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सरकारी प्रतिभूति लेनदेन - टी + 1 निपटान


भारिबैं /2005-06/56

ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी.15/07.02.03/2005-06

13 जुलाई 2005

सभी राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

मबेदय / मबेदया

सरकारी प्रतिभूति लेनदेन - टी + 1 निपटान

28 अप्रैल 2005 को घोषित वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीति पर वक्तव्य (पैरा 74 का उध्दरण संलग्न) में यह प्रस्तावित किया गया है कि सरकारी प्रतिभूतियों में किए गए लेनदेनों को टी + 1 आधार पर मानकीवफ्त किया जाएगा ।

2. तदनुसार, सरकारी प्रतिभूतियों में किए गए सभी सीधे (आउटाराइट) द्वितीयक बाजार लेनदेनों के टी + 1 पर मानकीवफ्त निपटान 24 मई 2005 से लागू हुए हैं ।

3. तथापि, सरकारी प्रतिभूतियों में रिपो लेनदेनों के मामले में बाजार के सहभागियों को अपनी आवश्यकतानुसार प्रथम चरण को टी + 0 या टी + 1 आधार पर निपटाने को विकल्प बेगा ।

4. वफ्पया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को पावती भेजें ।

भवदीय,

(सी.एस. मूर्ति )

प्रभारी मुख्य मबप्रबंधक


वर्ष 2005-06 के लिए वार्षिक नीति पर वक्तव्य का उध्दरण

74. राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंध अधिनियम की शर्तों के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक 01 अप्रैल, 2006 से सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक नीलामियों में भाग नहीं लेगा । इसे ध्यान में रखते हुए अक्तूबर 2004 की मध्यावधि समीक्षा में कब गया है कि खुला बाजॉर परिचालन (ओएमओ) अत्यधिक सक्रिय नीतिगत साधन बन जाएगा और इस बात की समीक्षा करनी बेगी कि प्रक्रियाएं एवं प्रौद्योगिकीगत सुविधाएं बाजॉर की प्रगति के अनुरुप हैं या नहीं । इन उभरती ज़रुरतों को ध्यान में रखते हुए और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बाजॉर सहभागियों को अच्छी तरह लैस करने के प्रयोजन से केन्द्र सरकार प्रतिभूति बाजॉर से संबंधित एक तकनीकी दल का गठन किया गया । पूर्व में एक अन्य दल (अध्यक्ष : डॉ आर.एच. पाटील) ने सरकारी प्रतिभूति बाजॉर में प्राथमिक व्यापारियों की भूमिका की जांच की थी । उनकी रिपोर्टों पर तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) में चर्चा की गई थी और कतिपय सिफारिशें कार्यान्वित करने के लिए स्वीकार कर ली गई हैं । तदनुसार, निम्नलिखित उपायों का प्रस्ताव किया जाता है :

बहुत अधिक लेनदेन वाली प्रतिभूतियों की संख्या बढ़ाई जाए जिससे चलनिधि बढ़े और बाजॉर में मूल्य-निर्धारण बेहतर बे । यह प्रस्ताव है कि ऋण का समेकन किया जाए और पुनर्निर्गम कार्यक्रम को जारी रखते हुए सरकार के परामर्श से भारी मात्रा में अर्थसुलभ प्रतिभूतियों की मात्रा बढ़ाई जाए ।

राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन के उपरांत, भारतीय रिज़र्व बैंक मौद्रिक परिचालनों को सुदृढ़ करते हुए सरकारी ऋण प्रबंधन कार्यों को पुन: गति प्रदान करेगा । इससे भारतीय रिज़र्व बैंक में ऋण प्रबंधन और मौद्रिक परिचालनों के बीच कार्यों का बंटवारा करना पड़ेगा । इस प्रयोजन के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक बाजॉर के सहभागियों के साथ उसके तौर-तरीकों और बाजॉर परिचालनों की प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा करेगा । सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन की निपटान प्रणाली को टी+1 आधार पर मानकीवफ्त किया जाएगा ।

भारतीय रिज़र्व बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी में बहुविध एवं समान मूल्य की लचीली पध्दति अपनाना जारी रखेगा ।

बैंकों, प्राथमिक व्यापारियों तथा सरकार से परामर्श करके प्राथमिक व्यापारियों के कारोबार के स्वीवफ्त ढांचे का विस्तार किया जाएगा ताकि उन बैंकों को भी शामिल किया जा सके जो कतिपय न्यूनतम मानदंड पूरा करते बें और सुरक्षा उपायों के अधीन बें ।

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