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अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व

आरबीआई/2013-14/135
बैंपविवि. एएमएल. बीसी सं. 29/14.01.001/2013-14

12 जुलाई 2013

अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)/
स्थानीय क्षेत्र बैंक/ अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं

महोदय

अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व

कृपया 3 मई 2013 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैरा 89 (उद्धरण संलग्न) का संदर्भ देखें, जिसमें यह इंगित किया गया था कि बैंक अभिकर्ता के रूप में तृतीय पक्ष उत्पादों का विपणन और वितरण करते समय अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/धनशोधन निवारण (एएमएल)/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध संबंधी दिशानिर्देशों में की गई अपेक्षा के अनुसार न तो ग्राहक संबंधी उचित सावधानी बरत रहे हैं और न ही अभिलेखों का ब्योरा रख रहे हैं। यह भी इंगित किया गया था कि कुछ बैंक ऐसे मामलों में, जहां भी जरूरी हो, नकद लेनदेन रिपोर्ट अथवा संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट फाईल नहीं कर रहे हैं, जहां ऐसा करना अपेक्षित है। साथ ही, अनेक बैंकों द्वारा केवाईसी/एएमएल संबंधी दिशानिर्देशों के कथित तौर पर उल्लंघन को ध्यान में रखकर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा हाल ही में की गई जांच से पता चला है कि इन दिशानिर्देशों का, विशेष रूप से अकस्मात ग्राहकों के मामले में, उल्लंघन हुआ है। इस पृष्ठभूमि में, यह आवश्यक माना गया है कि सख्ती से पालन के लिए केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी कुछ मौजूदा दिशानिर्देशों को दोहराया और मजबूत बनाया जाए।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक ने उपर्युक्त विषय पर समय-समय पर अनेक दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्न बातें भी शामिल हैं:

(क) 1 जुलाई 2013 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 24/14.01.001/2013-14 के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे केवाईसी संबंधी नीति बनाएं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, ग्राहक स्वीकृति नीति और ग्राहक पहचान प्रक्रिया शामिल है। 19 नवंबर, 1998 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 110/21.02.051/98 के अनुसार, खाता खोलते समय और एक बार में 50,000 रुपये से अधिक की राशि जमा करते समय, अन्य बातों के साथ-साथ, पैन संख्या बताना अनिवार्य है और ऐसा कोई व्यक्ति जिसे पैन संख्या प्रदान नहीं की गई है, उसे फार्म सं. 60/61 में घोषणा करनी होगी।

(ख) मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 1.2 में ग्राहक को अन्य बातों के साथ-साथ ‘ऐसे व्यक्ति या संस्था के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका बैंक में खाता हो और/अथवा बैंक के साथ व्यावसायिक संबंध रखता हो’ और ‘वित्तीय लेनदेन से जुड़ा ऐसा व्यक्ति या संस्था जो बैंक के लिए महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा संबंधी अथवा अन्य जोखिम ला सकता है, जैसे, एकल लेनदेन के रूप में तार अंतरण अथवा अधिक मूल्य के डिमांड ड्राफ्ट जारी करना।‘ साथ ही, मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.5 (i) के अनुसार गैर-खाता आधारित ग्राहक जो एक अकस्मात ग्राहक होता है, द्वारा की गई लेनदेन के ऐसे मामले में जिसमें लेनदेन की राशि पचास हजार रुपये या उससे अधिक हो, जो चाहे एक लेनदेन अथवा जुड़े हुए प्रतीत होने वाले अनेक लेनदेन के रूप में की गई हो, ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन किया जाना चाहिए।  तथापि, यदि बैंक को किसी कारणवश यह लगता है कि कोई ग्राहक (खाता आधारित अथवा अकस्मात) किसी लेनदेन को जानबूझकर 50,000/- रुपये की प्रारंभिक सीमा से कम के अनेकों लेनदेन का रूप दे रहा हो, तो बैंक ऐसे ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन करे और एफआईयू-आईएनडी को संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट भेजने पर भी विचार करें।’

धनशोधन निवारण नियमावली, 2005 के नियम 9 के उप-नियम (1) के खंड (ख) (ii) के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थाओं से अपेक्षित है कि सभी अंतर्राष्ट्रीय धन अंतरण संबंधी लेनदेन के लिए ग्राहकों के पते का सत्यापन करें।

(ग) मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.1 (ii) के अनुसार बैंक यह सुनिश्चित करें कि 50,000/- रुपये या उससे अधिक की राशि के भुगतान और इस कीमत का ट्रवेलर चेक जारी करना ग्राहक के खाते मे नामे बट्टे डालने से अथवा चेक से प्रभावी होता है। 16 अगस्त 2002 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.एएमएल. बीसी. 18/14.01.001/2002-03 के पैराग्राफ 4(i) के अनुसार 50,000/- रुपये से अधिक की राशि के उपर्युक्त लेनदेन का आवेदक (चाहे ग्राहक हो अथवा नहीं) आवेदन पर पैन संख्या लिखनी चाहिए। सर्वप्रथम 1991 में जारी अनुदेश को 4 फरवरी, 1999 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. आईबीएस. 1816/23.67.001/98-99 के माध्यम से ग्राहकों द्वारा 50,000/- रुपये और उससे अधिक की राशि के सोना/चांदी/प्लेटिनम के खरीद तक विस्तारित कर दिया गया।

(घ) मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.5 और 2.21 के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे, जहां भी जरूरी हो, नकद लेनदेन रिपोर्ट और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट दर्ज करें (अर्थात् किसी लेनदेन को प्रारंभिक सीमा से कम के अनेक लेनदेन का रूप देना)

(ङ) मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.20 (iv) (ग) के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि जब जोखिम वर्गीकरण और ग्राहकों की अद्यतन की गई प्रोफाइल के संबंध में लेनदेन असंगत हो, तो बैंक चेतावनी भेजने के लिए उचित साफ्टवेयर लगाएं।  साथ ही, यह भी कहा गया है कि चेतावनी भेजने वाला अच्छा साफ्टवेयर संदिग्ध लेनदेन की प्रभावपूर्ण पहचान करने और रिपोर्ट करने के लिए आवश्यक है।

(च) मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2.20 के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे संबंधित विधिक अपेक्षाओं के अनुपालन के लिए लेनदेन का समुचित रिकार्ड रखें।

(छ) साथ ही, आय कर नियमावली के नियम 114 बी के अनुसार नियमावली में सूचीबद्ध किए गए विभिन्न लेनदेन से संबंधित सभी दस्तावेजों में प्रत्येक व्यक्ति अपनी पैन संख्या का उल्लेख करे, जिसमें उप-नियम (जे) के अनुसार किसी एक दिवस के दौरान बैंक में पचास हजार रुपये या उससे अधिक का नकद जमा शामिल है।

3. जबकि पैराग्राफ 2(ख) में दिए गए दिशानिर्देश अकस्मात ग्राहकों के संबंध में विशेष तौर पर लागू होते हैं, उपर्युक्त पैराग्राफ 2(ग), (घ), (ड.), (च) (छ) खाता आधारित और अकस्मात ग्राहकों के संबंध में समान रूप से लागू हैं।

4. यह पाया गया कि कई बैंकों ने उपर्युक्त दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।  स्पष्ट उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं:

(क) जहां कहीं बीमा उत्पादों/तृतीय पक्ष उत्पादों की बिक्री के लिए नकदी लेनदेन 50,000 रुपये से अधिक रहा है वहां अकस्मात ग्राहकों की पहचान और पते का सत्यापन नहीं किया गया था।

(ख) कई मामलों में डिमांड ड्राफ्ट/स्वर्ण सिक्के/तृतीय पक्ष उत्पाद 50,000/- रुपये से अधिक की नकदी लेकर ग्राहकों/अकस्मात ग्राहकों को जारी किए गए/बेचे गए।

(ग) यह मानने के लिए पर्याप्त कारण रहने के बावजूद कि रिपोर्टिंग अथवा निगरानी से बचने के लिए ग्राहक जानबूझकर नकदी लेनदेन को 50,000/- रुपये से कम का रख रहा था, फिर भी बैंक अकस्मात ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन नहीं कर रहे थे अथवा एफआईयू-आईएनडी के पास सीटीआर/एसटीआर दर्ज नहीं कर रहे थे।

(घ) सीटीआर/एसटीआर दर्ज न कराने का मामला ऐसे खाता आधारित ग्राहकों के संबंध में भी देखा गया है जो रिपोर्टिंग अथवा निगरानी से बचने के लिए नकदी लेनदेन को जानबूझकर 50,000/- रुपये से कम का रख रहा हो।

(ङ) 50,000 रुपये और उससे अधिक की लेनदेन के मामले में पैन संख्या/फार्म 60/61 प्राप्त न किया गया हो। कुछ मामलों में नकली/काल्पनिक पैन संख्या भी बताए गए थे।

(च) कुछ बैंकों में प्रयुक्त साफ्टवेयर विविध जमा खाता, नकदी संग्रह खाता इत्यादि जैसे आंतरिक खातों में अकस्मात ग्राहकों द्वारा जमा नकद का हिसाब रखने में सक्षम नहीं था, जिससे यथोचित लेखांकन शीर्ष को अंतरण, स्वर्ण/चांदी/प्लेटिनम और तृतीय पक्ष उत्पादों की बिक्री लंबित पड़ जाती है जिससे सीटीआर/एसटीआर दर्ज कराने के लिए चेतावनी भेजी जा सके।

(छ) कुछ बैंक अकस्मात ग्राहकों के मामले में रिकार्ड नहीं रख रहे थे।

इस संबंध में, यह दोहराया जाता है कि बैंक अनुदेशों का सावधानी से और पूर्णतः पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के उल्लंघन की पुनरावृत्ति न हो। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसे उल्लंघनों को गंभीरता से लिए जाएगा, और उसमें अर्थदंड लगाया जाना शामिल होगा।

5. जब बैंक अभिकर्ता के रूप में तृतीय पक्ष उत्पाद बेचते है, तो केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व तृतीय पक्ष का होता है। जबकि, बैंकों की प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम कम करने और ग्राहक के लेनदेन का समग्र रूप तय करने के लिए बैंक नीचे दिये गये अनुदेशों का पालन करें:

(क) अभिकर्ता के रूप में तृतीय पक्ष उत्पादों को बेचते समय भी, बैंक अकस्मात ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन करें।

(ख) बैंक कुछ अवधि के लिए और मास्टर परिपत्र के पैरा 2.20 में निर्धारित तरीके के अनुसार तृतीय पक्ष उत्पादों की बिक्री के संबंध में लेनदेन ब्यौरा और संबंधित अभिलेख भी रखें।

(ग) बैंक का एएमएल साफ्टवेयर अकस्मात ग्राहकों सहित सभी ग्राहकों के साथ तृतीय पक्ष उत्पाद से संबंधित लेनदेन के संबंध में सीटीआर/एसटीआर दर्ज कराने के उद्देश्य से चेतावनी प्राप्त करने, भेजने और विश्लेषण करने में समर्थ हो।

(घ) निधियों के भुगतान/ट्रवेलर चेक जारी करना, सोना/चांदी/प्लेटिनम की बिक्री के लिए ग्राहक के खाते में नामे बट्टे डालने से अथवा चेक के माध्यम से भुगतान करने के अनुदेश और उपर्युक्त पैरा 2(ग) में दिए ब्यौरे के अनुसार 50,000/- रुपये और इससे अधिक की राशि की लेनदेन के लिए पैन संख्या लिखने की आवश्यकता बैंक द्वारा अभिकर्ता के रूप में अकस्मात ग्राहकों सहित सभी ग्राहकों को तृतीय पक्ष उत्पादों की बिक्री के संबंध में भी लागू होगी।

6. तृतीय पक्ष उत्पादों के संबंध में उपर्युक्त अनुदेश बैंक के स्वयं के उत्पादों की बिक्री, क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान/प्रीपेड/ट्रवेलरकार्ड की बिक्री और रिलोडिंग और 50,000/- रुपये की प्रारंभिक सीमा के ऊपर अन्य किसी उत्पाद की बिक्री के संबंध में लागू होगी।

7. बैंक खाता आधारित और अकस्मात ग्राहकों द्वारा दिए गए पैन संख्या का सत्यापन रिपोर्ट के निष्कर्षों को ध्यान में रखकर करें कि नकली/काल्पनिक पैन संख्या 50,000/- रुपये और उससे अधिक की राशि के लेनदेन के लिए उद्धरित की गई थी। यह दोहराया जाता है कि बैंक की आंतरिक लेखा परीक्षा और अनुपालनात्मक कार्य अपने ग्राहक को जानिए संबंधी नीतियों और प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करें और उनका पालन सुनिश्चित करें। समवर्ती/आंतरिक लेखा परीक्षक शाखाएं अपने ग्राहक को जानिए प्रक्रिया की प्रयोज्यता की विशेष रूप से जांच और सत्यापन करें और पाई गई गलती पर टिप्पणी करें। इस संबंध में अनुपालन त्रैमासिक अंतराल पर बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति के समक्ष रखी जानी चाहिए।

8. यह दोहराया जाता है कि बैंकों में प्रयुक्त होनेवाले एएमएल संबंधी साफ्टवेयर इतना बहुग्राही और पुष्ट होना चाहिए कि वह सभी नकद और अकस्मात ग्राहकों से संबंधित लेनदेन सहित अन्य लेनदेन, सोना/चांदी/प्लेटिनम की बिक्री, क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान/प्रीपेड/ट्रवेल कार्ड की रिलोडिंग, तृतीय पक्ष उत्पाद और बैंक के आंतरिक खातों वाले लेनदेन पर पकड़ बनाए रखे। ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण के लिए सीटीआर/एसटीआर की उपयोगिता की भी जांच की जानी चाहिए।

9. मास्टर परिपत्र के पैरा 2.11 (ख) के अनुसार बैंकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि उनकी लेखा परीक्षा संबंधी प्रणाली में ऐसे कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त हो जो केवाईसी संबंधी नीतियों और प्रक्रियाओं से भली-भांति वाकिफ हो। बैंकों से यह सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है कि केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी प्रक्रियाओं में विशेषकर संदिग्ध लेनदेन संबंधी चेतावनी की जांच और विश्लेषण में, ऐसे कर्मचारी पर्याप्त संख्या में लगे हो जो केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी विनियम और कार्यविधि से भली-भांति वाकिफ हो।

10. बैंक उक्त अनुदेशों को ध्यान में रखकर केवाईसी/एएमएल/सीएफटी संबंधी अपनी नीति की समीक्षा करे और इनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।

भवदीय

(प्रकाश चंद्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नकः यथोक्त


मौद्रिक नीति वक्तव्य 2013 – 14

अपने ग्राहक को जानिए संबंधी मानदंड/धनशोधन निवारण संबंधी मानक/आतंकवाद के वित्त्पोषण का प्रतिरोध

89. उपर्युक्त जांच में, यह देखा गया था कि एजेंट के रूप में तृतीय पक्ष के वित्तीय उत्पादों की मार्केटिंग और वितरण करते समय बैंक ग्राहक के संबंध में केवाईसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों के अनुसार समुचित सावधानी (ड्यू डिलिजेंस) का पालन नहीं करते। कुछ बैंक, ऐसे मामलो में, जहां जरूरी हो, नकद लेनदेन रिर्पोट (सीटीआरएस) या संदिग्ध लेनदेन रिर्पोट (एसटीआरएस) भी फाईल नहीं कर रहे हैं। इस संदर्भ में प्रस्ताव है कि, बैंकों को यह कहा जाए कि:

  • भले ही केवाईसी/एएमएल/सीएफटी के नियम प्रमुख अर्थात उत्पादों के तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) विक्रेता पर भी लागू होते हैं, पर जब कभी भी एजेंट के रूप में थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स की बिक्री की जाए तो अत्यंत सतर्कता से वर्तमान केवाईसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों के तहत ग्राहक के बारे में अपेक्षित समुचित सावधानी का पालन करें।

  • केवाईसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों में निर्धारित अवधि व तरीके के अनुसार थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स की बिक्री और संबंधित रिकॉर्डों का ब्यौरा रखा जाए।

  • एजेंट के रूप में तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) के उत्पादों की मार्केटिंग और वितरण करते समय, वर्तमान केवाईसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों के तहत, जहां भी जरूरी हो सीटीआरएस और एसटीआरएस फाईल करे।

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