ब्याज सबवेंशन योजना - फसल ऋण के अंतिम उपयोग पर निगरानी रखना
आरबीआई / 2012-13/290 9 नवम्बर 2012 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक महोदय/महोदया ब्याज सबवेंशन योजना - फसल ऋण के अंतिम उपयोग पर निगरानी रखना आप जानते ही हैं कि भारत सरकार ने वर्ष 2006-07 की बजट घोषणा के माध्यम से एक ब्याज सबवेंशन योजना लागू की है ताकि किसानों को 3.00 लाख रुपए तक का अल्पावधि फसल ऋण वार्षिक 7.00 की घटी हुई दर से प्राप्त हो। उस समय से यह योजना कुछ छोटे-मोटे बदलाव के साथ जारी है। समय पर चुकौती करने के संबंध में वर्तमान में दिए जाने वाले 3 प्रतिशत अतिरिक्त सबवेंशन के साथ किसानों के लिए अल्पावधि फसल ऋण की प्रभावी लागत 4 प्रतिशत हो जाती है। वर्ष 2012-13 के अपने बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री महोदय ने उक्त योजना वर्ष 2012 -13 के लिए जारी रखने की घोषणा की है । 2. तथापि हमारे ध्यान में यह बात आई है कि कई क्षेत्रों में बैंक स्पष्ट रूप से फसल ऋण के रूप में दी गई निधि के अंतिम उपयोग को सुनिश्चित करने में चूक गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप लघु और सीमांत किसानों की सहायता करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा खर्च की गई राशि एक उल्लेखनीय मात्रा तक नियत लाभार्थियों तक पहुंची नहीं है। कुछ ऐसी सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं कि इन फसल ऋणों के उधारकर्ताओं ने इन निधियों को दूसरे काम में लगाया है और कुछ मात्रा में इस योजना में उपलब्ध सबवेंशन की न्यूनतर ब्याज दर पर राशि उधार लेते हुए तथा इन राशियों को सावधि जमाराशियों और/या उच्चतर ब्याज दरवाले अन्य निवेश-मार्ग में निवेशित करते हुए इस योजना को एक अंतरपणन-अवसर के रूप में प्रयुक्त किया है। 3. अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ब्याज सबवेंशन का दावा किए जानेवाले सभी फसल ऋणों के बारे में अन्य बातों के साथ साथ निम्नलिखित मानदंड पूरे किए जाते हैं यह सुनिश्चित करें:
4. अत: बैकों को सूचित किया जाता है कि वे मंजूरी से पूर्व संविक्षा और संवितरण के बाद पर्यवेक्षण की अपनी प्रणाली को पुख्ता बना लें तथा यह सुनिचित करें कि उन सभी फसल ऋणों, जिनकी जमानत पर ब्याज सबवेंशन का दावा किया जाता है, का प्रयोग कथित प्रयोजनों के लिए किया जाता है और निधियों का किसी प्रकार से विपथन नहीं हो रहा है। बैंकों को चाहिए कि वे उक्त मानदंड पूरा न करनेवाले ऐसे ऋणों के लिए कोई ब्याज सबवेंशन का दावा न करें क्योंकि इन्हें कृषि ऋणों के रूप में नहीं माना जाएगा । 5. कृपया इस पत्र की प्राप्ति-सूचना दें। भवदीय (सी.डी. श्रीनिवासन) |
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