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अपने ग्राहकों को जानने (केवाईसी) संबंधी मानक /धनशोधन निवारण मानदण्ड (ऐंटी मनी लांडरिडग स्टैंडर्ड) /आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ संघर्ष(सीएफटी)

भारिबैं/2007-08/294
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि.सं. /113 /03.10.042/2007-08

23 अप्रैल 2008

सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ और
अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाँ

 
प्रिय महोदय
 

अपने ग्राहकों को जानने (केवाईसी) संबंधी मानक /धनशोधन निवारण मानदण्ड
(ऐंटी मनी लांडरिडग स्टैंडर्ड) /आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ संघर्ष(सीएफटी)

 

कृपया उल्लिखित विषय पर 21 फरवरी 2005 का हमारा कंपनी परिपत्र गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि. सं. 48/10.42/2004-05 देखें। उसके अनुलग्नक मार्गदर्शी सिद्धांतों में, अन्य बातों के साथ, यह सूचित किया गया था कि ग्राहक की पहचान करने का अर्थ है ग्राहक की पहचान(शिनाख्त) करना और अपनी संतुष्टि के लिए विश्वस्त स्वतंत्र स्रोतों, दस्तावेजों, आंकड़ों या सूचना से उसका सत्यापन करना।

2. 21 फरवरी 2005 के उक्त परिपत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह भी स्पष्ट किया गया था कि "संतुष्ट होने" का अर्थ है, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा हर हालत में सक्षम प्राधिकारियों को इस बात से संतुष्ट करना कि लागू मौजूदा मार्गदर्शी सिद्धातों के अनुपालन में, ग्राहक की जोखिम प्रोफाइल के आधार पर, समुचित सावधानी बरती गई है। उसी परिपत्र के अनुबंध II में ग्राहक की पहचान करने से संबंधित दस्तावेजों के स्वरूप एवं प्रकार की उदाहरण रूपी सूची भी दी गई थी जिन पर निर्भर किया जा सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि अनुबंध II में जिस सूची को स्पष्ट रूप से उदाहरण के रूप में दिया गया था, उसे कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने व्यापक सूची के रूप में समझ लिया हो और परिणामत: जनता के एक वर्ग को वित्तीय संवाओं तक पहुंचने से मना कर दिया गया हो। अस्तु गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे इस संबंध में अपने मौजूदा आंतरिक अनुदेशों की समीक्षा करें।

3. यह स्पष्ट किया जाता है कि हमारे उल्लिखित परिपत्र के अनुबंध II में वर्णित स्थायी सही निवास का अर्थ उस पते से है जहाँ कोई व्यक्ति आमतौर पर रहता है तथा किसी उपभोक्ता बिल या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा ग्राहक के पते के रूप में स्वीकार किए गए किसी अन्य दस्तावेज में अंकित पते से है। यदि राशि जमा करने वाले व्यक्ति के नाम में उपभोक्ता बिल न हो किन्तु वह निकट संबंधी अर्थात पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता-पिता हों जो अपने पति, पिता/माता तथा पुत्र के साथ रहते हों तो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी ऐसे भावी ग्राहक की पहचान के रूप में उल्लिखित व्यक्तियों के पहचान संबंधी दस्तावेज और उपभोक्ता बिल, संबंधित व्यक्ति के इस आशय के घोषणा पत्र के साथ ले सकते हैं कि खाता खोलने का इच्छुक व्यक्ति घोषणाकर्ता का संबंधी है और उसके साथ रहता है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ पते के सत्यापन के लिए किसी पूरक साक्ष्य का सहारा ले सकती हैं जैसे सत्यापन स्वरूप डाक से प्राप्त पत्र। इस विषय पर अपनी शाखाओं को परिचालन संबंधी अनुदेश जारी करते समय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों की भावना को ध्यान में रखें और अन्यथा कम जोखिम वाले ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत व्यक्तियों के लिए अवांछित अड़चनें पैदा न करें।

4. 21 फरवरी 2005 के उल्लिखित परिपत्र के अनुबंध के पैराग्राफ 4 में अंतर्विष्ट अनुदेशों में यह अपेक्षा की गई है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ खातों के जोखिम वर्गीकरण और किसी ग्राहक के उच्च जोखिम वाला होने के अनुमान के तहत और ज्यादा समुचित सावधानी बरतने की आवधिक समीक्षा करने की प्रणाली स्थापित करें। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह भी सूचित किया जाता है कि ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा आवधिक आधार पर करें जिसकी बारंबारता 6 माह में एक बार से कम न हो। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ खाते खोलने के बाद ग्राहकों क ट पहचान संबंधी आंकड़ों (फोटोग्राफ सहित) को आवधिक आधार पर अद्यतन करने की प्रणाली भी लागू करें। इस प्रकार अद्यतन करने की आवधिकता कम जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में हर पांच वर्ष में एक बार तथा मध्यम एवं उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में हर दो वर्ष में एक बार से कम न हो।

5. 21 फरवरी 2005 के हमारे उत्त परिपत्र के अनुबंध के पैरा 9 के अनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को यह भी सूचित किया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी केवाईसी/एएमएल मार्गदर्शी सिद्धांत इन कंपनियों की भारत से बाहर, विशेषकर एफएटीएफ संस्तुतियों को या तो लागू न करने वाले या अपर्याप्त रूप में लागू करने वाले देशों में स्थित शाखाओं एवं प्रमुख रूप से स्वाधिकृत सहायक कंपनियों पर भी उस सीमा तक लागू होगें जहाँ तक उस देश के कानून अनुमति देते हैं। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक एवं मेजबान देश के विनियामक द्वारा जारी केवाईसी/एएमएल मार्गदर्शी सिद्धांतों में यदि भिन्नता हो तो उनमें से जो भी सिद्धांत सख्त होगें उन्हें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की शाखाओं/ओवरसीज़ सहायक कंपनियों द्वारा अपनाया जाए।

6. आतंकवाद के वित्त्पोषण के खिलाफ संघर्ष

क) धनशोधन निवारण अधिनियम-नियमावली के अनुसार संदिग्ध लेनदेन में, अन्य बातों के साथ-साथ, वे लेनदेन शामिल हैं जो आतंकवाद से संबधित गतिविधियों का वित्तपोषण किये जाने के संदेह के लिए पर्याप्त आधार मुहैया कराते हें। इसलिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि आतंकी संबंधों के होने के संदेह वाले खातों की और अधिक निगरानी करने एवं ऐसे लेनदेनों की त्वरित पहचान करके वित्तीय आसूचना-एकक-भारत (FIU-IND) को उचित रिपोर्ट वरीयता से भेजने के लिए उचित नीतिगत ढांचे की मार्फत एक तंत्र विकसित करें।

ख) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विविध संकल्पों के अनुसरण में स्थापित सुरक्षा परिषद समिति द्वारा व्यक्तियों तथा संस्थाओं की अनुमोदित सूची भारत सरकार से जब भी प्राप्त होती है, रिज़र्व बैंक उसे सभी बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित) में परिचालित करता है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित व्यक्तियों एवं संस्थाओं की सूची को समेकित एवं अद्यतन करना सुनिश्चित करें। इसे अलावा ऐसे व्यक्तियों एवं संस्थाओं की अद्यतन सूची संयुक्त राष्ट्र संघ की वेबसाइट http://www.un.org/sc/committees/1267/consolist.shtml. से प्राप्त की जा सकती है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचित किया जाता है कि नए खाते खोलने से पूर्व वे यह सुनिश्चित करें कि प्रस्तावित ग्राहक का /ग्राहक के नाम ऐसी सूची में न हो। इसके अलावा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को (उनके पास रखे गए) सभी मौजूदा खातों की जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें किसी ऐसी संस्था/ व्यक्ति का नाम न हो जो ऐसी सूची में दर्ज हो। उक्त सूची में शामिल किसी व्यक्ति/संस्था से सादृश्य वाले व्यक्ति/संस्था के खाते का पूरा ब्योरा तुरंत भारतीय रिज़र्व बैंक एवं वित्तीय आसूचना-एकक-भारत (FIU-IND) को प्रस्तुत किया जाए।

7. यह ध्यान देने योग्य है कि अपराधियों द्वारा बैंकिंग/वित्तीय चैनल का दुरुपयोग करने पर रोकने लगाने को सुनिश्चत करने के लिए केवाईसी/एएमएल स्टैंडर्ड/सीएफटी उपायों का निर्धारण किया गया है। इसलिए यह आवश्यक है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां कार्मिकों की भर्ती/उन्हें भाड़े पर लेने को पर्याप्त जांच तंत्र का अभिन्न अंग बनाएं।

8. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-ट एवं 45-ठ के अंतर्गत ये मार्गदर्शी सिद्धांत जारी किए जाते हैं एवं इस संबंध में किया गया कोई उल्लंघन उक्त अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के अंतर्गत दण्डनीय हो सकता है।

 
 
भवदीय
 
 
(पी. कृष्णमूर्ति)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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