक हो और / अथवा जो मुख्यत: धोखाधड़ी के संबंध में मुख्य रूप से अनुवर्ती कार्रवाई कर रही हो । अन्य शाखाओं के नाम मद सं.9 के सामने संक्षिप्त इतिहास / कार्यप्रणाली में दर्शाए जाएं ।

   

3

पार्टी का नाम : धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए सुस्पष्ट नाम दिया जाए । उधार खातों में होने वाली धोखाधड़ियों के मामले में, उधारकर्ता का नाम दिया जाए। कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ियों के मामले में, धोखाधड़ी की पहचान करने के लिए कर्मचारी / कर्मचारियों का / के नाम / नामों को प्रयोग में लाया जा सकता है । जहां धोखाधड़ी हो गई है, जैसे कि अंतर-शाखा में, और धोखाधड़ी में शामिल किसी कर्मचारी विशेष को तत्समय पहचान पाना संभव न हो तो उसे केवल " अंतर-शाखा खाते में धोखाधड़ी " के रूप में ही मान लिया जाए ।

   

4

वह परिचालन क्षेत्र जहां धोखाधड़ी हुई है : विवरण एफएमआर-2 (भाग क) के कॉलम 1 में दिए गए संबद्ध क्षेत्र दर्शाएं यथा डनकदी; जमा (मीयादी ); विदेशी मुद्रा लेन-देन; अंतर-शाखा खाते; चेक /मांग ड्राफ्ट, आदि; खाते; तुलन-पत्र से इतर (साख पत्र / गारंटी / सह-स्वीवफ्ति, अन्य ऋण ; अन्य ।

   

5

धोखाधड़ी का स्वरूप : निम्नलिखित में से उस संबद्ध श्रेणी की संख्या चुनें जो धोखाधड़ी के स्वरूप का उत्तम वर्णन करती हो : (1) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग, (2) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिए कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन, (3) पुरस्कार स्वरूप अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गई अनधिवफ्त ऋण सुविधाएं । (4) लापरवाही और नकदी में कमी (5) छल और जालसाज्ॉॅी (6) विदेशी मुद्रा संबंधी लेन-देनों में अनियमितताएं (7) अन्य ।

   

6

धोखाधड़ी की कुल राशि : सभी स्थानों पर राशि को दशमलव मे दो अंकों तक लाख रुपए में दर्शाया जाए ।

   

7

धोखाधड़ी होने की तारीख : यदि धोखाधड़ी होने की सही तारीख़ को बता पाना कठिन हो (उदाहरण के रूप में, यदि चोरियां किसी अवधि के दौरान हुई हों, अथवा यदि उधारकर्ता का विशिष्ट व्यवहार, जो बाद में /कपटपूर्ण/गलत पाया गया हो, की वास्तविक तारीख सुनिश्चित करना संभव न हो) तो कोई ऐसी नोशनल तारीख दर्शाई जाए जो किसी व्यलक्त द्वारा की गई धोखाधड़ी की सबसे अधिक संभाव्य तारीखॅ हो सकती हो (उदाहरणार्थ वर्ष 2002 में हुई किसी धोखाधड़ी के लिए 1 जनवरी, 2002) । विशिष्ट ब्यौरा, जैसे कि वह अवधि, जिसमें धोखाधड़ी की गई, इतिहास / कार्यप्रणाली में दिया जाए ।

   

8

पता लगने की तारीख़ :यदि वास्तविक तारीख़ का पता न हो (जैसे कि निरीक्षण / लेखा-परीक्षा के दौरान पाई गई धोखाधड़ी के मामले में अथवा धोखाधड़ी का ऐसा मामला जो रिज़र्व बैंक के निर्देशों पर सूचित किया गया हो), तो ऐसी नोशनल तारीख़ दर्शाई जाए जिस दिन धोखाधड़ॅी होने का पता चला हो ।

   

9

भारिबैं को सूचित करने की तारीख़ : सूचित करने की तारीख़ एक समान रूप से वह तारीख़ होनी चाहिए जो फॉर्म एफएमआर-1 में भारिबैं को भेजी गई धोखाधड़ी की विस्तफ्त रिपोर्ट में दी गई हो न कि किसी फैक्स अथवा अ.शा.पत्र की कोई ऐसी तारीख़ जो इस रिपोर्ट से पहले भेजा गया हो ।


एफएमआर - 2

बकाया धोखाधड़ियों से संबंधित तिमाही रिपोर्ट

(पैरा 4.1 के अनुसार)

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का नाम : __________________

__________________को समाप्त तिमाही के लिए रिपोर्ट

देशी / विदेशी

भाग - क : बकाया धोखाधड़ियाँ

(राशि लाख रुपयों में)

संवर्ग

पिछली तिमाही की समालप्त पर बकाया मामलों की लस्थति

विद्यमान तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए नए मामले

विद्यमान तिमाही के दौरान बंद किए गए मामले

तिमाही की समालप्त पर बकाया मामले

वसूली गई कुल राशि

इस तिमाही के अंत में बकाया मामलों के लिए किया गया प्रावधान

विद्यमान तिमाही

के दौरान वसूली

गई राशि

विद्यमान तिमाही के दौरान बट्टे खाते डाली गई राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

(2+4+6)

बशि

(3+5-7)

राशि

राशि

राशि

राशि

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

नकदी

                       

जमाराशियां -

  1. आवर्ती
  2. दैनिक
  3. मीयादी
  4. अन्य
                       

अनिवासी खाते

                       

अग्रिम -

  1. नकदी ऋण
  2. मीयादी ऋण
  3. बिल
  4. अन्य
                       

अंतर-शाखा खाते

                       

तुलन-पत्र से इतर -

  1. साख-पत्र
  2. गारंटी
  3. सह-स्वीवफ्ति
  4. अन्य
                       

अन्य

                       

कुल

                       

नोट : वे भारतीय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँं जिनके विदेश में कार्यालय / शाखाएं हैं, उनके उपर्युक्त आंव ड़े देशी लस्थति से संबंधित रहेंगे । उनकी विदेशी शाखाओं / कार्यालयों से संबंधित आंकड़े उपर्युक्त इसी फार्मेट में एक अलग शीट पर दर्शाए जाएं।


भाग-ख : - ------------तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का श्रेणी-वार वर्गीकरण

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम : --------------------------------------------

श्रेणी

दुर्विनियोजन तथा आपराधिक विश्वासघात

धोखे से नकदीकरण/ लेखा-बाहियों में हेराफेरी तथा संपत्ति का परिवर्तन

गैर-कानूनी परितुष्टि के लिए अनधिवफ्त ऋण सुविधा देना

लापरवाही तथा नकदी कम बे जाना

धोखेबाज़ी तथा जालसाज़ी

विदेशी मुद्रा लेनदेनों में अनियमित-ताएं

अन्य

कुल

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

एक लाख रुपए से कम

                               

एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 25 लाख रुपए से कम

                               

25 लाख रुपए और उससे अधिक

                               

कुल

                               

भाग -ग : --------- तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों का अपराधी-वार वर्गीकरण

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम : ---------------------------------------------

श्रेणी

स्टाफ

ग्राहक

बाहरी व्यक्ति

स्टाफ तथा ग्राहक

स्टाफ तथा बाहरी व्यक्ति

ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

स्टाफ, ग्राहक तथा बाहरी व्यक्ति

कुल

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

सं.

राशि

एक लाख रुपए से कम

                               

एक लाख रुपए और उससे अधिक किन्तु 25 लाख रुपए से कम

                               

25 लाख रुपए और उससे अधिक

                               

कुल

                               

नोट : 1. उपर्युक्त श्रेणी-वार वर्गीकरण मुख्यत: भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों पर आधारित है ।

2. सभी राशियां लाख रुपयों में दो दशमलव अंकों तक दर्शाई जाएं ।

प्रमाणपत्र

प्रमाणित किया जाता है कि पिछॅली तिमाही के दौरान रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की गई एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियां गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के बोड़ को भी रिपोर्ट की गई हैं तथा उपर्युक्त भाग क (कॉलम 4 तथा 5) एवं भाग ख तथा ग में शामिल की गई हैं ।

 

हस्ताक्षर:

नाम तथा पदनाम:

 

स्थान:

दिनांक:


एफएमआर-3

बड़ी राशि की धोखाधड़ियों संबंधी तिमाही प्रगति रिपोर्ट

(पैराग्राफ 4.2 के अनुसार)

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नाम :

. . को समाप्त तिमाही के लिए विवरण

भाग-क: संक्षिप्त सूचना

 

संख्या

धोखाधड़ी की राशि

(लाख रुपयों में)

1. बकाया मामले

   

1.मामले, जिनमें कोई प्रगति नहीं हुई है (नीचे भाग-ख में दिए

हुए फार्मेट के अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें )

   

2.मामले जिनमें प्रगति हुई है (नीचे भाग-ग में दिए हुए फार्मेट के

अनुसार मामले-वार ब्यौरे प्रस्तुत करें)

   

 

भाग-ख: जिन मामलों में कोई प्रगति नहीं हुई है उनके ब्यौरे

सं.

शाखा का नाम

धोखाधड़ी सं.

पार्टी/खाते का नाम

राशि

(लाख रुपयों में)

         
         
         
         
         
         
         
         

भाग-ग: प्रगति के मामले-वार ब्यौरे

पार्टी/खाते का नाम : . .

शाखा/कार्यालय का नाम : . .

धोखाधड़ी की राशि : . .

(लाख रुपयों में)

धोखाधड़ी सं. : . .

1.

प्रथम बार सूचना देने की तारीख

 

2.

(क) ऋण वसूली प्राधिकरण/अन्य संस्था में वसूली वाद

दायर करने की तारीख

 
 

(ख) वर्तमान स्थिति

 

3.

गत तिमाही के अंत तक की गई वसूलियां

(लाख रुपयों में)

 

4.

तिमाही के दौरान की गयी वसूलियां

(लाख रुपयों में)

 
 

(क) संबंधित पार्टी/पार्टियों से

 
 

(ख) बीमा से

 
 

(ग) अन्य स्रोतों से

 

5.

कुल वसूलियां (3+4) (लाख रुपयों में)

 

6.

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को हुई बनि (लाख रुपयों में)

 

7.

किए गए प्रावधान (लाख रुपयों में)

 

8.

बट्टे-खाते डाली गई राशि (लाख रुपयों में)

 

9.

(क) पुलिस को मामला रिपोर्ट किए

जाने की तारीख

 
 

(ख) पुलिस जांच पूरी बेने की तारीख

 
 

(ग) पुलिस द्वारा जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत किए

जाने की तारीख

 

10. स्टाफ पर की गई कार्रवाई के ब्यौरे

सं.

नाम

पदनाम

क्या निलंबन किया गया/ निलंबन की तारीख

आरोप-पत्र जारी करने की तारीख

आंतरिक जांच प्रारंभ होने की तारीख

जांच पूरी बेने की तारीख

अंतिम आदेश जारी करने की तारीख

दिया गया दंड

अभियो-

जन/सज़ा/ दोषमुलक्त आदि के ब्यौरे

                   
                   
                   
                   
                   

 

11.

अन्य घटनाक्रम

 

 

12.

क्या तिमाही के दौरान मामला बंद किया गया

बं/नहीं

13.

मामला बंद करने की तारीख

 

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