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विदेश में संयुक्त उनक्रम/पूर्ण स्वाधिकृत सहायक कंपनियों में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001



एपी(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.41

दिसंबर 6, 2003

संवा में

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया /महोदय

विदेश में संयुक्त उनक्रम/पूर्ण स्वाधिकृत सहायक
कंपनियों में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.19/आरबी-2000 द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभुति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में संशेधन हेतु जारी की गई निम्नलिखित अधिसूचनाओं की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

1. फेमा. 40/आरबी-2000 मार्च 2, 2001
2. फेमा. 48/2002-आरबी जनवरी 1, 2002
3. फेमा. 49/2002-आरबी जनवरी 19, 2002
4. फेमा. 53/2002-आरबी मार्च 1, 2002
5. फेमा. 55/2002-आरबी मार्च 5, 2002

2. समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में वर्तमान नीति को सरल और उदार बनाने के विचार से मौजूदा दिशानिदेशों को निम्न प्रकार से आशोधित किया गया हैं ।

2.1. भारत स्थित फर्मों द्वारा निवेश

भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 के अंतर्गत पंजीकृत फर्मों को जिनका पिछला रिकार्ड अच्छा रहा हो उन्हें भारत से बाहर किसी संस्था में जो जायज कारोबार कार्यकलाप में रत हो उन्हें स्वचालित मार्ग के अंतर्गत अपने शुद्ध मालियत के 100 प्रतिशत तक अथवा 10 मिलियन अमरिकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि तक जो भी कम हो किसी एक वित्त वर्ष में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है । जो फर्म वित्तीय सेवाएं कार्यकलाप करने की अपेक्षा रखते हैं उन्हें अधिसूचना के विनियम 7 में निर्धारित आवश्यकताओं को अतिरिक्त रूप से पूरा करना होगा ।

2.2. स्वचालित मार्ग के अंतर्गत विशेष प्रावधान संस्था(एसपीवी) के माध्यम से निवेश

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान फरवरी 19, 2000 के एपी(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.23 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेश में संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में स्वचलित मार्ग के अंतर्गत विशेष प्रयोजन संस्था (एसपीवी) के माध्यम से निवेश करने पर प्रतिबंध रहा है । समीक्षा करने पर मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.19/आरबी-2000, समय समय पर यथा संशोधित के विनियम 6 के अनुसार स्वचालित मार्ग के अंतर्गत ऐसे निवेश को भी निम्नलिखित शर्तों के अधीन शामिल करने का निर्णय किया गया है ;

विनियम 6 के उपविनियम 2 के खण्ड(v) के अनुसार रिज़र्व बैंक की सावधानी सूची में शामिल या प्रवर्तन निदेशालय की जांच के अधीन भारतीय पार्टियाँ स्वचालित मार्ग के अंतर्गत समुद्रपारीय निवेश के लिए पात्र नहीं हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि यह प्रतिबंध उन भारतीय पार्टियों पर भी लागू हैं जो भारतीय बैकिंग प्रणाली की चूक करता है और जिनके नाम रिज़र्व बैंक की प्रकाशित/परिचालित चूककर्ता सूची में शामिल ाठ । प्राधिकृत व्यापारी स्वचालित मार्ग के अंतर्गत प्रेषण की अनुमति देते समय स्वयं हो लें कि निवेश का प्रस्ताव करने वाली भारतीय पार्टियाँ चूककतर्स सूची में शामिल नहीं है । जिन भारतीय पार्टियों का नाम चूक कर्ता सूची में शामिल है उन्हें सूचित किया जाए कि वे निवेश के पूर्वानुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक के पास आवेदन करें ।

2.3. शेयर की अदलाबदली द्वारा निवेश

फिलहाल, शयरों की अदलाबदली के माध्यमसे निवेश के सभी प्रस्तावों को रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। अब ऐसे निवेशों को मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.19/आरबी-2000 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुसार स्वचालित मार्ग के अंतर्गत निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है । परंतु प्राधिकृत व्यापारी ध्यान रखें कि शेयर की अदलाबदली सीमा सभी लेनदेन के लिए निवेश के आवक रूपयों के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआयपीबी) का पूर्वानुमोदन आवश्यक है ।

ऐसी अदलाबदली लेनदेन उक्त अधिसूचना की विनियम 6 के उनविनियम 7(ख) द्वारा निर्धारित मुल्योकन मानदण्ड के अनुसार भारतीय प्रतिभुति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत टंणी 1 का मर्चंट बैंकर द्वारा भारत से बाहर म्टंजबान देश में उपयुक्त विनियम प्राधिकरण के पास पंजीकृत किसी निवेश बैंकर/मर्चंट बैंकर का होना चाहिए मुल्यांकन मानदण्ड के अनुसार होना चाहिए । प्राधिकृत व्यापारी उक्त 2.1, 2.2, 2.3 के संबंध में भारतीय पार्टियों के निवेश के प्रस्ताव तदनुसार फार्म ओडीए में निर्धारित अनुलग्नकों के साथ प्राप्त करें और उन पर विचार करें तथा प्रेषण भेजने के तुरंत बाद प्रेषण/ लेनदेन की रिपोर्ट ओडीआर फार्म में भारतीय रिज़र्व बैंक,विदेशी मुद्रा नियंत्रण,केंद्रीय कार्यालय, समुद्रपारीय निवेश प्रभाग, मुंबई-400 001 को भेजें ।

शेयरों की अदला बदली द्वारा निवेश के मामले में प्राधिकृत व्यापारी से यह भी अपेक्षित है कि वह लेनदेन के विवरण जैसे, पूर्व/आबंटित शेयरों की संख्या, दिया गया प्रीमियम/प्राप्त प्रीमियम, दी गई/ प्राप्त दलाली आदि का विवरण देते हुए और इस आशय की पुष्टि कि आवक रूपए को लेनदेन का अनुमोदन एफआइपीबी द्वारा किया गया है एवं उनका मुल्यांकन निर्धारित प्रक्रिया से किया गया है तथा समुद्रपारीय कंपनी के खेयर भारत निवेशित कंपनी के नाम में जारी किए गए हैं/ अंतरित किए गए हैं । प्राधिकृत व्यापारी आवेदकों से इस आशय का वचन पत्र प्राप्त करें कि अनिवासियों द्वारा भारतीय कंपनी के शेयरों की भविष्य में विक्री/उनका अंतरण मई 3, 2000 अधिसूचना फेमा.20/2000-आरबी के प्रावधानों के अनुसार समय समय पर यथा संशोधित के अनुसार होना चाहिए

2.4. वित्तीय सेवा क्षेत्र के कार्यकलापों में विदेश में प्रत्यक्ष निवेश

फिलहाल, विदेशी क्षेत्र के कार्यकलापों में रत भारतीय कंपनी जो मई 3, 2000 अधिसूचना फेमा.19/आरबी-2000 के विनियम 7 में निर्धारित अतिरिक्त मानदण्ड को पूरा करती है । उन्हें विदेश में वित्तीय क्षेत्र में निवेश करने की अनुमति दी गई है । उक्त विनियम का आंशिक संशोधन करते हुए 15 करोड की निर्धारित न्युनतम शुद्धमालियत की सीमा समाप्त कर दी गई हैं । परंतु अबसे कोई कोई भी भारतीय संस्था जो कि वित्तीय सेवा क्षेत्र में कार्य कर रही हो और जो विदेश में वित्तीय क्षेत्र के कार्यकलाप करना चाहता हो उसे और कार्यककलाप प्रारंभ करने से पहले भारत और विदेश में संबंधित विनियामक प्राधिकरण से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना होगा । विनियम 7 में विहित अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी । उक्त श्रेणी के संबंध में फार्म ओडीआर में, प्रेषण की रिपोर्ट भेजते समय प्राधिक,त व्यापारियों और ऐसे विनियामक अनुमोदनों को भी भेजें ।

3. भारतीय पार्टी द्वारा स्थापित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी की कार्यकलाप का विविधिकरण/स्टेप डाऊन निवेश

प्राधिकृत व्यापारी इस बात से अवगत हें कि मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.19/आरबी-2000 के विनियम 13 समय समय पर यथा संशोधित, के अनुसार कोई भारतीय पार्टी जिसके पास समुद्रपारीय संस्था की चुकता पूंजी के 50 प्रतिशत या उससे अधिक की धारिता है उन्हें निम्नलिखित के लिए रिज़र्व बैंक के पास अनुमति के लिए आवेदन करना होगा

(क) कार्यकलाप का वविविधकरण करना ;
(ख) स्टेप डाऊन सहायक कंपनी स्थापित करना
(ग) समुद्रपारीय संस्था में शेयर धारिता की किस्म में परिवर्तन करना, यदि यह उसमें विहित शर्तों को पूरा नहीं करती हो तो ।

यह प्रतिबंध दन मामलों में नहीं लागू होंगे जहाँ पर भारतीय पार्टी अल्पसंख्याक शेयरधारी हो अथवा निवेश पूर्ण रूप से ईईएफसी खाते में जमा शेष में से किया गया हो अथवा एडीआर/जीडीआर निर्गम के माध्यम से किया गया हो । अब मौजूदा प्रतिबंधों को हटाने और सभी के लिए समान स्थिति उपलब्ध कराने का निर्णय किया गया है ।

प्राधिकृत व्यापारी तदनुसार विदेश में संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी धारी हों तो उनके विविधकरण/स्टेप डादन निवेश के लिए प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करें और स्वचालित मार्ग के अंतर्गत निवेश के लिए लागू सीमा के भीतर प्रेषण की अनुमति दें ।

भारतीय पार्टी संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी द्वारा किए गए निर्णयों का विवरण देते हुए शेयर धारकों/ संवर्धकों/ निदेशकों द्वारा किया गया मेजबान देश के स्थानीय कानूनों के अनुसार उन निर्णयों के अनुमोदन के 30 दिन के भीतर रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट प्रस्तुत करें और कोई वार्षिक निष्पादन रिनोर्ट (एपीआर) में शामिल करना और रिज़र्व बैंक को वार्षिक आधार पर प्रेषित करना जरूरी होगा ।

4. भारत से बाहर स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शयरों का विक्री के माध्यम से अंतरण

अब तक मई 3, 2000 अधिसूचना सं.फेमा.19/आरबी-2000 समय समय पर यथा संशोधित, के विनियम 16 के अनुसार किसी संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शयरों का विक्री के द्वारा अंतरण के लिए रिज़र्व बैंक पूर्वानुमति आवश्यक थी । अब भारतीय पार्टी को विक्री के माध्यम से किसी दूसरी भारतीय पार्टी जो उक्त अधिसूचना के विनियम 6 के प्रावधानों को पूरा करता हो अथवा भारत से बाहर किसी निवासी व्यक्ति को, किसी संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी, भारत से बाहर, के शेयर अथवा प्रतिभूति से परिपत्र की परिशिष्ट में उल्लिखित शर्तों और रिपोर्ट करने की वांछनीयता के अधीन अंतरित करने की अनुमति देने का निर्णय दिया गया है ।

भारतीय पार्टी जो पात्र मानदण्डों और प्रस्तावों एवं निवेश को राइट ऑफ करने की मांग को पूरा नहीं करते उसे रिज़र्व बैंक के पास पूर्वानुमति के लिए आवेदन करना होगा ।

प्राधिकृत व्यापारी तदनुसार की प्रस्तावित विनिवेश के लिए मानदण्डों को पूरा करते हों उन पर विचार करें ।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे है ।

6. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत का दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी 4. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं ।

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महप्रबंधक


परिशिष्ट

भारत से बाहर स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के शेयरों का विक्री के माध्यम से अंतरण :

(I) भारत से बाहर स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के अंतरण को नियंत्रित करने के लिए नियम और शर्तें :-

(i) विक्री उस स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से हो जाएगी जहाँ पर कि समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के शेयर सूचीबद्ध हैं;

(ii) यदि स्टॉक एक्सचेंज में स्थापित न हों और विनिवेश निजी व्यवस्था के माध्यम से हो, शेयर की विक्री कीमत सेबी के पास पंजीकृत सनदी लेखाकार / प्रमाणित लोक लेखाकार/श्रेणी I के मर्चेंट बैंक द्वारा मुल्यांकन प्रमाण पत्र से कम न हो ;

(iii) भारतीय संवर्धकों के पास लाभांश, तकनीकी ज्ञान ाजल्क, रॉयल्टी, परामर्श, कमीशन अथवा अन्य सहायकदारों के रूप में कुछ बकाया न हो और/अथवा संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी से कोई निर्यात आय बकाया न हो ;

(iv) समुद्रपारीय प्रतिष्ठान कम से कम पमरे एक वर्ष तक कार्यरत रहा हो और लेखा परिपत्र, लेखा विवरण के साथ वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट रिज़र्व बैंक में प्रस्तुत की गई हो ;

(v) भारतीय पार्टी केंद्रीय जांच ब्युरो/प्रावधान निदेशालय/सेबी/बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा भारत में किसी अन्य विनियामक प्राधिकरण द्वारा की जा रही जांच के अंतर्गत न हो ।

शेयरों/प्रतिभूतियों की विक्री आय को उसके प्राप्ती के तुरंत बाद भारत में प्रत्यावर्तित की जाएगी और किसी भी मामले में शेयरों/प्रतिभूतियों की विक्री की तारीख से 90 दिन के भीतर ही होगा ।

(II) किसी भारतीय पार्टी की विदेश स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के विनिवेश के लिए प्राप्त आवेदनों को निपटाने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज प्राप्त करें ;

(i) संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के कार्य से संबंधित न्यूनतम वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट जिसमें वित्तीय विरिणियाँ शामिल हैं ।

(ii) विनिवेश को तुजूरी देने वाले बोर्ड का संकल्प और अनुमोदित विनिवेश की राशि दर्शाते हुए परिणाम सत्य प्रतिलिपि ;

(iii) खरीदार का प्रस्तवा पत्र

(iv) विदा में स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में शेयरधारी साझेदारों का सहमति पत्र

(v) मूल्यांकन प्रमाण पत्र

(v) सनदी लेखाकार का इस आशय का प्रमाण पत्र कि भारतीय पार्टी के पास कोई बकाया नहीं है अथवा यदि संयुक्त उद्यम/पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी द्वारा भारतीय पार्टी को कुछ देय हो तो उसका विवरण दर्शाया जाए ।

(III) रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय का विनिवेश की रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ साथ निम्नलिखित का उल्लेख हो :-

(i) पहचान संख्या

(ii) भारतीय कंपनी का नाम

(iii) दंश का नाम और अनुमोदन विनिवेश की राशि

(iv) विनिवेश की राशि

(v) विनिवेश आय के प्रत्यावर्तन की तारीख

(vi) इस आशय का प्रमाण पत्र कि पूर्वोक्त दस्तावेज प्राप्त कर लिए गए हैं

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