निवासियों द्वारा समुद्रपारी प्रत्यक्ष निवेश की प्रतिरक्षा - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासियों द्वारा समुद्रपारी प्रत्यक्ष निवेश की प्रतिरक्षा - उदारीकरण
आरबीआइ/2006-07/439
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.76
जून 19, 2007
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक
महोदया/महोदय,
निवासियों द्वारा समुद्रपारी प्रत्यक्ष निवेश की प्रतिरक्षा - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान दिसंबर 12,2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.47 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेशवाले (ईक्विटी और ऋण में) निवासी कंपनियों को ऐसे निवेशों से होनेवाले विनिमय जोखिम के लिए ऐसे जोखिमों के सत्यापन की शर्त पर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के साथ वायदा/ विकल्प संविदा करके प्रतिरक्षा करने की अनुमति है। ऐसी संविदाएं नियत तारीख को सुपुर्दगी अथवा रोल ओवर द्वारा अवश्य पूरी की जाए और रद्द न की जाएं।
2. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य (पैरा 141) में की गई घोषणा के अनुसार समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेशों (ईक्विटी और ऋण में) के साथ निवासियों को और अधिक लोच प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे वायदा संविदाओं को रद्द करने की अनुमति दी जाए। तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक विनिमय जोखिम की प्रतिरक्षा हेतु समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेशों (ईक्विटी और ऋण में) के लिए निवासियों द्वारा किए गए वायदा संविदाओं को रद्द करने की अनुमति दें। इसके अलावा, रद्द किए गए 50 प्रतिशत संविदाओं को पुन: बुक करने की अनुमति दी जाए। दिसंबर 12, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र स.47 में दी गई अन्य शर्तें और मार्गदर्शी सिद्धांत अपरिवर्तित रहेंगे।
3. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा25/आरबी-2000 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक