संविभाग निवेश योजना (PIS) के अंतर्गत अनिवासी भारतीयों (NRIs) द्वारा निवेश – नीति में उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
संविभाग निवेश योजना (PIS) के अंतर्गत अनिवासी भारतीयों (NRIs) द्वारा निवेश – नीति में उदारीकरण
भारिबैंक/2013-14/192 20 अगस्त 2013 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, संविभाग निवेश योजना (PIS) के अंतर्गत अनिवासी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी (जिसे इसके बाद अधिसूचना सं. फेमा. 20 कहा गया है) द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार अनिवासी भारतीय भारत में मान्यताप्राप्त किसी शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों के शेयरों और डिबेंचरों में किसी पंजीकृत स्टॉक ब्रोकर के जरिए संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय और/अथवा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, अनिवासी भारतीय किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा इस प्रयोजन हेतु नामित और भारतीय रिज़र्व द्वारा विधिवत अनुमोदित शाखा के द्वारा संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद और बिक्री कर सकते हैं। 2. उदारीकरण को आगे बढ़ाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि :
(ए) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत निवेश करने के लिए अनिवासी भारतीयों को अनुमति देते समय अनुबंध-ए में दी गयी शर्तों के अनुसार उन्हें योजना के परिचालन की अनुमति देंगे; (बी) नामित लिंक कार्यालय अनिवासी भारतीयों की ओर से संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत किये गये लेनदेनों की अपने पूरे बैंक के लिए दैनिक आधार पर, वर्तमान प्रचलित रीति से, रिज़र्व बैंक को ऑन लाइन रिपोर्टिंग सिस्टम में फार्म एलईसी (एनआरआई) में वेबसाइट (https@//secweb.rbi.org .in/ORFSMainWeb/Login.jsp) द्वारा रिपोर्ट करना जारी रखेंगे; (सी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस प्रकार के परिचालन प्रारंभ करने से पहले अपने लिंक कार्यालय से संपर्क करने के पूरे ब्योरे रिज़र्व बैंक को उपलब्ध कराएंगे ; (डी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस योजना को लागू करनेवाली अपनी शाखाओं को इस बाबत संवेदनशील बनाएंगे कि वे यह सुनिशचित करें कि अनिवासी भारतीयों को ऐसी भारतीय कंपनी में निवेश करने की अनुमति न दी जाए जो चिट फंड/ निधि कंपनी/ कृषि और प्लांटेशन गतिविधि, रियल इस्टेट कारोबार (इनमें टाउनशिप का विकास, आवासीय और कमर्शियल परिसरों का निर्माण, सड़क अथवा पुल, शैक्षिक संस्थाएं, मनोरंजन सुविधाएं, नगर और क्षेत्रीय स्तर के इंफ्रास्ट्रक्चर, टाउनशिप के विकास शामिल नहीं हैं), फार्म हाउसों का निर्माण, सिगार, चिरूट, सिगारिलोज और सिगरेट के निर्माण, तंबाकू अथवा तंबाकू प्रतिस्थापक और अंतरणीय विकास अधिकार की ट्रेडिंग तथा समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.1/2000-आरबी, में दी गयी गतिविधियों/उल्लिखित क्षेत्रों में संलग्न हों अथवा संलग्न होना प्रस्तावित हो; (ई) अनुबंध "बी" के रूप में अनुलग्न ए. डी. (एम.ए. सीरीज) परिपत्रों, इसी.सीओ. एफआईडी परिपत्रों में दिए गए अनुदेशों और फेमा, 1999 के अंतर्गत विनियामक अपेक्षाओं का अनुपालन सुनिशचित करें। यह नोट किया जाए कि 3 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना सं. फेमा.101/2003-आरबी के जरिए अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध [समुद्रपारीय निगमित निकायों (OCBs) को दी गयी सामान्य अनुमति वापसी] विनियमावली, 2003 के तहत वर्तमान विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमों के अंतर्गत उपलब्ध विभिन्न मार्गों/योजनाओं में निवेशक के रूप में निवेश करने की पात्र श्रेणी के अंतर्गत समुद्रपारीय निगमित निकायों की मान्यता रद्द है। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें। 4. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब विनियमावली में संशोधन कर दिया है और उसे 30 जुलाई 2013 के जीएसआर सं. 515 (ई) के मार्फत 27 फरवरी 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 261/2013-आरबी के द्वारा अधिसूचित किया है। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) [20.08.2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) अनिवासी भारतीयों द्वारा निवेश हेतु संविभाग निवेश योजना की प्रमुख विशेषताएं ए) इस योजना के अंतर्गत सहभागिता का इच्छुक कोई अनिवासी भारतीय किसी भारतीय कंपनी के शेयरों/ परिवर्तनीय डिबेंचरों को प्रत्यावर्तनीय और/अथवा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी पंजीकृत ब्रोकर के जरिए भारत के किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज से खरीदने और बेचने हेतु किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक की नामित शाखा में विनिर्दिष्ट फार्म में आवेदन करेगा। बी) आवेदन करते समय, अनिवासी भारतीय इस आशय का वचनपत्र भी देगा कि
सी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक की नामित शाखा अनिवासी भारतीय आवेदक को किसी भारतीय कंपनी के शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद और बिक्री के लिए एकबारगी मंजूरी प्रदान करेगी। विनिर्दिष्ट फार्मेट में (प्रत्यावर्तनीय आधार और अप्रत्यावर्तनीय आधार हेतु) दो अलग-अलग अनुमति पत्र जारी किए जाएंगे। डी) नामित शाखा किसी अनिवासी भारतीय की ओर से संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत विशेष रूप से इन लेनदेनों हेतु [विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 के अनुसार अनिवासी भारतीय द्वारा खोले और अनुरक्षित] एनआरई/एनआरओ खाते के तहत अलग उप-खाता खोलेगी। इस योजना के अंतर्गत अनिवासी भारतीय द्वारा प्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेश करने के लिए एनआरई(पीआईएस) और अप्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेश करने के लिए एनआरओ(पीआईएस) खाते रखे जाएंगे। नामित शाखा यह सुनिश्चित करेगी कि संविभाग निवेश योजना से भिन्न तरीके यथा एडीआर / जीडीआर के परिवर्तन पर अर्जित अंतर्निहित शेयरों, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत अर्जित शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों, अनिवासियों से भिन्न भारत से बाहर खरीदे गए शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों, निवासियों/अनिवासियों से निजी व्यवस्था के अंतर्गत अर्जित शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों, भारत में निवास करते समय खरीदे गए शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों की आगम राशि संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत लेनदेनों हेतु विशेष रूप से खोले गए उक्त खातों में न तो जमा की जाएगी /न नामे की जाएगी। ई) संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत लेनदेनों हेतु एनआरई(पीआईएस) में अनुमत जमा और नामे निम्नवत होंगे: अनुमत जमा
अनुमत नामे
एफ) संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत लेनदेनों हेतु एनआरओ(पीआईएस) में अनुमत जमा और नामे निम्नवत होंगे: अनुमत जमा
अनुमत नामे
जी) प्रत्येक अनिवासी भारतीय द्वारा प्रत्यावर्तनीय और अप्रत्यावर्तनीय दोनों आधार पर भारतीय कंपनी में ईक्विटी शेयरों की खरीद, कंपनी की प्रदत्त पूँजी के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी बशर्ते सभी अनिवासी भारतीयों द्वारा प्रत्यावर्तनीय और अप्रत्यावर्तनीय दोनों आधार पर की गयी खरीद संबंधित कंपनी की कुल प्रदत्त पूँजी की 10 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर हो। एच) प्रत्येक अनिवासी भारतीय द्वारा प्रत्यावर्तनीय और अप्रत्यावर्तनीय दोनों आधार पर भारतीय कंपनी की प्रत्येक श्रृंखला के परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद, परिवर्तनीय डिबेंचरों के कुल प्रदत्त मूल्य के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी बशर्ते सभी अनिवासी भारतीयों द्वारा प्रत्यावर्तनीय और अप्रत्यावर्तनीय दोनों आधार पर संबंधित भारतीय कंपनी द्वारा जारी परिवर्तनीय डिबेंचरों की प्रत्येक श्रृंखला के कुल प्रदत्त मूल्य के 10 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर हो। आई) खरीदे गए शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर अनिवासी भारतीय के नाम में धारित तथा पंजीकृत किए जाएंगे। जे) इस अनुमति के तहत, अनिवासी भारतीय द्वारा अर्जित शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर, किसी अवरुद्धता अवधि के बिना, पंजीकृत ब्रोकर के माध्यम से भारत में मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंज में बेचे जा सकते हैं। अनिवासी भारतीय शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की अधिबिक्री नहीं करेगा और खरीदे गए शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की सुपुर्दगी लेगा तथा बेचे गए शेयरों और परिवर्तनीय डिबेंचरों की सुपुर्दगी देगा। के) इस योजना के तहत अनिवासी भारतीय अर्जित शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर, प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पूर्वानुमोदन से, समय-समय पर यथा संशोधित, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित अपने नजदीकी रिश्तेदारों अथवा भारत में विधि के तहत विधिवत पंजीकृत धर्मार्थ न्यास को छोड़कर, उपहार के रूप में किसी अन्य को अंतरित नहीं करेगा। इस योजना के तहत अनिवासी भारतीय अर्जित शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना निजी व्यवस्था के तहत बिक्री के रूप में अपने नाम से अंतरित नहीं करेगा। एल) इस योजना के तहत अनिवासी भारतीय द्वारा अर्जित शेयर/परिवर्तनीय डिबेंचर रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना किसी तीसरी पार्टी को ऋण देने के लिए गिरवी नहीं रखे जाएंगे। एम) अनिवासी भारतीय को अपने निजी ब्रोकर, जो मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंज का प्राधिकृत सदस्य है, के माध्यम से शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों की खरीद अथवा बिक्री करने की अनुमति दी गयी है। अनिवासी भारतीय खरीद और बिक्री दोनों संविदा नोटस, मूल रूप में, अपनी नामित शाखा, जिसके पास उसका संविभाग निवेश योजनागत (पीआईएस) खाता रखा हो, को संविदा के निष्पादन से 24/48 घंटों के भीतर प्रस्तुत करेगा। प्राधिकृत व्यापारी बैंक की नामित शाखा को संविदा नोटस प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व अनिवासी भारतीय पर होगा। एन) अनिवासी भारतीय को अपने प्राधिकृत बैंक/ अपनी नामित शाखा परिवर्तित करने की स्वतंत्रता है। नामित शाखा/प्राधिकृत व्यापारी बैंक जिससे संविभाग निवेश योजनागत खाता अंतरित किया जा रहा है वह
ओ) ऐस मामलों में, जहाँ अनिवासी भारतीय भारत में निवेश करने के लिए पात्र है, उसके निवासी मुख्तारनामा धारक व्यक्ति को प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस योजना के अंतर्गत निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए एनआरई (पीआईएस)/एनआरओ (पीआईएस) खाते को परिचालित करने के लिए अनुमति दे सकता है। |