गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश
आरबीआइ/2009-10/423 23 अप्रैल 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश कृपया वर्ष 2010-11 के वार्षिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 67 एवं 68 (उद्धरण संलग्न) देखें जो बैंकों द्वारा गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर ऋण प्रतिभूतियों (प्राथमिक और अनुषंगी दोनों बाजारों में) में निवेश से संबंधित हैं। 2. ‘बैंकों द्वारा निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्यन तथा परिचालन संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड’ पर 01 जुलाई 2009 के हमारे मास्टर परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 3/21.04.141/2009-10 के पैराग्राफ 1.2.10 के अनुसार गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में बैंकों का निवेश पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में उनके कुल निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए । इसके अतिरिक्त, 06 दिसंबर 2007 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. बीपी. बीसी. 56/21.04.141/2007-08 के अनुसार बैंकों को इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से जुड़ी कंपनियों के अनरेटेड बांडों में गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के 10 प्रतिशत की उच्चतम सीमा के भीतर निवेश करने की अनुमति दी गयी है। 3. सूचीकरण के लिए प्रस्तावित परंतु अभिदान के समय तक सूचीबद्ध नहीं हुई प्रतिभूतियों को जारी करने और उन्हें सूचीबद्ध करने के बीच अंतराल रहता है । इसके फलस्वरूप, बैंक गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गमों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे । उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए अब यह निर्णय लिया गया है कि बाजार (बाजारों) में सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित प्रतिभूतियों के मामले में बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर ऋण प्रतिभूतियों (प्राथमिक एवं अनुषंगी बाजार दोनों) में निवेश को निवेश के समय सूचीबद्ध प्रतिभूति में निवेश के रूप में माना जाए । तथापि, यदि ऐसी प्रतिभूति निर्धारित समय-सीमा के भीतर सूचीबद्ध नहीं होती है तो उस पर भी 10 प्रतिशत की गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के लिए निर्धारित सीमा लागू होगी । यदि गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के अंतर्गत शामिल निवेश के कारण 10 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन होता है तो बैंक को गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों (प्राथमिक एवं अनुषंगी दोनों) तथा इफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों से जुड़ी कंपनियों द्वारा जारी अनरेटेड बांडों में आगे और निवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में बैंक का निवेश 10 प्रतिशत की सीमा के भीतर न आ जाए। भवदीय (बी.महापात्र) वर्ष 2010-11 के वार्षिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 67 एवं 68 का उद्धरण 67. वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, गैर सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में बैंकों के निवेश पिछले वर्ष के 31 मार्च को गैर एसएलआर प्रतिभूतियों में उनके कुल निवेशों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। चूंकि प्रतिभूति के निर्गम तथा सूचीकरण के बीच समयांतर होता है, अत:, बैंकों के लिए ऐसी गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गमों में सहभागी होना संभव नहीं हो सकता जोकि सूचीबद्ध होने के लिए प्रस्तावित हैं परंतु अभिदान के समय सूचीबद्ध नहीं हैं। उपर्युक्त के परिप्रेक्ष्य में यह प्रस्ताव है क:
68. अलबत्ता, ऐसी प्रतिभूति को निर्दिष्ट अवधि में यदि सूचीबद्ध नहीं किया जाता हो तो उसे गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों के लिए निर्दिष्ट 10 प्रतिशत की सीमा के लिए हिसाब में लिया जाएगा। यदि गैर-सूचीबद्ध, गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में शामिल ऐसे निवेशों के कारण, उक्त 10 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन होता है तो, उस बैंक को उक्त सीमा तक उनके न पहुंचने के समय तक गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में आगे और निवेश (गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए जारी दर्जा न प्राप्त बांडों सहित प्राथमिक और अनुषंगी दोनों ही बाज़ारों में किए जानेवाले) करने की अनुमति नहीं होगी। |