बैंको द्वारा मुर्गीपालन उद्योग को राहत उपायों हेतु दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंको द्वारा मुर्गीपालन उद्योग को राहत उपायों हेतु दिशानिर्देश
आरबीआइ/2007-08/240
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.सं.48/05.04.02/2007-08
19 फरवरी 2008
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक,
महोदय,
बैंको द्वारा मुर्गीपालन उद्योग को राहत उपायों हेतु दिशानिर्देश
जैसा कि आप को ज्ञात है कि देश के कुछ भागों में एवियन इन्फलूंजा (बर्ड फलू) फैलने के मामले सामने आए हैं। मुर्गियों की छँटाई के साथ-साथ पोल्ट्री उत्पाद की मांग और उनके मूल्य में भारी गिरावट के कारण होने वाली आय में हुई क्षति के मद्देनजर बैंक उनके द्वारा वित्तपोषित इकाइयों को निम्नलिखित सुविधाए प्रदान करने पर विचार करें :-
i) कार्यशील पूंजी ऋणो पर देय मूलधन और ब्याज तथा मीयादी ऋणें की किस्तों और ब्याज को जो 31 दिसंबर 2007 को या बर्ड फ्लू फैलने के बाद चुकौती के लिए देय हो गई है,तथा भुगतान न की गई शेष राशि को मीयादी ऋण में परिवर्तित कर दिया जाए। परिवर्तित ऋण की वसूली भविष्य में अनुमानित आय के आधार पर तीन वर्ष की अवधि में किस्तों में वसूल की जाए जिसकी आरंभिक अधिस्थगन अवधि एक वर्ष होगी। चुकौती के पहले वर्ष का निर्धारण अधिस्थगन अवधि की समाप्ति के बाद किया जाए।
ii) मीयादी ऋण की शेष राशि की चुकौति को एक वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ पुनर्निर्धारित किया जाए जो इकाई की नकद प्रवाह की सृजन क्षमता पर निर्भर होगी।
iii) पुनर्निर्धारण/परिवर्तन 30 अप्रैल 2008 तक पूरा कर लिया जाए।
iv) पुनर्निर्धारित/परिवर्तित ऋणों का चालू देय माना जाए।
- ऊपर बताए गए अनुसार परिवर्तन कर लेने के बाद उधारकर्ता आवश्यकता के आधार पर नए वित्तपोषण का पात्र होगा।
- उपर्युक्त राहत उपाय मुर्गी पालन उद्योग के उन सभी खातों को प्रदान किए जाए जिन्हे 31 दिसंबर 2007 को मानक खाते के रुप में वर्गीकृत किया गया था।
2. राज्य/जिला सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए ऐसा ही परिपत्र नाबार्ड जारी करेगा।
4. कृपया प्राप्ति सूचना दें।
भवदीय
(जी. श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक