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भारत के बाहर संयुक्त उद्यमों / पूर्ण स्वामित्ववाली अनुषंगी कंपनियों में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 43

30 अप्रैल 2002

प्रति

विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय, /महोदया

भारत के बाहर संयुक्त उद्यमों / पूर्ण स्वामित्ववाली
अनुषंगी कंपनियों में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अंतरण अथवा जारी करना) विनियमावली 2000, की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. भारतीय पार्टियों द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए निगरानी तंत्र का सरलीकरण करने के उद्देश्य से यह निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 के विनियम 6 और 17 बी के अंतर्गत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में विदेशी मुद्रा लेनदेन का कारोबार करने के लिए विभिन्न केद्रों पर चुनिन्दा शाखाओं को नामोद्दिष्ट करें।

3. ऐसे शाखाओं की एक सूची मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, बाह्य निवेश प्रभाग, केद्रीय कार्यालय, मुंबई 400001 को रिकार्ड हेतु यथा शीघ्र भेजें।

4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये।

5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है।

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महाप्रबंधक

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