प्रमंरोयो का कार्यान्वयन - वर्ष 2004-2005 के लिए लक्ष्य की उपलब्धि - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रमंरोयो का कार्यान्वयन - वर्ष 2004-2005 के लिए लक्ष्य की उपलब्धि
भारिबैं/2004/156
सं.ग्राआऋवि.बीसी.75/09.04.01/2003-04
अप्रैल 19, 2004
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
सभी भारतीय अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त)
महोदय,
प्रमंरोयो का कार्यान्वयन - वर्ष 2004-2005 के लिए लक्ष्य की उपलब्धि
हम सूचित करते हैं कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2004-2005 के लिए प्रधान मंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत पूरे देश के लिए स्वरोजगार उद्यमों हेतु 2,89,100 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।राज्य/संघ शासित क्षेत्र-वार वास्तविक लक्ष्य अनुबंध "क" में दर्शाये हैं । वर्ष के अंत में मामलों के जमा होने से बचने के लिए बैंकों को अनुबंध "ख" में निर्धारित सूची के अनुसार निर्धारित तिमाही प्रगति हेतु आवेदनों के प्रायोजन/ऋणों की स्वीवफ्ति/संवितरण के लिए प्रयास करने चाहिए । प्रायोजन, लक्ष्यों के 125% तक सीमित और दिसंबर के अंत तक पूरा होने चाहिए । उसके बाद, राज्य/संघ शासित क्षेत्र, बैंकों से प्राप्त अस्वीवफ्तियों के बदले ही आवेदन प्राप्त कर सकते हैं ।
- हम यह भी सूचित करते हैं कि
- योजना देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कार्यान्वित होगी ।
- निर्धारित लक्ष्य को वर्ष 2004-2005 के अंत तक हासिल करने के लिए सभी संभव प्रयास किये जाएं ।
- नये आवेदनों पर कार्यवाही करते समय आप अपने राज्यों/संघशासित प्रदेशों के जिला उद्योग केंद्रों को अपने पास पहले से लंबित आवेदनों को भी ध्यान में रखने के लिए सूचित करें ताकि उन व्यक्तियों को फिर से आवेदन करने की आवश्यकता न पड़े ।
- योजना में अजा/अजजा आवेदकों के लिए 22.5% और अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के आवेदकों के लिए 27% आरक्षण परिकल्पित है । महिलाओं और अल्पसंख्यकों को उचित और पर्याप्त हिस्सा सुनिश्चित किया जाए ।
- राज्यों को चाहिए कि वे योजना के अंतर्गत ऋण वसूली में सुधार लाने हेतु प्रयास जारी रखें ।
- वर्ष के अंत में आवेदन जमा होने से बचने के लिए, आवेदनों का प्रायोजन, स्वीकफ्ति और
- कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां इस क्षेत्र में उच्चतर रोजगार संभाव्यता को देखते हुए औद्योगिक क्षेत्र के अंतर्गत अधिक से अधिक आवेदन प्रायोजित/स्वीवफ्त करने के लिए प्रयास करेंगी ।
संवितरण की तिमाही प्रगति हेतु प्रयास करने चाहिए । प्रायोजन, लक्ष्य के 125% तक
सीमित और दिसंबर के अंत तक पूरे होने चाहिए ।उसके बाद राज्य/संघशासित क्षेत्र बैंकों
से प्राप्त अस्वीवफ्तियों के बदले ही आवेदन प्राप्त कर सकते है । सूची अनुबंध " ग " में
निर्धारित की गयी है ।
- योजना की अन्य शर्तें व नियम समय-समय पर जारी अनुदेशों के अधीन वर्ष 2003-2004 की तरह ही रहेंगी ।
- कफ्पया सक्रिय सहभागिता और आबंटित लक्ष्य दिनांक 31.3.2005 तक हासिल करने हेतु अपने क्षेत्रीय/नियंत्रक कार्यालय/शाखाओं को आवश्यक अनुदेश जारी करें ।
- वफ्पया पावती दें ।
भवदीय
( जी.पी.बोरा )
उप महाप्रबंधक
अनुबंध "क"
वर्ष 2004-2005 के लिए प्रधान मंत्री रोजगार
योजना (प्रमंरोयो) के अन्तर्गत (अनंतिम) लक्ष्य
क्रम सं. |
राज्य/संघ शासित क्षेत्र का नाम |
लक्ष्यसं. |
1. |
आंध्र प्रदेश |
33250 |
2. |
असम |
6700 |
3. |
अरुणाचल प्रदेश |
200 |
4. |
बिहार |
14000 |
5. |
दिल्ली |
4600 |
6. |
गोवा |
400 |
7. |
गुजरात |
8700 |
8. |
हरयाणा |
9000 |
9. |
हिमाचल प्रदेश |
3200 |
10. |
जम्मू और कश्मीर |
3000 |
11. |
कर्नाटक |
15750 |
12. |
केरल |
21900 |
13. |
मध्य प्रदेश |
12000 |
14. |
महाराष्ट्र |
22800 |
15. |
मणिपुर |
1200 |
16. |
मेघालय |
400 |
17. |
मिज़ोरम |
200 |
18. |
नगालैण्ड |
300 |
19. |
उड़ीसा |
6500 |
20. |
पंजाब |
9000 |
21. |
राजस्थान |
16000 |
22. |
तमिल नाडु |
18200 |
23. |
त्रिपुरा |
1600 |
24. |
उत्तर प्रदेश |
46000 |
25. |
पश्चिम बंगाल |
20000 |
26. |
अंदमान और निकोबार |
100 |
27. |
चंडीगढ़ |
200 |
28. |
दमन और दीव |
50 |
29. |
दादरा और नगर हवेली |
50 |
30. |
लक्षद्वीप |
50 |
31. |
पाँडिचेरी |
650 |
32. |
सिक्कीम |
100 |
33. |
उत्तरांचल |
2000 |
34. |
झारखंड |
5500 |
35. |
छत्तीसगढ़ |
5500 |
|
कुल |
289100 |
अनुबंध "ख"
तिमाही |
प्रायोजन |
स्वीवफ्ति |
संवितरण |
पहली |
25% |
10% |
- |
दूसरी |
100% |
50% |
15% |
तीसरी |
125%* |
80% |
50% |
चौथी |
- |
100% |
80% |
पहली(परवर्ती वर्ष) |
- |
- |
100% |
- 31.12.2002 के बाद केवल बैंकों द्वारा अस्वीवफ्त मामले प्रस्तुत किए जाएं