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पूंजीगत निधि में वृद्धि करने वाले लिखत - शहरी सहकारी बैंक

आरबीआई/2008/96

आरबीआई/2008/96
शबैंवि.पीसीबी.परि.सं. 4/09.18.201/2008-09

15 जुलाई 2008

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय/महोदया

पूंजीगत निधि में वृद्धि करने वाले लिखत - शहरी सहकारी बैंक

वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य में की गई घोषणा के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों द्वारा पूंजी में वृध्दि करने तथा पूंजीगत निधियों में वृध्दि करने के लिए वैकल्पिक उपकरणों / अवसरों की पहचान करने से संबंधित मुद्दों की समीक्षा करने के लिए एक कार्यकारी समूह (अध्यक्ष: श्री एन.एस.विश्वनाथन) गठन किया था। इस कार्यकारी समूह में शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र तथा राज्य सरकारों से सदस्यों को रखा गया था। समूह ने अपनी रिपोर्ट नवंबर 2006 में प्रस्तुत कर दी थी।

2. कार्यकारी समूह की सिफारिशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि निर्धारित पूंजी पर्यात्पता मानदंडों के अनुपालन के प्रयोजन से शहरी सहकारी बैंकों द्वारा पूंजीगत निधियों (टियर I तथा टियर II) में वृध्दि करने के लिए उन्हें निम्नलिखित वित्तीय लिखत जारी करने की अनुमति दी जाए:

क) अधिमानी शेयर

अधिमानी शेयर निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:

i) सतत असंचयी अधिमानी शेयर (पी एन सी पी एस)
ii) सतत संचयी अधिमानी शेयर (पी सी पी एस)
iii) प्रतिदेय असंचयी अधिमानी शेयर ( आर एन सी पी एस)
iv) प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आर सी पी एस)

विस्तृत दिशानिर्देश अनुबंध I में दिए गए हैं। जहां सतत असंचयी अधिमानी शेयर (पी एन सी पी एस) टियर I पूंजी के रूप में माने जाने के पात्र होंगे वही सतत संचयी अधिमानी शेयर (पी सी पी एस), प्रतिदेय असंचयी अधिमानी शेयर ( आर एन सी पी एस) तथा प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आर सी पी एस) टियर II पूंजी के रूप में माने जाने के पात्र होंगे। तथापि, शहरी सहकारी बैंकों को अन्य शहरी सहकारी बैंकों के अधिमानी शेयरों को खरीदने की अनुमति नहीं होगी।

ख) दीर्घ कालिक जमाराशि

शहरी सहकारी बैंकों को कम से कम 5 वर्ष की अवधि के लिए मीयादी जमाराशि जुटाने की भी अनुमति दी जाए। यह मीयादी जमाराशि टियर II पूंजी बनने की पात्र होगी। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश अनुबंध II में दिए गए हैं।

3. शेयर लिंकेज संबंधी मानदंड

चालू विनियामक निर्धारणों के अनुसार शहरी सहकारी बैंकों से उधार का संबंध उधार लेने वाले सदस्यों की शेयर धारिता से है। वर्तमान में जमानती उधार के लिए शेयर धारिता संबंधी अपेक्षा 2.5% तथा ग़ैर-जमानती उधार के लिए 5% है। कार्यकारी समूह की सिफारिशों तथा इस संबंध में प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा शेयर धारिता मानदंड को किसी सदस्य द्वारा बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी के 5% की सीमा तक शेयर धारिता के लिए लागू किया जाए। यदि किसी सदस्य के पास शहरी सहकारी बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी की 5% शेयर पहले से ही हो तो मौजूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के लागू होने के कारण उसके लिए कोई अतिरिक्त शेयर पूंजी खरीदना आवश्यक नहीं होगा। दूसरे शब्दों में, उधारकर्ता सदस्य के लिए अनिवार्य होगा कि वह उतनी राशि का शेयर रखे जिसकी मौज़ूदा शेयर लिंकिंग मानदंडों के अनुसार गणना की जा सके अथवा उतनी राशि के शेयर रखे जो बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी का 5%, इनमें से जो भी कम हो, है।

4. पूंजीगत निधियों का वर्गीकरण

4.1 मौज़ूदा अनुदेशों के अनुसार, पूंजीगत निधियों को टियर I तथा टियर II पूंजी के रूप में विभाजित किया गया है। टियर II पूंजी के कारकों की गणना टियर I पूंजी के अधिकतम 100 प्रतिशत तक की पूंजीगत निधियों के रूप में की जाती है (कृपया इस संबंध में 15 अप्रैल 2005 का हमारा परिपत्र शबैंवि.सं.डीएस.पीसीबी.डीआईआर.2/13.05.00/2004-05 देखें)। अब यह निर्णय लिया गया है कि टियर II पूंजी को आगे उच्च एवं निम्न टियरों में विभाजित किया जाए। सतत संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), प्रतिदेय असंचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) तथा प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) को उच्च टियर II पूंजी माना जाएगा। दीर्घकालिक मीयादी जमाराशियों को निम्न टियर II पूंजी माना जाएगा। सतत असंचयी अधिमानी शेयर (पीएनसीपीएस) को टियर I पूंजी के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए (पीएनसीपीएस को छोड़कर)। दीर्घकालिक जमाराशियां टियर I पूंजी के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए तथा कुल टियर II पूंजी को टियर I पूंजी से अधिक नहीं होना चाहिए।

4.2 जैसा कि ऊपर बताया गया है, टियर II पूंजी के कारकों की गणना टियर I पूंजी के अधिकतम 100 प्रतिशत तक की पूंजीगत निधियों के रूप में की जाती है। अब यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे बैंकों के मामले में उपर्युक्त प्रतबिंध को पांच वर्ष अर्थात 31 मार्च 2013 के लिए आस्थगित रखा जाए जिनका सीआरएआर 9% से कम है ताकि उन्हें टियर I पूंजी जुटाने के लिए समय दिया जा सके। दूसरे शब्दों में, किसी बैंक के पास टियर I पूंजी न होने की स्थिति में भी पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन से टियर II पूंजी की गणना पूंजीगत निधि के रूप में की जाएगी। तथापि, इस अवधि के दौरान पूंजी पर्याप्तता संबंधी अनिवार्यता के प्रयोजन के लिए केवल निम्न टियर II पूंजी को निर्धारित सीआरएआर के 50% तक सीमित रखा जाएगा तथा टियर II पूंजी से संबंधित सतत बट्टा लागू होगा।

5. शहरी सहकारी बैंक जिस सहकारी सोसायटियां अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हैं उनकी उप-विधियों/उपबंधों का अनुपालन करते हुए तथा संबंधित निबंधक, सहकारी समितियां/केंद्रीय निबंधक, सहकारी समितियां, जहां लागू हो, तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से अधिमानी शेयर तथा दीर्घकालिक मीयादी जमाराशियां जारी कर सकते हैं। बहु-राज्यीय सहकारी समितियां अधिनियम/सहकारी समितियां अधिनियमों/नियमों में अपेक्षित संशोधन, जहां आवश्यक हो, करने के लिए केंद्र/राज्य सरकारों से अलग से अनुरोध किया जा रहा है।

6. कृपया प्राप्ति-सूचना संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें।

भवदीय

(ए.के.खौंड)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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