अनर्जक परिसंपत्तियों के समझौता निपटान संबंधी दिशानिर्देश - न्यायालय से सहमति आदेश (कन्सेंट डिक्री) प्राप्त करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनर्जक परिसंपत्तियों के समझौता निपटान संबंधी दिशानिर्देश - न्यायालय से सहमति आदेश (कन्सेंट डिक्री) प्राप्त करना
आरबीआइ/2007-08/200
बैंपविवि. बीपी. बीसी. 55 /21.04.117/2007-08
30 नवंबर 2007
9 अग्रहायण 1929 (शक)
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक
अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
अनर्जक परिसंपत्तियों के समझौता निपटान संबंधी दिशानिर्देश - न्यायालय से सहमति आदेश (कन्सेंट डिक्री) प्राप्त करना
कृपया आप उपर्युक्त विषय पर 29 जनवरी 2003 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 65/ 21.04.117/2002-03 देखें जिसे 18 दिसंबर 2006 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. आइएनएफ. बीसी. 48/11.01.009/ 2006-07 के द्वारा बाद में वापस लिया गया है। अन्य बातों के साथ-साथ उपर्युक्त दिशानिर्देश विनिर्दिष्ट करते हैं कि जिन मामलों में न्यायालय /ऋण वसूली न्यायाधिकरण/औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के समक्ष कार्रवाई आरंभ की गई है वहां इन दिशानिर्देशों के तहत समझौता निपटान न्यायालय /ऋण वसूली न्यायाधिकरण/ औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड से प्राप्त किये जानेवाले सहमति आदेश के अधीन होना चाहिए।
2. ऋण वसूली न्यायाधिकरण, एरणाकुलम ने एक मामले में यह टिप्पणी की है कि यद्यपि बैंक और प्रतिवादी उधारकर्ताओं ने समझौता निपटान योजना के तहत समझौता किया था, तथापि संबंधित बैंक ने न केवल ऋण वसूली न्यायाधिकरण से सहमति आदेश नहीं प्राप्त किया था, बल्कि ढाई वर्ष से अधिक अवधि तक उन्होंने सझौता निपटान का तथ्य ऋण वसूली न्यायाधिकरण से छुपा रखा था ।इस प्रकार उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक के उक्त दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था और अनावश्यक रूप से न्यायाधिकरण का अमूल्य समय नष्ट किया था।
3. अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे यह अनिवार्यत: सुनिश्चित करें कि किसी मामले को न्यायालय /ऋण वसूली न्यायाधिकरण /औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के समक्ष दर्ज करने के बाद उधारकर्ता के साथ जो भी समझौता निपटान किया जाता है, वह संबंधित न्यायालय /ऋण वसूली न्यायाधिकरण /औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड से सहमति आदेश की प्राप्ति के अधीन है।
भवदीय
(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक