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प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों द्वारा किए ज़ानेवाले राहत उपायों के लिए दिशा-निर्देश

भारिबैं/2006-07/105
ग्राआऋवि.केका.पीएलएफएस.सं.बीसी.16/05.04.02/2006-07

9 अगस्त 2006

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज़्य बैंक

महोदय,

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में बैंकों द्वारा किए ज़ानेवाले राहत उपायों के लिए दिशा-निर्देश

जैसाकि आपको ज्ञात है भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध किए ज़ानेवाले राहत उपायों के संबंध में बैंकों को समय-समय पर दिशा-निर्देश / अनुदेश ज़ारी किए हैं तथा इन्हें दिनांक 10 जुलाई 2006 के संदर्भ सं.ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.10/05.04.02/06-07 के प्राकृतिक आपदाओं पर विस्तृत मास्टर परिपत्र में सम्मिलित किया गया है ।ये दिशा -निर्देश वर्तमान उधारकर्ताओं मुख्यत: कृषि को प्रदान की ज़ानेवाली विभिन्न राहत और रियायतों पर प्रकाश डालते हैं । ज़ैसाकि वर्ष 2005-06 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा में घोषणा की गई थी, भारतीय रिज़र्व बैंक ने संबंधित मामलों के संपूर्ण विषय की सूी तथा वर्तमान दिशा-निर्देशों में उत संशोधन और अतिरिक्त मुद्दे जोड़ने की सिफारिश करने हेतु एक आंतरिक कार्यकारी दल का गठन किया था ।

2. दल की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि अनुबंध में दर्शाए गए अतिरिक्त दिशा-निर्देशों का पालन बैंकों द्वारा शीघ्र किया जाए, विशेषकर हाल ही की बाढ के संबंध में , ज़िससे देश के विभिन्न भाग प्रभावित हुए हैं ।

3. कृपया प्राप्ति - सूचना दें ।

भवदीय

(डा.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


उक्त दिनांक का परांकन ग्राआऋवि.पीएलएफएस.सं. /05.04.02/2005-06

प्रतिलिपि सूना और आवश्यक कार्रवाई हेतु निम्नलिखित को प्रेषित :

  1. श्री अमिताभ वर्मा, संयुक्त सिर्ाविं (एफएस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ।
  2. स्ाचिव, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, कृषि भवन, नई दिल्ली - 110001 ।
  3. मुख्य महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, गारमेंट हाउस, वर्ली, मुंबई - 400 018 ।
  4. अध्यक्ष, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, बांद्रा-कुर्ला संकुल, बांद्रा (पूर्व), मुंबई - 400051।
  5. श्री ए.एन.सिनोर, मुख्य कार्यापालक, भारतीय बैंक संघ, मुंबई ।
  6. डाक सूची के अनुसार ।

( सी.के.शाह )
उप महाप्रबंधक


क. ग्राहकों को उनके बैंक खाते तक पहुँाना

1. ऐसे क्षेत्र ज़हां बैंक शाखाएँ प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए हैं तथा सामान्य रुप से कार्य नहीं कर पा रहे हैं वहां बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक को सूत करते हुए अस्थायी परिसर से परिालन कर सकते हैं। अस्थायी परिसर में 30 दिन से अधिक समय बने रहने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से विशेष अनुमोदन प्राप्त किया ज़ाना ाहिए । बैंक यह भी सुनिश्त करें कि भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को सूना देते हुए अनुषंगी कार्यालय, विस्तार काउंटर गठित करके या मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं द्वारा प्रभावित क्षेत्रों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान की ज़ाती है ।

2. ग्राहकों की तत्काल नकदी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने हेतु बैंक सावधि ज़मा ज़ैसे खातों को सुलभ बनाने संबंधी दंड में छूट देने पर विार कर सकता है ।

3. एटीएम के कार्य को फिर से शीघ्र ालू करने या ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु अन्य व्यवस्था को उत महत्व दिया ज़ाए । बैंक ऐसी व्यवस्था पर विार कर सकते हैं ज़िससे ग्राहक अन्य एटीएम नेटवर्क, मोबाइल एटीएम आदि तक पहुँ सकें ।

ख मुद्रा प्रबंधन

4. यदि बैंक की मुद्रा तिज़ोरी शाखा प्रभावित हुई है तो बैंक अन्य बैंक के किसी भी नज़दीकी कार्यरत मुद्रा तिज़ोरी शाखा से संपर्क कर सकता है ज़ो प्रभावित मुद्रा तिज़ोरी को मुद्रा नोटों की आपूर्ति कर सकता हो ताकि बैंक उससे सहलग्न बैंक शाखाओं को नकदी की आपूर्ति कर सकें ; इसकी ज़ानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दी ज़ाए । यदि आवश्यक हो तो ज़िन बैंकों की मुद्रा तिज़ोरी प्रभावित हुई हो वे भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सूना देते हुए अस्थायी अवधि के लिए निक्षेपागार खोल सकते हैं ताकि दैनंदिन नकदी आवश्यकताओं की पूर्ति की ज़ा सके ।

ग केवाइसी मानदंड

5. प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को नए खाते खुलवाने हेतु विशेषत: सरकार / अन्य एज़ंसियों द्वारा दिये ज़ानेवाले विभिन्न राहतों का उपभोग करने हेतु बैंक निम्नलिखित आधार पर खाता खोल सकते हैं -

क. अन्य खाता धारक ज़ो संपूर्ण केवाइसी प्रक्रिया से गुज़रा हो, से परिचय या

ख. पहचन के दस्तावेज़ जैसे वोटर पहचान पत्र या ड्राइविंग लाइसेंस, किसी कार्यालय, कंपनी, विद्यालय, महाविद्यालय द्वारा ज़ारी पहचान पत्र के साथ पता दर्शाता हुआ दस्तावेज़ जैसे बिज़ली का बिल, राशन कार्ड आदि, या

ग) दो पड़ोसियों का परिचय ज़िनके पास उपर्युक्त पैरा 5 (ख) में दर्शाये दस्तावेज़ हों, या

द्य) उपर्युक्त न होने पर अन्य कोई सबूत ज़िससे बैंक संतुष्ट हो ।

उपर्युक्त अनुदेश उन मामलों पर लागू होंगे ज़हां खाते में शेष 50,000/- रु. से अधिक न हो या प्रदान की गई राहत की राशि (यदि अधिक हो) और खाते में कुल ज़मा 1,00,000/- रु. या एक वर्ष में प्रदान राहत की राशि (यदि अधिक हो) से अधिक न हो ।

घ समाशोधन एवं निपटान प्रणाली

6. समाशोधन सेवा में निरन्तरता सुनिश्चित करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को 20 बड़े शहरों में "ऑन-सिटी बैक-अप केद्र" तथा शेष शहरों के लिए प्रभावी अल्प लागत निपटान समाधान के संबंध में सूचित किया । समाशोधन क्षेत्र में ज़हां सामान्य समाशोधन सेवाओं में बाधाएं आती हों वहां बैंक लचीली समाशोधन सेवाएं उपलब्ध करा सकता है । तथापि, इन व्यवस्थाओं के बावाझद बैंक ग्राहकों की निधि अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए बड़ी राशि के लिए चेक भुनाने हेतु विचार कर सकता है । बैंक इएफटी, इसीएस या डाक सेवाओं के शुल्क में छूट देने पर विचार कर सकता है ताकि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित व्यक्तियों के खातों में निधि अंतरण हो सके।

" नए ऋण प्रदान करना तथा वर्तमान ऋणों का पुनर्निर्धारण

7. प्राकृतिक आपदा आने पर उधारकर्ता द्वारा अपेक्षित वित्तीय सहायता में

i) उपभोग ऋण

ii) सामान्य कारोबार पुन: चालू करने हेतु नए ऋण

iii) वर्तमान ऋणों का पुनर्निर्धारण शामिल होगा ।

i) उपभोग ऋण

वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, वर्तमान उधारकर्ताओं को सामान्य उपभोग प्रयोज़नों के लिए 250/- रु. के ऋण स्वीकृत किए ज़ा सकते हैं तथा उन राज़्यों में यह सीमा 1000/- रु. तक बडाई ज़ा सकती है ज़हाँ राज्य़ सरकारों द्वारा ऐसे उधारों के लिए जोखिम निधि का गठन किया गया है । वर्तमान सीमा बिना किसी संपार्श्विक के 10,000/- रु. तक बडा दी ज़ाए तथा जोखिम निधि का गठन न किए ज़ाने पर भी ऐसे ऋण प्रदान किए ज़ाएँ ।

ii) नए ऋण

उत्पादक गतिविधियाँ आरंभ करने के लिए समय पर नई वित्तीय सहायता न केवल वर्तमान उधारकर्ताओं को, बल्कि अन्य पात्र उधारकर्ताओं को भी उपलब्ध कराई ज़ाए । वर्तमान खातों की स्थिति के बावाझद उधारकर्ताओं को दिए गए नए ऋण चालू देय माने ज़ाएंगे।

iii) वर्तमान ऋणों का पुनर्निर्धारण

चूंकि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की चुकौती क्षमता आर्थिक व्यवसाय की क्षति और आर्थिक आस्तियों की हानि के कारण बुरी तरह प्रभावित हो ज़ाती है, अत: प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में यह आवश्यक हो ज़ाता है कि ऋणों की चुकौती में राहत दी ज़ाए । अत: वर्तमान ऋणों का पुनर्निर्धारण आवश्यक होगा । फसल ऋणों में बकाया मूलधन राशि तथा कृषि मीयादी ऋणों के साथ-साथ उस पर अादित ब्याज़ को मीयादी ऋणों में परिवर्तित कर दिया ज़ाए ।

मीयादी ऋणों की पुनर्निर्धारित चुकौती अवधि आपदा की गंभीरता और उसकी पुनरावृत्ति, आर्थिक आस्तियों की हानि की सीमा और विपत्ति के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।सामान्यतया, चुकौती के लिए पुनर्निर्धारित अवधि 3 से 5 वर्ष हो सकती है । तथापि, ज़हाँ आपदा से हुई क्षति बहुत अधिक है, बैंक अपने विवेक के आधार पर चुकौती की अवधि 7 वर्ष तथा अत्यधिक मुसीबत में चुकौती अवधि अधिकतम 10 वर्ष तक कर सकते हैं । पुनर्निर्धारण के सभी मामलों में अधिस्थगन अवधि कम से कम एक वर्ष होनी चाहिए । साथ ही, बैंकों को ऐसे पुनर्निर्धारित ऋणों पर अतिरिक्त संपार्श्विक की मांग नहीं करनी चाहिए । पुनर्निर्धारित मीयादी ऋण और अन्य देय राशियों की आस्ति वर्गीकरण स्थिति निम्नानुसार होगी :

क) पुनर्निर्धारित फसल ऋण चालू देय के रुप में माने ज़ाएँ तथा उन्हें अनादक आस्तियों के रुप में वर्गीकृत करने की आवश्यकता नहीं है । पुनर्निर्धारित मीयादी ऋणों का आस्ति वर्गीकरण इसके बाद संशोधित शर्तों से शासित होगा तथा अल्पावधि फसलों के लिए दो फसल मौसम तथा लम्बी अवधि की फसलों के लिए एक फसल मौसम के लिए मूलधन का ब्याज़ तथा/अथवा किस्त अतिदेय रहने पर उन्हें अनर्ज़क आस्ति माना ज़ाएगा। कृषकों द्वारा उगाई गई फसलों की अवधि के आधार पर उपर्युक्त मानदण्ड पुनर्निर्धारित कृषि मीयादी ऋणों पर लागू होंगे ।

ख) उपर्युक्त मानदण्ड आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, और प्रावधानीकरण से संबंधित अग्रिमों पर 1 ज़ुलाई 2006 के मास्टर परिपत्र भारिबैं. सं. 2006-07/31 डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.15/21.04.048/2006-07 के परिशिष्ट II में सूचीबध्द किए गए सभी प्रत्यक्ष कृषि अग्रिमों पर लागू होंगे।

ग) अतिरिक्त वित्त, यदि कोई हो तो "मानक आस्तियों" के रुप में माना ज़ाएगा और भविष्य में उनका आस्ति वर्गीकरण उसकी स्वीकृति की शर्तों और स्थिति से शासित होगा ।प्राकृतिक आपदा से प्रभावित स्वयं सहायता समूहों को उधार देने और अन्य मानदंडों में बैंक द्वारा अपने विवेकाधिकार के अधीन छूट दी ज़ाए । इसी प्रकार, खुदरा अथवा उपभोग ऋणों के घटक में बैंक ऋणों का पुनर्निर्धारण प्रत्येक मामले के आधार पर इस प्रकार किया ज़ाए कि वह उधारकर्ताओं के लिए उपयुक्त हो ।

) राज़्य स्तरीय बैंकर्स समिति की विशेष बैठक

8. प्राकृतिक आपदा होने के तुरन्त बाद, प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति की समीक्षा करने और बैंकों द्वारा समुचित राहत उपायों को तुरन्त तैयार करने और लागू करने के लिए राज़्य स्तरीय बैंकर्स समिति की विशेष बैठक आयोज़ित की ज़ाए ।

बैंक भी अपनी आपदा प्रबंधन व्यवस्था का प्रचार अपने हेल्पलाइन नम्बरों सहित करें । विशेष रुप से गठित कार्य - दलों अथवा राज़्य स्तरीय बैंकर्स समिति की उप समिति में आरंभ किए गए राहत उपायों की आवधिक समीक्षा साप्ताहिक / पाक्षिक बैठकों में तब तक की ज़ाए ज़ब तक हालात सामान्य न हो ज़ाएँ ।

ड) कारोबार निरन्तरता योज़ना (बीसीपी)

बैंकिंग प्रणाली में तकनीक के बडते हुए परिदृश्य में कारोबार निरन्तरता योज़ना कारोबार में रुकावट और प्रणाली असफलता को कम करने के लिए पहली प्रमुख अपेक्षा है । कारोबार निरन्तरता योज़ना प्रणाली के रुप में, बैंक प्राकृतिक आपदा के घेरे में आने वाली संभावित शाखाओं के लिए अन्य शाखाओं की पहचान करें । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, बैंकों के बोर्डों से यह अपेक्षा की ज़ाती है कि वे बीसीपी पर नीति का अनुमोदन करें, पर्याप्त संसाधनों का आबंटन करें तथा उच्च प्रबंधन को इस संबंध में स्पष्ट अनुदेश और निर्देश उपलब्ध कराएँ । बैंकों को केवल आपदा वसूली व्यवस्था के स्थान पर संपूर्ण विस्तृत बीसीपी तैयार करनी चाहिए । बैंकों को अपनी डीआर साइट चालू रखने पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे उनकी विस्तृत ज़ाँच कर सकें और प्राथमिक और द्वितीयक साइटों के बीच आँकड़े साथ-साथ रख सकें ।

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