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विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा कारपोरेट बांडों में निवेश

भारिबैं/2015-16/253
ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.31

दिनांक 26 नवंबर 2015

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय,

विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा कारपोरेट बांडों में निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियम 2000 की अनुसूची 5 की ओर और ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.71 दिनांक 3 फरवरी 2015 तथा ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.73 दिनांक 6 फरवरी 2015 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिनके अनुसार विदेशी संविभाग निवेशकों द्वारा एनसीडी/बांडों में सभी भावी निवेश उन प्रतिभूतियों में किया जाना होगा, जिनकी न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अवधि तीन वर्षों की होगी ।

2. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि एफपीआइ को ऐसे एनसीडी/बांड अर्जित करने की अनुमति दी जाये, जिनमें परिपक्व होने पर चुकौती में या तो पूर्णतः या अंशतः चूक हुई है या परिशोधन होने वाले बांड के मामले में मूल किस्त में चुकौती में चूक हुई है । ऐसे एनसीडी/बांडों की संशोधित परिपक्वता अवधि, जिनकी पुनर्संरचना जारीकर्ता कंपनी से बातचीत के आधार पर की गयी हो, तीन वर्ष या उससे अधिक होगी ।

3. ऐसे एनसीडी/बांड, जिनमें चूक की गयी है, को अर्जित करने का प्रस्ताव करने वाले एफपीआइ को डिबेंचर ट्रस्टी के पास उन शर्तों को प्रकट करना चाहिए, जिन पर वे वर्तमान डिबेंचर धारक/हिताधिकारी स्वामी से उन्हें अर्जित करना चाहते हैं । ऐसा निवेश समय-समय पर कारपोरेट बांडों के लिए निर्धारित समग्र सीमा से (जो इस समय रु.2443.23 बिलियन है) के भीतर होना चाहिए । एफपीआइ द्वारा ऋण-बाजार में निवेश करने के लिए अन्य सभी वर्तमान शर्ते अपरिवर्तित रहेंगी ।

4. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और इनसे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि हो, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता । एडी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें ।

भवदीय,

(आर.सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक

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