2. समीक्षा करने पर यह पाया गया है कि, दिनांक 28 मार्च 2014 के दिशानिर्देशों के अनुबंध के पैरा 7.4 (को-ब्रांडेड प्रीपेड भुगतान लिखत) को संशोधन के पश्चात निम्नलिखित अनुसार पढ़ा जाए:
दिनांक 28 मार्च 2014 के दिशानिर्देशों के अनुबंध के पैरा 7.4 के मौजूदा प्रावधान
दिनांक 28 मार्च 2014 के दिशानिर्देशों के अनुबंध के पैरा 7.4 के संशोधित प्रावधान
प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने के लिए अधिकृत /अनुमोदित सभी व्यक्तियों को ऐसे लिखतों को वित्तीय संस्था का नाम / सरकारी संगठन इत्यादि जिनके ग्राहकों / लाभार्थियों के लिए ऐसे सह ब्रांडेड लिखत जारी किए जाते हैं के नाम/लोगो के साथ सह-ब्रांड करने की अनुमति दी जाती है। जारीकर्ता का नाम भुगतान लिखत पर प्रमुखता से स्पष्ट होना चाहिए। ऐसे सह ब्रांडेड प्रीपेड लिखतों को जारी करने के इच्छुक बैंक/ एनबीएफसी / अन्य व्यक्ति भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार प्राप्त किया जाने वाला अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।
प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करने के लिए अधिकृत /अनुमोदित सभी व्यक्तियों को ऐसे लिखतों को वित्तीय संस्था का नाम / सरकारी संगठन इत्यादि जिनके ग्राहकों / लाभार्थियों के लिए ऐसे को- ब्रांडेड लिखत जारी किए जाते हैं के नाम/लोगो के साथ को-ब्रांड करने की अनुमति दी जाती है। जारीकर्ता का नाम भुगतान लिखत पर प्रमुखता से स्पष्ट होना चाहिए। ऐसे को-ब्रांडेड प्रीपेड लिखतों को जारी करने के इच्छुक एनबीएफसी / अन्य व्यक्ति भारतीय रिजर्व बैंक से एक बार प्राप्त किया जाने वाला अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।
3. हितधारकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त संशोधन को ध्यान में रखें। प्रीपेड भुगतान लिखतों के संबंध में संशोधित समेकित नीतिगत दिशानिर्देश अनुबंध में दिये गए हैं।
भवदीय
(विजय चुग) मुख्य महाप्रबंधक
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