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विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश मध्यावधि ढाँचा – समीक्षा

भारिबैं/2017-18/12
ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.1

3 जुलाई 2017

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय,

विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश
मध्यावधि ढाँचा – समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियम 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

मध्यावधि ढाँचे की समीक्षा

2. केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों (जी-सेक) और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (एसडीएल) में एफपीआइ निवेश के लिए वर्तमान मध्यावधि ढाँचा (एमटीएफ) निम्नलिखित प्रमुख लक्षणों के साथ अक्तूबर 2015 में आरंभ किय़ा गया था :

  1. निवेश की सीमा बकाया स्टॉक के प्रतिशत के रूप में – जी-सेक के लिए 5%; एसडीएल के लिए 2%, विनिर्दिष्ट की जानी थी, जिसे छमाही समीक्षा और तिमाही आधार पर बढ़ोतरी के माध्यम से 31 मार्च 2018 तक प्राप्त किया जाना था ।

  2. निवेश की न्यूनतम कालावधि 3 वर्ष रखी गयी थी ।

  3. किसी खास प्रतिभूति में एफपीआइ निवेश की सीमा 20% ।

  4. दीर्घावधि निवेशकों को तरजीह - 60% आबंटन 'दीर्घावधि' श्रेणी में और 40% 'सामान्य' श्रेणी में ।

  5. 'दीर्घावधि श्रेणी' की उपयोग नहीं की गयी सीमा का अंतरण 'सामान्य' श्रेणी में किया जाना ।

3. इस समय 'दीर्घावधि' श्रेणी वाले एफपीआइ निवेशक केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआइ द्वारा किये गये कुल निवेश के लगभग 20% के लिए जिम्मेवार होते हैं । ढाँचे को पुनः नपा-तुला बनाये जाने के लिए, ताकि दीर्घावधि निवेशकों को तरजीह दिये जाने का उद्देश्य पूरा हो, और इस दृष्टि से भी कि पूँजी प्रवाह को विकसित किये जाने में समष्टि विवेकपूर्ण निहितार्थ को व्यवस्थित किया जाये, एमटीएफ की समीक्षा की गयी है । समीक्षा के आधार पर ढाँचे में निम्नलिखित उपांतरण किये गये हैं ।

  1. केंद्र सरकार प्रतिभूतियों (जी-सेक) के लिए 5% की और राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) के लिए 2% की समग्र सीमा अपरिवर्तित रहेगी ।

  2. केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआइ निवेश की सीमा में भावी वृद्धि का आबंटन निम्नलिखित अनुपात में किया जायेगा - 75% 'दीर्घावधि' श्रेणी वाले एफपीआइ के लिए और 25% 'सामान्य' श्रेणी के लिए ।

  3. 'दीर्घावधि' श्रेणी की उपयोग नहीं की गयी सीमा का अंतरण 'सामान्य' श्रेणी वाले एफपीआइ को करने की प्रथा समाप्त कर दी गयी है ।

  4. एसडीएल में एफपीआइ निवेश के दृष्टिकोण को केंद्र सरकार की प्रतिभूति में निवेश के साथ सामंजस्यपूर्ण बनाने के लिए एसडीएल में भावी वृद्धि ‘दीर्घावधि‘ श्रेणी वाले एफपीआइ के लिए 75% और ‘सामान्य‘ श्रेणी वाले एफपीआइ के लिए 25% के अनुपात में होगी ।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक, भविष्य में विकसित होती समष्टि-आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करते हुए एमटीएफ के कुछ लक्षणों को नपा-तुला बनाये जाने की प्रक्रिया को जारी रखेगा ।

जुलाई-सितंबर 2017 तिमाही के लिए सीमा में संशोधन

5. एफपीआइ द्वारा जुलाई-सितंबर 2017 तिमाही के लिए केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) में निवेश के लिए सीमा में क्रमशः आइएनआर 110 बिलियन और आइएनआर 61 बिलियन की वृद्धि की गयी है और उनका आबंटन निम्नानुसार किया गया है :-

सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआइ निवेश की सीमा
(बिलियन आइएनआऱ)
  केंद्र सरकार की प्रतिभूतियाँ राज्य विकास ऋण कुल जोड़
सामान्य दीर्घावधि कुल सामान्य दीर्घावधि कुल
वर्तमान सीमा 1,849 461 2,310 270 -- 270 2,580
संशोधित सीमा 1,877 543 2,420 285 46 331 2,751

6. संशोधित सीमा 4 जुलाई 2017 से प्रभावी होगी ।

7. अन्य सभी वर्तमान शर्तें, जिनमें प्रतिभूतिवार सीमा, सीमा के बाहर कूपनों के निवेश को अनुमति दिय़ा जाना और न्यूनतम तीन वर्षों की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि वाली प्रतिभूतियों में ही निवेश किया जाना शामिल है, लागू होती रहेंगी ।

8. सीमाओं के आबंटन और अनुश्रवण से संबंधित परिचालन-दिशानिर्देश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी किये जायेंगे ।

9. एडी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

10. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और इनसे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि हो, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है ।

भवदीय

(टी. रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक

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