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छोटे और मध्यम उद्यम खातों के लिए एक बारगी निपटान संबंधी दिशानिर्देश

भारिबैं / 2005-06 / 153
ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.सं. 39/06.02.31/2005-06

सितंबर 3 , 2005
12 भाद्र 1927 (शक)

सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों के
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक

महोदय,

छोटे और मध्यम उद्यम खातों के लिए एक बारगी निपटान योजना संबंधी दिशानिर्देश

कृपया 19 अगस्त 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. पीएलएनएफएस. बीसी. सं. 31/ 06.02.31/ 2005-06 का पैरा सं. 8 देखें । तदनुसार 10 करोड़ रु. से कम की अनर्जक आस्तियों की वसूली के लिए एक बारगी समझौता योजना प्रस्तावित है जिसे सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों द्वारा लागू किया जाना है । ये दिशानिर्देश छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र में पुरानी अनर्जक आस्तियों के एक बारगी निपटान के लिए सरल और ऐसा तंत्र उपलब्ध कराएंगे जिसमें कोई भेदभाव न हो । सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक इन दिशानिर्देशों को समान रूप से लागू करें ।

2. तथापि, दिशा-निर्देशों में जानबूझकर की गयी चूक, कपट और धांधली के मामले शामिल नहीं होंगे । बैंकों को जानबूझकर चूक, कपट और धांधली के मामलों का पता लगाना चाहिए और उनके विरुद्ध तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए । तदनुसार, छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र में सरकारी क्षेत्र के बैंकों की अनर्जक आस्तियों से संबंधित प्राप्य राशियों के एक बारगी (समझौते द्वारा ) निपटान के लिए दिशा-निर्देश नीचे दिये गये हैं :

(अ) 10.00 करोड़ रुपये तक की बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों

के एकबारगी निपटान के लिए दिशा-निर्देश

डव व्याप्ति

क) संशोधित दिशा-निर्देशों में छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र की ऐसी सभी अनर्जक आस्तियां शामिल होंगी, जो 31 मार्च 2004 को संदिग्ध या हानिवाली हो गयी हैं और ‘संदिग्ध’ के रूप में खाते के वर्गीकृत किये जाने की तारीख को जिनकी बकाया राशि 10.00 करोड़ रुपये और उससे कम है ।

ख) दिशा-निर्देशों में ऐसी अनर्जक आस्तियां भी शामिल होंगी , जिन्हें 31 मार्च 2004 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत किया गया हो और जो बाद में संदिग्ध या हानिवाली श्रेणी में आ गयी हों तथा खाते को संदिग्ध के रूप में वर्गीकृत किए जाने वाली तारीख को जिनकी बकाया राशि 10 करोड़ रुपये अथवा कम हो ।

ग) इन दिशा - निर्देशों में वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति ब्याज का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 के अंतर्गत बैंकों द्वारा शुरू की गयी कार्रवाई के मामले तथा न्यायालयों / ऋण वसूली अधिकरणों / औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के समक्ष लंबित मामले भी शामिल होंगे, बशर्ते न्यायालयों / ऋण वसूली अधिकरणों / औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड से सहमति डिक्री प्राप्त की गयी हो ।

घ) जानबूझकर की गयी चूक, कपट और धांधली के मामले शामिल नहीं होंगे ।

ङ) उधारकर्ताओं से आवेदनपत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2006 को कारोबार समाप्त होने तक होगी । संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत कार्रवाई 30 जून 2006 तक पूरी कर ली जानी
चाहिए ।

डवव निपटान फार्मूला - राशि

क) 31 मार्च 2004 को संदिग्ध या हानिवाली आस्तियों के रूप में वर्गीकृत अनर्जक आस्तियां

31 मार्च 2004 को संदिग्ध या हानिवाली आस्तियाें के रूप में वर्गीकृत अनर्जक आस्तियों के निपटान के संदर्भ में संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत वसूल की जानेवाली न्यूनतम राशि, संदिग्ध अनर्जक आस्तियों के रूप में खाते को वर्गीकृत किये जाने की तारीख को बकाया राशि का 100 प्रतिशत होगी ।

ख) 31 मार्च 2004 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत ऐसी अनर्जक आस्तियां जो बाद में संदिग्ध या हानिवाली बन गयी हों

31 मार्च 2004 को अवमानक के रूप में वर्गीकृत जो अनर्जक आस्तियां बाद में संदिग्ध या हानि वाली बन गयी हों, उनके संदर्भ में वसूल की जानेवाली न्यूनतम राशि खाते को संदिग्ध के रूप में वर्गीकृत किये जाने की तारीख को खाते में बकाया राशि का 100 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2004 से अंतिम भुगतान की तारीख तक विद्यमान मूल उधार दर पर ब्याज होगी।

डववव अदायगी

उपर्युक्त दोनों ही मामलों में समझौते द्वारा हिसाब लगायी गयी राशि अधिमानत: एकमुश्त अदा की जानी चाहिए । ऐसे मामलों में जहां उधारकर्ता संपूर्ण राशि एकमुश्त अदा करने में असमर्थ है, वहां निपटान की राशि का कम से कम 25 प्रतिशत उसी समय अदा किया जाना चाहिए और 75 प्रतिशत की शेष राशि, समझौते की तारीख से अंतिम अदायगी की तारीख तक विद्यमान मूल उधार दर पर ब्याज सहित एक वर्ष की अवधि के भीतर किस्तों में वसूल की जानी चाहिए ।

डवख़् मंजूर करनेवाला प्राधिकारी

समझौते द्वारा एकबारगी निपटान तथा बाद में माफी या छूट या बट्टे खाते डालने की मंजूरी के संबंध में निर्णय प्रत्यायोजित शक्तियों के अंतर्गत सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाना चाहिए ।

डख़् भेदभाव रहित व्यवहार

बैंकों को चाहिए कि वे बिना किसी भेदभाव के योजना के अंतर्गत आनेवाली सभी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा एकबारगी निपटान के लिए उपर्युक्त दिशा-निर्देशों का पालन करें और संबंधित अधिकारी द्वारा निपटान की प्रगति और ब्यौरों की मासिक रिपोर्ट अगले उच्च अधिकारी तथा अपने केन्द्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें । बैंकों को चाहिए कि पात्र चूककर्ता उधारकर्ताओं को इन दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी बकाया देय राशियों के एक बार में निपटान के अवसर का लाभ उठाने के लिए व्यापक प्रचार करें और 31 जनवरी 2006 तक नोटिस दें । विभिन्न माध्यमों से इन दिशा-निर्देशों के पर्याप्त प्रचार को अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

डख्व बोर्ड को रिपोर्ट देना

बैंकों को संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत बहुत पुरानी अनर्जक आस्तियों के समझौते द्वारा एकबारगी निपटान की प्रगति के संबंध में रिपोर्ट हर तिमाही में निदेशक बोर्ड को प्रस्तुत करनी चाहिए । तिमाही प्रगति रिपोर्ट की एक प्रति हमें भी भेजी जाए ।

3. कृपया उपर्युक्त दिशा-निर्देश अपने नियंत्रक कार्यालयों और शाखाओं को तुरन्त कार्यान्वयन हेतु सूचित करें । ये दिशा-निर्देश आपके बैंक की वेब साइट पर भी प्रदर्शित किए जाएँ ।

4. किसी उधारकर्ता के लिए निपटान संबंधी उपर्युक्त दिशा-निर्देशों में कोई व्यतिक्रम हो तो वह केवल निदेशक बोर्ड द्वारा किया जाना चाहिए ।

5. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

( जी.श्रीनिवासन )

मुख्य महाप्रबंधक

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