पूंजी बाजार में बैंकों का निवेश - म्युच्युअल फंड और अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) के निर्गम के लिए बैंकों द्वारा प्रदत्त ऋण - आरबीआई - Reserve Bank of India
पूंजी बाजार में बैंकों का निवेश - म्युच्युअल फंड और अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) के निर्गम के लिए बैंकों द्वारा प्रदत्त ऋण
आरबीआइ सं. 2007-08/210
बैंपविवि. डीआइआर.बीसी. 57/13.03.00/2007-08
14 दिसंबर 2007
23 अग्रहायण 1929 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
पूंजी बाजार में बैंकों का निवेश - म्युच्युअल फंड और अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताओं (आइपीसी) के निर्गम के लिए बैंकों द्वारा प्रदत्त ऋण
बैंक यह जानते ही हैं कि पूंजी बाज़ार में बैंकों के एक्सपोज़र पर वर्तमान अनुदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक्सपोज़र संबंधी मानदंडों पर जारी दिनांक 2 जुलाई, 2007 के मास्टर परिपत्र सं. बैंपविवि. डीआइआर. बीसी. 11/13.03.00/2007-08 में समेकित किया गया है । उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 5.6 के अनुसार बैंक म्युच्युअल फंड के यूनिटों पर अलग-अलग व्यक्तियों को ऋण तथा अग्रिम मंजूर कर सकते हैं । लेकिन, म्युच्युअल फंडों को ऋण तथा अग्रिम मंजूर करने हेतु कोई सुस्पष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं ।
2. कुछ बैंकों की वार्षिक वित्तीय निरीक्षण रिपोर्टों और कुछ बैंकों के समेकित विवेकपूर्ण विवरण (सीपीआर) के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि इन बैंकों ने म्युच्युअल फंडों को बड़ी राशियों के ऋण दिए हैं और कई म्युच्युअल फंडों/एफआइआइ की ओर से विभिन्न शेयर बाजारों (बीएसई तथा एनएसई) को अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं (आइपीसी) भी जारी की हैं । तथापि, बैंकों ने इन एक्सपोज़रों को अपने-अपने पूंजी बाजार एक्सपोज़रों की गणना हेतु शामिल नहीं किया है ।
3. हमने उक्त मामले की जांच की है तथा निम्नानुसार सूचित कर रहे हैं :
i. बैंकों द्वारा म्युच्युअल फंडों को प्रदत्त ऋण
सेबी (म्युच्युअल फंड) विनियमावली, 1996 के पैरा 44(2) के अनुसार कोई भी म्युच्युअल फंड यूनिटों की पुनर्खरीद, यूनिटों का मोचन अथवा यूनिट धारकों को ब्याज अथवा लाभांश की अदायगी के लिए म्युच्युअल फंडों की अस्थायी नकदी की आवश्यकता की पूर्ति को छोड़कर अन्य किसी प्रयोजन के लिए उधार नहीं लेगा ।साथ ही, म्युच्युअल फंड संबंधित योजना की निवल आस्ति के 20 प्रतिशत से अधिक तथा छह महीने से अधिक अवधि के लिए ऋण नहीं लेगा । सेबी के दिशानिर्देशों में यह निहित है कि म्युच्युअल फंडों को अपनी पुनर्खरीदों/मोचन प्रतिबद्धताओं को निजी संसाधनों से पूरा करना चाहिए और केवल अस्थायी नकदी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ही उधार लेना चाहिए । उपर्युक्त को देखते हुए बैंकों को सूचित किया जाता है कि म्युच्युअल फंडों को वित्त प्रदान करते समय विवेक से काम लें और योजना की निवल आस्ति के
20 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के भीतर यूनिटों की पुनर्खरीद/मोचन के प्रयोजन हेतु तथा 6 महीने से अनधिक अवधि के लिए केवल अस्थायी नकदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए म्युच्युअल फंडों को ऋण तथा अग्रिम प्रदान करें । ऐसा वित्त यदि ईक्विटी उन्मुख फंडों को दिया गया तो वह बैंकों के पूंजी बाजार एक्सपोज़र का भाग होगा ।
(ii) म्युच्युअल फंडों के अनुरोध पर उनके गौण बाजार खरीद के लिए विभिन्न
शेयर बाजारों को निर्गमित अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं (आइपीसी)
बैंक म्युच्युअल फंडों की ओर से तथा शेयर बाजार के पक्ष में इन ग्राहकों द्वारा किये गये लेनदेनों को सरल बनाने के लिए अविकल्पी अदायगी प्रतिबद्धताएं (आइपीसी) जारी करते हैं । हम सूचित करते हैं कि शेयर की खरीद के लिए आइपीसी गैर-निधि आधारित ऋण सुविधा के प्रकार के हैं और इन्हें पूंजी बाजार के परिचालन के प्रयोजन हेतु जारी की गई गारंटियों के समान माना जाना है । अत: बैंकों के ऐसे एक्सपोज़र उनके पूंजी बाजार निवेश का भाग होंगे । बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि एफआइआइ जैसी संस्थाओं को बैंकों से आइपीसी जैसी निधि अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं है । (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 2 देखें)
4. इस परिपत्र की तारीख से 6 महीने की एक संक्रमण अवधि का प्रावधान किया जा रहा है ताकि बैंक उपर्युक्त आवश्यकताओं का अनुपालन कर सकें ।
5. कृपया प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक