राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के संबंध में दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के संबंध में दिशानिर्देश
आरबीआई/2023-24/113 संदर्भ सं. डीओएस. एआरजी/एसईसी. 8/08.91.001/2023-24 जनवरी 15, 2024 अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी,
महोदया / महोदय, राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के संबंध में दिशानिर्देश ग्रामीण सहकारी बैंकों यानी राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए 29 सितंबर, 2020 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित (उस तारीख की अधिसूचना संख्या 64 के माध्यम से) बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 की संख्या 39), 01 अप्रैल, 2021 से लागू हो चुका है (राजपत्र अधिसूचना संख्या 4113 दिनांक 23 दिसंबर, 2020)। 2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 30(1ए) के तहत प्रदत्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, परिपत्र के अनुलग्नक के रूप में संलग्न दिशानिर्देश तैयार किए हैं जो राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) के संबंध में सांविधिक लेखा परीक्षक (एसए) की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या हटाने और अन्य संबंधित मामलों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) का पूर्व अनुमोदन लेने के लिए लागू होंगे। 3. ये दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे। उक्त दिशानिर्देशों के अनुसार, आने वाले वित्त वर्षों से, सभी एसटीसीबी और सीसीबी संदर्भित वित्तीय वर्ष की 31 जुलाई से पहले आरबीआई के पूर्व अनुमोदन के लिए अपना आवेदन जमा करेंगे। भवदीय, (रजनीश कुमार) संलग्न: यथोक्त
राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के संबंध में दिशानिर्देश 1. उद्देश्य 1.1 अप्रैल 01, 2021, जिस दिन बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 का अधिनियम 39) लागू हुआ, से प्रभावी, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 30(1ए) के प्रावधानों के अनुसार राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को सांविधिक लेखा परीक्षक (एसए) की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या हटाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ('आरबीआई') द्वारा, बीआर अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एसटीसीबी और सीसीबी को, सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या हटाने और अन्य संबंधित मामलों के संबंध में निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं। 1.2 परिभाषाएँ (i) "राज्य सहकारी बैंक" को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 की धारा 2 की उपधारा (यू) के तहत परिभाषित किया जाएगा। (ii) "केंद्रीय सहकारी बैंक" को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 की धारा 2 की उप-धारा (डी) के तहत परिभाषित किया जाएगा। (iii) "नाबार्ड" का अर्थ है राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 की धारा 3 के तहत स्थापित "राष्ट्रीय बैंक"। 2. प्रयोज्यता ये दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2024 से एसटीसीबी और सीसीबी (इसके बाद ‘बैंक’ के रूप में संदर्भित) पर लागू होंगे। 3. सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के लिए आरबीआई का पूर्व अनुमोदन 3.1 एसए की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति या हटाने से पहले बैंक को आरबीआई से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा। 3.2 एसए की पुनः नियुक्ति के लिए बैंक को सालाना पूर्व अनुमोदन लेना होगा। 3.3 प्रक्रिया (i) नाबार्ड वार्षिक आधार पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) से लेखापरीक्षा फर्मों [साझेदारी फर्मों / सीमित देयता साझेदारी (एलएलपी)] की एक सूची प्राप्त करेगा। (ii) इसके बाद, नाबार्ड इस परिपत्र में एसए के लिए निर्धारित पात्रता मानदंड लागू करेगा और पात्र लेखापरीक्षा फर्मों की एक अखिल भारतीय राज्य-वार सूची तैयार करेगा। (iii) इसके बाद नाबार्ड एसए के चयन और नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के लिए बैंकों के साथ इस सूची को साझा करेगा। (iv) बैंक इस सूची से लेखापरीक्षा फर्म(ओ) का चयन करेंगे, निदेशक मंडल (बोर्ड) / बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति (एसीबी) से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करेंगे, और संदर्भित वित्तीय वर्ष की तारीख़ 31 जुलाई से पहले पर्यवेक्षण विभाग, आरबीआई को पूर्व अनुमोदन के लिए आवेदन प्रस्तुत करेंगे। 4. सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की पात्रता मानदंड नए एसए की नियुक्ति के मामले में, बैंक नाबार्ड द्वारा प्रदान की गई सूची में से परिशिष्ट I में उल्लिखित दिशानिर्देशों के तहत आवश्यकताओं को पूरा करने वाली लेखापरीक्षा फर्मों का चयन करेंगे और चुनी गई लेखापरीक्षा फर्मों के नाम परिशिष्ट II में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आरबीआई को अग्रेषित करेंगे। 5. लेखापरीक्षकों की स्वतंत्रता 5.1 बैंक का बोर्ड/एसीबी प्रासंगिक सांविधिक/नियामक प्रावधानों, मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के संदर्भ में लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता और हितों के टकराव, यदि कोई हो, की निगरानी और मूल्यांकन करेगा। बोर्ड/एसीबी द्वारा उठाए गए मामले, यदि कोई हों, नाबार्ड को सूचित किए जाएंगे। 5.2 बैंक के समवर्ती लेखा परीक्षकों को उसी बैंक के एसए के रूप में नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जाएगा। एक कार्य के पूरा होने और दूसरे कार्य के शुरू होने के बीच न्यूनतम एक वर्ष का अंतर होना चाहिए। 5.3 नियुक्ति से पहले और एसए के रूप में कार्यकाल पूरा करने के बाद, नियोक्ता बैंक के लिए एसए द्वारा किए गए किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 144 में उल्लिखित सेवाएं, आंतरिक कार्य, विशेष कार्य इत्यादि) के बीच का समय अंतराल कम से कम एक वर्ष होगा। हालाँकि, एसए के रूप में कार्यकाल के दौरान, बोर्ड/एसीबी के निर्णय के आधार पर, लेखापरीक्षा फर्म नियोक्ता बैंक को ऐसी सेवाएं प्रदान कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप आम तौर पर हितों का टकराव ना हो। विशेष कार्य, जैसे (i) कर लेखापरीक्षा, कर प्रतिनिधित्व और कराधान मामलों पर सलाह, (ii) अंतरिम वित्तीय विवरणों का लेखापरीक्षा, (iii) प्रमाण पत्र जारी करना जो सांविधिक या विनियामक आवश्यकताओं के अनुपालन में एसए द्वारा बनाया जाना आवश्यक है, और (iv) वित्तीय जानकारी या उसके खंडों पर रिपोर्टिंग जैसे कार्यों को हितों का टकराव नहीं माना जा सकता है। 5.4 प्रतिबंध, जैसा कि ऊपर पैरा 5.2 और 5.3 में बताया गया है, लेखापरीक्षा फर्मों के समान नेटवर्क के तहत आनेवाली लेखापरीक्षा फर्म या समान साझेदार / साझेदारों वाली किसी अन्य लेखापरीक्षा फर्म पर भी लागू होंगे, जैसा कि कंपनी (लेखापरीक्षा एवं लेखापरीक्षक), 2014 के नियम 6(3) में परिभाषित किया गया है। 5.5 प्रबंधन की कार्यशैली के संबंध में, जैसे सूचना की अनुपलब्धता/प्रबंधन द्वारा असहयोग (जो लेखापरीक्षा प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है), आदि के बारे में यदि कोई मामला हो तो एसए बोर्ड/एसीबी के साथ-साथ नाबार्ड को भी रिपोर्ट करेंगे । 6. सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) के प्रदर्शन की समीक्षा 6.1 बैंक का बोर्ड/एसीबी एसए के निष्पादन की सालाना समीक्षा करेगा। लेखापरीक्षा जिम्मेदारियों के निर्वहन में किसी भी गंभीर चूक/लापरवाही, एसए की ओर से कार्यशैली के स्तर पर, या प्रासंगिक माने जाने वाले किसी भी अन्य मामले को लेखापरीक्षा पूरा होने के दो महीने के भीतर बोर्ड/एसीबी के अनुमोदन से नाबार्ड को सूचित करना होगा | 6.2 मौजूदा सांविधिक/नियामक मानदंडों के किसी भी उल्लंघन की और एसए द्वारा लेखापरीक्षा कार्यों में चूक जैसे वित्तीय विवरणों के संबंध में गलत विवरणों आदि को प्रासंगिक सांविधिक/विनियामकीय/पर्यवेक्षी ढांचे के तहत उचित रूप से निपटाया जाएगा। 7. सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) का कार्यकाल और रोटेशन 7.1 एसए को एक बार में केवल एक वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा और अगले दो वर्षों के लिए वार्षिक स्तर पर पुनः नियुक्त किया जाएगा, बशर्ते कि वे इन दिशानिर्देशों में उल्लिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करते रहें। ऐसी अवधि के दौरान, एसए को समय से पहले हटाने के लिए आरबीआई के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। हालाँकि, हटाने का ऐसा कोई भी अनुरोध बोर्ड/एसीबी के अनुमोदन के साथ भेजा जाएगा। 7.2 लेखा परीक्षक/लेखा परीक्षा फर्म पूर्ण या आंशिक कार्यकाल पूरा होने के तुरंत बाद छह साल (दो कार्यकाल) के लिए उसी बैंक में नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगी। यदि किसी लेखा परीक्षक/लेखा परीक्षा फर्म ने आंशिक कार्यकाल (एक वर्ष या दो वर्ष) के लिए बैंक का लेखा परीक्षण किया है और फिर शेष कार्यकाल के लिए उसे दोबारा नियुक्त नहीं किया गया है, तो वह उसी बैंक में आंशिक कार्यकाल पूरा होने के छह वर्ष बाद तक पुन: नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा। हालाँकि, लेखा परीक्षा फर्म अन्य बैंकों का सांविधिक लेखा परीक्षण करना जारी रख सकती हैं। 8. एक लेखा परीक्षा फर्म द्वारा लेखा परीक्षा किए जा सकने वाले एसटीसीबी/सीसीबी की संख्या 8.1 एक लेखा परीक्षा फर्म एक वर्ष में अधिकतम पांच बैंकों (अधिकतम एक एसटीसीबी सहित) की सांविधिक लेखा परीक्षा एक साथ कर सकती है। 8.2 यह पाँच बैंकों की सीमा, दिनांक 27 अप्रैल, 2021 के 'वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश' में निर्धारित 20 विनियमित संस्थाओं (आरई) की सीमा के अतिरिक्त होगी। 8.3 इसके अलावा, एक वर्ष में, एक लेखा परीक्षा फर्म एक साथ एक ही राज्य में संचालित एसटीसीबी और सीसीबी दोनों की सांविधिक लेखा परीक्षा नहीं कर सकती है। 8.4 दूसरे शब्दों में, एक लेखा परीक्षा फर्म एक वर्ष में एक साथ अधिकतम चार वाणिज्यिक बैंकों [अधिकतम एक पीएसबी या एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, सिडबी, एनएबीएफआईडी, एनएचबी, एक्जिम बैंक) या आरबीआई सहित], आठ शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी), आठ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), और पांच एसटीसीबी/सीसीबी (अधिकतम एक एसटीसीबी सहित) की सांविधिक लेखा परीक्षा कर सकती है। 8.5 यह सीमा इन दिशानिर्देशों में निर्धारित पात्रता मानदंडों और अन्य शर्तों के साथ लेखा परीक्षा फर्म के अनुपालन और किसी अन्य क़ानून या नियमों द्वारा निर्धारित समग्र सीमा के अधीन है। 8.6 इन दिशानिर्देशों के प्रयोजन के लिए, समान साझेदार और/या एक ही नेटवर्क के तहत लेखा परीक्षा फर्मों के एक समूह को एक संस्था माना जाएगा और तदनुसार एसए के रूप में नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा। आने वाली नई लेखा परीक्षा फर्म पात्र नहीं होगी यदि ऐसी लेखा परीक्षा फर्म निवर्तमान लेखा परीक्षा फर्म से जुड़ी है या लेखा परीक्षा फर्मों के एक ही नेटवर्क के अंतर्गत है। 8.7 किसी अन्य लेखा परीक्षा फर्म या लेखा परीक्षा फर्मों के समान नेटवर्क के तहत किसी सहयोगी लेखा परीक्षा फर्म द्वारा साझा/उप-अनुबंधित लेखा परीक्षा की अनुमति नहीं है। 9. सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) के लेखा परीक्षा शुल्क और व्यय 9.1 सभी बैंकों के एसए के लिए लेखा परीक्षा शुल्क प्रासंगिक सांविधिक/विनियामक प्रावधानों के संदर्भ में तय किया जाएगा और बैंकों का बोर्ड/एसीबी एसए की लेखा परीक्षा शुल्क तय करने के लिए प्रासंगिक सांविधिक/विनियामक निर्देशों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी को अनुशंसा प्रस्तुत करेगा। 9.2 बैंकों के एसए के लिए लेखा परीक्षा शुल्क उचित और लेखा परीक्षा के दायरे और क्षेत्र, परिसंपत्तियों के आकार और फैलाव, लेखांकन और प्रशासनिक इकाइयों, लेनदेन की जटिलता, कम्प्यूटरीकरण के स्तर, वित्तीय रिपोर्टिंग में चिन्हित किए गए जोखिमों आदि के अनुरूप होगा। 10. सांविधिक लेखापरीक्षा नीति, नियुक्ति प्रक्रिया, राज्य की भाषा का कार्यसाधक ज्ञान और सांविधिक लेखा परीक्षक (एसए) के लिए परिचय तंत्र 10.1 बैंक एसए की नियुक्ति के संबंध में एक बोर्ड-अनुमोदित नीति बनाएँगे और इसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट/सार्वजनिक डोमेन पर जारी करेंगे। बैंक एसए के चयन/नियुक्ति/पुनःनियुक्ति/हटाने के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं भी तैयार करेंगे। सभी प्रासंगिक सांविधिक/विनियामक आवश्यकताओं के अनुरूप होने के अलावा, नीति इस महत्वपूर्ण आश्वासन कार्य के सभी प्रमुख पहलुओं पर आवश्यक पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी। 10.2 सांविधिक लेखा परीक्षा के तहत शाखा/व्यवसाय क्षेत्र तय करने के लिए, बैंकों को परिपत्र के परिशिष्ट III में दिए गए दिशानिर्देशों द्वारा निर्देशित किया गया है। 10.3 सांविधिक लेखा परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए, वांछनीय है कि एसए के रूप में नियुक्त की जाने वाली लेखा परीक्षा फर्म को उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की स्थानीय भाषा में दक्षता हो जहां ये बैंक स्थित हैं। 10.4 लेखा परीक्षा शुरू होने से पहले, बैंक अपने एसए को प्रासंगिक आरबीआई विनियमों, संस्थागत तंत्र और प्रक्रियाओं, एसए से उम्मीदों और अपेक्षाओं आदि जैसे पहलुओं पर जागरूक करेंगे एसए के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड - एसटीसीबी/सीसीबी के लिए आधारभूत पात्रता
* अधिमानतः डीआईएसए / सीआईएसए / आईएसए योग्यता के साथ 1 एफटीपी / वैतनिक सीए # अधिमानतः 1 वर्ष का अनुभव
ए. नोट्स नोट 1: एफ़टीपी माने जाने के लिए छंटनी (बैंकों द्वारा) की तिथि को फर्म के साथ साझेदार(रों) का कम से कम एक वर्ष के निरंतर का संबंध होना चाहिए। ₹1,000 करोड़ से अधिक आस्ति आकार वाले सभी बैंकों के लिए, फर्म के साथ एफ़टीपी के संबंध का मतलब अनन्य संबंध होगा। 'अनन्य संबंध' की परिभाषा निम्नलिखित मानदंडों पर आधारित होगी: (ए) एफ़टीपी की अन्य फर्म/फर्मों में साझीदारी नहीं होनी चाहिए। (बी) वह कहीं और पूर्णकालिक/अंशकालिक रूप से नियोजित नहीं होना चाहिए। (सी) वह अपने नाम पर प्रैक्टिस नहीं करेगा या अन्यथा प्रैक्टिस में संलग्न नहीं होगा या चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम, 1949 की धारा 2(2) के तहत प्रैक्टिस समझी जाने वाली किसी अन्य गतिविधि में संलग्न नहीं होगा। (डी) बोर्ड/एसीबी जांच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि साझेदारों की फर्म/एलएलपी से प्राप्त आय उसे पूर्णकालिक अनन्य रूप से संबन्धित साझेदार समझे जाने के लिए पर्याप्त है।
नोट 2: सीआईएसए/आईएसए/डीआईएसए योग्यता: छंटनी की तारीख तक कंपनी के साथ वैतनिक सीए (सीआईएसए/आईएसए/डीआईएसए योग्यता के साथ) का कम से कम एक साल का निरंतर संबंध होना चाहिए, ताकि उन्हें इस उद्देश्य के लिए सीआईएसए/आईएसए/डीआईएसए योग्यता वाले वैतनिक सीए के रूप में माना जा सके। नोट 3: लेखापरीक्षा अनुभव: लेखापरीक्षा अनुभव का मतलब वाणिज्यिक बैंकों / यूसीबी / एनबीएफसी (एचएफसी सहित) / एआईएफआई / एसटीसीबी / सीसीबी / आरआरबी के सांविधिक केंद्रीय / शाखा लेखापरीक्षक के रूप में लेखापरीक्षा फर्म का अनुभव होना। लेखापरीक्षा फर्मों के विलय और विघटन के मामले में, विलय के दो साल बाद विलय प्रभावी होगा, जबकि विघटन तत्काल प्रभावी होगा। नोट 4: पेशेवर कर्मचारी: पेशेवर कर्मचारी में बही-खाता रखने और अकाउंटेंसी का ज्ञान रखने वाले लेखापरीक्षा और आर्टिकल क्लर्क शामिल हैं और वे जो ऑन-साइट लेखापरीक्षा से संबन्धित हैं, लेकिन इसमें टाइपिस्ट/स्टेनो/कंप्यूटर ऑपरेटर/सचिव/अधीनस्थ कर्मचारी आदि शामिल नहीं हैं। पेशेवर कर्मचारियों के रूप में विचार किए जाने के लिए छंटनी की तिथि को फर्म के साथ कम से कम एक वर्ष का निरंतर संबंध होना चाहिए। बी. अतिरिक्त विचार योग्य बिंदुः (i) लेखापरीक्षा फर्म, जिसे एसए के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव है, को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 141 के अनुसार किसी कंपनी के लेखापरीक्षा के रूप में नियुक्ति के लिए विधिवत योग्य होना चाहिए। (ii) लेखापरीक्षा फर्म को किसी भी सरकारी एजेंसी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए), इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई), आरबीआई या अन्य वित्तीय नियामकों द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया गया हो। (iii) बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि एसए की नियुक्ति आईसीएआई की आचार संहिता/अपनाए गए किसी भी अन्य मानक के अनुसार हो और इससे हितों का कोई टकराव उत्पन्न न हो रहा हो। (iv) यदि सनदी लेखाकार फर्म का कोई भी साझेदार किसी बैंक में निदेशक है, तो उक्त फर्म को उस बैंक के एसए के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। (v) लेखापरीक्षकों के पास बैंकों के कम्प्यूटरीकरण के स्तर/जटिलता के अनुरूप कंप्यूटर समर्थित लेखापरीक्षा उपकरण और तकनीक (सीएएटीटी) और सामान्यीकृत लेखापरीक्षा सॉफ्टवेयर (जीएएस) लगाने की क्षमता और अनुभव होना चाहिए। सी. आधारभूत पात्रता मानदंडों का निरंतर अनुपालन यदि कोई लेखापरीक्षा फर्म (नियुक्ति के बाद) किसी भी पात्रता मानदंड (किसी भी साझेदार/कर्मचारी/कर्मचारियों के इस्तीफे, मृत्यु आदि के कारण या सरकारी एजेंसियों/एनएफआरए/ आईसीएआई/आरबीआई/अन्य वित्तीय नियामक आदि द्वारा कार्रवाई के कारण) का अनुपालन नहीं करती है जैसा कि ऊपर बी(ii) में बताया गया है, तो इसे तुरंत पूर्ण विवरण के साथ बैंक से संपर्क करना होगा। इसके अलावा, ऐसी लेखा परीक्षा फर्म उचित समय के भीतर पात्र बनने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी और किसी भी मामले में, लेखा परीक्षा फर्म को 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक सांविधिक लेखापरीक्षा शुरू होने से पहले और वार्षिक लेखारीक्षा पूरा होने तक उपर्युक्त मानदंडों का अनुपालन करना होगा। लेखापरीक्षा शुरू होने के बाद किसी असाधारण परिस्थिति में, जैसे कि एक या एक से अधिक साझेदारों/कर्मचारियों आदि की मृत्यु, जो फर्म को एक या अधिक पात्रता मानदंडों के संबंध में अयोग्य बना सकती है, आरबीआई के पास एक विशेष मामले के रूप में, संबंधित लेखापरीक्षा फर्म को लेखापरीक्षा पूरा करने की अनुमति देने का विवेकाधिकार होगा।
एसए की नियुक्ति की प्रक्रिया 1. एसटीसीबी/सीसीबी में एसए की नियुक्ति की प्रक्रिया बोर्ड/एसीबी द्वारा अनुमोदित लेखापरीक्षा फर्म के नाम के साथ आरबीआई को आवेदन भेजने के साथ शुरू होती है, जिसके बाद आरबीआई द्वारा पूर्व अनुमोदन दिया जाता है और संबंधित बैंक की एजीएम में एसए की नियुक्ति के साथ समाप्त होती है। । 2. एसए की नई नियुक्ति के मामले में , एसए की प्रत्येक रिक्ति के लिए बैंक नाबार्ड के पैनल से न्यूनतम दो लेखापरीक्षा फर्मों को छांटेंगे। 3. बैंक 'सैद्धांतिक' अनुमोदन के लिए अपने बोर्ड/एसीबी के समक्ष वरीयता क्रम में छांटी गई लेखापरीक्षा फर्मों के नाम रखेंगे। बोर्ड/एसीबी की मंजूरी के बाद, बैंक पूर्व अनुमोदन के लिए आरबीआई से संपर्क करेंगे। 4. मुंबई क्षेत्र के भीतर पंजीकृत कार्यालय वाले बैंक अपना आवेदन लेखापरीक्षा संबंध समूह (एआरजी), पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस), केंद्रीय कार्यालय (सीओ), आरबीआई, मुंबई को प्रेषित करेंगे। आरबीआई के नागपुर कार्यालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बैंक अपना आवेदन पर्यवेक्षण विभाग, आरबीआई नागपुर को प्रेषित करेंगे। अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बैंकों को अपना आवेदन उस राज्य में आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग को प्रेषित करना होगा जहां बैंक का पंजीकृत कार्यालय स्थित है। 5. बैंकों को छांटी गई लेखापरीक्षा फर्मों से फॉर्म बी के अनुसार एक प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा कि लेखापरीक्षा फर्म इस उद्देश्य के लिए आरबीआई द्वारा निर्धारित सभी पात्रता मानदंडों का अनुपालन करती है। लेखापरीक्षा फर्म के लेटर-हेड पर उक्त प्रमाणपत्र पर लेखापरीक्षा फर्म के प्रबंधक साझेदार द्वारा उक्त लेखापरीक्षा फर्म की मुहर के साथ हस्ताक्षर किए जाने चाहिए। 6. लेखापरीक्षा फर्म (फर्मों) के नाम की संस्तुति करते समय, बैंक फॉर्म सी के अनुसार प्रारूप में एक प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करेंगे, जिसमें यह उल्लिखित होगा कि उनके द्वारा एसए के रूप में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित लेखापरीक्षा फर्म आरबीआई द्वारा निर्धारित सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करती है। 7. पूर्व अनुमोदन के लिए आरबीआई से संपर्क करते समय शीघ्र कार्यवाही को सुकर करने के लिए बैंकों को पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च (लेखापरीक्षित आंकड़े) के अनुसार अपनी कुल आस्ति का आकार बताना होगा, लेखापरीक्षा फर्म(ओं) के नामों की वरीयता क्रम में संस्तुति करने वाले बोर्ड/एसीबी संकल्प की एक प्रति, फॉर्म बी और फॉर्म सी के साथ-साथ उसमें उल्लिखित सभी दस्तावेजों को संलग्न करना होगा। एसए द्वारा लेखापरीक्षा के लिए शाखाओं के चयन हेतु दिशानिर्देश
लेखापरीक्षा के लिए शाखाओं का चयन करते समय पालन किए जाने वाले मानदंड इस प्रकार हैं: 1. लेखापरीक्षा के लिए चुनी गई शाखाओं को कुल बकाया अग्रिम का कम से कम 70% कवर करना चाहिए। 2. बकाया अग्रिमों के स्तर के क्रम में चुनी जाने वाली शीर्ष 20 शाखाएं / बैंकों की शीर्ष 20% शाखाओं (100 से कम शाखाओं वाली बैंकों के मामले में) को अनिवार्य रूप से लेखापरीक्षा के लिए शामिल किया जाना होगा। 3. जिन शाखाओं में धोखाधड़ी, गबन या संदिग्ध प्रकृति के लेनदेन की आशंका है या ऐसा लेनदेन हुआ है, उनकी लेखापरीक्षा की जाए, यदि उपर्युक्त (2) के संदर्भ में कवर नहीं किया गया हो। 4. जिन शाखाओं में ऋण, व्यवसाय वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में 50% या उससे अधिक है, उनकी भी अनिवार्य रूप से लेखापरीक्षा की जानी चाहिए, यदि उपर्युक्त मानदंड (2) और (3) के संदर्भ में कवर नहीं किया गया है। 5. लेखापरीक्षा की जाने वाली शाखाओं का वास्तविक चयन उपर्युक्त दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड/एसीबी द्वारा तय किया जाना चाहिए। 6. शाखाओं और व्यवसाय कवरेज का निर्णय लेते समय, बैंक अन्य बातों के साथ-साथ बैंक-विशिष्ट विशेषताओं जैसे प्रक्रियाओं के केंद्रीकरण का स्तर, धोखाधड़ी जोखिम और क्रेडिट जोखिम को संबोधित करने की आवश्यकता, आंतरिक/समवर्ती लेखा परीक्षकों से प्रतिकूल रिपोर्ट, व्हिसिल ब्लोअर शिकायतें और आंतरिक एमआईएस रिपोर्ट द्वारा दिखाए गए असामान्य पैटर्न/गतिविधि पर विचार करेंगे। 7. बैंक अपनी वेबसाइट/सार्वजनिक डोमेन पर पिछले वर्ष और संबंधित वर्ष के लिए सांविधिक लेखापरीक्षा के तहत शाखा/व्यवसाय कवरेज की सीमा को उजागर करेंगे। |