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फेमा 1999 - भारत में आयात -आयात बिलों/दस्तावेजों की सीधी प्राप्ति - उदारीकरण

आर.बी.आइ/2004/45
एपी(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 66

6 फरवरी 2004

सेवा में

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

फेमा 1999 - भारत में आयात -आयात
बिलों/दस्तावेजों की सीधी प्राप्ति - उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान जून 19, 2003 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 106 के परिशिष्ट के पैराग्राफ अ.12 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से आयातकों को सीधे ही प्राप्त हो गए कतिपय आयात बिलों/ दस्तावेजों के संबंध में विप्रेषण के लिए अनुमति दी गई है। :

2. आयात के लिए प्रक्रिया को सरल और उदार बनाने की दृष्टि से यह निर्णय किया गया है कि उक्त परिपत्र के पैराग्राफ अ.12 में दी गई सुविधा के अंतर्गत आयात बिलों/दस्तावेजों की ऐसीसीधी प्राप्ति के लिए निर्धारित सीमा 10,000/- अमरीकी डॉलर और 25,000/- अमरीकी डॉलर को समान रूप से 100,000/- अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य कर दिया जाए। इस परिपत्र द्वारा कवर किए गए आयात बिल/ दस्तावेज़ सारणी ञ्अ’ में दिए गए हैं जो मूल और संशोधित स्थिति को दर्शाते हैं। सुलभ संदर्भ के लिए सारणी संलग्न है।

3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोक्त

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