अग्रणी बैंक योजना – राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी)/ संघ शासित क्षेत्र स्तरीय बैंकर समिति (यूटीएलबीसी) बैठकों का आयोजन
आरबीआइ /2010-11 / 343 29 दिसंबर 2010 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक महोदय, अग्रणी बैंक योजना – राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी)/ राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी) संघ शासित क्षेत्र स्तरीय बैंकर समिति (यूटीएलबीसी) राज्य/संघ शासित क्षेत्र में सरकारी एजेंसियों और बैंकों के विकासात्मक प्रयासों के समन्वयन और पर्यवेक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हमारे वर्तमान अनुदेशों के अनुसार इन समितियों की बैठकें त्रैमासिक अंतराल में आयोजित की जानी चाहिए और संयोजक बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंघ निदेशक (सीएमडी) की अध्यक्षता अथवा इसके साथ ही अपर मुख्य सचिव या संबंधित राज्य के विकास आयुक्त की सह-अध्यक्षता में होनी चाहिए। एसएलबीसी/यूटीएलबीसी बैठकों में उच्च स्तरीय सहभागिता से एक प्रभावी और वांछित परिणाम तथा भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक दोनों की सार्वजनिक नीति केन्द्रित मामलों पर अर्थपूर्ण परिचर्चा सुनिश्चित होती है। 2. हाल ही में यह पाया गया है कि ये बैठकें न तो समय पर आयोजित की जाती हैं और न ही कार्य-सूची का अग्रिम परिचालन किया जाता है। साथ ही, बैठकों में सहभागिता का स्तर निर्धारित स्तर का नहीं होता है जिससे बैठकें आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य कमज़ोर पड़ जाता है। अतः इन बैठकों को आयोजित करने की प्रणाली को कारगर और मज़बूत बनाने की आवश्यकता है। 3. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, एसएलबीसी / यूटीएलबीसी बैठकों की कारगरता में वृध्दि करने और उनकी कार्यप्रणाली को सरल बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि अब 1 जनवरी 2011 से संयोजक बैंक बैठकें आयोजित करने हेतु वर्ष के शुरूआत में ही कार्यक्रम का एक वार्षिक कैलेंडर (कैलेंडर वर्ष आधारित ) तैयार करेगा। कार्यक्रम के कैलेंडर में,एसएलबीसी को आँकड़े प्रस्तुत करने की तथा एसएलबीसी संयोजक द्वारा उसकी स्वीकृति की अंतिम तारीखें स्पष्ट रूप से निर्धारित की जानी चाहिए । यह वार्षिक कैलेंडर सभी संबंधित को पूर्व सूचना के रूप में परिचालित किया जाए ताकि बैंकों, राज्य सरकारों, भारतीय रिज़र्व बैंक आदि जैसी विभिन्न एजेंसियों के वरिष्ठ पदाधिकारियों की आगामी तारीखें ब्लॉक की जा सकें। एसएलबीसी/यूटीएलबीसी की बैठकें हर परिस्थिति में वर्ष की शुरूआत में निश्चित कैलेंडर के अनुसार आयोजित की जानी चाहिए। चूककर्ता बैंकों से ब्योरे की प्रतीक्षा किए बिना कार्यसूची भी पहले ही परिचालित की जानी चाहिए। परंतु एसएलबीसी बैठक में चूककर्ता बैंकों के साथ मामले पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए तथा इसके अतिरिक्त एसएलबीसी संयोजक बैंक को इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करते हुए नियंत्रक कार्यालय को एक पत्र लिखना चाहिए। तथापि, एसएलबीसी संयोजक बैंक समय पर ब्योरा प्रस्तुतीकरण हेतु बैंकों के साथ संपर्क बनाए रखना जारी रखेगा। यदि इतने लंबे समय की सूचना के बावजूद मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री या अन्य वरिष्ठतम पदाधिकारी किसी असाधारण अवसर पर एसएलबीसी में उपस्थित नहीं हो पाते, तो यदि वे इच्छुक हों तो एक विशेष एसएलबीसी बैठक आयोजित की जा सकती है। 4. कार्यक्रमों का कैलेंडर तैयार करने में निम्नलिखित स्थूल दिशा-निर्देशों का प्रयोग किया जाना चाहिए –
5. कृपया परिपत्र की प्राप्ति – सूचना दें तथा उपर्युक्तानुसार की गई कार्रवाई की पुष्टि हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को दें। भवदीया ( दीपाली पन्त जोशी ) |