विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी: लागू करना - उधार ब्याज दरें - आरबीआई - Reserve Bank of India
विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी: लागू करना - उधार ब्याज दरें
विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी: लागू करना - उधार ब्याज दरें
संदर्भ सं. मौनीवि.बीसी. 219/07.01.279/2002-03
जुलाई 27, 2002
श्रावण 5, 1924 (शक )
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
महोदय,
विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी: लागू करना - उधार ब्याज दरें
कृपया दिनांक मई 29,2001 का हमारा पत्र मौनीवि. सं. 3402/02.03.02/2000-01 देख्ेां जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे उधार ब्याज दरों के संबंध में दो विवरणियाँ, एक तो बकाया ऋण संबंधी विवरण सहित विशेष तिमाही विवरणी VI- ए और दूसरी- निर्यात ऋण और अन्य अग्रिमों दोनों के लिए मूल उधार दर (पीएलआर) सहित विभिन्न ऋण घटकों पर बैंकों द्वारा लगायी गयी अधिकतम और न्यूनतम ब्याज-दरों की सूचना देते हुए विशेष पाक्षिक विवरणी VI-एबी प्रस्तुत करें ।
2. जबकि बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त विवरणियाँ (अर्थात् VI-ए और VI-एबी)प्रस्तुत करना जारी रखें, अप्रैल 29,2002 को गवर्नर महोदय द्वारा घोषित, वर्ष 2002-03 की मौद्रिक और ऋण नीति के पैराग्राफ सं. 59 और 66 (प्रतिलिपि संलग्न ) के अनुवर्तन के रूप में चुनिंदा बैंकों के साथ परामर्श करने के बाद एक नई विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी लागू की जा रही है । यह विवरणी (प्रतिलिपि संलग्न ) जून 30, 2002 को समाप्त तिमाही से प्रस्तुत की जाए ।
3. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस नई विशेष तिमाही विवरणी में अधिकतम और न्यूनतम ब्याज दरों से संबंधित सूचना प्रस्तुत करते समय,ब्याज दरों में अत्यधिक मूल्यों (जैसे - किसी भी तरफ अग्रिमों के 5 प्रतिशत तक) को छोड़ दें । इसके अलावा,बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ब्याज दरों का वह दायरा प्रस्तुत करें जिसमें कारोबार के भारी मूल्य (जैसे - 60 प्रतिशत या उससे अधिक ) की संविदा की गई है ।
4. उपर्युक्त विशेष तिमाही विवरणी VI-एसी, संबंधित तिमाही की समाप्ति से दो महीने के अंदर प्रभारी परामर्शदाता, मौद्रिक नीति विभाग, भारतीय रिजॅर्व बैंक,केन्द्रीय कार्यालय भवन, मुंबई - 400001 को प्रस्तुत की जाए ।
5. कृपया पावती भेजें ।
भवदीय,
(डी.आंजनेयुलु )
प्रभारी परामर्शदाता
विशेष तिमाही विवरणी - VI एसी
2 लाख रुपये से अधिक ऋण सीमाओं के लिए वाणिज्य बैेंकों की ब्याज-दरें
बैेंक का नाम : _____________________________________________
समाप्त तिमाही के लिए विवरणी : ___________________________________________
मद |
(________) |
अधिकतम@ |
न्यूनतम@ |
ब्याज-दर का दायरा जिसमें कारोबार के 60 प्रतिशत या उससे अधिक की संविदा की गई है । |
|
(1) |
(2) |
(3) |
(4) |
(5) |
(6) |
1 |
निर्यात ऋण से इतर मांग ऋण |
||||
2 |
मीयादी ऋण |
||||
3 |
निर्यात ऋण (रुपये में) पोतलदानपूर्व ऋण |
संपर्क हेतु निर्धारित व्यक्ति :
टेलिफोन संख्या :
प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता
* संबंधित श्रेणियों हेतु अग्रिमों के लिए बैेंकों के सर्वोत्तम उधारकर्ता को उनके बोड़ द्वारा अनुमोदित रुप में प्रभारित निर्देशात्मक ब्याज-दर
@ स्तंभ (4) और (5) में सूचित की जानेवाली अधिकतम और न्यूनतम ब्याज-दरें चरम मूल्यों (जैसे -किसी भी तरफ अग्रिमों के 5 प्रतिशत तक) को छोडॅकर दरों के अनुरूप होंगी ।
वर्ष 2002-03 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति के संबंध में
डॉ विमल जालान, गवर्नर, भारतीय रिजॅर्व बैेंक का वक्तव्य
59 ग्राहक संरक्षण के हित में, साथ ही सार्थक स्पर्धा के परिप्रेक्ष्य में, यह आवश्यक है कि जमाकर्ताओं के साथ-ही-साथ उधारकर्ताओं के लिए वास्तविक उधार दरों के संबंध में विशुद्ध पारदर्शिता रखी जाए । इस दिशा में, निम्नलिखित उपाय प्रस्तावित हैं :
- बैंकों को चाहिए कि वे अपने जमाकर्ताओं को विभिन्न परिपक्वता अवधियों की जमा दरों और प्रभावी वार्षिक प्राप्तियों के संबंध में सूचना प्रदान करें । यह सूचना भारतीय रिजॅर्व बैेंक को भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि भारतीय रिजॅर्व बैेंक सभी बैेंकों के लिए इसकी समेकित सूचना अपनी वेबसाइट पर डाल सके ।
- बैेंकों को उधारकर्ताओं से प्रभारित अधिकतम और न्यूनतम ब्याज दरों के संबंध में जानकारी प्रदान करनी चाहिए । भारतीय रिजॅर्व बैेंक इसकी सूचना जनता को प्रदान करेगा।
- बैेंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे उधारकर्ताओं के लिए ठसमस्त लागतठ संकल्पना को अपनाएं और उधारकताओं से लिए जानेवाले प्रक्रिया प्रभार, सेवा प्रभार आदि की स्पष्टत: घोषणा करें । ऐसे बैेंक प्रभारों की सार्वजनिक रूप में भी घोषणा की जाए।
66 पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा प्रतिस्पर्धी दरों पर वित्त उपलब्ध कराना जारी रखने के लिए बैेंकों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि एक ऐसी रिपोर्टिंग प्रणाली बनाई जाए जिसके जरिए वाणिज्यिक बैेंक पोतलदानपूर्व तथा पोतलदानोत्तर ऋण पर प्रभारित ब्याज दरों की जानकारी उपलब्ध कराएं। इससे निर्यातकों को सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी दन चुनने में आसानी होगी । तदनुसार :
15 जून 2002 से शुरू होने वाले पखवाडेॅ से बैेंक भारतीय रिजॅर्व बैेंक को न्यूनतम और अधिकतम दरों की सूचना देंगे । इस सूचना को जनता की जानकारी में लाया जाएगा ।