चलनिधि समायोजन सुविधा – आशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
चलनिधि समायोजन सुविधा – आशोधन
आरबीआई/2005-06/299 10 फरवरी 2006 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) प्रिय महोदय चलनिधि समायोजन सुविधा – आशोधन कृपया शीर्षांकित विषय पर दिनांक 27 अक्टूबर 2004 के हमारे परिपत्र IDMD. OMO No.08/03.75.00/2004-05 आईडीएमडी को देखें। समय बचाने के लिए, सदस्यों के पास भौतिक एसजीएल फॉर्म की वास्तविक डिलीवरी से पहले (विलंबतम दोपहर 2.30 बजे/ शाम 5.30 बजे तक) अपने स्पष्ट इरादे (पीएडी, सिक्योरिटीज सेक्शन में भौतिक एसजीएल फॉर्म को फैक्स करके) को इंगित करके अपने आरसी एसजीएल खाते को फिर से भरने की सुविधा है। तथापि, प्रायः यह देखा गया है कि एलएएफ/एसएलएएफ-रेपो में बोली लगाने वाले कई प्रतिभागी अपने आरसी एसजीएल खाते में पर्याप्त प्रतिभूतियां नहीं रखते हैं, या प्रतिभूतियों को अंतरित करने के अपने इरादे की सूचना नहीं देते हैं और/या अपने आरसी एसजीएल खाते में प्रतिभूतियों के अंतरण में अनावश्यक देरी करते हैं जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण निपटान प्रणाली ठहर जाती है। 2. प्रणाली को सुव्यवस्थित करने की दृष्टि से, प्रतिभागियों को अब एलएएफ/एसएलएएफ के लिए विलंबतम सुबह 11.30 बजे/ शाम 4.30 बजे तक अपने स्पष्ट इरादे (पीएडी, सिक्योरिटीज सेक्शन में भौतिक एसजीएल फॉर्म को फैक्स करके) को अनिवार्य करके अपनी एलएएफ/एसएलएएफ-रेपो बोलियों के आधार पर अपने आरसी एसजीएल खाते को भरना होगा। यदि निर्धारित समय तक फैक्स प्राप्त नहीं होता है, तो रेपो बोलियां प्रतिभागी के आरसी एसजीएल खाते में अपर्याप्त शेष राशि के कारण अस्वीकृति के लिए उत्तरदायी होंगी। 3. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि केवल स्पष्ट और भार-रहित प्रतिभूतियां ही आरसी एसजीएल खाते में अंतिरत की जाएं। एलएएफ/एसएलएएफ नीलामियों में बोली की आंशिक स्वीकृति या अस्वीकृति के मामले में, प्रतिभागी द्वारा रिवर्स ट्रान्सफर शुरू किया जा सकता है। 4. ऐसे कई उदाहरण भी देखे गएं हैं जिसमें प्रतिभागी भौतिक बोलियों को उचित प्रारूप में फैक्स नहीं करते हैं, या सही एसजीएल संख्या उद्धृत नहीं करते हैं, या अपने नाम पूर्ण रूप से उद्धृत नहीं करते हैं। भविष्य में, ऐसे अपूर्ण फैक्स को हमारे स्तर पर भौतिक इनपुट के लिए नहीं माना जाएगा। प्रतिभागियों से यह भी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि एक ही बोली के लिए कई फैक्स न किए जाएं। 5. संशोधित प्रक्रिया 27 फरवरी 2006 से लागू होगी। भवदीय (चंदन सिन्हा) |