निवासियों के लिए उदारीकृत प्रेषण योजना - 100,000 अमरीकी डॉलर की सीमा को 200,000 अमरीकी डॉलर तक बढ़ाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासियों के लिए उदारीकृत प्रेषण योजना - 100,000 अमरीकी डॉलर की सीमा को 200,000 अमरीकी डॉलर तक बढ़ाना
आरबीआइ/2007-08/146
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.09
सितंबर 26, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
निवासियों के लिए उदारीकृत प्रेषण योजना - 100,000 अमरीकी डॉलर की सीमा को 200,000 अमरीकी डॉलर तक बढ़ाना
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान निवासियों के लिए उदारीकृत प्रेषण योजना (योजना) पर मई 8, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.51 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. योजना को और उदारीकृत बनाने की दृष्टि से, भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) 100,000 अमरीकी डॉलर की वर्तमान सीमा को तत्काल बढ़ाकर 200,000 अमरीकी डॉलर कर दिया जाए। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक योजना के तहत किसी अनुमत चालू अथवा पूंजी खाता लेनदेन अथवा दोनों के संयुक्त रूप के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 200,000 अमरीकी डॉलर तक का प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं।
3. फरवरी 4, 2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 64, दिसंबर 20, 2006 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.24 और मई 8, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.51 में दी गई अन्य सभी शर्तें यथावत रहेंगी।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक