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टीयर II पूंजी जुटाने के लिए अधीनस्थ ऋण जारी करना

आरबीआइ/2009-10/147
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 38/21.01.002/2009-10

7 सितंबर 2009
15 भाद्र 1931 (शक)

सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

टीयर II पूंजी जुटाने के लिए अधीनस्थ ऋण जारी करना

कृपया उपर्युक्त विषय पर टीयर II पूंजी जुटाने के लिए अधीनस्थ ऋण जारी करने पर 08 फरवरी 1999 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 5/21.01.002/99, पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - बासल I ढांचा पर 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 6/21.01.002/2009-10 का अनुबंध-5 तथा पूंजी पर्याप्तता और बाज़ार अनुशासन पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - नए पूंजी पर्याप्तता ढांचे का कार्यान्वयन पर 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 21/21.06.001/2009-10 का अनुबंध-6 देखें ।

2. वर्तमान में, बैंकों को ऐसे निम्न स्तरीय टीयर II अधीनस्थ बांड जुटाने की अनुमति है जिनमें काल तथा स्टेप-अप ऑप्शन जैसी विशेषताएं न हों । इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं की समीक्षा करने के बाद बैंकों को यह अनुमति देने का निर्णय लिया गया है कि वे टीयर II पूंजी के रूप में काल तथा स्टेप-अप ऑप्शन वाले अधीनस्थ ऋण जारी कर सकें । इस संबंध में शर्तें अनुबंध में दी गई हैं । बैंकों को इन शर्तों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए ।

3. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।

भवदीय

(बी.महापात्र)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

टीयर II पूंजी जुटाने के लिए बैंकों द्वारा अधीनस्थ ऋण के रूप में बेजमानती बांड जारी करना
रुपया अधीनस्थ ऋण

भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों को भारत में रुपया टीयर II अधीनस्थ ऋण जुटाने की अनुमति नहीं है ।

1. बांड जारी करने की शर्तें

टीयर II पूंजी में शामिल करने हेतु पात्र होने के लिए अधीनस्थ ऋण लिखत के रूप में बांड जारी करने की शर्तें निम्नलिखित के अनुरूप होनी चाहिए :

(क) राशि

जुटायी जानेवाली अधीनस्थ ऋण की राशि बैंकों के निदेशक मंडलों द्वारा निश्चित की जानी चाहिए।

(ख) परिपक्वता अवधि

(i) ऐसे अधीनस्थ ऋण लिखतों को जिनकी प्रारभिक परिपक्वता अवधि 5 वर्ष से कम है, या जिनकी एक वर्ष की शेष परिपक्वता है, टीयर -II पूंजी के भाग के रूप शामिल नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, जैसे -जैसे वे परिपक्वता की ओर बढ़ते हैं वैसे-वैसे वे नीचे दी गयी दरों पर प्रगामी बट्टा के अधीन होने चाहिए :

लिखत की शेष परिपक्वता

बट्टा दर (%)

क) एक वर्ष से कम

100%

ख) एक वर्ष से अधिक और दो वर्ष से कम

80%

ग) दो वर्ष से अधिक और तीन वर्ष से कम

60%

घ) तीन वर्ष से अधिक और चार वर्ष से कम

40%

ङ) चार वर्ष से अधिक और पांच वर्ष से कम

20%

(ii) बांडों की 5 वर्ष की न्यूनतम परिपक्वता होनी चाहिए। किन्तु यदि बांड वर्ष की अंतिम तिमाही, अर्थात् 1 जनवरी से 31 मार्च, में जारी किये जाते हैं तो उनकी 63 महीनों की न्यूनतम अवधि होनी चाहिए।

(ग) ब्याज दर

कूपर दर का निर्धारण बैंकों के बोर्ड द्वारा किया जाएगा ।

(घ) कॉल ऑप्शन

अधीनस्थ ऋण लिखतों को किसी ‘पुट ऑप्शन’ के साथ निर्गमित नहीं किया जाएगा । तथापि, बैंक निम्नलिखित शर्तों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए कॉल ऑप्शन के साथ लिखत जारी कर सकते हैं :

(i) कॉल ऑप्शन का प्रयोग लिखत के कम-से-कम 5 वर्ष तक चलते रहने के बाद किया जाए; तथा

(ii) कॉल ऑप्शन का प्रयोग भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) के पूर्व अनुमोदन से ही किया जाएगा । भारतीय रिज़र्व बैंक कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय अन्य बातों के साथ-साथ कॉल ऑप्शन का प्रयोग करते समय तथा उसके बाद बैंक की सीआरएआर स्थिति को विचार में लेगा ।

(ङ) स्टेप-अप ऑप्शन

निर्गमकर्ता बैंक के पास स्टेप-अप ऑप्शन हो सकता है जिसका प्रयोग निर्गम की तारीख से पांच वर्ष समाप्त हो जाने के बाद तथा कॉल ऑप्शन के साथ लिखत के संपूर्ण जीवनकाल में केवल एक ही बार किया जा सकता है । उक्त स्टेप-अप 50 आधार अंक से अधिक नहीं होगा। स्टेप-अप संबंधी सीमाएं निर्गमकर्ता बैंकों की ऋण से संबंधित संपूर्ण लागत पर लागू हैं।

(च) अन्य शर्तें :

(i) लिखत पूर्णत: चुकता, बेजमानती, अन्य लेनदारों के दावों के अधीनस्थ, प्रतिबंधात्मक शर्तों से मुक्त होने चाहिए तथा वे धारक की पहल पर या भारतीय रिज़र्व बैंक की सहमति के बिना प्रतिदेय नहीं होने चाहिए।

(ii) अनिवासी भारतीयों/ओसीबी/एफआइआइ को जारी किये जाने के लिए विदेशी मुद्रा विभाग से आवश्यक अनुमति ली जानी चाहिए।

(iii) बैंकों को चाहिए कि अगर सेबी/अन्य विनियामक प्राधिकारियों द्वारा इन लिखतों के निर्गम के संबंध में कोई शर्तें निर्धारित की गयी हों तो वे उनका पालन करें।

(छ) बैंकों को टीयर II पूंजी के रूप में जुटाए गए अधीनस्थ ऋण की राशि का उल्लेख तुलन पत्र में विवेचनात्मक नोट्स/टिप्पणी के रूप में तथा तुलन पत्र की अनुसूची 5 में ‘अन्य देयताएं एवं प्रावधान’ के अंतर्गत करना चाहिए ।

2. टीयर II पूंजी में शामिल करना

अधीनस्थ ऋण लिखत बैंक की टीयर - 1 पूंजी के 50 प्रतिशत तक सीमित होंगे। टीयर II पूंजी के अन्य घटकों के साथ ये लिखत टीयर 1 पूंजी के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए।

3. बांडों की जमानत पर अग्रिम प्रदान करना

बैंकों को अपने स्वयं के बांडों की जमानत पर अग्रिम पदान नहीं करने चाहिए।

4. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का पालन

बैंक द्वारा जुटायी गयी अधीनस्थ ऋण की कुल राशि को आरक्षित निधि की अपेक्षाओं के प्रयोजन के लिए निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए देयता के रूप में गिना जाएगा और इस प्रकार उस पर सीआरआर/एसएलआर संबंधी अपेक्षाएं लागू होंगी।

5. अधीनस्थ ऋण में निवेश पर कार्रवाई

बैंकों द्वारा अन्य बैंकों के अधीनस्थ ऋण में निवेशों पर पूंजी पर्याप्तता प्रयोजन के लिए 100% जोखिम भार दिया जायेगा। साथ ही, अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी टीयर II बांडों में बैंक का कुल निवेश निवेशकर्ता बैंक की कुल पूंजी की 10 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर होगा। इस प्रयोजन के लिए पूंजी वही होगी जो पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन के लिए गिनी जाती है।

6. भारतीय बैंकों द्वारा जुटाया गया विदेशी मुद्रा में अधीनस्थ ऋण

बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से मामला-दर मामला आधार पर अनुमोदन ले सकते हैं।

7. रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाएं

बैंकों को चाहिए कि वे निर्गम पूरा होने के तुरंत बाद ऑफर दस्तावेज की प्रति सहित जुटायी गयी पूंजी के ब्यौरे जैसे जुटायी गयी राशि, लिखत की परिपक्वता, ब्याज दर देते हुए रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें।

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