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पोतलदानोत्तर रुपया निर्यात ऋण का समापन

आरबीआइ/2010-11/477
बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. सं.85/04.02.001/2010-2011

18 अप्रैल 2011
चैत्र 1933 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय/महोदया

पोतलदानोत्तर रुपया निर्यात ऋण का समापन

कृपया निर्यातकों को रु पये में/विदेशी मुद्रा में निर्यात ऋण तथा ग्राहक सेवा पर 1 जुलाई 2010 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआइआर. (ईएक्सपी). बीसी. 06/04.02.002/2010-11 का पैरा 2.3 देखें, जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि पोतलदानोत्तर ऋण का समापन निर्यात की गयी वस्तुओं/सेवाओं से संबंधित निर्यात बिलों की विदेश से प्राप्त राशि से किया जाना चाहिए । इसके साथ ही, निर्यातक और बैंकर के बीच आपसी सहमति के अधीन इस ऋण का भुगतान/पूर्व भुगतान विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाते के शेष से और अन्य अवित्तपोषित (वसूली) बिलों की राशि से भी किया जा सकता है ।

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि निर्यातकों की लागत (अर्थात् अतिदेय निर्यात बिलों पर ब्याज लागत) को कम करने के लिए अतिदेय निर्यात बिल वाले निर्यातक अपने अतिदेय पोतलदानोत्तर रुपया निर्यात ऋण की चुकौती अपने रुपया संसाधनों से भी कर सकते हैं । तथापि, संबंधित जीआर फार्म बकाया बना रहेगा और एक्सओएस विवरण में राशि बकाया दर्शायी जाएगी । वसूली के लिए निर्यातक का दायित्व तब तक जारी रहेगा जब तक निर्यात बिल की वसूली नहीं हो जाती है ।

भवदीय

(पी. आर. रवि मोहन)
मुख्य महाप्रबंधक

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