ऋण-लिखतों में विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों द्वारा निवेश – समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऋण-लिखतों में विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों द्वारा निवेश – समीक्षा
आरबीआई/2017-18/170 1 मई 2018 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय ऋण-लिखतों में विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों द्वारा निवेश – समीक्षा प्राधिकृत डीलर वर्ग-I के बैंकों (ए.डी. वर्ग-I) का ध्यान 3 मई 2000 को अधिसूचना सं एफईएमए. 20/ 2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबन्ध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का निर्गम अथवा अंतरण) विनियमावली, 2000, समय-समय पर यथासंशोधित, की अनुसूची 5 और इसके तहत जारी संगत निदेशों की तरफ दिलाया जाता है। 2. इस बारे में 27 अप्रैल 2018 के एपी (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.24 का उल्लेख किया जाता है जिसमें ऋणों में एफपीआई निवेशों के परिचालनगत पहलुओं को प्रभावित करने वाले परिवर्तनों को अधिसूचित किया गया था। इस परिपत्र के पैराग्राफ 3(ए)(i) में केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों (जी-सेक) और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) वर्गों के लिए न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अपेक्षा को वापस लेने की घोषण की गई, साथ ही यह शर्त भी थी कि, किसी भी समय, इन प्रतिभूतियों में एक साल से कम की अवशिष्ट परिपक्वता वाली प्रतिभूतियों में एफपीआई का निवेश संबंधित श्रेणी में कुल निवेश के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पैराग्राफ 3(ए)(ii) के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को एक साल से अधिक की न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता वाले कार्पोरेट बॉन्डों में निवेश की अनुमति दी गई थी, लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कार्पोरेट बॉन्डों में निवेश के लिए एक साल के कम की अवशिष्ट परिपक्वता वाली प्रतिभूतियों में निवेश के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं निर्धारित की गई थी। 3. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को केवल एक साल से अधिक की न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता वाले निगमगत बॉन्डों में निवेश की अनुमति थी, और सभी ऋण वर्गों के बीच समरूपता लाने के प्रयोजन से यह निर्धारित किया जाता है कि एक साल से कम की न्यूनतम परिपक्वता वाले कार्पोरेट बॉन्डों में किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा किया गया निवेश किसी भी समय पर कार्पोरेट बॉन्डों में कुल निवेश के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। 4. इसके अलावा 27 अप्रैल 2018 के एपी (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.24 के प्रावधानों के संबंध में निम्नलिखित स्पष्टीकरण भी दिया जाता है :
5. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 6. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के तहत जारी किया गया है, और किसी अन्य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन अपेक्षित है तो वह भी लागू रहेगा। भवदीय (टी. रबी शंकर) |