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अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – पीएमएल नियमावली के अंतर्गत ई-आधार को एक 'आधिकारिक वैध दस्तावेज' के रूप में स्वीकार करना

आरबीआई/2013-14/510
बैंपविवि. एएमएल. बीसी सं. 100/14.01.001/2013-14

4 मार्च 2014

अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)/
स्थानीय क्षेत्र बैंक/ अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं

महोदय

अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व – पीएमएल नियमावली के अंतर्गत ई-आधार को एक 'आधिकारिक वैध दस्तावेज' के रूप में स्वीकार करना

कृपया अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर दिनांक 1 जुलाई 2013 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 24/14.01.001/2013-14 का पैरा 2.6 (आ) (क) देखें जिसमें कहा गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई हो, को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। साथ ही, उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2.6(आ) (घ) के अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया है कि आधार पर आधारित खाते खोलते समय यदि खाताधारक द्वारा उपलब्ध कराया गया पता आधार पत्र पर दिए गए पते के समान है, तो उसे पहचान और पता, दोनों के सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

2. इस संबंध में 2 सितंबर 2013 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 44/14.01.001/2013-14 देखें, जिसमें धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के अंतर्गत केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में ई-केवाईसी सेवा स्वीकार करने संबंधी निर्णय की सूचना दी गई है। साथ ही, यह भी सूचित किया गया है कि ई-केवाईसी प्रक्रिया के परिणाम के रूप में यूआईडीएआई से उपलब्ध कराए गए जन सांख्यिकीय विवरण और फोटोग्राफ वाली सूचना (जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है और बाद में संदर्भ के लिए उपयोग हेतु सुलभ है) पीएमएल नियमावली के अंतर्गत ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ माना जाए।

3. इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंक यूआईडीएआई की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए ई-आधार को निम्नलिखित के अधीन आधिकारिक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार कर सकते हैं:

क) यदि भावी ग्राहक केवल अपनी आधार संख्या जानता /जानती है, तो बैंक भावी ग्राहक के ई-आधार पत्र को बैंक में ही यूआईडीएआई पोर्टल से सीधे मुद्रित कर सकता है; या उपर्युक्त पैरा 2 में दिए गए अनुसार ई-केवायसी प्रक्रिया अपना सकता है।

ख) यदि भावी ग्राहक के पास ई-आधार की कहीं और से डाउनलोड की गयी प्रति है तो बैंक, ई-आधार पत्र को बैंक में ही यूआईडीएआई पोर्टल से सीधे मुद्रित कर सकता है; या उपर्युक्त पैरा 2 में दिए गए अनुसार ई-केवायसी प्रक्रिया अपना सकता है; या यूआईडीएआई के सरल प्रमाणीकरण सेवा के माध्यम से निवासी की पहचान और पते की पुष्टि कर सकता है।

4. यूआईडीएआई द्वारा जारी तथा डाक से प्राप्त भौतिक आधार कार्ड/ पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या निर्दिष्ट है और उपर्युक्त पैरा 2 में दिए गए अनुसार ई-केवायसी प्रक्रिया को एक 'आधिकारिक वैध दस्तावेज के रूप में' स्वीकार किया जाना जारी रहेगा।

5. उपरोक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए बैंक अपनी केवायसी नीति को संशोधित करें तथा इनका कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित करें।

भवदीय

(प्रकाश चंद्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक

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