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भारतीय कंपनी द्वारा विदेशी निवेशकों को अंशत: प्रदत्त शेयर और वारंट जारी करना

भारिबैंक/2014-15/123
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 3

14 जुलाई 2014

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय कंपनी द्वारा विदेशी निवेशकों को अंशत: प्रदत्त शेयर और वारंट जारी करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल विनियमावली) की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार केवल ईक्विटी शेयर एवं अनिवार्यत: तथा अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों/डिबेंचरों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अनुपालक लिखत माना जाता है। इसके अलावा, ईक्विटी शेयर अथवा अनिवार्यत: तथा अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयर/डिबेंचर, जिनमें आप्शनैलिटी उपबंध है किन्तु किसी आश्वासित कीमत के बिना निवेश से बाहर जाने का अधिकार है, को भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अनुपालक लिखत माना गया है।

2. अंशत: प्रदत्त शेयरों एवं वारंटों से संबंधित नीति की समीक्षा की गई है और निम्नवत निर्णय लिया गया है :

(i) पात्र लिखत और निवेशक

कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों एवं सेबी के, यथा लागू, दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी अंशत: प्रदत्त शेयर एवं वारंट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों(FIIs)/पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (RFPIs) द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के प्रयोजन हेतु पात्र लिखत होंगे बशर्ते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना तथा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश योजना का अनुपालन होता हो।

(ii) कीमत निर्धारण एवं शेष प्रतिफल राशि की प्राप्ति

(ए) अंशत: प्रदत्त ईक्विटी शेयर

अंशत: प्रदत्त ईक्विटी शेयरों की कीमत का निर्धारण पहले ही (upfront) किया जाएगा एवं कुल प्रतिफल राशि (शेयर प्रीमियम, यदि कोई हो, सहित) के 25% अंश की प्राप्ति भी पहले की जाएगी; पूर्ण प्रदत्त ईक्विटी शेयरों के लिए शेष प्रतिफल राशि 12 माह की अवधि में प्राप्त की जाएगी।

जहां शेयर निर्गम की राशि पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक हो एवं निर्गमकर्ता निगरानी एजेंसी से संबंधित सेबी (पूंजी निर्गम और प्रकटीकरण अपेक्षा) विनियमावली के विनियम 17 का अनुपालन करता हो, वहां शेष प्रतिफल राशि 12 माह में प्राप्त करने पर जोर नहीं दिया जाएगा। इसी प्रकार गैर सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के मामले में जहां शेयर निर्गम की राशि पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक हो, वहां शेष प्रतिफल राशि 12 माह के बाद भी प्राप्त की जा सकती है। हालांकि, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी को सेबी (पूंजी निर्गम और प्रकटीकरण अपेक्षा) विनियमावली के तहत सूचीबद्ध कंपनी की भांति निगरानी एजेंसी की नियुक्ति करनी होगी। ऐसी निगरानी एजेंसी (ए. डी. श्रेणी-I बैंक) सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सेबी के उक्त विनियम में यथा विनिर्देशन के अनुसार निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी को रिपोर्ट करेगी।

(बी) वारंट

वारंटों की कीमत का निर्धारण और कीमत/परिवर्तन फार्मूला पहले ही निर्धारित किया जाएगा एवं 25% प्रतिफल राशि की प्राप्ति भी पहले ही की जाएगी। पूर्ण प्रदत्त ईक्विटी शेयरों के लिए शेष प्रतिफल राशि 18 माह की अवधि में प्राप्त की जाएगी;

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट वर्तमान फेमा विनियमावली और कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार, परिवर्तन के समय कीमत ऐसे वारंटों के निर्गम के समय आकलित उचित मूल्य से कभी कम नहीं होनी चाहिए। अत: निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी पहले से सहमत कीमत से अधिक प्रतिफल राशि प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र होगी।

(iii) रिपोर्टिंग

(ए) अंशत: प्रदत्त ईक्विटी शेयर

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी लेनदेन के प्रत्येक अपफ्रंट/बिक्रय भुगतान के बाबत विदेशी आवक विप्रेषण की प्राप्ति की रिपोर्टिंग एडवांस रिपोर्टिंग फार्म (फार्मेट संलग्न) में की जाएगी एवं उसके साथ विदेशी आवक विप्रेषण प्रमाणपत्र की प्रति/प्रतियां, अनिवासी निवेशक के संबंध में अपने ग्राहक को जानने संबंधी रिपोर्ट एवं सरकारी अनुमोदन, यदि कोई हो, के ब्योरे के साथ प्रस्तुत की जाएगी/जाएंगी। जहां तक ईक्विटी शेयरों की बिक्री की जाती है, अंशत: प्रदत्त शेयरों के निर्गम अथवा अंतरण की रिपोर्टिंग क्रमश: फार्म FC-GPR एवं FC-TRS में की जाएगी। विदेशी संस्थागत निवेशकों/ पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा अंशत: प्रदत्त शेयरों की खरीद/बिक्री की रिपोर्टिंग फार्म LEC में नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा फेमा विनियमों के अनुसार की जानी चाहिए।

(बी) वारंट

वारंटों के जारी करने के समय अपने ग्राहक को जानने संबंधी मानकों के अनुपालन हेतु अनिवासी निवेशक की पहचान का प्रकटीकरण किया जाएगा।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी लेनदेन के प्रत्येक अपफ्रंट/बिक्रय भुगतान के बाबत विदेशी आवक विप्रेषण की प्राप्ति की रिपोर्टिंग एडवांस रिपोर्टिंग फार्म (फार्मेट संलग्न) में की जाएगी एवं उसके साथ विदेशी आवक विप्रेषण प्रमाणपत्र की प्रति/प्रतियां, अनिवासी निवेशक के संबंध में अपने ग्राहक को जानने संबंधी रिपोर्ट एवं सरकारी अनुमोदन, यदि कोई हो, के ब्योरे के साथ प्रस्तुत की जाएगी/जाएंगी। वारंटों के निर्गम अथवा अंतरण की रिपोर्टिंग क्रमश: फार्म FC-GPR एवं FC-TRS में "अन्य" शीर्षक के अंतर्गत की जाएगी जो ईक्विटी शेयरों के संबंध में उस राशि सीमा को दर्शाएगी जिसकी बिक्री कंपनी ने की है। विदेशी संस्थागत निवेशकों/पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा वारंटों की खरीद/बिक्री की रिपोर्टिंग फार्म LEC में "अन्य" शीर्षक के अंतर्गत उचित ब्योरे देते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों/पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों के नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा फेमा विनियमों के अनुसार की जानी चाहिए।

(iv) अनुपालन

अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के मामले में वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार प्रवेश मार्ग, सेक्टोरल कैप से संबंधित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की सभी शर्तों एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी दिशानिर्देशों के अंतर्गत विनिर्दिष्ट सभी अन्य शर्तों के अनुपालन का दायित्व निवेश प्राप्तकर्ता के साथ-साथ निवासी अंतरक अथवा अंतरिती पर होगा। अंशत: प्रदत्त शेयरों के मामले में कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों के अंतर्गत अपेक्षित नाटिस देने का दायित्व भी निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी पर होगा। एकल सीमा कुल प्रदत्त पूंजी के 10% से न्यून रखने के अनुपालन का दायित्व प्रत्येक विदेशी संस्थागत निवेशक/पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशक का होगा। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों/पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा सकल रूप में अंशत: प्रदत्त शेयरों के प्रत्येक निर्गम में किया गया निवेश तत्संबंध में लागू समग्र सीमा से अधिक नहीं होगा।

अन्य शर्तें

3. निम्नलिखित अन्य शर्तों का भी पालन किया जाएगा:

(ए) भारतीय कंपनी जिसकी गतिविधियां सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती हैं, उससे अपेक्षित होगा कि वह अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम से पहले, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड, भारत सरकार से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करे।

(बी) मांग राशि के भुगतान न होने पर कंपनी अधिनयिम, 2013 के उपबंधों एवं यथा लागू आयकर उपबंधों के अनुसार अपफ्रंट अदा की गई राशि जब्त की जा सकेगी।

(सी) अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम के समय कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि शेयरों के पूर्ण प्रदत्त होने अथवा वारंटों के पूर्ण प्रदत्त ईक्विटी शेयरों में परिवर्तित होने के बाद भी सेक्टोरल कैप भंग न हो। इसी भांति, अंशत: प्रदत्त शेयरों अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों अथवा वारंटों के अर्जक अनिवासी निवेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि शेयरों के पूर्ण प्रदत्त होने अथवा वारंटों के पूर्ण प्रदत्त ईक्विटी शेयरों में परिवर्तित होने के बाद भी सेक्टोरल कैप भंग न हो।

(डी) अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों में अंशदान मानने हेतु, विदेशी निवेशकों द्वारा यथा लागू कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार प्रतिफल राशि के भुगतान को आस्थगित करना अथवा प्रतिफल राशि की प्राप्ति में कमी इन दिशानिर्देशों के तहत नहीं आएगी। इस प्रकार अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम के बाबत इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी से अपेक्षित है कि वह अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम के बारे में कंपनी अधिनियम, 2013 की अपेक्षाओं का अनुपालन करे।

4. यथा लागू कंपनी अधिनियम के उपबंधों/सेबी के दिशानिर्देशों/आयकर प्रावधानों के अनुसार भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम में अनिवासी भारतीय अप्रत्यावर्तनीय आधार पर निवेश करने के लिए पात्र होंगे। अनिवासी भारतीयों द्वारा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर अंशत: प्रदत्त शेयरों/वारंटों के निर्गम में किए निवेशों पर समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 4 में विनिर्दिष्ट शर्तें भी लागू होंगी।

5. भारतीय रिज़र्व बैंक ने 8 जुलाई 2014 के जी.एस.आर. सं. 436(ई) के जरिए अधिसूचना सं. फेमा.308/2014-आरबी के द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2014 द्वारा मूल विनियमावली को अब संशोधित कर दिया है।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराएं।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


[14 जुलाई 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.3 का संलग्नक]

एडवांस रिपोर्टिंग सिस्टम

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों/अन्य के
निर्गम हेतु प्रतिफल राशि की प्राप्ति के संबंध में भारतीय कंपनी द्वारा रिपोर्ट

(3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी की अनुसूची I के पैरा 9(I)(A) में किए विनिर्देशानुसार प्रतिफल राशि की प्राप्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर कंपनी द्वारा उसके प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय के पास, जिसके क्षेत्राधिकार में घोषणा करने वाली कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है, फाइल किया जाए। )

आयकर विभाग द्वारा निवेश प्राप्तकर्ता (investee) कंपनी को आबंटित स्थायी खाता सं (पैन)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

क्र.

ब्योरा

(अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में)

1.

भारतीय कंपनी का नाम
एवं पंजीकृत कार्यालय का पता

 

फैक्स नं.

 

टेलीफोन नं.

 

ई-मेल पता

 

2.

विदेशी निवेशक/सहयोगी (Collaborator) के ब्योरे

 

नाम

 

पता

 

देश का नाम

 

3.

निधियों की प्राप्ति की तारीख

 

4.

राशि

विदेशी मुद्रा में

भारतीय रुपए में

 

 

5.

निवेश स्वचालित मार्ग अथवा अनुमोदन मार्ग में से किस मार्ग के अंतर्गत है।
यदि अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत है, तो ब्योरे दें
(अनुमोदन पत्र की संदर्भ सं. एवं तारीख)

स्वचालित मार्ग/अनुमोदन मार्ग

6.

उस प्राधिकृत व्यापारी का नाम जिसके माध्यम से विप्रेषण प्राप्त हुआ

 

7.

प्राधिकृत व्यापारी का पता

 

शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों/अन्य के निर्गम के प्रति प्रतिफल राशि की प्राप्ति को प्रमाणित करने वाले विदेशी आवक विप्रेषण प्रमाणपत्र (FIRC) की प्रतिलिपि संलग्न करें।

 

निवेश प्राप्त करने वाली कंपनी के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का हस्ताक्षर

(मुहर)

प्राधिकृत व्यापारी के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का हस्ताक्षर

(मुहर)

केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रयोजनार्थ:

प्राप्त विप्रेषण के लिए यूआईएन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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