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मास्टर परिपत्र - प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार-विशेष कार्यक्रम स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

भारिबैं/2004-05/163
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी. 31/09.16.01/2004-05

सितंबर 6, 2004

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक

(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त)

महोदय,

मास्टर परिपत्र - प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार-विशेष कार्यक्रम स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना परिचालन के संबंध में अनुदेश/दिशानिर्देश जारी किए हैं । बैंकों को वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योजना पर वर्तमान दिशानिर्देशों/ अनुदेशों/निदेशों को सम्मिलित करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है तथा संलग्न है । हम सूचित करते हैं कि इस मास्टर परिपत्र में, अनुबंध घ्घ्घ् में सूचीबध्द आज तक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी पिछले सभी अनुदेश सम्मिलित हैं ।

वफ्पया पावती दें ।

भवदीय

( जी. श्रीनिवासन )

मुख्य महाप्रबंधक


विषय - सूची

क्रम सं.

ब्योरा

1.

योजना

2.

योजना की प्रमुख विशेषताएँ

3.

निगरानी और समीक्षा

4.

स्पष्टीकरण

5.

सब्सिडी का प्रबंधन

अनुबंध I

सब्सिडी - प्रबंधन पर दिशानिर्देश

अनुबंध II

मासिक प्रगति रिपोर्ट का फार्मेट

अनुबंध III

परिपत्रों की सूची - समेकित


स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

भारत सरकार ने निम्नलिखित वर्तमान तीन योजनाओं के स्थान पर एक सरल और कारगर गरीबी उन्मूलन योजना स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना आरंभ की है ।

व) नेहरु रोज़गार योजना

वव) गरीबों के लिए शहरी बुनियादी आवश्यकताएँ, और

ववव) प्रधानमंत्री समेकित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम

नई योजना के विस्तफ्त दिशानिर्देश सभी बैंकों को 17 नवम्बर 1997 के भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.52/09.16.01/97-98 द्वारा परिचालित कर दिए गए हैं ।

1. योजना

1.1 इस योजना में तीनों योजनाओं की सभी महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं और यह भारत में सभी शहरी नगरों 1 दिसंबर 1997 से परिचालन में है ।

1.2 स्वजशरोयो बेरोजगार अथवा अर्ध रोजगार प्राप्त शहरी गरीबों (गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले) को स्वरोजगार उद्यम लगा कर अथवा मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराने के माध्यम से लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराती है । योजना के अन्तर्गत सामग्री, दोनों प्रकार से, शहरों में गरीबों के लिए मूल सेवाओं के आधार पर स्थापित किए गए सामुदायिक ढाँचे तथा शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से दी जा सकती है । योजना का निधियन केन्द्र तथा राज्य द्वारा 75:25 के अनुपात में किया जाएगा ।

1.3 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना में दो विशेष योजनाएँ सम्मिलित हैं :-

व) शहरी स्व रोज़गार कार्यक्रम

वव) शहरी मजदूरी रोज़गार कार्यक्रम

योजना के अन्य घटकों में शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम के निम्नलिखित वे दो भाग हैं जहाँ बैंकों का ऋण सम्मिलित है :-

1.4 शहरी स्व-रोज़गार कार्यक्रम - शहरी गरीब हिताधिकारी को लाभकारी स्व रोज़गार उद्यम की स्थापना के लिए सहायता - रोजगार उद्यम

व) वे अर्ध रोज़गार प्राप्त अथवा बेरोज़गार युवा, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय

गरीबी रेखा से नीचे हो तथा जिनकी शिक्षा नौवीं कक्षा तक हुई हो, बैंक के ऋण और सरकार से सब्सिडी के पात्र होंगे । 50,000/- रु. तक की लागत वाली परियोजनाओं को बैंक द्वारा वित्त प्रदान किया जाएगा । सरकार द्वारा परियोजना लागत के 15% तक सब्सिडी प्रदान की जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 7500 रु. प्रति हिताधिकारी होगी तथा इसे बैंक ऋण के साथ जोड़ा जाएगा ।

वव) उधारकर्ता को परियोजना लागत का 5% मार्जिन राशि के रुप में लाना होगा ।

भागीदारी की अनुमति उन मामलों में दी जाएगी जहाँ समग्र परियोजना लागत प्रति उधारकर्ता को अनुमत व्यक्तिगत परियोजना लागत के जोड़ के बराबर होगी । ऐसी परियोजनाएँ कुल प्रति व्यक्ति अनुमतिप्राप्त सब्सिडी के समान सब्सिडी की पात्र होंगी तथा प्रत्येक सदस्य को मार्जिन राशि के रुप में परियोजना लागत के अपने हिस्से का 5 प्रतिशत लाना होगा ।

ववव) स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना के शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम के

अन्तर्गत लक्ष्य योजना के दिशानिर्देशों के अनुरुप तथा योजना के परिचालन का पर्याप्त लचीलापन सुनिश्चित करने हेतु हिताधिकारियों के सर्वेक्षण के परिणाम के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाएंगे ।

1.5 शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास

इस कार्यक्रम में समूह में स्वरोजगार उद्यम स्थापित करने का निर्णय करने वाली शहरी गरीब महिलाओं को विशेष प्रोत्साहन का उल्लेख किया गया है । ऐसे समूह अपने कौशल,प्रशिक्षण,योग्यता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कोई भी आर्थिक गतिविधि आरंभ कर सकते हैं ।शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के विकास के समूह में कम से कम 10 शहरी गरीब महिलाएँ होनी चाहिए तथा वह समूह 1,25,000 रु. अथवा परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, सब्सिडी का पात्र होगा । समूह को थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी के रुप में स्वयं को स्थापित करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए ।


2. प्रमुख विशेषताएँ

2.1 वास्तविक हिताधिकारियों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना चाहिए । शहरी गरीबों की पहचान के लिए शहरी गरीबी रेखा के आर्थिक मानदण्ड के साथ-साथ गैर आर्थिक मानदण्ड भी लागू किए जाने चाहिए । नगर शहरी गरीबी उन्मूलन कक्ष/शहरी स्थानीय निकायों के दिशानिर्देशों के अन्तर्गत इस कार्य के लिए सामुदायिक विकास समितियों जैसे सामुदायिक ढाँचों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए ।

2.2 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम/शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास घटक के अन्तर्गत सब्सिडी राशि को अन्तिम उपयोगिता सब्सिडी समझा जाना चाहिए ।

2.3 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत महिला हिताधिकारी 30 प्रतिशत से कम नहीं होने चाहिए । अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हिताधिकारियों को स्थानीय जनसंख्या में उनके अनुपात के अनुसार लाभान्वित किया जाना चाहिए । योजना के अन्तर्गत विकलांगों के लिए 3 प्रतिशत का विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए ।

योजना के अन्तर्गत प्रदान किए जाने वाले ऋणों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार के रुप में गिना जाना चाहिए तथा तदनुसार 25000 रु. के ऋण आवेदन पत्रों का निपटान 15 दिन के अन्तर्गत तथा 25000/- रु. से अधिक के ऋण आवेदनपत्रों का निपटान 8 से 9 सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए ।

आवेदन पत्र में एक ऐसा खंड होना चाहिए जिसमें राज्य/केन्द्र सरकार के किसी बैंकिंग/वित्तीय संस्थान से आवेदक द्वारा लिए गए ऋण का ब्योरा, चुकौती का ब्योरा तथा इस प्रकार उपयेाग की गई सुविधा, यदि कोई हो, के संबंध में बकाया राशि का उल्लेख हो । आवेदक द्वारा आवेदनपत्र में दिया गया ब्योरा उसके द्वारा प्रमाणित किया हो । आवेदक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, यदि बैंक उधारकर्ता की स्थिति से सन्तुष्ट हैं तो वे "अदेयता प्रमाणपत्र" प्रस्तुत करने में छूट देने पर विचार कर सकते हैं ताकि ऋणों के संवितरण में होने वाले विलम्ब से बचा जा सके । यदि संबंधित बैंक उस क्षेत्र में अन्य बैंकों में उधारकर्ता के ऋण खाते की स्थिति का सत्यापन करने का निर्णय लेता है तो वह अन्य बैंकों को यह अनुरोध करते हुए आवेदकों की सूची, डुप्लिकेट में भेजे कि वे उसकी दूसरी प्रति विधिवत सत्यापित कराके भेजें । जिन बैंकों को सत्यापन के लिए मामले भेजे गए हैं उन्हें अधिकतम 10 दिन की अवधि में जानकारी अथवा उनकी देय राशि का ब्योरा उपलब्ध कराना चाहिए । यदि सत्यापन के अनुरोध के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो यह मान लिया जाएगा कि बैंक के प्रति उसकी कोई देयता नहीं है । साथ ही, यह अन्तर बैंक सूचना का आदान-प्रदान पारस्परिक आधार पर होने के कारण, अदेयता प्रमाणपत्र देने के लिए सेवा प्रभार नहीं लिया जाना चाहिए ।

2.6 आवेदनपत्रों का निरसन - शाखा प्रबंधक आवेदनपत्रों को अस्वीवफ्त कर सकते हैं (अजा/अजजा के अतिरिक्त) तथ इस प्रकार के अस्वीवफ्त मामलों का सत्यापन बाद में मंडल/क्षेत्रीय प्रबंधकों द्वारा किया जाना चाहिए । अजा/ अजजा के प्रस्तावों के मामले में अस्वीवफ्ति शाखा प्रबंधक से उच्चतर स्तर पर होनी चाहिए । इसके अतिरिक्त,अस्वीवफ्ति तुच्छ आधार पर नहीं होनी चाहिए । अस्वीवफ्ति के कारण आवेदन लौटाते समय प्रायोजक एजेंसी को भी बताने चाहिए ।

2.7 स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र उद्यमी बैंक से 50,000/-रु. तक ऋण ले सकता है तथा इस ऋण और 3.00 लाख रु. तक के सामूहिक ऋण के लिए संपार्श्विक/गारंटी की कोइर् आवश्यकता नहीं होगी। मार्जिन और सरकार द्वारा सब्सिडी के अतिरिक्त, उधारकर्ता बैंक ऋण से सफ्जित आस्तियों को बैंक के पास दृष्टिबंधक/बंधक/गिरवी रखेगा ।

2.8 योजना के अन्तर्गत चयनित उद्यमियों को सरकार द्वारा उद्यमिता विकास सहायता तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा । योजना के अन्तर्गत ऋण संवितरण से पहले प्रशिक्षण एक आवश्यक घटक है । यदि उधारकर्ता ने किसी पंजीवफ्त गैर सरकारी संगठन/स्वैच्छिक संगठन से प्रशिक्षण प्राप्त किया हो अथवा मोचीगिरी, बढ़ईगिरी इत्यादि सीखी हो अथवा किसी निजी/सरकारी पंजीवफ्त निकाय से प्रशिक्षा के रुप में कारोबार सीखा हो तथा निजी/सरकारी पंजीवफ्त कम्पनी से, जैसा भी मामला हो, इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त किया हो तो इस अपेक्षा से छूट दी जा सकती है । तथापि, उन गतिविधियों के लिए ऋण स्वीवफ्त करने हेतु प्रशिक्षण को शर्त नहीं माना जाना चाहिए जहाँ विशेष कौशल की आवश्यकता न हो ।

2.9 योजना के अन्तर्गत ऋणों पर ब्याज भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी ब्याज दर निदेशों के अनुसार लगाया जाएगा ।

2.10 किसी बैंक/वित्तीय संस्थान का चूककर्ता योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र नहीं होगा ।

2.11 स्वयं सहायता समूह 10 फरवरी 1998 के परिपत्र डीबीओडी.सं. डीआइआर.

बीसी.11/13.01.08/98 में विहित निदेशों के अनुसार बचत बैंक खाता खोलने के पात्र हैं ।


3. निगरानी और समीक्षा

3.1 अनुबंध (1) में दिए प्रोपार्मा के अनुसार योजना के अन्तर्गत भारतीय रिज़र्व

बैंक को तिमाही प्रगति रिपोर्टें भेजी जाएँ । योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए बैंक शाखाओं/नियंत्रक/आँचलिक कार्यालयों द्वारा उसी फार्मेट का प्रयोग किया जाए ।

3.2 योजना की निगरानी जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति तथा राज्य स्तरीय

बैंकर्स समिति द्वारा उनकी आवधिक बैठकों में की जाएगी ।


4. स्पष्टीकरण

कुछ बैंकों द्वारा उठाए गए मुद्दों/प्रश्नों के संबंध में स्पष्टीकरण नीचे प्रस्तुत है :-

4.1 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना (सामान्य)

व) न्यूनतम/अधिकतम आयु सीमा : कोई निर्धारित सीमा नहीं

वव) सब्सिडी की पात्रता : सब्सिडी,परियोजना लागत का 15 प्रतिशत होगी जिसकी अधिकतम सीमा 7500/- रु. प्रति हिताधिकारी होगी (शहरी स्व रोजगार कार्यक्रम के लिए) तथा यह बैंक ऋण से जुड़ी होगी ।

ववव) परिवार की परिभाषा : परिवार की पहचान अलग रसोई के आधार पर की जाएगी ।

वख्) कवरेज :

(क) स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार योजना किसी भी श्रेणी के शहरी स्थानीय निकाय के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी क्षेत्रों में लागू होगी ; चाहे जनसंख्या कुछ भी हो ।

(ख) वे उधारकर्ता जिन्हें पूर्ववर्ती शहरी व्यष्टि उद्यम योजना के अन्तर्गत ऋण/सब्सिडी स्वीवफ्त हुई थी लेकिन वे पूरी राशि आहरित नहीं कर पाए, उन्हें स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत बढ़े हुए ऋण/सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने की अनुमति है ।

4.2 डीडब्ल्यूसीयूए उप-योजना

व) प्रति हिताधिकारी/समूह ऋण घटक : पूरे समूह के लिए कुल परियोजना

लागत का 50 प्रतिशत ।

वव) डीडब्ल्यूसीयूए समूह के लिए परियोजना लागत के 50 प्रतिशत के

वित्तपोषण का स्वरुप :- बैंक ऋण द्वारा, पूरे समूह के लिए मार्जिन राशि के रुप में 5 प्रतिशत के प्रावधान के अधीन ।

ववव) प्रति हिताधिकारी/समूह परियोजना लागत :-कोई अधिकतम सीमा

निर्धारित नहीं । ऐसे मामलों में शहरी क्षेत्रों में महिला व बाल विकास समूह परियोजना लागत 2,50,000/- रु. से अधिक होने पर परियोजना लागत में सब्सिडी (1.25.000/- रु.) तथा परियोजना लागत का 5 प्रतिशत मार्जिन राशि कम करके बैंक ऋण घटक माना जाएगा चाहे यह परियोजना लागत से 50 प्रतिशत अधिक हो ।

वख्) मार्जिन राशि प्रति हिताधिकारी/समूह :- समग्र समूह द्वारा परियोजना

लागत का 5 प्रतिशत मार्जिन राशि के रुप में अंशदान किया जाएगा ।

ख्) ऋण की चुकौती :- व्यक्तिगत स्व रोज़गार के लिए शहरी स्व रोजगार

कार्यक्रम के समान ।

ख्व) आय मानदंड :- समूह के प्रत्येक सदस्य को योजना आयोग द्वारा

निर्धारित कार्यालयीन कार्य प्रणाली के अनुसार शहरी गरीबी मानदंड पूरे करने होंगे । स्वर्ण जयन्ती स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत हिताधिकारियों की पहचान मासिक प्रति व्यक्ति आधार पर की जाएगी न कि वार्षिक पारिवारिक आय के आधार पर ।


5. सब्सिडी का प्रबंधन

5.1 स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार योजना के शहरी स्व रोजगार कार्यक्रम और शहरी

क्षेत्रों में महिला और बाल विकास के घटक के अन्तर्गत सब्सिडी के प्रबंधन से संबंधित दिशानिर्देश अनुबध (घ्) में प्रस्तुत हैं ।

5.2 यह नोट किया जाए कि स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के घटक शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम/शहरी क्षेत्रों के महिला व बाल विकास के अन्तर्गत सब्सिडी को 2 वर्ष की निश्चित अवरुध्दता अवधि सहित अन्तिम उपयोग सब्सिडी माना जाएगा । परिपक्वता अवधि समाप्ति पर सब्सिडी राशि ऋण की चुकौती के लिए उपयोग में लायी जाए / समायोजित की जाए । उधारकर्ता को देय सब्सिडी को उधारकर्ता के नाम में आवधिक जमाराशि के बजाय उधारकर्ता-वार सब्सिडी आरक्षित निधि खाते में रखा जाए । उसके बाद, बैंकों द्वारा "सब्सिडी आरक्षित निधि खाता " में रखी गयी सब्सिडी राशि पर भी बचत खाते जैसे ही ब्याज अर्जित होना चाहिए, जो ऋणों के कुछ अंतिम किस्तों के प्रति समायोजित किया जाए ।

5.3 परियोजना लागत (हिताधिकारी को संवितरित सब्सिडी राशि सहित) की गणना करने के लिए बैंकों को ऋण और सब्सिडी घटक के बीच स्पष्ट अंतर रखना चाहिए और ऋण घटक पर ब्याज लगाना चाहिए । उन मामलों में, जहां सब्सिडी नहीं दी गयी है (जहां योजना के अंतर्गत सहायता के लिए हिताधिकारी अपात्र हैं), बैंकों को सब्सिडी राशि भारत सरकार को लौटानी चाहिए ।

5.4 सब्सिडी का वह हिस्सा जो अंतिम उपयोगिता के रुप में दिया गया हो उसके प्रबंध के संबंध में, जब स्वजशरोयो के अंतर्गत ऋण अशोध्य/संदिग्ध/चुकौती के लिए लंबी अवधि तक अतिदेय होता है, और जिसके संबंध में बैंक निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम के पास दावा दायर करेंगे, यह स्पष्ट किया जाता है कि ऋण की समाप्ति के समय व्यवहार की समाप्ति पर चूक किये गये ऋण के प्रति सब्सिडी राशि समायोजित की जाए बशर्ते कि :-

व) उन परिस्थितियों में जब ऋणों की वसूली अशोध्य और संदिग्ध होकर बैंकों के नियंत्रण से परे हो जाती हैं,

वव) स्वीवफ्ति के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया तथा ऋण का संवितरण, संवितरण पश्चात पर्यवेक्षण आदि, मुख्य/नियंत्रक कार्यालयों द्वारा जारी अनुदेशों के अनुरुप किया जाता है और

ववव) ऋणों का दुरुपयोग नहीं किया गया हो । ऋण के दुरुपयोग के मामले में सब्सिडी वापस करना आवश्यक है / बैंकों द्वारा दावा नहीं किया जाना है ।

5.5 नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात/सांविधिक चलनिधि अनुपात के प्रयोजन के लिए सब्सिडी प्रारक्षित निधि खाते में बकाया जमा राशि को मांग और मीयादी देयताओं का अंश नहीं मानना चाहिए ।


अनुबंध I

मास्टर परिपत्र

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधार -विशेष कार्यक्रम

व्यष्टि उद्यमों के निर्माण और स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना

(एसजेएसआरवाइ) के शहरी क्षेत्रों में महिला और बाल विकास

(डीडब्ल्यूसीयूए) के माध्यम से शहरी स्वरोजगार के घटकों के

अंतर्गत सब्सिडी के प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देश

(पैराग्राफ 5.1 के अनुसार)

  1. प्रत्येक राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी/एसयूडीए को केंद्र सरकार से प्राप्त राशि और राज्य सरकार से प्राप्त सब्सिडी घटक के बराबर की राशि जोड़कर जिला स्तरीय एजेंसियों/जिला शहरी विकास एजेंसियों को मोटे तौर पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में से संवितरित की जाएगी ।
  2. उसके बाद, जिला स्तरीय एजेंसी/डीयूडीए, जिले में प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय द्वारा जनसंख्या को दी जानेवाली सुविधा के अनुपात में विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों के बीच कुल सब्सिडी संवितरित की जाएगी ।
  3. दोनों घटकों के लिए शहरी स्थानीय निकाय-वार सब्सिडी का आबंटन निर्धारित करने पर शहरी स्थानीय निकाय बचत बैंक खाते खोलेंगे । आबंटित सब्सिडी जिसमें जमा की जाए, उसका शीर्षक निम्नानुसार होगा :-

  1. " (शहरी स्थानीय निकाय का नाम लिखें) खाता - एसजेएसआरवाइ-शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूसेप) के अंतर्गत व्यष्टि उद्यम और कौशल विकास के निर्माण के माध्यम से शहरी स्वरोजगार हेतु सब्सिडी । "
  2. "(शहरी स्थानीय निकाय का नाम लिखें) खाता - एसजेएसआइवाइ-शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बाल विकास हेतु सब्सिडी ।"

  1. उपर्युक्त खाते नामे डालने संबंधी अनुदेशों पर शहरी स्थानीय निकाय के अध्यक्ष और उसके मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा संयुक्त रुप से हस्ताक्षर होने चाहिए । यदि शहरी स्थानीय निकाय अधिक्रमणित हो तो, शहरी स्थानीय निकाय के प्रशासक/ओएसडी/सीइओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) और एक अन्य अधिकारी द्वारा खाता परिचालित किया जाए ।
  2. उपर्युक्त खातों में जमा की गयी सब्सिडी राशि संबंधित बैंकों द्वारा ऋण राशियों के साथ विमोचित की जाए । वैसे, शहरी स्थानीय निकायों को चेक बुक जारी करने की आवश्यकता नहीं है । जिला स्तरीय नोडल एजेन्सी/डीयूडीए जिले के उपर्युक्त खाता धारक विभिन्न बैंकों के प्रबंधकों को यथोचित अनुदेश दे सकते हैं कि वे ऐसे खातों के लिए कोई चेक बुक जारी न करें ।
  3. राष्ट्रीयवफ्त बैंक या अनुसूचित बैंक में ही उपर्युक्त खाते खोले जा सकते हैं ।
  4. बैंक खाता खोलने/परिचालन से संबंधित अनुदेश अविकल्पी होंगे और शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की लिखित सहमति के बिना रुपांतरित/ आशोधित/ परिवर्तित/निरस्त/वापस नहीं ले सकते ।

अनुबंध घ्घ्घ्

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं.

परिपत्र सं.

दिनांक

विषय

1.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.52/09.06.01/ 97-98

17.11.1997

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

2.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.54/09.06.01/ 97-98

25.11.1997

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

3.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.96/09.06.01/

97-98

02.03.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

4.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.115/09.06.01/97-98

05.05.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

5.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.5/09.06. 01/98-99

08.07.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) वास्तविक लक्ष्य का निर्धारण

6.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.6/09.06.01/ 98-99

18.07.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) स्पष्टीकरण

7.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.100/09.06.01/98-99

29.05.1999

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना का कार्यान्वयन

8.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.69/09.06.01/

99-2000

14.03.2000

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)का कार्यान्वयन

 

9.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.33/09.06.01/

2000-01

04.11.2000

सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम - बैंकों द्वारा संपार्श्विक प्रतिभूति का आग्रह

10.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.37/09.06.01/

2000-01

24.11.2000

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) - कार्यान्वयन

11

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.54/09.06.01/ 2000-01

12.02.2001

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) - के अंतर्गत रिपोर्टिंग प्रणाली की प्रगति

12.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.58/09.06.01/ 2000-01

26.02.2001

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) -

के अंतर्गत स्वरोजगार गतिविधियों हेतु पूर्व प्रशिक्षण

13.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.27/09.06.01/ 2001-02

21.09.2001

एसजेएसआरवाइ के अंतर्गत रिपोर्टिंग प्रणाली की प्रगति

14.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.38/09.04.01/

2001-02

12.11.2001

निजी क्षेत्र के बैंकों का कार्यनिष्पादन - सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाएं

15.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.66/09.06.01/

2002-03

07.03.2002

एसजेएसआरवाइ के अंतर्गत सब्सिडी राशि का लेखा

16.

ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी. 73/09.04.01/2001-2002

2.4.2002

"अदेयता प्रमाणपत्र" प्राप्त करना - सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत उधार

 

17.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.116/09.16.01/2002-03

15.07.2002

जानकारी का आदान-प्रदान - शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत ऋण और सब्सिडी - स्वर्णजयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

18.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.50/09.16.01/

2002-03

4.12.2002

एसजेएसआरवाइ का कार्यान्वयन

19.

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.05/09.16.01/2003-04

7.7.2003

जानकारी का आदान-प्रदान - शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत ऋण और सब्सिडी - स्वर्णजयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

20.

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.72/09.01.01/2003-04

25.03.2004

विवरणियों की आवधिकता में परिवर्तन

21.

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.80/09.16.01/2003-04

8.5.2004

स्वजशरोयो के अंतर्गत अशोध्य और संदिग्ध ऋण सब्सिडी राशि का समायोजन

22.

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.06/09.16.01/2004-05

17.7.2004

स्वजशरोयो - आर्थिक सहायता के अंतिम भाग का प्रशासन और समायोजन सब्सिडी हिस्से पर ब्याज का भुगतान



अनुबंध - घ्

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

दिनांक 1/12/1997 से -----------को समाप्त तिमाही तक संचयी प्रगति रिपोर्ट

पफ्ष्ठ 1

1. वित्तीय कार्यनिष्पादन : (क) बैंकों द्वारा संवितरित सब्सिडी: ( लाख रु. में)

क्रम सं.

राज्य/संघशासित क्षेत्र का नाम

यूसेप (सब्सिडी) के अंतर्गत यूसेप के उप-घटक एसजेएसआरवाइ के घटक

डीडब्ल्यूसीयूए (सब्सिडी) के अंतर्गत यूसेप के उप-घटक एसजेएसआरवाइ के घटक

यूसेप (सब्सिडी) और डीब्ल्यूसीयूए (सब्सिडी) दोनों मिलाकर

   

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 3 से 6 तक

कुल में से महिलाओं को

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 9 से 12 तक

यूसेप(एस) और डीब्ल्यूसीयूए (एस) दोनों के अंतर्गत सभी हिताधिकारियों को संवितरित वुल सब्सिडी (कॉलम 7+13)

यूसेप (एस) और डीब्ल्यूसीयूए (एस) के अंतर्गत महिला हिताधिकारियों को संवितरित कुल सब्सिडी (कॉलम 8+13)

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

15

1.

आंध्र प्रदेश

                         

2.

अरुणाचल प्रदेश

                         

3.

असम

                         

4.

िबहार

                         

5.

छत्तीसगढ़

                         

6.

गोवा

                         

7.

गुजरात

                         

8.

हरियाणा

                         

9.

हिमाचल प्रदेश

                         

10.

जम्मू और कश्मीर

                         

11.

झारखंड

                         

12.

कर्नाटक

                         

13.

केरल

                         

14.

मध्य प्रदेश

                         

15.

महाराष्ट्र

                         

16.

मणिपुर

                         

17.

मेघालय

                         

18.

मिज़ोरम

                         

19.

नगालैंड

                         

20.

उड़ीसा

                         

21.

पंजाब

                         

22.

राजस्थान

                         

23.

सिक्किम

                         

24.

तमिलनाडु

                         

25.

त्रिपुरा

                         

26.

उत्तरांचल

                         

27.

उत्तर प्रदेश

                         

28.

पश्चिम बंगाल

                         

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

                         

30.

चंडीगढ़

                         

31.

दादरा और नगर हवेली

                         

32.

दमन और दीव

                         

33.

दिल्ली

                         

34.

पांडिचेरी

                         
 

कुल

                         

 

 

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

दिनांक 1/12/1997 से -----------को समाप्त तिमाही तक संचयी प्रगति रिपोर्ट

पफ्ष्ठ 2

1. (ख) बैंकों द्वारा संवितरित ऋण: ( लाख रु. में)

क्रम सं.

राज्य/संघशासित क्षेत्र का नाम

यूसेप के अंतर्गत (सब्सिडी) उप-घटक

डीडब्ल्यूसीयूए के अंतर्गत (सब्सिडी) उप-घटक

यूसेप (सब्सिडी) और डीब्ल्यूसीयूए (सब्सिडी) दोनों मिलाकर

   

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 3 से 6 तक

कुल में से महिलाओं को

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 9 से 12 तक

यूसेप(एस) और डीब्ल्यूसीयूए (एस) दोनों के अंतर्गत सभी हिताधिकारियों को संवितरित वुल ऋण (कॉलम 7+13)

यूसेप (एस) और डीब्ल्यूसीयूए (एस) के अंतर्गत महिला हिताधिकारियों को संवितरित कुल ऋण (कॉलम 8+13)

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

15

1.

आंध्र प्रदेश

                         

2.

अरुणाचल प्रदेश

                         

3.

असम

                         

4.

िबहार

                         

5.

छत्तीसगढ़

                         

6.

गोवा

                         

7.

गुजरात

                         

8.

हरियाणा

                         

9.

हिमाचल प्रदेश

                         

10.

जम्मू और कश्मीर

                         

11.

झारखंड

                         

12.

कर्नाटक

                         

13.

केरल

                         

14.

मध्य प्रदेश

                         

15.

महाराष्ट्र

                         

16.

मणिपुर

                         

17.

मेघालय

                         

18.

मिज़ोरम

                         

19.

नगालैंड

                         

20.

उड़ीसा

                         

21.

पंजाब

                         

22.

राजस्थान

                         

23.

सिक्किम

                         

24.

तमिलनाडु

                         

25.

त्रिपुरा

                         

26.

उत्तरांचल

                         

27.

उत्तर प्रदेश

                         

28.

पश्चिम बंगाल

                         

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

                         

30.

चंडीगढ़

                         

31.

दादरा और नगर हवेली

                         

32.

दमन और दीव

                         

33.

दिल्ली

                         

34.

पांडिचेरी

                         
 

कुल

                         

 

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

दिनांक 1/12/1997 से -----------को समाप्त तिमाही तक संचयी प्रगति रिपोर्ट

पफ्ष्ठ 3(व)

11. वास्तविक कार्यनिष्पादन : (क) यूसेप (सब्सिडी) के अंतर्गत संवितरित ऋण,उप-घटक: ( लाख रु. में)

क्रम सं.

राज्य/संघशासित क्षेत्र का नाम

बैंकों द्वारा प्राप्त आवेदनों की संख्या

बैंकों द्वारा संवितरित आवेदनों की संख्या

   

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 3 से 6 तक

कुल में से महिलाओं को

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कॉलम 9 से 12 तक

कुल में से महिलाओं को

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

1.

आंध्र प्रदेश

                       

2.

अरुणाचल प्रदेश

                       

3.

असम

                       

4.

बिहार

                       

5.

छत्तीसगढ़

                       

6.

गोवा

                       

7.

गुजरात

                       

8.

हरियाणा

                       

9.

हिमाचल प्रदेश

                       

10.

जम्मू और कश्मीर

                       

11.

झारखंड

                       

12.

कर्नाटक

                       

13.

केरल

                       

14.

मध्य प्रदेश

                       

15.

महाराष्ट्र

                       

16.

मणिपुर

                       

17.

मेघालय

                       

18.

मिज़ोरम

                       

19.

नगालैंड

                       

20.

उड़ीसा

                       

21.

पंजाब

                       

22.

राजस्थान

                       

23.

सिक्किम

                       

34.

तमिलनाडु

                       

25.

त्रिपुरा

                       

26.

उत्तरांचल

                       

27.

उत्तर प्रदेश

                       

28.

पश्चिम बंगाल

                       

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

                       

30.

चंडीगढ़

                       

31.

दादरा और नगर हवेली

                       

32.

दमन और दीव

                       

33.

दिल्ली

                       

34.

पांडिचेरी

                       
 

कुल

                       

 

दिनांक 1.12.1997 से -----------------को समाप्त तिमाही तक संचयी प्रगति रिपोर्ट

पफ्ष्ठ 3 (वव)

क्रम सं.

राज्य/संघशासित क्षेत्र का नाम

बैंकों द्वारा वापस किये गये आवेदनों की संख्या

बैंकों के पास लंबित आवेदनों की संख्या

   

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कालम 15 से 18 तक

कुल में से महिलाओं को

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल कालम 21 से 24 तक

कुल में से महिलाओं को

1

2

15

16

17

18

19

20

21

22

23

24

25

26

1.

आंध्र प्रदेश

                       

2.

अरुणाचल प्रदेश

                       

3.

असम

                       

4.

बिहार

                       

5.

छत्तीसगढ़

                       

6.

गोवा

                       

7.

गुजरात

                       

8.

हरियाणा

                       

9.

हिमाचल प्रदेश

                       

10.

जम्मू और कश्मीर

                       

11.

झारखंड

                       

12.

कर्नाटक

                       

13.

केरल

                       

14.

मध्य प्रदेश

                       

15.

महाराष्ट्र

                       

16.

मणिपुर

                       

17.

मेघालय

                       

18.

मिज़ोरम

                       

19.

नगालैंड

                       

20.

उड़ीसा

                       

21.

पंजाब

                       

22.

राजस्थान

                       

23.

सिक्किम

                       

24.

तमिलनाडु

                       

25.

त्रिपुरा

                       

26.

उत्तरांचल

                       

27.

उत्तर प्रदेश

                       

28.

पश्चिम बंगाल

                       

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

                       

30.

चंडीगढ़

                       

31.

दादरा और नगर हवेली

                       

32.

दमन और दीव

                       

33.

दिल्ली

                       

34.

पांडिचेरी

                       
 

कुल

                       

 

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

दिनांक 1/12/1997 से -----------को समाप्त तिमाही तक संचयी प्रगति रिपोर्ट

 

घ्घ्. (ख) डीडब्ल्यूसीयूए (सब्सिडी) उप-घटक के अंतर्गत ऋण संवितरण पफ्ष्ठ 4 ( व )

क्रम सं.

राज्य / संघ शासित क्षेत्र का नाम

बैंकों द्वारा प्राप्त डीब्ल्यूसीयूए समूह के आवेदनों की कुल संख्या

बैंकों द्वारा प्राप्त आवेदनों की संख्या

     

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल (कॉलम 4 से 7 तक)

1.

2.

3.

4.

5.

6.

7.

8.

1.

आंध्र प्रदेश

           

2.

अरुणाचल प्रदेश

           

3.

असम

           

4.

बिहार

           

5.

छत्तीसगढ़

           

6.

गोवा

           

7.

गुजरात

           

8.

हरियाणा

           

9.

हिमाचल प्रदेश

           

10.

जम्मू और कश्मीर

           

11.

झारखंड

           

12.

कर्नाटक

           

13.

केरल

           

14.

मध्य प्रदेश

           

15.

महाराष्ट्र

           

16.

मणिपुर

           

17.

मेघालय

           

18.

मिज़ोरम

           

19.

नगालैंड

           

20.

उड़ीसा

           

21.

पंजाब

           

22.

राजस्थान

           

23.

सिक्किम

           

24.

तमिलनाडु

           

25.

त्रिपुरा

           

26.

उत्तरांचल

           

27.

उत्तर प्रदेश

           

28.

पश्चिम बंगाल

           

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

           

30.

चंडीगढ़

           

31.

दादरा और नगर हवेली

           

32.

दमन और दीव

           

33.

दिल्ली

           

34.

पांडिचेरी

           
 

कुल

           
               

 

पफ्ष्ठ 4 (वव)

क्रम सं.

राज्य / संघ शासित क्षेत्र का नाम

बैंकों द्वारा डीब्ल्यूसीयूए समूह के संवितरित आवेदनों की कुल संख्या

बैंकों द्वारा संवितरित डीडब्ल्यूसीयूए समूह आवेदनों के ब्यौरे

     

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल (कॉलम 10 से 13 तक)

1.

2.

9.

10.

11.

12.

13.

14.

1.

आंध्र प्रदेश

           

2.

अरुणाचल प्रदेश

           

3.

असम

           

4.

बिहार

           

5.

छत्तीसगढ़

           

6.

गोवा

           

7.

गुजरात

           

8.

हरियाणा

           

9.

हिमाचल प्रदेश

           

10.

जम्मू और कश्मीर

           

11.

झारखंड

           

12.

कर्नाटक

           

13.

केरल

           

14.

मध्य प्रदेश

           

15.

महाराष्ट्र

           

16.

मणिपुर

           

17.

मेघालय

           

18.

मिज़ोरम

           

19.

नगालैंड

           

20.

उड़ीसा

           

21.

पंजाब

           

22.

राजस्थान

           

23.

सिक्किम

           

24.

तमिलनाडु

           

25.

त्रिपुरा

           

26.

उत्तरांचल

           

27.

उत्तर प्रदेश

           

28.

पश्चिम बंगाल

           

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

           

30.

चंडीगढ़

           

31.

दादरा और नगर हवेली

           

32.

दमन और दीव

           

33.

दिल्ली

           

34.

पांडिचेरी

           
 

कुल

           

 

पफ्ष्ठ 4 (ववव)

क्रम सं.

राज्य / संघ शासित क्षेत्र का नाम

बैंकों द्वारा डीब्ल्यूसीयूए समूह के वापस किये गये आवेदनों की कुल संख्या

बैंकों द्वारा वापस किये गये डीडब्ल्यूसीयूए समूह आवेदनों के ब्यौरे

     

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल (कॉलम 16 से 19 तक)

1.

2.

15.

16.

17.

18.

19.

20.

1.

आंध्र प्रदेश

           

2.

अरुणाचल प्रदेश

           

3.

असम

           

4.

बिहार

           

5.

छत्तीसगढ़

           

6.

गोवा

           

7.

गुजरात

           

8.

हरियाणा

           

9.

हिमाचल प्रदेश

           

10.

जम्मू और कश्मीर

           

11.

झारखंड

           

12.

कर्नाटक

           

13.

केरल

           

14.

मध्य प्रदेश

           

15.

महाराष्ट्र

           

16.

मणिपुर

           

17.

मेघालय

           

18.

मिज़ोरम

           

19.

नगालैंड

           

20.

उड़ीसा

           

21.

पंजाब

           

22.

राजस्थान

           

23.

सिक्किम

           

24.

तमिलनाडु

           

25.

त्रिपुरा

           

26.

उत्तरांचल

           

27.

उत्तर प्रदेश

           

28.

पश्चिम बंगाल

           

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

           

30.

चंडीगढ़

           

31.

दादरा और नगर हवेली

           

32.

दमन और दीव

           

33.

दिल्ली

           

34.

पांडिचेरी

           
 

कुल

           

पफ्ष्ठ 4 (वख्)

क्रम सं.

राज्य / संघ शासित क्षेत्र का नाम

बैंकों के पास डीब्ल्यूसीयूए समूह के लंबित आवेदनों की कुल संख्या

बैंकों के पास डीडब्ल्यूसीयूए समूह के लंबित आवेदनों के ब्यौरे

     

सामान्य

अजा

अजजा

विकलांग

कुल (कॉलम 22 से 25 तक)

1.

2.

21.

22.

23.

24.

25.

26.

1.

आंध्र प्रदेश

           

2.

अरुणाचल प्रदेश

           

3.

असम

           

4.

बिहार

           

5.

छत्तीसगढ़

           

6.

गोवा

           

7.

गुजरात

           

8.

हरियाणा

           

9.

हिमाचल प्रदेश

           

10.

जम्मू और कश्मीर

           

11.

झारखंड

           

12.

कर्नाटक

           

13.

केरल

           

14.

मध्य प्रदेश

           

15.

महाराष्ट्र

           

16.

मणिपुर

           

17.

मेघालय

           

18.

मिज़ोरम

           

19.

नगालैंड

           

20.

उड़ीसा

           

21.

पंजाब

           

22.

राजस्थान

           

23.

सिक्किम

           

24.

तमिलनाडु

           

25.

त्रिपुरा

           

26.

उत्तरांचल

           

27.

उत्तर प्रदेश

           

28.

पश्चिम बंगाल

           

29.

अंड़मान और निकोबार द्वीपसमूह

           

30.

चंडीगढ़

           

31.

दादरा और नगर हवेली

           

32.

दमन और दीव

           

33.

दिल्ली

           

34.

पांडिचेरी

           
 

कुल

           

 

मास्टर परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक के वेबसाइट www.rbi.org.in में भी देखा जा सकता है और वहां से डाउनलोड किया जा सकता है ।

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