आस्ति देयता प्रबंध (एएलएम) प्रणाली संबंधी दिशानिर्देश- संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
आस्ति देयता प्रबंध (एएलएम) प्रणाली संबंधी दिशानिर्देश- संशोधन
आरबीआइ/2007-08/165
बैंपविवि.सं. बीपी. बीसी. 38/21.04.098/2007-08
24 अक्तूबर 2007
2 कार्तिक 1929 (शक)
अध्यक्ष /मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
आस्ति देयता प्रबंध (एएलएम) प्रणाली संबंधी दिशानिर्देश- संशोधन
रिज़र्व बैंक ने 10 फरवरी 1999 के अपने परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी.8/21.04.098/99 के द्वारा आस्ति देयता प्रबंध प्रणाली (एएलएम) पर दिशानिर्देश जारी किए थे जिनमें अन्य बातों के साथ ब्याज दर जोखिम तथा चलनिधि जोखिम माप/रिपोर्टिंग ढांचा और विवेकपूर्ण सीमाओं संबंधी दिशानिर्देश दिये गये थे ।चलनिधि प्रबंध के उपाय के तौर पर बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने निदेशक मंडल/प्रबंध समिति के अनुमोदन से आंतरिक विवेकपूर्ण सीमाएं स्थापित करके अपनी संरचनागत चलनिधि के विवरण में सभी कालखंडों (टाइम बकेट) में संचयी असंतुलन की निगरानी करें । दिशानिर्देशों के अनुसार सामान्य तौर पर 1-14 दिनों तथा 15-28 दिनों के कालखंडों के दौरान असंतुलन (नकारात्मक अंतराल) संबंधित कालखंड में नकदी बहिर्गमन के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए ।
2. अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं, भारत में बैंकों के अत्याधुनिक स्तर और चलनिधि प्रबंध की कुशलता के तीव्रतर मूल्यांकन की ज़रूरत को देखते हुए इन दिशानिर्देशों की समीक्षा की गयी है तथा यह निर्णय लिया गया है कि :
(क) बैंक संरचनागत चलनिधि के विवरण में पहले कालखंड (वर्तमान 1-14 दिनों) को तीन कालखंडों अर्थात्, अगले दिन, 2-7 दिनों और 8-14 दिनों में बांट कर चलनिधि जोखिम की माप की और अधिक सूक्ष्म विधि अपनाएं ।
(ख) पूरी तरह नेटवर्क किए गए वातावरण की अनुपलब्धता को ध्यान में रखकर, सर्वोत्तम उपलब्ध डाटा कवरेज पर संरचनागत चलनिधि विवरण तैयार किया जाए । तथापि, बैंक यथासमय 100 प्रतिशत आंकड़ों को शामिल करने के लिए सुनियोजित और अपेक्षित प्रयास करें ।
(ग) चलनिधि पर संचयी प्रभाव तभी माना जाएगा जब अगले दिन, 2-7 दिनों, 8-14 दिनों और 15-28 दिनों के कालखंडों के दौरान निवल संचयी नकारात्मक असंतुलन संबंधित कालखंड में संचयी नकदी बहिर्गमन के क्रमश: 5%, 10%, 15%, और 20% से अधिक नहीं हो ।
(घ) बैंक गतिशील चलनिधि प्रबंध कर सकते हैं तथा उन्हें संरचनागत चलनिधि विवरण दैनिक आधार पर तैयार करना चाहिए, परंतु संरचनागत चलनिधि विवरण रिज़र्व बैंक को प्रत्येक महीने के तीसरे बुधवार को महीने में एक बार भेजा जाना चाहिए ।
3. संरचनागत चलनिधि विवरण के फार्मेट में उपयुक्त संशोधन किया गया है और उसे परिशिष्ट I में प्रस्तुत किया गया है । बैंकों में संशोधित कालखंडों में भविष्य में होनेवाले नकदी प्रवाहों के वर्गीकरण के लिए दिशानिर्देशों में भी उपयुक्त संशोधन कर दिया गया है जिसे परिशिष्ट II में प्रस्तुत किया गया है । अल्पावधिक गतिशील चलनिधि विवरण के फार्मेट को भी उपर्युक्त रीति के अनुसार संशोधित किया जाए ।
4. बैंकों को अपनी प्रबंध सूचना प्रणाली को संशोधित दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि संशोधित मानदंड और संशोधित फार्मेट के अनुसार पर्यवेक्षीय रिपोर्टिंग 1 जनवरी 2008 से आरंभ होनेवाली अवधि से लागू होगी तथा फिलहाल सूचना मासिक आधार पर ही भेजी जानी चाहिए, परंतु 1 अप्रैल 2008 से आरंभ होनेवाले पखवाड़े से संरचनात्मक चलनिधि स्थिति की पर्यवेक्षीय सूचना पाक्षिक आधार पर भेजी जानी चाहिए ।
भवदीय
(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक