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शहरी सहकारी बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो – वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और प्रावधानीकरण

आरबीआई/2013-14/357
शबैं‍वि‍.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.36/16.20.000/2013-14

1 नवंबर 2013

मुख्य कार्यपालक अधि‍कारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय,

शहरी सहकारी बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो –
वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और प्रावधानीकरण

कृपया उपर्युक्‍त विषय पर 2 सितंबर 2004 का परिपत्र सं शबैंवि.सं.पीसीबी.परि.16/12.20.00/2004-05 देखें जिसके अनुसार शहरी सहकारी बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत कुल निवेश की 25 प्रतिशत की सीमा से अधिक निवेश कर सकते हैं बशर्ते कि ये अतिरिक्‍त निवेश केवल एसएलआर प्रतिभूतियों में ही हो और परिपक्वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत धारित कुल एसएलआर प्रतिभूतियां, दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को बैंकों की निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 25 प्रतिशत से अधिक न हो।

2. ऐसा देखा गया है कि हाल में दीर्घावधि प्रतिफल में तेजी आने से बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के बाजार आधारित मूल्‍यांकन में बड़े नुकसान झेलने पड़े हैं। चूंकि ये बाजार आधारित मूल्‍यांकन नुकसान आंशिक रूप से असामान्‍य बाजार स्थितियों से उत्‍पन्‍न हो रहे हैं और आगे चलकर इसकी क्षतिपूर्ति हो सकती है, अतः निम्‍नलिखित विवेकपूर्ण समायोजन प्रदान करने का निर्णय लिया गया हैः

  1. मौजूदा अनुदेशों के अनुसार शहरी सहकारी बैंक अपने निदेशक मंडल की अनुमति से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में निवेश वर्ष में एक बार अंतरित कर सकते हैं तथा इस प्रकार का अंतरण सामान्‍यतया लेखा वर्ष के आरंभ में करने की अनुमति दी जाती है। एक बारगी उपाय के रूप में, अब यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को निवल मांग और मीयादी देयताओं की 25 प्रतिशत की सीमा तक बिक्री के लिए उपलब्‍ध (एएफएस)/ट्रेडिंग के लिए धारित (एचएफटी) से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में एसएलआर प्रतिभूतियों के अंतरण की अनुमति दी जाए। एएफएस/एचएफटी श्रेणी से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में प्रतिभूतियों के ऐसे अंतरण अर्जित-मूल्‍य या बही-मूल्‍य अथवा बाजार मूल्‍य में से जो कम हो, उस पर किया जाना चाहिए। ऐसे अंतरण के उद्देश्‍य के लिए शहरी सहकारी बैंकों के पास 15 जुलाई 2013 को कारोबार की समाप्ति पर इन प्रतिभूतियों का मूल्‍य तय करने का विकल्‍प है और बैंकों द्वारा इन प्रतिभूतियों के मूल्‍यांकन के लिए प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक विषय पर मास्‍टर परिपत्र (दिनांक 1 जुलाई 2013 का शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं.12/16.20.000/2013-14) के पैरा 16.5.4 के अनुसार, मूल्‍यह्रास, यदि कोई हो, के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए। यदि बैंक उपर्युक्‍तानुसार प्रतिभूतियों का अंतरण करना चाहते हैं, तो अंतरण अतिशीघ्र लेकिन ‍किसी भी प्रकार 15 नवंबर 2013 से पहले किए जाने चाहिए। यह अंतरण 1 नवंबर 2013 को कारोबार की समाप्ति तक मांग और मीयादी देयताओं के 25 प्रतिशत की सीमा तक एएफएस/एचएफटी प्रतिभूतियों की बकाया स्थिति में से ही होना चाहिए (अर्थात् 4 अक्‍तूबर 2013 की स्थिति के अनुसार मांग और मीयादी देयताएं जो 1 नवंबर 2013 के लिए एसएलआर रखने के संबंध में लागू है।)

  2. शहरी सहकारी बैंकों से अपेक्षित है कि वे समय-समय पर अपने एएफएस और एचएफटी पोर्टफोलियो का मूल्‍यांकन करें और ऊपर उल्लिखित दिनांक 1 जुलाई 2013 के मास्‍टर परिपत्र के पैरा 17.1.2 और 17.1.3 के अनुसार निवल मूल्‍यह्रास के लिए प्रावधान करें। एक बारगी उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि वित्‍तीय वर्ष 2013-14 के दौरान शहरी सहकारी बैंकों को अब चालू वित्‍त वर्ष में प्रत्‍येक मूल्‍यांकन तिथि को संपूर्ण एएफएस और एचएफटी पोर्टफोलियो पर समान‍ किस्‍तों में निवल मूल्‍यह्रास का वितरण कर सकते हैं।

भवदीय,

(ए.के.बेरा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

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