आरबीआइ/2010-11/346 बैंपविवि. एएमएल. बीसी सं. 70/14.01.001/2010-11 30 दिसंबर 2010 9 पौष 1932 (शक) अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)/ अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं/स्थानीय क्षेत्र बैंक महोदय अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक/ आंतकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/पीएमएलए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व कृपया अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धन शोधन निवारण मानक/आंतकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/पीएमएलए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 1 जुलाई 2010 का हमारा मास्टर परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 2/14.01.001/2010-11 देखें। 2. उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2.3 (ग) के अनुसार बैंकों से यह अपेक्षा की गयी है कि वे उच्चतर जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में समुचित सावधानी बरतने के उन्नत उपाय लागू करें। उक्त पैराग्राफ में ऐसे ग्राहकों के उदाहरण भी दिए गए हैं जिनके लिए उच्चतर सावधानी बरतना आवश्यक है । आगे यह सूचित किया जाता है कि नकदी की प्रमुखता वाले कारोबार में उच्चतर जोखिम को देखते हुए बुलियन व्यापारियों (छोटे व्यापारियों सहित) तथा जौहरियों को भी बैंकों द्वारा ‘उच्च जोखिम’ संवर्ग में रखा जाना चाहिए, जिनके लिए उच्चतर सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। 3. तदनुसार, उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2.8 (क) के अनुसार बैंकों से यह भी अपेक्षित है कि वे इन ‘उच्च जोखिम वाले खातों’ के लेनदेनों के संबंध में भी कड़ी निगरानी रखें। वित्तीय आसूचना एकक- भारत (FIU-IND) को संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) भेजने हेतु संदेहास्पद लेनदेनों की पहचान करने के लिए बैंकों को इन खातों से जुड़े उच्च जोखिम को ध्यान में रखना चाहिए। 4. ये दिशानिर्देश धन शोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप और मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समय सीमा और उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35 क के अंतर्गत जारी किए गए हैं। इनका किसी भी प्रकार का उल्लंघन या अननुपालन संबंधित अधिनियम/नियमावली के अंतर्गत दंडनीय है। भवदीय (विनय बैजल) मुख्य महाप्रबंधक |