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सरकारी एजेंसी कारोबार समझौता-निजी क्षेत्र के बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के एजेंसी बैंक के रुप में नियुक्त करना

आरबीआई/2011-2012/377
सबैंलेवि.जीएडी.सं.एच.5029/42.01.033/2011-12

जनवरी 31, 2012

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ)
भारत के सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

प्रिय महोदय/महोदया

सरकारी एजेंसी कारोबार समझौता-निजी क्षेत्र के बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के एजेंसी बैंक के रुप में नियुक्त करना

आप जानते हैं कि वर्तमान में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आरबीआई के एजेंट के रुप में सरकारी कारोबार करने के लिए पात्र हैं | हालांकि, आरबीआई द्वारा केवल तीन निजी क्षेत्र के बैंकों को यथा आईसीआईसीआई बैंक लि., एचडीएफसी बैंक लि., एवं एक्सीस बैंक लि. को केन्द्रीय सरकार और उन राज्य सरकारों, जिनका इसके लिए आरबीआई के साथ समझौता हुआ है,का सीमित सामान्य बैंकिंग कारोबार करने के लिए नियुक्त किया गया था | हमें केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों/विभागों,राज्य सरकारों एवं स्वयं बैंकों से उन्हें/अन्य निजी क्षेत्र के बैंकों को अतिरिक्त/ नया सरकारी कारोबार करने के लिए अनुमति प्रदान करने हेतु अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं |

2.  सरकारी कारोबार में प्रतिस्पर्धा के द्वारा ग्राहक सेवा गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए, ग्राहक सेवा केन्द्रों मे वृद्धि के द्वारा ग्राहक सुविधा में वृद्धि के लिए और सरकार के राजस्व संग्रहण और भुगतान प्रणालियों का दायरा बढ़ाने के लिए वर्तमान नीति की हमारे द्वारा समीक्षा की गई और निर्णय लिया गया कि अब से सभी निजी क्षेत्र के बैंक केन्द्रीय/राज्य सरकार कारोबार (जहां आरबीआई एजेंसी कमीशन का भुगतान करता है) करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तरह पात्र होंगे |

3. इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी बैंक जो सरकारी कारोबार करना चाहते हैं, कोआरबीआईकेएजेंट के रूप में नियुक्त होना होगा |इसके लिए, केन्द्रीय सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के कारोबार के लिए संबंधित सिविल/गैर-सिविल मंत्रालय/विभाग बैंक के साथ व्यवस्था पर सहमति बनाएं और प्रस्ताव अनुमति के लिए महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के पास जांच के लिए भेजें | सीजीए अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव भारतीय रिज़र्व बैंक, सरकारी और बैंक लेखा विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, मुंबई(डीजीबीए, केन्द्रीय कार्यालय) को भेजेंगे और इस पर विचार कर आरबीआई करार संपादित कर बैंक को एजेंसी बैंक के रुप में औपचारिक रुप से नियुक्त करेगा |

4. राज्य सरकार कारोबार के लिए, राज्य का संबंधित विभाग सहमति बनाकर राज्य के वित्त  विभाग से संपर्क करेगा जो कि प्रस्ताव की अनुशंसा आरबीआई के उस राज्य के क्षेत्रीय निदेशक को भेजेंगे और वे इसे अपनी टिप्पणी से साथ अनुमोदन और आवश्यक कार्रवाई के लिए डीजीबीए, केन्द्रीय कार्यालय को भेजेंगे |

5.  नए/अतिरिक्त कारोबार के प्राधिकार के लिए एजेंसी बैंकों को वर्तमान की तरह डीजीबीए, केन्द्रीय कार्यालय का अनुमोदन लेना होता है|एक बार आरबीआई बैंक को किसी सरकारी कारोबार के लिए प्राधिकृत कर देता है तो परिचालन के क्षेत्र और तरीके (भौतिक या ई-मोड) के लिए अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं है और इसका निर्णय केन्द्र सरकार के लिए सीजीए और राज्य सरकार के लिए उनके वित्त विभाग द्वारा आरबीआई को सूचित करते हुए लिया जाएगा।  

6.  यह भी स्पष्ट किया जाता है कि केन्द्र सरकार के मंत्रालय / विभाग (सीजीए से विचार विमर्श कर) और राज्य सरकार विभाग (संबंधित महालेखाकर कार्यालय से विचार विमर्श कर) किसी बैंक को किसी भी प्रि-फंड योजना के अनुपालन के लिए आरबीआई से पत्र व्यवहार किए बिना नियुक्त कर सकते हैं, चूंकि ऐसी योजनाएं सरकारी एजेंसी कारोबार समझौते के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आती हैं और आरबीआई द्वारा एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं हैं |

7.  संशोधित दिशानिर्देश तत्काल प्रभावी होंगे |

भवदीय

(ए. के. बेरा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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