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एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस के जरिए ग्राहक के खाते में जमा होनेवाली धनराशि के बारे में पास बुक /पास शीट/ खाता विवरण में धनप्रेषक के ब्यौरे प्रस्तुत करना

आरबीआइ/2010-11/230
भु.नि.प्र.वि.(कें.का.) ईपीपीडी.सं.788/04.03.01/2010-11

08 अक्तूबर 2010

एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस में भाग लेने वाले सदस्य
बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी

महोदया / महोदय

एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस के जरिए ग्राहक के खाते में
जमा होनेवाली धनराशि के बारे में पास बुक /पास शीट/
खाता विवरण में धनप्रेषक के ब्यौरे प्रस्तुत करना

विविध प्रकार के खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान उत्पादों जैसे राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (एनईसीएस) और इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) के जरिए निधि अंतरण की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे इन उत्पादों की स्वीकार्यता और लोकप्रियता का पता चलता है। बैंकों में इस प्रकार की सेवा प्रदान करने का स्तर ग्राहक की आवश्यकता और अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए।

2. धनप्रेषक (या हिताधिकारी) और/अथवा जमा (अथवा नामे) के स्रोत के बारे में पास बुकों/पास शीटों/खाता विवरणों में अपूर्ण ब्यौरे तथा बैंकों के द्वारा ऐसी न्यूनतम जानकारी देने में एकरूपता के अभाव से संबंधित शिकायतें बढ़ रही हैं। एक बहुत ही सामान्य उदाहरण जैसे ’एनईएफटी’ या ’एनईसीएस’ का सामान्य उल्लेख करने से जमा हुई निधि के स्रोत को पहचानने में ग्राहक को मदद नहीं मिलती, विशेषकर तब जब ऐसे उत्पादों के जरिए ग्राहक के खाते में कई क्रेडिट दर्ज हुए हों। एनईएफटी/एनईसीएस/ईसीएस संबंधी प्रक्रियागत दिशानिर्देशों में और समय-समय पर जारी विभिन्न परिपत्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि ग्राहकों को कौन सी न्यूनतम जानकारी दी जानी चाहिए।

3. बैंकों के कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) इस बात के लिए सक्षम होने चाहिए कि वे संबंधित फील्ड से संदेशों/डाटा फाइलों में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें और जब ग्राहक अपना खाता ऑनलाइन परिचालित करेगा या जब वह शाखा काउंटर/सहायता डेस्क/कॉल सेंटर में संपर्क करेगा तब उसे पूरी जानकारी अतिरिक्त रूप से दी जा सके। संदेशों/डाटा फाइलों से ब्यौरे सीधे ही दर्ज करने और ग्राहकों की पासबुकों / पासशीटों / खाता विवरणों में दिए जठ्ठने वाले न्यूनतम सूचना के मानकीकरण की दृष्टि से बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे निम्नलिखित बातें सुनिश्चित करें -

क) एनईएफटी

संदेश एन - 02- आवक लेन देन

अनिवार्य फील्ड 6091 में धनप्रेषक का नाम होता है, जिसे क्रेडिट के स्रोत की जानकारी के लिए लिया जाना चाहिए और निहित सूचनाएँ पास बुक/खाता विवरण में मुद्रित किया जाना चाहिए। लेन-देन प्रारंभ करने वाला बैंक यह सुनिश्चित करे कि इस फील्ड में उचित और अर्थपूर्ण विवरण उपलब्ध कराया गया है। फील्ड 6091 का विवरण का प्रकार है -

एम (M)

6091

भेजने वाले ग्राहक के खाते का नाम

50 X

मूल प्रेषक के खाते का नाम

टैग 7495 के साथ एक वैकल्पिक फील्ड होता है जिसमें प्रेषक से प्रेषिती की अतिरिक्त सूचना शामिल की जा सकती है। गंतव्य बैंक अपने सीबीएस/अन्य यथोचित प्रणाली में यह जानकारी दर्ज कर सुरक्षित रखें ताकि ग्राहक के अनुरोध पर उसे यह जानकारी दी जा सके।

संदेश एन - 07 - वापसी लेन-देन

एम (M)

2006

संबंधित संदर्भ संख्या

16 X

बैंक शाखा में प्राप्त द्ठ्ठख्द्वी क्रेडिट संदेश की अंतरण की संदर्भ संख्या

एम (M)

6366

अस्वीकृति कोड

50 X

अस्वीकृति के कारण का विवरण

गंतव्य बैंक प्राप्त किए गए मूल संदेश को लिंक या पुन: प्राप्त करने के लिए विशिष्ट अंतरण संदर्भ (यूटीआर) संख्या का प्रयोग करने की संभावना का भी पता लगाएं ताकि जब ग्राहक ऑनलाइन या कॉल सेंटर के जरिए अनुरोध करे तब सेवा पहल के रूप में अतिरिक्त जानकारी ग्राहक को दी जा सके।

(क) धनप्रेषक द्वारा शुरु किए गए लेन-देन (ख) वापस हुए लेन-देन से संबंधित उपलब्ध करायी जाने वाली जानकारी के संबंध में वर्तमान निर्देश लागू रहेंगे।

ख) एनइसीएस/ईसीएस प्रकार

33 (20+13) अक्षरों वाले लंबे ’’यूजर नेम’’ तथा ’’यूजर क्रेडिट रिफरेंस’’ (क्रेडिट कॉन्ट्रा रिकार्ड में क्रम संख्या ‘9’ एवं ‘10’) फील्ड पास बुक / खाता विवरण में मुद्रित किया जाना चाहिए।

प्रायोजक बैंक प्रयोक्ता संस्थाओं को सूचित करें कि वे उचित तरीके से इन फील्डों को भरें ताकि ग्राहकों को संबंधित सूचना दी जा सके।

4. उपर्युक्त के अलावा, यदि बैंक आवश्यक या उपयोगी समझे तो कोई अतिरिक्त विवरण देने के वे लिए स्वतंत्र हैं।

5.प्रेषक (ओरिजिनेटिंग) बैंकों का यह कर्तव्य है कि वे उन्हें दी गई सभी संगत सूचना संदेशों/डाटा फाइलों को उचित संदर्भित फील्ड में दर्ज होना सुनिश्चित करें।

6. कृपया प्राप्ति की सूचना दें और 01 जनवरी 2011 तक उक्त अपेक्षाओं का अनुपालन सुनिश्चित करें। ये अनुदेश भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों के अधीन जारी किए जा रहे हैं।

भवदीय,

(जी. पद्मनाभन)
मुख्य महाप्रबंधक

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