स्वर्ण जमा योजना - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वर्ण जमा योजना
आरबीआई/2012-13/415 14 फरवरी 2013 स्वर्ण का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत महोदय/महोदया स्वर्ण जमा योजना स्वर्ण के निजी तौर पर धारित स्टॉक को परिचालन में लाने, देश की स्वर्ण आयात पर निर्भरता कम करने तथा जिनके पास सोना है उनको स्वर्ण के भंडारण, लाने-ले-जाने तथा सुरक्षा संबंधी समस्याओं से मुक्त करने तथा साथ ही उन्हें कुछ आय प्रदान करने की दृष्टि से केंद्र सरकार ने 14 सितंबर 1999 को स्वर्ण जमा योजना 1999 अधिसूचित की थी। तदनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 अक्तूबर 1999 के परिपत्र सं. आईबीएस 912/ 23.67.001/99-2000 द्वारा स्वर्ण जमा योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किया था ताकि स्वर्ण का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत बैंक अपनी खुद की स्वर्ण जमा योजनाएं तैयार कर सकें। 2. अब केंद्र सरकार (वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय) ने 24 जनवरी 2013 की एक अधिसूचना सं. जी. एस. आर. 46(ई) (प्रतिलिपि संलग्न) जारी की है जिसके परिणामस्वरूप सेबी (म्युच्युअल फंड) विनियमावली के अंतर्गत पंजीकृत म्युच्युअल फंड/ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अपने स्वर्ण का कुछ हिस्सा इस योजना के अंतर्गत बैंकों में जमा कर पाएंगे। 3. उपर्युक्त के मद्देनजर स्वर्ण जमा योजना के परिचालन के लिए 5 अक्तूबर 1999 के हमारे परिपत्र के साथ संलग्न दिशानिर्देशों में निम्नानुसार संशोधन किया गया हैः (i) पैरा 5 के अंतर्गत वर्तमान में स्वर्ण जमा के लिए बैंक जमाकर्ताओं को या तो पास-बुक/खाता विवरण अथवा प्रमाणपत्र/बांड जारी कर सकते हैं, जो कि पृष्ठांकन तथा सुपुर्दगी द्वारा अंतरणीय होगा। 24 जनवरी 2013 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार ग्राहक द्वारा बैंक में प्रस्तुत किए गए स्वर्ण की नीचे पैरा (ii) में निर्दिष्ट किए गए अनुसार जांच करने तथा उसे बैंक द्वारा जमा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद, ग्राहक को अमूर्त रूप में अथवा अन्यथा जारी किया गया स्वर्ण प्रमाणपत्र ही अंतिम रसीद होगा। स्वर्ण जमा प्रमाणपत्र पहले की तरह ही पृष्ठांकन तथा सुपुर्दगी द्वारा अंतरणीय होगा। तथापि, अमूर्त रूप में जारी किए गए प्रमाणपत्रों के मामले में अंतरण के संबंध में निक्षेपागार के नियम लागू होंगे। (ii) पैरा 6 में यह कहा गया है कि आभूषणों में स्वर्ण के अंश/कैरटेज को निश्चित करने के लिए एक्स रे/कैरट मिटर जैसी अनाशकारी पद्धति से उनकी प्राथमिक जांच की जाएगी तथा उसके बाद अग्नि परीक्षण जैसी पूर्णतया विश्वसनीय पद्धति से। अब यह निर्णय लिया गया है कि सेबी द्वारा अनुमोदित म्युचुअल फंड/गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड द्वारा जमा किये गये भौतिक स्वर्ण को अग्नि परीक्षण/नाशकारी परीक्षण से छूट दी जाएगी, बशर्ते उक्त स्वर्ण में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) की अच्छी सुपुर्दगी मानदंडों का पालन किया गया हो और जिसमें हजार में 995.0 अंश शुद्धता हो तथा जिसके साथ ऐसा प्रमाण पत्र हो जो नामित बैंक को स्वीकार्य हो। (iii) पैरा 7 के अंतर्गत निवासी भारतीय (व्यक्ति, हिन्दु अविभक्त परिवार, न्यास, कंपनियां) योजना में निवेश कर सकते हैं। 24 जनवरी, 2013 की उपर्युक्त सरकारी अधिसूचना के अनुसार कोई न्यास जिसमें सेबी विनियमावली के अंतर्गत पंजीकृत म्युच्युअल फंड/एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। (iv) पैरा 12 में कहा गया है कि 3 वर्ष से सात वर्ष तक की परिपक्वता अवधि के लिए जमा उपलब्ध कराई जाए। अब यह निर्णय लिया गया है कि स्वर्ण जमा के लिए परिपक्वता अवधि परिवर्तित कर छः महीने से सात वर्ष की जाए। (v) पैरा 22 में यह अनिवार्य किया गया है कि स्वर्ण जमा योजना प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखने वाले बैंकों को तैयार की गई योजना के ब्योरे, उसके प्रारंभ होने की तिथि तथा जिन शाखाओं से योजना परिचालित होगी, उनके नाम भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए सूचित करना चाहिए। अब यह निर्णय लिया गया है कि योजना प्रारंभ करने के लिए प्राधिकृत बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त नहीं करना होगा। तथापि, बैंकों को योजना के ब्योरे तथा योजना का परिचालन करने वाली शाखाओं के नाम भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करने चाहिए। बैंकों को योजना के अंतर्गत अपनी सभी शाखाओं द्वारा जुटाए गए स्वर्ण की संशोधित फॉर्मेट में (प्रतिलिपि संलग्न) मासिक आधार पर समेकित रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। 4. ऊपर उल्लिखित परिपत्र के साथ संलग्न समय-समय पर यथासंशोधित अन्य दिशानिर्देश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीय (राजेश वर्मा) अनुलग्नकः यथोक्त |