गारंटी और सह-स्वीकृति - आरबीआई - Reserve Bank of India
गारंटी और सह-स्वीकृति
गारंटी और सह-स्वीकृति
औनिऋवि.सं. 17 /08.12.01/2002-03
अप्रैल 05, 2003
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक
बैंकों के मुख्य कार्यपालक
(स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
गारंटी और सह-स्वीकृति
हम आप का ध्यान इस विभाग के दिनांक 23 फरवरी 1995 के अपने परिपत्र औनिऋवि. सं. 37/ 08.12.01/ 94-95 की ओर आकृष्ट करते हैं जिसके द्वारा बैंकों पर वित्तीय संस्थाओं, अन्य बैंकों तथा ऋण देने वाली अन्य एजेंसियों के पक्ष में गारंटी निर्गत करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बैंकिंग क्षेत्र के उदारीकरण और विनियंत्रण के अनुरूप तथा बैंकों में जोखिम प्रबंध प्रणाली अपना लिए जाने को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को अन्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा ऋण देने वाली एजेंसियों द्वारा दिए गए ऋणों के लिए उनके पक्ष में गारंटी निर्गत करने की अनुमति दी जाए।
गारंटी देने वाले बैंक
2. अब से, बैंकों को अन्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा ऋण देने वाली अन्य एजेंसियों द्वारा दिए गए ऋणों के लिए उनके पक्ष में गारंटी निर्गत करने की अनुमति दी जाए परंतु इस संबंध में उन्हें निम्नलिखित शर्तों का कड़ाई से पालन करना पड़ेगा।
क) निदेशक-मंडल को बैंक की जोखिम प्रबंध प्रणाली की सुस्वस्थता / सुदृढ़ता को समझ लेना चाहिए और तदनुसार इस संबंध में एक सुव्यवस्थित नीति तैयार करनी चाहिए। निदेशक-मंडल द्वारा अनुमोदित नीति में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए:
i. बैंक की टीयर I पूजी से संबद्ध किस विवेकपूर्ण सीमा तक अन्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा ऋण देने वाली अन्य एजेंसियों के पक्ष में गारंटी निर्गत की जा सकती है।
ii. प्रतिभूति और मार्जिनों का स्वरूप
iii. अधिकारों का प्रत्यायोजन
1v. रिपोर्टिंग प्रणाली
v. आवधिक समीक्षाएँ
ख) गारंटी केवल उधारकर्ता-घटकों के संबंध में तथा उन्हें अन्य बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा ऋण देने वाली अन्य एजेंसियों से अतिरिक्त ऋण प्राप्त करने के लिए उपलब्ध करायी जाएगी।
ग) गारंटी देने वाला बैंक गारंटीकृत ऋणसीमा के कम से कम 10% के बराबर निधिक ऋणसीमा की जिम्मेवारी लेगा।
घ) बैंकों को विदेशी ऋणदाताओं के पक्ष में गारंटी या आश्वासन-पत्र (लेटर ऑफ़ कम्फर्ट) उपलब्ध नहीं कराना चाहिए। इसके अंतर्गत विदेशी ऋणदाताओं को समनुदेशित किए जाने वाली गारंटी या आश्वासन-पत्र शामिल माने जाएँगे परंतु ऐसा करते समय फेमा के अंतर्गत दी गई छूट प्रदान की जाएगी।
ङ) बैंक द्वारा निर्गत की गई गारंटी ऋण लेने वाली उस संस्था के पक्ष में ऋणसीमा मानी जाएगी जिसकी ओर से गारंटी निर्गत की गई है तथा उनके लिए प्रचलित दिशानिर्देशों के अनुसार जोखिम-भार भी लागू होगा।
च) बैंकों को घोष समिति की सिफारिशों तथा गारंटी निर्गत करने से संबंधित अन्य अपेक्षाओं का पालन करना चाहिए ताकि इस संबंध में धोखाधड़ी की संभावनाओं से बचा जा सके।
ऋण देने वाले बैंक
3. अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा निर्गत की गई गारंटियों के आधार पर ऋण-सुविधा उपलब्ध कराने वाले बैंकों को निम्नलिखित शर्तों का कड़ाई से पालन करना चाहिए:
i. अन्य बैंव /वित्तीय संस्था की गारंटी के आधार पर कोई बैंक जिस ऋणसीमा की जिम्मेवारी लेगा उसे गारंटी देने वाले बैंक/वित्तीय संस्था की ऋणसीमा माना जाएगा
तथा उसके लिए प्रचलित दिशानिर्देशों के अनुसार जोखिम-भार भी लागू होगा।
ii. अन्य बैंव ों द्वारा निर्गत गारंटी के आधार पर ऋणसुविधा के रूप में कोई बैंक जिस ऋणसीमा की जिम्मेवारी लेगा उसकी गणना निदेशकमंडल द्वारा निर्धारित की गई अंतर-बैंक ऋणसीमा के अंतर्गत की जाएगी। चूँकि अन्य बैंव /वित्तीय संस्था की गारंटी के आधार पर कोई बैंक जिस ऋणसीमा की जिम्मेवारी लेगा उसकी अवधि मुद्रा बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार और प्रतिभूति बाजार में किए जाने वाले अंतर-बैंक लेनदेनों की जिम्मेवारियों की अवधि से लंबी होगी, इसलिए निदेशकमंडल को दीर्घावधिक ऋणों के मामले में एक उपयुक्त उपसीमा निश्चित कर देनी चाहिए क्योंकि ऐसे ऋणों के मामले में जोखिम अपेक्षाकृत ज्यादा होता है।
iii. बैंकों को चाहिए कि गारंटी देने वाले बैंक/वित्तीय संस्था पर जिस ऋणसीमा की जिम्मेवारी पड़ती है, उसपर वे अनवरत नजर रखें और यह सुनिश्चित करें कि बैंकों के लिए निदेशक-मंडल द्वारा निश्चित की गई विवेकपूर्ण सीमाओं/उप सीमाओं का तथा वित्तीय संस्थाओं के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निश्चित की गई प्रति उधारकर्ता विवेकपूर्ण सीमाओं का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
iv. बैंकों को घोष समिति की सिफारिशों तथा गारंटी स्वीकार करने से संबंधित अन्य अपेक्षाओं का पालन करना चाहिए ताकि इस संबंध में धोखाधड़ी की संभावनाओं से बचा जा सके।
4. औद्योगिक और निर्यात ऋण विभाग द्वारा अब तक जारी किए गए विभिन्न परिपत्रों में निहित संबंधित अनुदेश तथा बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा जारी किए गए दिनांक 26 जुलाई 2002 के मास्टर परिपत्र. बैंपविवि. सं. बीसी. 07/13.03.00/2002-03 के पैरा 4.2.3 में निहित अनुदेश इस परिपत्र द्वारा अधिक्रामित माने जाएँगे।
5. कृपया प्राप्ति-सूचना भेजें।
भवदीया,
(श्रीमती आर के माखीजा)
मुख्य महाप्रबंधक