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घरेलू (डोमेस्टिक) मुचुअल फंडों की यूनिटों में निवेश

भारिबैं/2011-12/148
एपी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 08

9 अगस्त 2011

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

घरेलू (डोमेस्टिक) मुचुअल फंडों की यूनिटों में निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000, समय-समय पर यथासंशोधित, की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार कोई विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(सेबी) के पास पंजीकृत है और अनिवासी भारतीय घरेलू मुचुअल फंडों की यूनिटें, तत्संबंध में निहित शर्तों और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट सीमाओं के तहत, प्रत्यावर्तनीय आधार पर खरीद सकते हैं।  

2. सरकार तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ परामर्श करके अब यह निर्णय लिया गया है कि अपने ग्राहक को जानने (केवाईसी) संबंधी सेबी की अपेक्षाओं को पूरा करने वाले अनिवासी निवेशकों [ सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) तथा विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (एफवीसीआई) से भिन्न ], जिन्हें इसके बाद अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक कहा गया है, को सेबी के पास पंजीकृत घरेलू मुचुअल फंडों द्वारा जारी इन योजनाओं की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों को क्रय करने की अनुमति सेबी तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में समय-समय पर जारी शर्तों के तहत दी जाए।

सेबी के पास पंजीकृत घरेलू मुचुअल फंडों द्वारा जारी इन योजनाओं की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक निम्नलिखित दो मार्गों से निवेश कर सकते हैं - अर्थात

  1. प्रत्यक्ष मार्ग-सेबी के पास पंजीकृत डिपाजिटरी सहभागिता (डीपी पार्टिसिपेंट) मार्ग से

  2. अप्रत्यक्ष मार्ग-यूनिट पुष्टिकरण रसीद मार्ग (UCR) से

3. ये निवेश निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे:

सामान्य परिस्थितियाँ

i)  अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए दोनों ही मार्गों से निवेश की उच्चतम सीमा 10 बिलियन अमरीकी डालर होगी। इस 10 बिलियन अमरीकी डालर की उच्चतम सीमा की गणना के लिए सभी अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू मुचुअल फंडों की यूनिटों में किए गए निवेश की कुल राशि तथा एकल (सिंगिल) रुपया पूल बैंक खाते में डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के पास रखी राशि का योग किया जाएगा। सेबी संबंधित घरेलू मुचुअल फंडों तथा डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के मार्फत दैनिक आधार पर 10 बिलियन अमरीकी डालर की उच्चतम सीमा की निगरानी करेगा।

ii)  अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा उक्त दोनों मार्गों से निवेश घरेलू मुचुअल फंडों द्वारा सीधे जारी यूनिटों में किया जाएगा और सेकेंडरी बाजार से ऐसी खरीद की अनुमति नहीं होगी।

iii) एफएटीएफ मानकों का पालन करने वाले और आईओएससीओ के मल्टीलैटरल मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग पर हस्ताक्षरकर्ता क्षेत्रों के अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक ही घरेलू मुचुअल फंडों की योजनाओं में निवेश करने के पात्र होंगे।

iv) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट अपने ग्राहक को जानने (केवाईसी) संबंधी मानदण्डों का अनुपालन कर रहे हैं, इसे डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) सुनिश्चित करेंगे।

v) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा केवाईसी का अनुपालन किया जा रहा है, इसे घरेलू मुचुअल फंड भी सुनिश्चित करेंगे।

vi) इस योजना के तहत अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को जारी यूनिटों तथा यूसीआर की न तो ट्रेडिंग की जा सकेगी और न ही वे हस्तांतरणीय होंगे।

प्रत्यक्ष मार्ग

vii) डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के पास रखे गए अपने अलग एकल रुपया पूल बैंक खाते से डीपी मार्ग का परिचालन किया जाएगा। अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों से इस मद में प्राप्त निधियाँ अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों से निधियाँ प्राप्त होने पर उसी दिन या यदि कारोबार की समाप्ति के बाद धनराशि मिली हो तो अगले दिन घरेलू मुचुअल फंड को प्रेषित (रेमिट) कर दी जाएंगी, अन्यथा निधियाँ अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के समुद्रपारीय बैंक खातें में तुरंत प्रत्यावर्तित कर दी जाएंगी। घरेलू मुचुअल फंडों से इन यूनिटों के मोचन/की अदायगी पर मिली राशियां भी इसी खाते में जमा की जाएंगी और डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के एकल रुपया पूल बैंक खाते में उनके प्राप्त होने के दो कार्य-दिवसों में उन्हें अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के समुद्रपारीय बैंक खातें में प्रत्यावर्तित किया जाएगा। संदर्भित दो दिनों में मोचन/अदायगी पर मिली राशियें का उपयोग अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक इस योजना के अंतर्गत और निवेश करने के लिए कर सकते हैं। डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के एकल रुपया पूल बैंक खाते में विदेशी आवक प्रेषण केवल अनुमत मुद्रा (अर्थात मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा) में प्राप्त किए जाएंगे। अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा ली गई यूनिटों पर देय लाभांश अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के समुद्रपारीय बैंक खातें में सीधे प्रत्यावर्तित किया जाएगा और अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को किया गया लाभांश भुगतान एकल रुपया बैंक खाते में जमा (क्रेडिट) करने के लिए पात्र नहीं होगा।

viii) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को विभिन्न घरेलू मुचुअल फंडों की ईक्विटी योजनाओं में रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में निवेश करने के लिए भारत में किसी डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के पास एक डिमैट खाता खोलने की अनुमति होगी। तथापि, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को भारत में बैंक खाते खोलने की अनुमति नहीं होगी।

अप्रत्यक्ष मार्ग

ix)   घरेलू मुचुअल फंडों को अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों से अभिदान/अंशदान प्राप्त करने तथा यूसीआर के मोचन/अदायगी के सीमित प्रयोजन के लिए भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाते खोलने की अनुमति होगी।

x) घरेलू मुचुअल फंडों की ईक्विटी योजनाओं की यूनिटों के बदले यूनिट पुष्टिकरण रसीदें (यूसीआर) जारी की जाएंगी।

4. यह भी निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को (उपर्युक्त पैरा 3 में दी गयी शर्तों के अनुसार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों ही मार्गों से) 5 वर्ष की न्यूनतम अवशिष्ट देयता अवधि वाले इंफ्रास्ट्रक्चर (बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों में यथापरिभाषित इंफ्रास्ट्रक्चर) कर्ज में निवेश करने वाली घरेलू मुचुअल फंडों की योजनाओं में अतिरिक्त 3 बिलियन अमरीकी डालर तक निवेश करने की अनुमति दी जाए जो इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों द्वारा जारी कारपोरेट बांडों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश की जाने वाली 25 बिलियन अमरीकी डालर की मौजूदा सीमा के भीतर होगी।

5. अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू मुचुअल फंडों की यूनिटों में उल्लिखित निवेश करते समय 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 1 के, समय-समय पर यथासंशोधित, उपबंधों का भी अनुपालन किया जाएगा।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

7. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी) तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमाराशि) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.5/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।

8. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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