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(i) निर्यात उन्मुख इकाइयों (ii) विशेष आर्थिक अंचल / निर्यात उन्मुख इकाइयों तथा (iii) नामित एजेंसियों द्वारा स्वर्ण आयात

आरबीआई/2004-05/30
ए.पी.(डीआइआर सिरीज़ ) परिपत्र सं. 2

जुलाई 9, 2004

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यि बैंक

महोदया / महोदय

(i) निर्यात उन्मुख इकाइयों (ii) विशेष आर्थिक अंचल / निर्यात उन्मुख इकाइयों तथा
(iii) नामित एजेंसियों द्वारा स्वर्ण आयात

कृपया मार्च 6, 1998 का हमारा ए.डी.(जी.पी. सिरीज) परिपत्र सं. 7 (प्रतिलिपि संलग्न देखें जिसमें नामित एजेंसियों तथा अनुमोदित बैंकों को अलग-अलग व्यवस्था के अंतर्गत स्वर्ण आयात करने की अनुमति दी गई थी ।

2. प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान अक्तूबर 1, 2003 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.25 की ओर भी आकर्षित किया जाता है जिसमे प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित किया गया था कि नामित एजेंसी योजना के अंतर्गत स्वर्ण आयात के लिए साख पत्र नामित एजेंसियों की ओर से ही प्रमाणित किया जाए तथा किसी भी स्थिति में साखपत्र किसी दूसरी संस्था की ओर से जारी न किया जाए बावजूद इसके कि ये संस्थाएं नामित एजेंसी द्वारा जारी प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करती हैं ।

3. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अब स्पष्ट किया है कि एक्जिम नीति 2002-07 के पैरा 6.2 (ख) के अनुसार रत्न और आभूषण क्षेत्र की निर्यातोन्मुख इकाइयों को सीधे स्वर्ण आयात की अनुमति हैं । ये इकाइया नीति के पैरा 6.2 (छ) के अनुसार वर्तमान नामित एजेंसियों के माध्यम से भी स्वर्ण ला सकती हैं । इसके अलावा, रत्न तथा आभूषण के क्षेत्र के विशेष आर्थिक अंचल की इकाइयां भी एक्जिम नीति 2002-2007 के अनुसार स्वर्ण आयात कर सकती हैं ।

4. तदनुसार, निक्नलिखित शर्तों के अधीन प्राधिकृत व्यापारी सीधे स्वर्ण आयात के लिए साख पत्र खोल सकते हैं और रत्न और आभूषण क्षेत्र की निर्यातोन्मुख इकाइयों और विशेष आर्थिक अंचल की इकाइयों की ओर से विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं ।

i) स्वर्ण आयात सही रुप में एक्जिम नीति के अनुसार ही होना चाहिए ।

ii) आपूर्तिकर्ता और क्रेता ऋण सीधे स्वर्ण आयात के लिए खोले गए साखपत्र् के "यूसेंस पीरियड" सहित 90 दिनों से अधिक नहीं होना चाहिए । यह नामित एजेंसियों की ओर से खोले गए साखपत्रों के लिए भी लागू होगा ।

iii) स्वर्ण आयात से संबंधित सभी लेनदेन के लिए बैंकर के विवेक का उपयोग पूरी तरह किया जाए । प्राधिकृत व्यापारी यह सुनिश्चित करें कि ऐसे लेनदेन करते समय पर्याप्त कर्तव्य निष्ठा और बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अपने ग्राहक को जानिए मानदंडों और एंटी मनी लांडरिडग मार्गदर्शी सभी सिध्दांतों का अनुपालन किया जाता है । आयातक के कारोबार की मात्रा में भारी अथवा असाधारण वृध्दि की सावधानीपूर्वक जांच की जाए । प्राधिकृत व्यापारी पर्याप्त कर्तव्यनिष्ठा से सामान्य काम करने के अलावा ऐसे लेनदेनों की बारीकी से निगरानी करें । साखपत्र खोलने से पहले आपूर्तिकर्ता के विश्वासनीयता का भी पता लगाया जाए । आयातक ग्राहक की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए अन्य बैंकों से भी इसकी सावधनीपूर्वक पूछताछ करें । इसके अतिरिक्त, आयात / निर्यात लेनदेनो के लेखा परीक्षा की दिशा तय करने के लिए ऐसे लेनदेनों से संबंधित सभी कागजात कम से कम पांच वर्षों तक अवश्य रखे जाएं ।

iv) आयातकों द्वारा बिल ऑफ एंन्ट्री की प्रस्तुति के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी दिनांक अगस्त 18, 2003 के हमारे ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.9 में दिए गए अनुदेशों का अनुपालन करें ।

v) स्वर्ण के आयात संबंधी लेनदेन करने वाले प्राधिकृत व्यापारियों के प्रधान कार्यालय/ आइबीडी को चाहिए कि वे उपर्युक्त के संबंध में संलग्न में दिए गए फॉर्मेट के अनुसार एक मासिक विवरण व्यापर प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई को प्रस्तुत करें । विवरण अगले माह के 10 दिनों के अंदर प्रस्तुत किया जाए । विवरण ईमेल आइडी tradedivisionimport@rbi.org.in पर ईमेल द्वारा भी प्रेषित किया जाए ।

5. ये मार्गदर्शी सिध्दांत फेमा, 1999 के प्रावधानों के अंतर्गत विदेशी मुद्रा की दृष्टि से ही जारी किए गए है तथा इसे किसी अन्य वर्तमान कानून / विनियम के अंतर्गत किसी सांविधिक प्राधिकरण अथवा सरकार द्वारा अनुमोदन न माना जाए । संबंधित कानून / विनियम के अंतर्गत यदि किसी अन्य विनियामक प्राधिकरण अथवा सरकार से अतिरिक्त अनुमोदन या अनुमति की आवश्यकता होती है तो संबंधित कंपनी लेनदेन करने से पहले संबंधित एजेंसी का अनुमोदन प्राप्त करें ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है ।

भवदीया

ग्रेस कोशी
मुख्य महा प्रबंधक.


संलग्नक
ज़् ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.2
दिनांक जुलाई 9, 2004

को समाप्त माह के दौरान आयात किए गए स्वर्ण का विवरण

बैंक का नाम  :
विवरण की तारीख :

 

  लेनदेनों की संख्या

आयात किए गए स्वर्ण का मूल्य

 

निर्यात उन्मुख इकाई/ विशेष आर्थिक अंचल

नामित एजेंसी / बैंक

(मिलियन अमरीकी डॉलर )

(करोड़ रुपए)

निर्यात उन्मुख इकाई/ विशेष आर्थिक अंचल

नामित एजेंसी / बैंक

निर्यात उन्मुख इकाई/ विशेष आर्थिक अंचल

नामित एजेंसी / बैंक

स्वर्ण            
  1. भुगतान आधार पर सुपूर्दगी
  2. आपूर्तिकर्ता ऋण आधार पर
  3. परेषण आधार पर
  4. अनिर्धारित मूल्य आधार पर

 

 

 

 

 

 

टिप्पणी : 1. एकल आयातक के मामले में यदि एक महिने में दस लेनदेनों से अधिक अथवा कुल आयात मूल्य 50 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हो तो लेनदेनों के पूरे ब्योरे दिए जाएं1
2. निर्यातोन्मुख इकाइयों / विशेष आर्थिक अंचल की इकाइयों तथा नामित एजेंसियों के ब्योरे अलग-अलग दिए जाएं 1

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