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असेट प्रकाशक

79145300

इंडिया मिलेनियम डिपाझिटस् (आइएमडीएस)

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001

ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.18

अक्तूबर 19, 2000

प्रति
विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय,

इंडिया मिलेनियम डिपाझिटस् (आइएमडीएस)

भारतीय स्टेट बैंक को "इंडिया मिलेनियम डिपाझिटस" नामक योजना जारी करने की अनुमति दी गई है । योजना के ब्यौरे भारतीय स्टेट बैंक द्वारा घोषित की जायेगी ।

2. प्राधिकृत व्यापारियों को आइएमडी के धारकों के लिए व्यक्तिगत प्रयोजन हेतु और कृषि/बागान गतिविधियों पर पुन: उधार देना अथवा स्थावर संपदा में निवेश करना को छोड़कर व्यापार गतिविधियों को चलाने हेतु भारत में अप्रत्यावर्तनीय रुपया में ऋण प्रदान करने के लिए अनुमति दी गई है । अनिवासी भारतीयों को भी और (न कि विदेशी वाणिज्य उधार) विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति के अभिग्रहण और स्थानांतरण) विनियमावली 2000 के अनुसार निम्नलिखित शर्तों के अधीन अचल संपत्ति के अभिग्रहण हेतु अप्रत्यावर्तनीय रुपयों में ऋण प्रदान कर सकते हैं ।

i) ऋण जमाराशियों के मुल्य और प्रोदभूत बयाज द्वारा पूर्णतय: सुरक्षित होनी चाहिए ।
ii) मार्जिन, ब्याज दर आदि से संबंधित विनियम रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित के अनुसार होंगे ।
iii) ऋण की अवधि जमाराशियों की परिपक्वता असमाप्त अवधि से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
iv) ऋण की चुकौती विदेश से प्रेषण अथवा जमाराशियों के आगमों की परिपक्वता अथवा जमाराशि धारक द्वारा भारत में धारित निधियों में से की जानी चाहिए ।

3. प्राधिकृत व्यापारी खाता धारकों को भी अप्रत्यावर्तन पर भारत में प्रत्यक्ष निवेश्ं करने के उद्देशार्थ ऋण प्रदान कर सकते हैं बशर्ते विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का स्थानांतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में फर्म अथवा स्वामित्व संस्था में निवेश) विनियमावली 2000 का अनुपालन किया गया हो और उक्त पैरा 2 में दी गई शर्तों के अधीन हो।

ऋण राशि का वितरण आइएमडी धारक की ओर से निवेशी फर्म/कंपनी को सीधे करें ।

4. प्राधिकृत व्यापारी भारत में निवासी व्यक्तिगतों /फर्मों/ कंपनियों को आइएमडी के संपार्श्विक पर ऋण /ओवरड्राफ्ट सामान्य मापदंडों और निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रदान कर सकते हैं :-

i) अनिवासी जमाकर्ता को उसकी जमाराशियों को गिरवी रखने के लिए वहाँ पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा प्रतिफल न हो ताकि निवासी फ्ण प्राप्त कर सकें ।

ii) ऋण की अवधि आइएमडी की असमाप्त परिपक्वता से अधिक नहीं होनी चाहिए ।

iii) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित के अनुसार मार्जिन, ब्याज दर, ऋण को प्रयोजन के संबंधित विनियमों का अनुसरण किया गया हो ।

iv) ऋण का उपयोग कृषि /बागान गतिविधियों अथवा स्थावर संपदा को छोड़कर व्यक्तिगत प्रयोजनार्थ /व्यापार गतिविधियाँ चलाने के प्रयोजन हेतु हो । ऋण का उपयोग पुन: उधार देने के लिए न हो ।

v) अनिवासी आइएमडी धार के विशेष अधिदेश पर ही ऋण देना चाहिए ।

5. प्राधिकृत व्यापारियों को आइएमडी की जमानत पर विदेशी मुद्रा ऋण प्रदान नहीं करना चाहिए ।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु को अपने संबंधित ग्राहकों के ध्यान में लाये ।

7. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और इसका किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है ।

भवदीया,

(कि.ज. उदेशी)

मुख्य महा प्रबंधक

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