अपने ग्राहक को जानिए' मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम ( पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व- केवाईसी के अंतर्गत आवधिक रूप से अद्यतन संबंधी मानदंड़ों का सरलकृत किया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए' मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम ( पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व- केवाईसी के अंतर्गत आवधिक रूप से अद्यतन संबंधी मानदंड़ों का सरलकृत किया जाना
आरबीआई/2013-14/167 31 जुलाई 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, अपने ग्राहक को जानिए' मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम ( पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व- केवाईसी के अंतर्गत आवधिक रूप से अद्यतन संबंधी मानदंड़ों का सरलकृत किया जाना कृपया अपने ग्राहक को जानिए' मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अन्तर्गत बैंकों के दायित्व पर 1 जुलाई 2013 का हमारा मास्टर परिपत्र सं. शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं.16/12.05.001/2013-14 का पैरा 2.4 (डी) देखें जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि “खाता खोलने के बाद बैंकों को ग्राहक पहचान संबंधी जानकारी (फोटोग्राफ सहित) को आवधिक रूप से अद्यतन करने की एक प्रणाली प्रारंभ करनी चाहिए। इस तरह से ग्राहक पहचान संबंधी जानकारी को अद्यतन बनाने की आवधिकता कम जोखिम वाले ग्राहकों के मामले में पांच वर्ष में एक बार से कम नहीं होनी चाहिए और उच्च तथा मध्यम जोखिम श्रेणियों के मामले में दो वर्ष में एक बार से कम नहीं होनी चाहिए।” 2. बार-बार नए सिरे से केवाईसी दस्तावेज़ प्राप्त / प्रस्तुत करने में बैंको / ग्राहकों को हो रही कठिनाइयों / बाधाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर समीक्षा की गई है क्योंकि अधिकतर खातों में यह देखा गया है कि पूर्व में प्रस्तुत किए गए केवाईसी-दस्तावेज़, विशेष रूप से निम्न जोखिम वाले ग्राहकों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। तदनुसार, हमें प्राप्त सुझावों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि तत्संबंधी अनुदेशों में निम्नानुसार संशोधन किया जाए:
3. शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त मदों को ध्यान में रखते हुए अपनी केवाईसी नीति में संशोधन करें तथा इस संबंध में सख्त अनुपालन सुनिश्चित करें। भवदीय (ए.के.बेरा) |