अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- मुद्रा परिवर्तन संबंधी गति - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां
भारिबैंक/2009-10/235 27 नवंबर 2009 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान 02 दिसंबर 2005 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 18 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 01), 26 जून 2006 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 02), 17 अक्तूबर 2007 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 14 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 01) और 19 नवंबर 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 15 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 02) के जरिये जारी मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां शासित करनेवाले धन शोधन निवारण दिशा-निर्देशों की ओर आकर्षित किया जाता है । 2. धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अनुसार, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 की धारा 10 (1) के तहत प्राधिकृत सभी प्राधिकृत व्यक्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की सीमा में लाया गया है । अत: मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के लिए मौजूदा अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने (सीएफटी) में, धन शोधन निवारण (एएमएल) मानकों पर/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने (सीएफटी) पर वित्तीय कार्रवाई कृतीदल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के संबंध में संशोधन किया गया है । मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के लिए अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंक वाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने पर विस्तृत अनुदेश संशोधित किये गये हैं । 3. तदनुसार, मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के संबंध में . धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व पर संशोधित दिशा-निर्देश अनुबंध (एफ-भाग-।) में दिये गये हैं । अत: सभी प्राधिकृत व्यक्ति अपने बोर्ड के अनुमोदन के साथ अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने के उपायों पर एक संशोधित नीतिगत रूपरेखा तैयार करें। 4. ये दिशा-निर्देश यथोचित परिवर्तनों सहित प्राधिकृत व्यक्तियों के सभी एजेंटों / विशेष विक्रय अधिकार देने वालों (फ्रेंचाइजीस) को भी लागू होंगे और विशेष विक्रय अधिकार लेने वालों ( फ्रेंचाइजर) की स्वयं की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि उनके एजेंट/ विशेष विक्रय अधिकार देने वाले (फ्रेंचाइजीस) भी इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। 5. प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें । 6. मुद्रा परिवर्तन गतिविधियां शासित करनेवाले अनुदेशों पर 09 मार्च 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 57 (ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं. 04) के अनुबंध -। (एफ) की विषय वस्तु अर्थात् धन शोधन निवारण (एएमएल) दिशा-निर्देशों के स्थान पर अब इस परिपत्र के अनुबंध (एफ-भाग-।), (एफ-भाग-।।) और (एफ-भाग-।।।) रखे गये हैं । 09 मार्च 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 57 (ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं. 04) के सभी अन्य अनुदेश यथावत् रहेंगे । 7. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1), और धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और समय समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और लागत के अभिलेखों का रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 के तहत जारी किये गये हैं । दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने से संबंधित अधिनियमों अथवा उसके तहत बनाये गये नियमों के दंडात्मक प्रावधानों को लागू किया जाएगा । भवदीय (सलीम गंगाधरन) (एफ-भाग-।) अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां 1. प्रस्तावना धन शोधन का अपराध, धनशोधन निवारण अधिनियम,2002 (पीएमएलए) की धारा 3 में "जो कोई अपराध की प्रक्रिया के साथ जुड़ी किसी क्रियाविधि अथवा गतिविधि में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शामिल होने का प्रयास करता है अथवा जानबूझकर सहायता करता है अथवा जानबूझकर कोई पार्टी है अथवा वास्तविक रूप से शामिल है और उसे बेदाग संपत्ति के रूप में प्रक्षेपित करता है वह धन शोधन के अपराध का दोषी होगा" के रूप में परिभाषित किया गया है। धन शोधन ऐसी प्रक्रिया कही जा सकती है जिसमें मुद्रा अथवा अन्य परिसंपत्तियां अपराध के आगम के रूप में प्राप्त की गयी है, जो "बेजमानती मुद्रा " के लिए विनिमय की जाती है अथवा उनके आपराधिक मूल से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है ऐसी अन्य परिसंपत्तियां हैं । धन शोधन अपराध के तीन चरण हैं जिसके दौरान अपराधकर्ताओं द्वारा बहुत से लेनदेन किये जा सकते हैं, जो आपराधिक गतिविधि से संस्था को सावधान कर सकते हैं।
2. उद्देश्य अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी)/धन शोधन निवारण (एएमएल)/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी दिशा-निर्देश निर्धारित करने का उद्देश्य प्राधिकृत व्यक्तियों (अब इसके बाद प्राधिकृत व्यक्तियों के रूप में उल्लिखित ) द्वारा आपराधिक घटकों से काले धन शोधन अथवा आतंकवाद वित्तपोषण गतिविधियों के लिए जानबूझकर अथवा अनजाने में अपनायी जानेवाली विदेशी मुद्रा नोटों / यात्री चेकों की खरीद और /अथवा बिक्री की पद्धति को रोकना है । अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) क्रियाविधि से प्राधिकृत व्यक्ति अपने ग्राहकों तथा उनके वित्तीय व्यवहारों को बेहतर जान/समझ सकेंगे, जिससे वे अपना जोखिम प्रबंधन विवेकपूर्ण तरीके से कर सकेंगे । 3. ग्राहक की परिभाषा अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) नीति के प्रयोजन के लिए ग्राहक को निम्नानुसार परिभाषित किया जाता है :
4. दिशा-निर्देश 4.1 सामान्य प्राधिकृत व्यक्तियों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि लेनदेन करते समय ग्राहकों से जमा की गयी जानकारी गोपनीय रखी जानी है और उसके ब्योरे प्रति बिक्री अथवा उसके जैसे किसी अन्य प्रयोजन के लिए व्यक्त नहीं किये जाने हैं । अत: प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहक से मांगी गयी जानकारी ज्ञात जोखिम से संबंधित है, अनुचित नहीं है और इस संबंध में जारी किये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार है । जहाँ कहीं आवश्यक हो ग्राहक से अपेक्षित कोई अन्य जानकारी उसकी सहमति से अलग से माँगी जानी चाहिए । 4.2 अपने ग्राहक को जानिये नीति प्राधिकृत व्यक्तियों को निम्नलिखित चार घटकों को ध्यान में रखते हुए अपनी "अपने ग्राहक को जानिये" नीति बनानी चाहिए : क) ग्राहक स्वीकृति नीति; 4.3 ) ग्राहक स्वीकृति नीति (सीएपी) प्रत्येक प्राधिकृत व्यक्ति को ग्राहकों की स्वीकृति के लिए सुनिश्चित मापदंड निर्धारित करते हुए एक स्पष्ट ग्राहक स्वीकृति नीति विकसित करनी चाहिए । ग्राहक स्वीकृति नीति में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राधिकृत व्यक्ति के साथ ग्राहक के संबंध के निम्नलिखित पहलुओं पर सुनिश्चित दिशा-निर्देश दिये गये हों : i) अज्ञातनाम अथवा काल्पनिक /बेनामी नाम (नामों ) से कोई लेनदेन नहीं किया जाता है । ii) जोखिम अवधारणा के मापदंड, व्यवसाय गतिविधि का स्वरुप, ग्राहक और उसके मुवक्किल का स्थान, भुगतान का तरीका, टर्नओवर की मात्रा, सामाजिक और वित्तीय स्थिति, आदि के अनुसार स्पष्ट रूप से परिभाषित किये गये हैं, जिससे ग्राहकों को निम्न, मध्यम और उच्च जोखिम में वर्गीकृत किया जा सकें ( प्राधिकृत व्यक्ति कोई यथोचित नामपद्धति अर्थात् स्तर ।, स्तर।। और स्तर।।। पसंद कर सकते हैं )। ऐसे ग्राहक,अर्थात् पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (पीइपीएस) जिनके लिए उच्च स्तर की मॉनीटरिंग की आवश्यकता है, अधिक उच्चतर श्रेणी में भी वर्गीकृत किये जा सकते हैं । iii) आवश्यक कागजात और सौंपी गयी जोखिम और धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और समय समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2009, धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और लागत के अभिलेखों का रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए निर्धारित ग्राहकों के विभिन्न श्रेणियों के संबंध में प्राप्त की जानेवाली अन्य जानकारी तथा इसके साथ-साथ समय समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेश/दिशा-निर्देश । iv) जिन मामलों में प्राधिकृत व्यक्ति यथोचित ग्राहक सावधानी उपाय लागू नहीं कर सकता है अर्थात् प्राधिकृत व्यक्ति पहचान सत्यापित नहीं कर सकता है और / अथवा ग्राहक के असहकार अथवा प्राधिकृत व्यक्ति को प्रस्तुत किये गये आँकड़े/जानकारी की अविश्वसनीयता के कारण जोखिम वर्गीकरण के अनुसार आवश्यक दस्तावेज प्राप्त नहीं कर सकता है ,ऐसे मामलों में लेनदेन नहीं की जानी चाहिए । तथापि, यह आवश्यक है कि ग्राहक को होनेवाली अनावश्यक परेशानी टालने के लिए यथोचित नीति बनायी जाए । v) जिस स्थिति में ग्राहक को दूसरी व्यक्ति/संस्था की ओर से कार्य करने की अनुमति दी जाती है उस स्थिति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए, लाभाधिकारी स्वामी की पहचान की जानी चाहिए और उसकी पहचान के सत्यापन के लिए सभी संभव कदम उठाये जाने चाहिए । ख) प्राधिकृत व्यक्तियों को जब कारोबारी संबंध स्थापित होते है तब जोखिम वर्गीकरण के आधार पर प्रत्येक ग्राहक का प्रोफाइल बनाना चाहिए । ग्राहक प्रोफाइल में ग्राहक की पहचान, उसके निधियों के स्रोत, सामाजिक /वित्तीय स्थिति, कारोबारी गतिविधि का स्वरुप, उसके मुवक्किल का व्यवसाय और उसके स्थान संबंधी जानकारी निहित होनी चाहिए । यथोचित सावधानी का स्वरुप और सीमा प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा सौंपी गयी जोखिम पर आधारित होंगी । तथापि, ग्राहक प्रोफाइल तैयार करते समय प्राधिकृत व्यक्तियों ने ग्राहक से केवल वहीं जानकारी मांगने पर ध्यान देना चाहिए जो जोखिम की श्रेणी से संबंधित है । ग्राहक प्रोफाइल एक गोपनीय दस्तावेज है और उसमें निहित ब्योरे आदान-प्रदान अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिए व्यक्त नहीं किये जाने चाहिए । ग) जोखिम वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए, ऐसे व्यक्तिविशेष (उच्च निवल मालियत से अन्य) और संस्थाएं, जिनकी पहचान और संपत्ति के स्रोत आसानी से जाने जा सकते हैं और सब मिलाकर जिनके द्वारा किये गये लेनदेन ज्ञात प्रोफाइल के अनुरुप हैं , उन्हें निम्न जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाए । ऐसे ग्राहक, जो औसतन जोखिम से उच्चतर जोखिमवाले प्रतीत होते हैं, उन्हें ग्राहक की पृष्ठभूमि, गतिविधि का स्वरुप और स्थान, मूल देश,निधियों के स्त्रोत और उसके मुवक्किल के प्रोफाइल, आदि के आधार पर मध्यम अथवा उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया जाए । प्राधिकृत व्यक्तियों को जोखिम निर्धारण पर आधारित वृध्दिंगत किये गये यथोचित सावधानी के उपाय लागू करने चाहिए, जिसके लिए उच्चतर जोखिम ग्राहकों , विशेषत: जिनके निधियों के स्त्रोत ही स्पष्ट नहीं हैं, के संबंध में गहन यथोचित सावधानी की आवश्यकता होगी । वृध्दिंगत की गयी अपेक्षित यथोचित सावधानीवाले ग्राहकों के उदाहरणों में (क) अनिवासी ग्राहक; (ख) ऐसे देशों के ग्राहक जो वित्तीय कार्रवाई कृतीदल मानक लागू नहीं करते हैं अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करते हैं ; (ग) उच्च निवल मालियत व्यक्तिविशेष; (घ)ट्रस्ट, धर्मादाय संस्था, गैर सरकारी संगठन और दान प्राप्तकर्ता संगठन; (ड.) नजदीकी परिवार शेयरधारिता अथवा लाभकारी स्वामी (च) निष्क्रिय भागीदार होनेवाले फर्मस्; (छ) राजनयिक (पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन) (पीईपी);(ज) सामने न होनेवाले ग्राहक; और (झ) उपलब्ध आम जानकारी के अनुसार सन्दिग्ध प्रतिष्ठा वाले ग्राहक, आदि शामिल हैं। तथापि, युनाइटेड नेशन्स अथवा उसकी एजेंसियों द्वारा प्रवर्तित एनपीओएस/ गैर सरकारी संगठन ही निम्न जोखिम ग्राहक के रूप में वर्गीकृत किये जाएं । (घ) यह बात ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि ग्राहक स्वीकृति नीति अपनाना तथा उसका कार्यान्वयन करना अत्यंत नियामक नहीं होना चाहिए और आम जनता को मुद्रा परिवर्तन संबंधी सेवाओं से नकारा नहीं जाना चाहिए । 4.4 ग्राहक पहचान प्रक्रिया (सीआइपी) क) प्राधिकृत व्यक्तियों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में विभिन्न स्तरों पर अर्थात् कारोबारी संबंध स्थापित करते समय; वित्तीय लेनदेन करते समय अथवा प्राधिकृत व्यक्ति को पूर्व में प्राप्त ग्राहक पहचान संबंधी आंकड़ों की प्रामाणिकता/यथातथ्यता अथवा पर्याप्तता के बारे में संदेह है तो ग्राहक पहचान प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तैयार की जानी चाहिए । ग्राहक पहचान का अर्थ ग्राहक को पहचानना और विश्वसनीय, स्वतंत्र स्त्रोत दस्तावेज, आंकड़े अथवा जानकारी का उपयोग करते हुए उनकी पहचान सत्यापित करना । प्राधिकृत व्यक्तियों को प्रत्येक नये ग्राहक की पहचान स्थापित करने, उनकी संतुष्टि होने तक पर्याप्त आवश्यक जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है भले ही संबंध प्रासंगिक अथवा कारोबारी हो, और संबंधों का अभिप्रेत स्वरुप का प्रयोजन हो। संतुष्ट होने का अर्थ है कि प्राधिकृत व्यक्ति सक्षम प्राधिकारियों को इस बात से संतुष्ट करा सकें कि मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्राहक की जोखिम प्रोफाइल के आधार पर यथोचित सावधानी बरती गयी थी । इस प्रकार जोखिम आधारित दृष्टिकोण प्राधिकृत व्यक्तियों को असमानुपातिक लागत और ग्राहकों के लिए बोझिल व्यवस्था टालने के लिए आवश्यक है । जोखिम बोध के अतिरिक्त, अपेक्षित जानकारी/दस्तावेजों का स्वरुप ग्राहक (व्यक्तिगत, कंपनी, आदि) के प्रकार पर भी निर्भर होगा । ऐसे ग्राहकों के लिए जो साधारण व्यक्ति है , प्राधिकृत व्यक्तियों को ग्राहक की पहचान और उसका पता / स्थान का सत्यापन करने के लिए पर्याप्त पहचान दस्तावेज प्राप्त करने चाहिए । ऐसे ग्राहकों के लिए जो विधिक व्यक्तिविशेष अथवा संस्थाएं हैं , प्राधिकृत व्यक्ति को (i) यथोचित और संबंधित दस्तावेजों के जरिये विधिक व्यक्ति/संस्था की विधिक स्थिति सत्यापित करनी चाहिए; (ii) विधिक व्यक्ति/संस्था की ओर से कार्य करनेवाला कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए प्राधिकृत है तथा उस व्यक्ति की पहचान सत्यापित करनी चाहिए; और (iii) ग्राहक का स्वामित्व और नियंत्रण संरचना समझनी चाहिए और निर्धारित करना चाहिए कि साधारण व्यक्ति कौन हैं जो विधिक व्यक्ति का आखिरकार नियंत्रण करता है । प्राधिकृत व्यक्तियों के दिशा-निर्देश के लिए कुछ विशिष्ट मामलों के संबंध में ग्राहक पहचान अपेक्षाएं, विशेषत:, विधिक व्यक्तियों , जिनके बारे में और अधिक सतर्कता की आवश्यकता है , नीचे पैराग्राफ 4.5 में दी गयी है । तथापि, प्राधिकृत व्यक्ति, ऐसे व्यक्तियों /संस्थाओं के साथ कार्य करते समय आये हुए उनके अनुभव, उनके सामान्य विवेक और स्थापित परंपराओं के अनुसार विधिक अपेक्षाओं के आधार पर अपने निजी आंतरिक दिशा-निर्देश तैयार करें । यदि प्राधिकृत व्यक्ति ऐसे लेनदेन ग्राहक स्वीकृति नीति के अनुसार करना निर्धारित करता है तो प्राधिकृत व्यक्ति को लाभार्थी स्वामी (स्वामियों ) की पहचान करने के लिए यथोचित उपाय करना चाहिए तथा उसकी पहचान सत्यापित करने के लिए सभी उचित कदम उठाने चाहिए । ख) कुछ नजदीकी रिश्तेदारों को, अर्थात् पत्नी, पुत्र, कन्या और माता-पिता, आदि जो उनके पति, पिता/माता और पुत्र, जैसी भी स्थिति हो, के साथ रहते हैं, तो प्राधिकृत व्यक्तियों के साथ लेनदेन करना कठिन हो सकता है क्योंकि पते के सत्यापन के लिए आवश्यक उपयोगिता बिल उनके नाम में नहीं होगा। यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में प्राधिकृत व्यक्ति, भावी ग्राहक जिस रिश्तेदार के साथ रहता है उससे इस घोषणापत्र के साथ कि लेनदेन करने के लिए इच्छुक व्यक्ति वही व्यक्ति (भावी ग्राहक) है उसके पहचान दस्तावेज और उपयोगिता बिल प्राप्त कर सकते हैं । प्राधिकृत व्यक्ति पते के और सत्यापन के लिए डाक द्वारा प्राप्त पत्र जैसी अनुपूरक साक्ष्य का उपयोग कर सकते हैं । इस विषय पर शाखाओं को परिचालनगत अनुदेश जारी करते समय, प्राधिकृत व्यक्तियों ने रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों का भाव ध्यान में रखना चाहिए और ऐसे व्यक्तियों, जो अन्यथा कम जोखिमवाले ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत किये गये हैं, को होनेवाली अनावश्यक कठिनाइयों को टालना चाहिए । ग) प्राधिकृत व्यक्तियों को यदि कारोबारी संबंध बने रहते है तो ग्राहक पहचान डाटा (फोटोग्राफ/ फोटोग्राफों सहित) आवधिक रूप से अद्यतन करने की एक प्रणाली बनानी चाहिए । घ) ग्राहक पहचान के लिए जिन कागजातों/जानकारी पर विश्वास किया जाना चाहिए, उनके प्रकार और स्वरुप की एक निर्देशक सूची इस परिपत्र के संलग्नक (एफ-भाग-।।) में दी गयी है । यह स्पष्ट किया जाता है कि संलग्नक (एफ-भाग-।।) में उल्लिखित सही स्थायी पते का अर्थ है कि व्यक्ति सामान्यत: उस पते पर रहता है और ग्राहक के पते के सत्यापन के लिए प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा उपयोगिता बिल अथवा स्वीकृत कोई अन्य कागजात में उल्लिखित पते के रूप में लिया जा सकता है । ङ) ग्राहकों से विदेशी मुद्रा की खरीद i) ग्राहकों से 200 अथवा उसके समतुल्य अमरीकी डॉलर से कम राशि के विदेशी मुद्रा नोटों और/ अथवा चेकों की खरीद के लिए पहचान कागजातों की फोटोकापियाँ प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है । तथापि,पहचानकागजातोंकेपूरेब्योरेबनायेरखेजानेचाहिए। ii) ग्राहकों से 200 अथवा उसके समतुल्य अमरीकी डॉलर से अधिक राशि के विदेशी मुद्रा नोटों और/ अथवा चेकों की खरीद के लिए इस परिपत्र के संलग्नक (एफ-भाग-।।) में उल्लेख किये गये अनुसार, पहचान कागजातों का सत्यापन किया जाए तथा उसकी एक प्रति रखी जाए । iii) (क) निवासी ग्राहकों से विदेशी मुद्रा नोटों और/ अथवा यात्री चेकों की खरीद के लिए उन्हें भारतीय रुपयों में नकद में भुगतान के लिए अनुरोधों का प्रति लेनदेन केवल 1000 अथवा उसके समतुल्य अमरीकी डॉलर की सीमा तक के लिए स्वीकार किया जा सकता है । (ख) विदेशी पर्यटकों/अनिवासी भारतीयों द्वारा 3000 रुपए अथवा उसके समतुल्य अमरीकी डॉलर तक की सीमा तक नकद में भुगतान के लिए अनुरोधों का स्वीकार किया जा सकता है । (ग) एक महीने के भीतर की गयी सभी खरीद उपर्युक्त प्रयोजन और रिपोर्टिंग प्रयोजनों के लिए एकल लेनदेन के रूप में समझी जाए । (घ) अन्य सभी मामलों में, प्राधिकृत व्यक्तियों ने केवल आदाता खाता चेक/डिमांड ड्राफ्ट के रूप में भुगतान करना चाहिए । iv) जब अनिवासी अथवा विदेश से लौटने वाले व्यक्ति द्वारा नकदीकरण के लिए प्रस्तुत की गयी विदेशी मुद्रा की राशि मुद्रा घोषणा पत्र फॉर्म(सीडीएफ) के लिए निर्धारित सीमाओं से अधिक होती है तो प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक सीडीएफ में घोषणापत्र के प्रस्तुतीकरण के लिए अनिवार्य रूप से जोर दें । v) किसी संदेहास्पद काले धन शोधन अथवा आतंकवादी निधियन के मामले में , निहित राशि पर ध्यान दिये बिना, बढ़ायी गयी ग्राहक यथोचित कार्रवाई की जाए । च) ग्राहकों को विदेशी मुद्रा की बिक्री (i) राशि पर ध्यान दिये बिना विदेशी मुद्रा के बिक्री के सभी मामलों में पहचान के लिए ग्राहक के पारपत्र पर जोर दिया जाए और विदेशी मुद्रा की बिक्री केवल वैयक्तिक आवेदनपत्र और पहचान दस्तावेजों के सत्यापन पर ही की जाएगी । पहचान दस्तावेजों की एक प्रति प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा रखी जानी चाहिए । (ii) विदेशी मुद्रा की बिक्री के संबंध में रु.50,000/- से अधिक भुगतान केवल आवेदक का रेखांकित चेक / आवेदक की यात्रा प्रायोजित करनेवाली फर्म/कंपनी के बैंक खाते पर आहरित रेखांकित चेक / बैंकर्स चेक /भुगतान आदेश / मांग ड्राफ्ट द्वारा ही प्राप्त किया जाना चाहिए । ऐसे भुगतान डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड /प्रीपेड कार्ड के जरिये भी प्राप्त किये जा सकते हैं बशर्तें (क) अपने ग्राहक को जानिये / धन शोधन निवारक दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया गया हो, (ख) विदेशी मुद्रा की बिक्री / विदेशी मुद्रा में जारी किये गये यात्री चेक बैंक द्वारा निर्धारित सीमाओं (क्रेडिट/प्रीपेड कार्डस्) के भीतर हो, (ग) विदेशी मुद्रा/विदेशी मुद्रा यात्री चेक का खरीददार और क्रेडिट/डेबिट/प्रीपेड कार्ड धारक एक ही व्यक्ति हो । (iii) इस प्रयोजन और रिपोर्टिंग प्रयोजनों के लिए एक महीने के भीतर किसी व्यक्ति द्वारा की गयी सभी खरीद एकल लेनदेन के रूप में मानी जाए । (iv) जहां आवश्यक हो नकदीकरण प्रमाणपत्र पर जोर दिया जाए । छ) व्यवसाय संबंध स्थापित करना कंपनी / फर्म /ट्रस्ट और फाउंडेशन जैसी किसी व्यवसाय संस्था के साथ संबंध केवल इस परिपत्र के संलग्न (एफ-भाग-।।)में बताये गये अनुसार यथोचित् दस्तावेज प्राप्त करने तथा सत्यापित करने पर ही स्थापित किये जाने चाहिए। सत्यापन के लिए मांगे गये सभी दस्तावेजों की प्रतियां अभिलेख में रखी जानी चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों ने व्यवसाय संबंध का प्रयोजन और अभिप्रेत स्वरुप की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों को प्रत्येक ग्राहक के साथ व्यवसायिक संबंधों में यथोचित् सावधानी बरतती रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए लेनदेनों की नजदीकी से जाँच करनी चाहिए कि वे अपने ग्राहक, उनका व्यवसाय और जोखिम प्रोफाइल की जानकारी रखते हैं । प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहक संबंधी यथोचित सावधानी प्रक्रिया के तहत प्राप्त किये गये दस्तावेज, डाटा अथवा जानकारी अद्यतन और मौजूदा अभिलेखों, विशेषत: उच्चतर जोखिम श्रेणी के ग्राहकों और व्यवसाय संबंधों की समीक्षा करते हुए तैयार रखी जाती है । जब व्यवसाय संबंध पहले से मौजूद है और व्यवसाय संबंध में ग्राहक के बारे में यथोचित् सावधानी बरतनी संभव नहीं है तो प्राधिकृत व्यक्तियों ने व्यवसाय संबंध समाप्त करने चाहिए और एफआइयु-आइएनडी में संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट करनी चाहिए । 4.5 ग्राहक पहचान आवश्यकताएं - निदर्शी दिशा-निर्देश i) ट्रस्ट/ नामिती अथवा न्यासी ग्राहकों द्वारा लेनदेन यह संभव है कि ग्राहक पहचान प्रक्रिया में ट्रस्ट/ नामिती अथवा न्यासी सबंधों का उपयोग धोखा देने के लिए किया जा सकता है । प्राधिकृत व्यक्तियों को यह ज्ञात करना चाहिए कि क्या ग्राहक, ट्रस्टी/ नामिती अथवा किसी अन्य मध्यवर्ती संस्था के रूप में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से कार्य करता है अथवा नहीं । यदि ऐसा करता है तो प्राधिकृत व्यक्तियों को मध्यवर्ती संस्था और जिनकी ओर से कार्य किया जाता है ऐसे व्यक्ति की पहचान के संतोषजनक दस्तावेज की प्राप्ति पर जोर देना चाहिए तथा ट्रस्ट अथवा अन्य व्यवस्थाओं के स्वरुप के विस्तृत ब्योरे प्राप्त करने चाहिए । किसी ट्रस्ट के लिए लेनदेन किये जाते समय, प्राधिकृत व्यक्तियों ने ट्रस्टी और ट्रस्ट के सेटलर्स (ट्रस्ट में आस्तियाँ सेटल करनेवाले किसी व्यक्ति सहित), अनुदानकर्ताओ, संरक्षकों हिताधिकारियों और हस्ताक्षरकर्ताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए यथोचित सावधानी बरतनी चाहिए । सभी मामलों में हिताधिकारी आवश्यक दस्तावेजों के संबंध में पहचाने जाने चाहिए । 'फाउंडेशन' के मामले में, फाउंडर प्रबंधकों /निदेशकों और हिताधिकारियों का सत्यापन किये जाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए । ii) कंपनी और फर्मों द्वारा लेनदेन प्राधिकृत व्यक्तियों को, प्राधिकृत व्यक्तियों के साथ लेनदेन करने के लिए एक 'फ्रंट' के रूप में किसी व्यक्तिविशेषों द्वारा उपयोग की जा रही व्यवसाय संस्थाओं के संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता है । प्राधिकृत व्यक्तियों ने संस्था के नियंत्रण ढ़ांचे की जाँच करनी चाहिए, निधियों के स्त्रोत निर्धारित करने चाहिए तथा ऐसे व्यक्तियों को पहचानना चाहिए जो नियंत्रणकर्ता के रूप में कार्य करने के लिए इच्छुक हैं और जो प्रबंधन में हैं । इन अपेक्षाओं में जोखिम बोध (पर्सेप्शन) की दृष्टि से कुछ परिवर्तन किये जा सकते हैं अर्थात् मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध किसी कंपनी के मामले में , सभी शेयरधारकों को पहचानने की आवश्यकता नहीं होगी । iii) राजनयिकों (पोलिटिकली एक्स्पोजड़् पर्सन्स )(पीइपी) द्वारा लेनदेन राजनयिक व्यक्ति वे हैं जिन्हें विदेशों में प्रमुख सार्वजनिक कार्य सौंपे गये हैं अर्थात् राज्यों अथवा सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनयिक, वरिष्ठ सरकारी/न्यायिक/सेना अधिकारी,सरकारी स्वामित्ववाले निगमों के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी, महत्वपूर्ण राजनयिक पार्टी के अधिकारी , आदि । प्राधिकृत व्यक्तियों ने लेनदेन करने अथवा व्यवसाय संबंध स्थापित करने के इच्छुक श्रेणी के किसी व्यक्ति/ग्राहक की पर्याप्त जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और उस व्यक्ति की पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध सभी जानकारी की जांच करनी चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों ने उस व्यक्ति की पहचान सत्यापित करनी चाहिए और ग्राहक के रूप में राजनयिकों को स्वीकृत करने से पहले संपत्ति के स्रोतों और निधियों के स्रोतों के बारे में जानकारी मांगनी चाहिए । राजनयिकों के साथ लेनदेन करने का निर्णय वरिष्ठ स्तर पर लिया जाना चाहिए और ग्राहक स्वीकृति नीति में उसका उल्लेख स्पष्ट रुप से करना चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों ने ऐसे लेनदेनों की लगातार आधार पर निगरानी रखनी चाहिए । उपर्युक्त मानदंड राजनयिकों के परिवार के सदस्यों अथवा नजदीकी रिश्तेदारों के साथ के लेनदेनों के लिए भी लागू किये जाएं । उपर्युक्त मानदंड ऐसे ग्राहकों को भी लागू किये जाएं जो व्यवसाय संबंध स्थापित करने के लिए राजनयिकों के उत्तराधिकारी है । जब कोई ग्राहक पहले ही व्यवसाय संबंध स्थापित किये जाने पर राजनयिक बनता है तो ऐसे ग्राहकों के संबंध में ग्राहक यथोचित् बढ़ायी गयी कार्रवाई (सीडीडी) की जानी चाहिए और राजनयिक के साथ व्यवसाय संबंध बनाये रखने का निर्णय काफी वरिष्ठ स्तर पर लिया जाना चाहिए । 4.6 लेनदेनों की निगरानी अपने ग्राहक को जानिये की प्रभावी क्रियाविधि का अत्यंत आवश्यक घटक सतत निगरानी रखना है । प्राधिकृत व्यक्ति अपनी जोखिम केवल तभी प्रभावी रूप से नियंत्रित और कम कर सकेंगे जब उन्हें ग्राहक के सामान्य और यथोचित् कार्यकलाप के संबंध में जानकारी होगी और उनके पास ऐसे लेनदेनों की पहचान करने के लिए साधन उपलब्ध होंगे जो कार्यकलाप के नियमित पैटर्न से अलग है । तथापि, निगरानी की सीमा लेनदेन की जोखिम संवेदनशीलता पर निर्भर होंगी । प्राधिकृत व्यक्तियों ने सभी जटिल, असामान्यत: बड़े लेनदेन और सभी असामान्य पैटर्न पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिनका कोई प्रत्यक्ष आर्थिक और प्रत्यक्ष विधिक प्रयोजन नहीं है । प्राधिकृत व्यक्ति लेनदेन की विशिष्ट श्रेणी के लिए प्रारंभिक सीमा निर्धारित करें और इन सीमाओं से अतिरिक्त लेनदेनों पर विशेष रूप से ध्यान दें । उच्च-जोखिम लेनदेन, गहन निगरानी की शर्त पर किये जाने चाहिए । प्रत्येक प्राधिकृत व्यक्ति को ग्राहक की पृष्ठभूमि जैसे मूल देश, निधियों के स्त्रोत, निहित लेनदेनों के प्रकार और अन्य जोखिम घटक ध्यान में लेते हुए ऐसे लेनदेनों के लिए मूल संकेतक (' मुख्य इंडिकेटर्स ') निर्धारित करने चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों ने ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक पुनरीक्षा और बढ़े हुए यथोचित् सावधानी उपाय लागू करने की आवश्यकता की एक प्रणाली बनानी चाहिए । ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की पुनरीक्षा आवधिक रूप से की जानी चाहिए । 4.7 प्रत्यासित लेनदेन जब ग्राहक द्वारा जानकारी प्रस्तुत न किये जाने और / अथवा सहयोग न दिये जाने के कारण प्राधिकृत व्यक्ति यथोचित् अपने ग्राहक को जानिये उपाय लागू नहीं कर सकते हैं तब प्राधिकृत व्यक्तियों को लेनदेन नहीं करने चाहिए । ऐसी स्थितियों में प्राधिकृत व्यक्तियों को ग्राहक के संबध में संदिग्ध लेनदेन, यदि वे वास्तव में नहीं किये जाते हैं तो भी वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत (एफआइयू-आइएनडी ) को रिपोर्ट करने चाहिए । 4.8 जोखिम प्रबंधन क) प्राधिकृत व्यक्तियों के निदेशक बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यथोचित् क्रियाविधि स्थापित करते हुए एक प्रभावी अपने ग्राहक को जानिये कार्यक्रम तैयार किया गया है और उसका प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है । उसमें यथोचित् प्रबंधन निरीक्षण, प्रणालियाँ और नियंत्रण, ड्यूटियों का विनियोजन, प्रशिक्षण और अन्य संबंधित विषय होने चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों की नीतियों और क्रियाविधियों का प्रभावी कार्यान्वयन किया जाता है यह सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के बीच जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से विनियोजित की जानी चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों ने अपने बोर्ड के साथ परामर्श करते हुए अपने मौजूदा और नये ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल बनाने के लिए नयी क्रियाविधियाँ बनानी चाहिए और किसी लेनदेन अथवा व्यवसाय संबंध में निहित जोखिम को ध्यान में रखते हुए विभिन्न धन शोधन निवारण उपाय लागू करने चाहिए । ख) अपने ग्राहक को जानिये नीतियाँ और क्रियाविधियों का मूल्यांकन करने और उसका पालन सुनिश्चित करने में प्राधिकृत व्यक्तियों की आंतरिक लेखा-परीक्षा और अनुपालन कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । सामान्य नियम के रूप में , अनुपालन कार्य द्वारा प्राधिकृत व्यक्तियों की निजी नीतियाँ और क्रियाविधियों का विधिक और विनियामक आवश्यकताओं सहित एक स्वतंत्र मूल्यांकन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी लेखा-परीक्षा संबंधी व्यवस्था में पर्याप्त स्टाफ है जो इस प्रकार की नीतियों और क्रियाविधियों में अत्यंत निपुण है । समवर्ती लेखा-परीक्षकों को यह सत्यापित करने के लिए सभी लेनदेनों की जाँच करनी चाहिए कि सभी लेनदेन धन शोधन निवारण दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गये हैं और जहाँ आवश्यक हो संबंधित प्राधिकारियों को रिपोर्ट किये गये हैं । समवर्ती लेखा-परीक्षकों द्वारा अभिलेखित गलतियों पर अनुपालना, यदि कोई हो तो बोर्ड को प्रस्तुत करनी चाहिए । वार्षिक रिपोर्ट तैयार करते समय अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध दिशा-निर्देशों के अनुपालन पर सांविधिक लेखा-परीक्षकों से एक प्रमाणपत्र प्राप्त करना चाहिए और उसे रिकार्ड में रखना चाहिए । 4.9 नयी प्रौद्योगिकियों का परिचय - प्रीपेड कार्डस् प्राधिकृत व्याक्तियों को नयी अथवा विकासशील प्रौद्योगिकियों से प्राप्त किसी धनशोधन धमकियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो गुमनामी हो सकती हैं और उसका धनशोधन के प्रयोजन हेतु उपयोग करने को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए। कुछ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक विदेश जानेवाले यात्रियों को विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित प्रीपेड कार्ड जारी करते है । इन प्रीपेड कार्डों को जारी करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध के दिशा-निर्देशों का पूर्णत: अनुपालन करते हैं। यह भी वांछनीय है कि कुछ प्राधिकृत व्यक्ति, जो इस प्रकार के कार्ड जारी करने के लिए पात्र नहीं हैं परंतु कार्ड जारीकर्ता बैंकों तथा उनके ग्राहकों की ओर से इन कार्डों की मार्केटिंग में कार्यरत हैं ,वेभीअपनेग्राहककोजानियेउपायोंकेशर्तोंकेअधीनहैं। 4.10 आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध क) मूल धनशोधन निवारण नियमों के अनुसार संदेहास्पद लेनदेनों में अन्य बातों के साथ- साथ ऐसे लेनदेन भी शामिल किये जाने चाहिए जो संदेह का यथोचित आधार होते हैं और जिस पर मूल धन निवारण अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित अपराध पर कार्रवाई अपेक्षित हो, चाहे वह कितने भी मूल्य का क्यों न हो। अत: प्राधिकृत व्याक्तियों को आतंकवाद से संबंधित संदेहास्पद लेनदेनों की निगरानी और लेनदेनों की शीघ्र पहचान और वित्तीय आसूचना ईकाई- भारत(एफआईयू -आइएनडी) को प्राथमिकता आधार पर समुचित रिपोर्ट करने के लिए यथोचित व्यवस्था विकसित करनी चाहिए । ख) प्राधिकृत व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि वे वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) विवरण में पहचाने गये अनुसार कतिपय क्षेत्राधिकार अर्थात् ईरान, उजबेकिस्तान, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, साओ टोम और प्रिंसिपे में इन क्षेत्रों से किसी व्यक्तिगत अथवा व्यवसायी के साथ व्यवहार करते समय एएमएल/सीएफटी प्रणाली में समय समय पर पायी गयी कमियों से उप्तन्न होनेवाले जोखिमों को ध्यान में रखें । 4.11 भारत से बाहर शाखाओं और सहायक संस्थाओं की प्रयोज्यता इस परिपत्र में निहित दिशा-निर्देश, विदेश में स्थित शाखाओं और निजी सहायक संस्थाओं, को विशेषत:, जिन देशों में वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) सिफारिशे लागू नहीँ अथवा अपर्याप्त रूप से लागू हैं , अनुमत स्थानीय विधि की सीमा तक , लागू होंगे । जब स्थानीय लागू नियम और विनियम इन दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन में प्रतिबंध करते हैं तो यह बात भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्यान में लायी जानी चाहिए । यदि भारतीय रिज़र्व बैंक और मेजबान देश नियामक, शाखाओं/समुद्रपारीय सहायक संस्थाओं द्वारा निर्धारित अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के मानकों में अंतर है तो प्राधिकृत व्यक्तियों को दोनों में से अधिक कठोर विनियम संबंधी नियम अपनाने आवश्यक है । 4.12. प्रधान अधिकारी क) प्राधिकृत व्यक्तियों को किसी वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी को प्रधान अधिकारी के रूप में पदनामित् किया जाना चाहिए । प्रधान अधिकारी ने प्राधिकृत व्यक्ति के मुख्य/कार्पोरेट कार्यालय में होना चाहिए और वह सभी लेनदेनों की निगरानी और रिपोर्टिंग करने तथा विधि के तहत यथा आवश्यक जानकारी देने के लिए जवाबदेह होंगा । प्रधान अधिकारी धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के पूरे क्षेत्र (अर्थात् ग्राहक यथोचित् सावधानी,रिकॉर्ड कीपिंग, आदि) में यथोचित अनुपालन प्रबंधन व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए भी जवाबदेह होंगा । वह प्रवर्तन एजेंसियों , प्राधिकृत व्यक्तियों और धन शोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध का सामना करनेवाले किसी अन्य संस्था के साथ नजदीक से संपर्क रखेगा । प्रधान अधिकारी को उसकी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए सक्षम बनाने की दृष्टि से, यह सूचित किया जाता है कि प्रधान अधिकारी और अन्य यथोचित स्टाफ को ग्राहक पहचान डाटा और अन्य सीडीडी जानकारी, लेनदेन रिकार्ड और अन्य संबंधित जानकारी समय पर उपलब्ध होनी चाहिए । इसके अतिरिक्त, बैंकों ने यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रधान अधिकारी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और वरिष्ठ प्रबंधन अथवा निदेशक बोर्ड को सीधे ही रिपोर्ट कर सकें । ख) प्रधान अधिकारी वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत को नकदी लेनदेन रिपोर्ट और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट के समय पर प्रस्तुतीकरण के लिए जवाबदेह होंगा । 4.13 लेनदेनों के रिकॉर्ड रखना /परिरक्षित की जानेवाली जानकारी/रिकॉर्डों को रखना और परिरक्षण/वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत को नकदी और संदिग्ध लेनदेनों की रिपोर्टिंग धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 12, लेनदेन संबंधी जानकारी के परिरक्षण और रिपोर्टिंग के बारे में प्राधिकृत व्यक्तियों को कतिपय दायित्व देता है । अत: प्राधिकृत व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि वे धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम,2002 के प्रावधानों और उसके तहत अधिसूचित नियमों का अध्ययन करें और पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 12 की आवश्यकताओं के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठायें । (i) लेनदेनों के रिकार्ड रखना प्राधिकृत व्यक्तियों को नियम 3 के तहत निर्धारित लेनदेनों का उचित रिक़ार्ड रखने के लिए नीचे दर्शाये गये अनुसार एक प्रणाली तैयार करनी चाहिए : क) दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसके समतुल्य राशि से अधिक मूल्य के सभी नकदी लेनदेन ; ख) दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसके समतुल्य राशि से कम मूल्य के एक दूसरे से संबध्द सभी नकदी लेनदेनों की श्रृंखला, जब श्रृंखला के सभी लेनदेन एक महीने के भीतर किये गये हो ; और ग) नकदी में और नियमों में उल्लेख किये गये रुप में किये गये अथवा न किये गये सभी संदेहास्पद लेनदेन । (ii) परिरक्षित की जानेवाली जानकारी प्राधिकृत व्यक्तियों को नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में निम्नलिखित जानकारी रखना आवश्यक है :
(iii) रिकॉर्ड का रखरखाव और परिरक्षण क) प्राधिकृत व्यक्तियों को उपर्युक्त नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में जानकारी का रिकॉर्ड रखना आवश्यक है । प्राधिकृत व्यक्तियों को लेनदेन जानकारी के उचित रखरखाव और परिरक्षण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए यथोचित् कदम उठाने चाहिए कि जिसमें जब कभी आवश्यकता पड़ती है अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा मांगे जाते हैं तो डाटा सहजता से और शीघ्रता से उपलब्ध हो । इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत व्यक्तियों को प्राधिकृत व्यक्ति और ग्राहक के बीच निवासियों और अनिवासियों दोनों के साथ किये गये लेनदेनों के सभी आवश्यक रिकॉर्ड लेनदेन की तारीख से न्यूनतम दस वर्षों तक रखे जाने चाहिए, जो व्यक्तिगत लेनदेनों ( निहित राशियाँ और मुद्रा के प्रकार, यदि कोई हो, के सहित) का पुनर्निर्माण कर सकेंगे, जिससे उस रिकॉर्ड को यदि आवश्यक हो तो आपराधिक कार्यकलाप में निहित व्यक्तियों के अभियोजन के लिए साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकेगा । ख) प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लेनदेन करते समय और व्यवसाय संबंध की अवधि के दौरान प्राप्त किये गये ग्राहक और उसके पते की पहचान से संबंधित रिकॉर्ड,(अर्थात् पारपत्र, ड्राइविंग लायसेंस, पैन कार्ड, चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान कार्ड, उपयोगिता बिल, आदि जैसे दस्तावेजों की प्रतियाँ ) लेनदेन/व्यवसाय संबंध की समाप्ति से कम से कम दस वर्षों के लिए यथोचित् रूप से परिरक्षित किये जाते हैं । पहचान संबंधी रिकॉर्ड और लेनदेन के आंकड़े मांगे जाने पर सक्षम प्राधिकारियों को उपलब्ध किये जाने चाहिए । ग) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.6 में, प्राधिकृत व्यक्तियों को सूचित किया गया है कि सभी जटिल, असामान्य बड़े लेनदेन और लेनदेनों के सभी असामान्य पैटर्न , जिसका कोई प्रथमदर्शनी आर्थिक अथवा प्रत्यक्ष वैध प्रयोजन नहीँ है, पर विशेष ध्यान दिया जाए । इसके साथ यह भी स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे लेनदेनों से संबंधित सभी दस्तावेज/कार्यालय रिकॉर्ड/ज्ञापन सहित पृष्ठभूमि और उसके प्रयोजन की यथासंभव जांच की जानी चाहिए और शाखा तथा प्रधान अधिकारी के स्तर पर पाये गये निष्कर्ष यथोचित् रूप से रिकॉर्ड किये जाने चाहिए । ऐसे अभिलेख और संबंधित दस्तावेज, लेखा-परीक्षकों को लेनदेनों की छान-बीन से संबंधित उनके दैनिक कार्य में सहायक होने के लिए और रिज़र्व बैंक और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को उपलब्ध किये जाने चाहिए । इन रिकॉर्डों को दस वर्षों के लिए परिरक्षित किया जाना आवश्यक है , क्योंकि यह धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 और समय - समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण ( लेनदेनों के प्रकार और लागत के रिकॉर्ड रखना, रिकॉर्ड रखने की क्रियाविधि और पद्धति और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियाँ, वित्तीय संस्थाएं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्डों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के तहत आवश्यक है । (iv) वित्तीय आसूचना ईकाई - भारत को रिपोर्टिंग क) धन शोधन निवारण नियमावली के अनुसार प्राधिकृत व्यक्तियों को नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में नकदी और संदेहास्पद लेनदेनों से संबंधित जानकारी निदेशक, वित्तीय आसूचना ईकाई- भारत को निम्नलिखित पते पर रिपोर्ट करना आवश्यक है : निदेशक ख) प्राधिकृत व्यक्तियों को सभी रिपोर्टिंग फॉर्मेटों का अध्ययन करना चाहिए । इस परिपत्र के संलग्नक में विस्तृत रूप (एफ-भाग ।।।) से दर्शाये गये अनुसार कुल मिलाकर चार रिपोर्टिंग फॉर्मेटस् हैं अर्थात् i) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर); ii) ईलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-सीटीआर; iii) संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर); iv) ईलेक्ट्रॉनिक फाइल स्ट्रक्चर-एसटीआर । रिपोर्टिंग फॉर्मेटों में समेकन संबंधी विस्तृत दिशा-निर्देश और वित्तीय आसूचना ईकाई – भारत (एफआइयु-आइएनडी) को रिपोर्टों की प्रस्तुति की पद्धति तथा क्रियाविधि दी गयी है । प्राधिकृत व्यक्तियों को यह आवश्यक होगा कि वे वित्तीय आसूचना ईकाई – भारत (एफआइयु-आइएनडी) को सभी प्रकार की रिपोर्टों की ईलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए अविलंब कदम उठायें । ईलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रिपोर्ट तैयार करने के लिए संबंधित हार्डवेयर और तकनीकी आवश्यकता, संबंधित डाटा फाइल्स और उसका डाटा स्ट्रक्चर संबंधित फार्मेटों के अनुदेश भाग में प्रस्तुत किया गया हैं । ग) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.3(ख) मे निहित अनुदेशों के अनुसार, प्राधिकृत व्यक्तियों को प्रत्येक ग्राहक के लिए जोखिम वर्गीकरण पर आधारित एक प्रोफाइल तैयार करना आवश्यक है । इसके अतिरिक्त, पैराग्राफ 4.6 के जरिये, जोखिम वर्गीकरण की आवधिक पुनरीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया गया है । अत: यह दोहराया जाता है कि लेनदेन निगरानी व्यवस्था के एक भाग के रूप में प्राधिकृत व्यक्तियों को , जब लेनदेन जोखिम वर्गीकरण और ग्राहकों के अद्यतन प्रोफाइल के साथ सुसंगत नहीं है तब सावधान करने के लिए यथोचित् सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन तैयार करना आवश्यक है । यह जोड़ने की जरूरत नहीं है कि संदेहास्पद लेनदेन पहचानने और उसके रिपोर्टिंग के लिए सावधान करनेवाला रोबस्ट(संतुलित) सॉफ्टवेयर आवश्यक है । 4.14 नकदी और संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट अ) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) जबकि सभी प्रकार की रिपोर्टों की फाईलिंग के लिए विस्तृत अनुदेश संबंधित फार्मेटों के अनुदेश भाग में दिये गये हैं , प्राधिकृत व्यक्तियों को अत्यंत सावधानी से निम्नलिखित का पालन करना चाहिए : i) प्रत्येक महीने के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) अनुवर्ती महीने की 15 तारीख तक एफआइयु-आइएनडी को प्रस्तुत करनी चाहिए । अत: शाखाओं द्वारा उनके नियंत्रणकर्ता कार्यालयों को नकदी लेनदेन रिपोर्ट अनिवार्यत: मासिक आधार पर प्रस्तुत की जानी चाहिए और प्राधिकृत व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक महीने के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रस्तुत की जाती है । ii) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) फाइल करते समय, 50,000 रुपये से कम वाले वैयक्तिक लेनदेन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है । iii) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) में प्राधिकृत व्यक्ति के आंतरिक खाते में किये गये लेनदेनों को छोड़कर प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा अपने ग्राहकों की ओर से किये गये लेनदेनों का ही समावेश होना चाहिए । iv) समग्र रूप से प्राधिकृत व्यक्ति के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर), विनिर्दिष्ट फॉर्मेट के अनुसार प्रधान अधिकारी द्वारा प्रत्यक्ष फॉर्म में प्रत्येक महीने में समेकित की जानी चाहिए । उक्त रिपोर्ट प्रधान अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित की जानी चाहिए और एफआइयु-इंडिया को प्रस्तुत की जानी चाहिए । v) यदि प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा शाखाओं के लिए नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) उनके सेंट्रल डाटा सेंटर स्तर पर केंद्रीकृत रूप से समेकित की गयी हो तो प्राधिकृत व्यक्तियों को एफआइयु-इंडिया को आगे के प्रेषण के लिए एक जगह पर केंद्रीय कंप्यूटरीकृत वातावरण के तहत शाखाओं के संबंध में केंद्रीकृत नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) तैयार करनी चाहिए, बशर्ते : क) नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) इस परिपत्र के पैराग्राफ 4.13 (iv)(ख) में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित फॉर्मेट में तैयार की गयी है । ख) उनकी ओर से एफआइयु-इंडिया को प्रस्तुत किये गये मासिक नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) की एक प्रति मांगे जाने पर लेखा-परीक्षकों/निरीक्षकों को प्रस्तुत करने के लिए संबंधित शाखा में उपलब्ध है । ग) इस परिपत्र के क्रमश: पैराग्राफ 4.13(i),(ii) और (iii)में उपर्युक्त में निहित किये गये अनुसार ' लेनदेनों के रिकॉर्डों का रखरखाव ', ' परिरक्षित की जानेवाली जानकारी' और ' रिकॉर्डों का रखरखाव और परिरक्षण ' पर अनुदेशों का शाखा द्वारा कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। तथापि, केंद्रीय कंप्यूटरीकृत वातावरण के तहत न आनेवाली शाखाओं के संबंध में मासिक नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) समेकित की जानी और शाखा द्वारा प्रधान अधिकारी को एफआइयु-इंडिया को आगे के प्रेषण के लिए प्रेषित की जानी जारी रखा जाना चाहिए । आ) संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) i) संदेहास्पद लेनदेनों का निर्धारण करते समय, प्राधिकृत व्यक्तियों को समय -समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण नियमावली में निहित संदेहास्पद लेनदेन की परिभाषा द्वारा दिशा-निर्देश दिये जाने चाहिए । ii) यह संभव है कि कुछ मामलों में लेनदेन, ग्राहकों द्वारा कुछ ब्योरे देने अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए पूछे जाने पर परित्यक्त/निष्फल होते हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राधिकृत व्यक्तियों को संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट(एसटीआर) में लेनदेन की राशि पर ध्यान दिये बिना ग्राहकों द्वारा पूर्ण न किये जाने पर भी सभी प्रयासित लेनदेन रिपोर्ट करने चाहिए । iii) प्राधिकृत व्यक्तियों को यदि उनके पास विश्वास का यह उचित आधार है कि प्रयासित लेनदेन सहित लेनदेन में , लेनदेन की राशि पर ध्यान दिये बिना, अपराध की राशि निहित है और/अथवा अपराध निर्धारित करने के लिए प्रारंभिक सीमा परिकल्पित है तो संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट(एसटीआर) धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की अनुसूची के भाग क में करनी चाहिए। iv) नकदी अथवा गैर-नकदी के प्रयासित लेनदेन सहित लेनदेन, अथवा एकीकृत रूप से संबध्द लेनदेनों की श्रृंखला संदेहास्पद स्वरुप की है , इस निष्कर्ष पर पहुंचने पर 7 दिनों के भीतर संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट(एसटीआर) प्रस्तुत की जानी चाहिए । प्रधान अधिकारी को किसी लेनदेन अथवा लेनदेनों की श्रृंखला संदेहास्पद लेनदेन के रूप में मानने के लिए अपने कारण रिकॉर्ड करने चाहिए । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी शाखा अथवा किसी अन्य कार्यालय से एक बार संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट प्राप्त होने पर निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई विलंब नहीं हो। ऐसी रिपोर्ट मांगे जाने पर सक्षम प्राधिकारियों को उपलब्ध की जानी चाहिए । v) स्टाफ के बीच अपने ग्राहक को जानिये/धन शोधन निवारण जागरुकता निर्माण करने के संबंध में और संदेहास्पद लेनदेनों के लिए सचेत करने हेतु प्राधिकृत व्यक्ति संदेहास्पद कार्यकलापों की निम्नलिखित निदर्शी सूची पर विचार करें । कुछ संभाव्य संदेहास्पद कार्यकलाप निदर्शक नीचे दिये गये हैं:
उपर्युक्त सूची केवल निदर्शी है और न कि सर्वसमावेशक है । vi) प्राधिकृत व्यक्तियों को ऐसे लेनदेनों पर कोई रोक नहीं लगानी चाहिए जहां संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट(एसटीआर) की गयी है । साथ में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राधिकृत व्यक्तियों के कर्मचारी इस प्रकार की जानकारी प्रस्तुत करने का तथ्य अत्यंत गोपनीय रखेंगे और किसी भी स्तर पर ग्राहक को संकेत नहीं देंगे । 4.15 ग्राहक शिक्षा/कर्मचारियों का प्रशिक्षण/कर्मचारियों का नियोजन क) ग्राहक शिक्षा अपने ग्राहक को जानिये क्रियाविधि के कार्यान्वयन की अपेक्षा है कि प्राधिकृत व्यक्ति ग्राहक से कुछ जानकारी मांगे जो वैयक्तिक प्रकार की हो अथवा इसके पहले कभी मांगी न गयी हो । इस प्रकार की जानकारी जमा करने के उद्देश्य और प्रयोजन से ग्राहक द्वारा अनेक प्रश्न पूछे जा सकते हैं । अत: प्राधिकृत व्यक्तियों को विशिष्ट साहित्य/पुस्तिका, आदि तैयार करने की आवश्यकता है जिससे अपने ग्राहक को जानिये कार्यक्रम के उद्देश्यों से ग्राहक को शिक्षित किया जा सकें । ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय ऐसी स्थितियों का सामना करने के लिए फ्रंट डेस्क स्टाफ को विशेष रूप से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है । ख) कर्मचारी प्रशिक्षण प्राधिकृत व्यक्तियों को कर्मचारियों के लिए लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए जिससे स्टाफ सदस्य धन शोधन निवारण से संबंधित नीतियाँ और क्रियाविधियाँ , धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधान जानने में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित होंगे और सभी लेनदेनों की निगरानी रखने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करने के लिए महसूस करेंगे कि मुद्रा परिवर्तन के बहाने कोई संदेहास्पद लेनदेन नहीं किया जा रहा है । फ्रंटलाइन स्टाफ, अनुपालन स्टाफ और नये ग्राहकों के साथ कार्य करनेवाले स्टाफ के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकताएं होंगी । यह कठिन है कि सभी संबधित अपने ग्राहक को जानिये नीतियों के पीछे का तर्काधार समझें और लगातार उनका कार्यान्वयन करें । जब स्टाफ के सामने कोई संदेहास्पद लेनदेन ( जैसे निधियां के स्त्रोत के संबंध में प्रश्न पूछना, पहचान दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करना, प्रधान अधिकारी को तुरंत रिपोर्ट करना, आदि) होता है तो की जानेवाली कार्रवाई प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की जानी चाहिए और यथोचित् क्रियाविधि निर्धारित करनी चाहिए । धन शोधन निवारण उपायों के लगातार कार्यान्वयन के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए । ग) कर्मचारियों का नियोजन यह समझा जाए कि अपने ग्राहक को जानिये मापदंड/ धन शोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध के उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किये गये हैं कि अपराधी वर्ग, प्राधिकृत व्यक्तियों की प्रणाली का दुरुपयोग न कर सकें । अत: यह आवश्यक होगा कि प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उच्च मानक सुनिश्चित करने के लिए अपने कर्मचारियों की भर्ती/नियोजन प्रक्रिया के अविभाज्य भाग के रूप में पर्याप्त स्क्रीनिंग व्यवस्था की जाती है । [ 27 नवंबर 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 17 ग्राहक पहचान क्रियाविधि
[ 27 नवंबर 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 17 {ए.पी.(एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं. 4 } का संलग्नक ] विभिन्न रिपोर्टों और उनके फॉर्मेटों की सूची 1. नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) |