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आनलाइन कर लेखां‍कन प्रणाली का 1 जून 2004 से कार्यान्‍वयन

आरबीआई/2004/184
सबैंलेवि.जीएडी.सं.एच-1114/42.01.034/2003-04

29 अप्रैल 2004

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/
प्रबंध निदेशक
सभी एजेंसी बैंक
(संलग्‍न सूची के अनुसार)

प्रिय महोदय,

आनलाइन कर लेखां‍कन प्रणाली का 1 जून 2004 से कार्यान्‍वयन

कृपया 16 अप्रैल 2004 का हमारा परिपत्र भारिबैं/145/2004 (सबैंलेवि.जीएडी.सं.एच-1068/2003-04) देखें जिसके माध्‍यम से आनलाइन कर लेखांकन प्रणाली (ओएलटीएएस) हेतु लेखांकन प्रक्रिया प्रेषित की गई थी।

2. आयकर (प्रणाली) महानिदेशक द्वारा हमें सूचित किया गया है कि आयकर फील्ड आयुक्त से प्राप्त फीडबैक के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र अनेक केंद्रो पर स्थित शाखाओं में नहीं पहुंचे हैं जिसके कारण कई बैंक शाखाओं ने आयकर विभाग के 'टिन' (टीआईएन) को आनलाइन डाटा भेजना प्रारंभ नहीं किया है। यह भी पाया गया है कि कुछ बैंक प्रबंधकों को भी उनकी शाखा को भा.रि.बैं. द्वारा आबंटित बीएसआर कूट की जानकारी नहीं है। जैसाकि आप जानते हैं कि ओएलटीएएस के फाइल स्ट्रक्चर में शाखा के लिए आबांटित सात-अंकों का कूट अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बिन सही बीएसआर कूट के भेजे गए डाटा को टिन निरस्त कर देता है।

3. जैसाकि पहले ही सूचित किया जा चुका है कि आपको ऊपर संदर्भित हमारे परिपत्र के माध्यम से की गई नई लेखांकन प्रक्रिया 01 जून, 2004 से क्रियान्वित की जाएगी। डीजीआईटी (प्रणाली) द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आपसे अनुरोध है कि अपने आंचलिक प्रमुखों को उक्त विषय पर भारिबैं. द्वारा जारी अनुदेशों को सभी प्राधिकृत शाखाओं में पुन: परिचालित करने के निर्देश जारी करें और अन्य उपाय भी करें ताकि बैंक प्रबंधक निम्नलिखित से अवगत हो सकें -

(i) उनकी बैंक शाखा का बीएसआर कूट

(ii) भारिबैं के दिशानिर्देशों (संदर्भ: सबैंलेवि.जीएडी.सं.1008/42.01.034/2003-04 दि. 01 अप्रैल, 2004) के अनुसार नई रबड़ की मुहर तैयार करवाना

(iii) डाटा को टिन को आनलाइन भेजना और इसके अतिरिक्त मई 2004 महीने के दौरान सामान्य प्रथा के अनुसार पेपर स्‍क्रॉल तथा चालान को जे़डएओ एवं आयकर विभाग को भेजना और 01 जून, 2004 से एकल चालान कॉपी सहित नई लेखांकन प्रणाली को अपना लेना।

4. हम यह भी महसूस कर रहे हैं कि नागपुर के आपके लिंक-कक्ष को टिन (राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी लिमि.) को मुंबई के साथ एक समर्पित लीज लाइन से जोड़ा जाए ताकि एक सुरक्षित एवं दुतरफा संप्रेषण सुनिश्चित किया जा सके।

5. भारत सरकार द्वारा ओएलटीएएस परियोजना को दिए गए महत्व को ध्यान में रखते हुए आप 01 जून 2004 से नई लेखांकन प्रणाली को एकल चालान प्रति के साथ ओएलटीएएस पर सहज रूप से ले जाने के लिए सभी प्रकार के उपाय करें। आपकी सभी शाखाएं, वे भी जो दूर-दराज में स्थित हैं और जो कंप्यूटरीकृत नहीं है, जिनमें नेटवर्क सुविधा नहीं है, वे भी उक्त तारीख से ओएलटीएएस से जुड़ जाएं। हम पुनः यह कहना चाहेंगे कि नेटवर्क रहित शाखाएं अपने डाटा को आपके बैंक की नज़दीकी नोडल शाखा की मदद से प्रेषित करें।

भवदीय,

ह/-

(प्रबल सेन)
मुख्‍य महाप्रबंधक

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